कैलेंडर की प्रत्येक तारीख के पीछे एक इतिहास छिपा है और उसके आगे एक कहानी!
ऐसी हज़ारों तारीख़ें इतिहास की किताबों में दर्ज हैं जो हमें दुनिया के मशहूर किस्सों के बारे में बताती हैं.
ये ऐसी घटनाएं हैं जिन्हें हर कोई जानना और पढ़ना चाहता है… तो चलिये हम भी 27 फ़रवरी से संबंधित ऐसे ही कुछ ऐतिहासिक किस्सों और घटनाओं को जानने की कोशिश करते हैं–
लंदन में खुला रूसी दूतावास
भले ही दुनिया के हर देश की सरहदों पर उस देश के सिपाही रहते हैं, लेकिन आंतरिक मामलों को निपटाने के लिए हर देश में दूसरे देशों के दूतावास होते हैं, जिन्हें हम साधारण भाषा में एम्बेसी कहते हैं.
विदेशों में हर देश का अपना एक दूतावास होता है, जहां विदेश मामलों को संभालने वाले आला अधिकारी बैठते हैं. देश के नागरिकों व टूरिस्टों को अन्य देश में कोई कानूनी दिक्कत न आए इसलिए भी दूतावासों का गठन किया गया था.
आज की तारीख़ इस लिहाज़ से रूस के लिए भी काफी यादगार है. 27 फरवरी 1557 को इंग्लैंड की राजधानी लंदन में रूस ने अपना पहला दूतावास खोला गया था. जिसका मकसद रूस से इंग्लैंड आने वाले नागरिकों, और टूरिस्टों को किसी अनहोनी या आपात स्थिति में कानूनी मदद दिलाई जा सके.
Russian Delegation of Tsar Ivan IV to the Holy Roman Empire. (Pic: historytoday)
आग की लपटों में जला बॉम्बे
सपनों की नगरी मुंबई, मुंबई मेरी जान…
यह पंक्तियां भारत की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं. मुंबई प्रत्येक आने वाले को गले लगा लेती है. जाने कितने ही लोग इस शहर की सड़कों पर धक्के खा कर और कड़ी मेहनत कर अपने मुकाम तक पहुंचे और कितने ही इन्हीं रास्तों से अंडरवर्ल्ड की ओर भी मुड़ गए.
ऐसे ही आज का दिन इस शहर के लिए कभी ने भूलने वाले दिनों में से एक है. तब मुंबई को बॉम्बे कहा जाता था और एक दिन इस जागते शहर को आग ने अपने आगोश में लिया. 27 फरवरी 1803 का दिन बॉम्बे फायर के नाम से इतिहास में मशहूर हो गया.
यह वह दौर था जब ब्रिटिश शासकों ने इंडिया में अपनी जड़ें जमाई हुई थीं. 27 फरवरी की सुबह बॉम्बे में आग लग गई और ये इतनी भीषण आग थी कि सपनों की नगरी जलकर पूरी तरह से खाक हो गई. इस भीषण आग में 14 लोगों की मौत हुई और कई लोग जलकर ज़ख्मी हो गए.
आबादी अधिक होने के कारण मुंबई में आग से काफी नुकसान हुआ. जानकर हैरानी होगी कि आग लगने के बाद अंग्रेजों ने बॉम्बे को नक्शे के हिसाब से बसाने का मन बनाया था, जिसके बाद मुंबई क्षेत्रफल के हिसाब से काफी बड़ी हुआ करती थी. साल 1996 में बॉम्बे का नाम बदलकर मुंबई कर दिया गया.
A view of Bombay from Malabar Hill. (Pic: indiatoday)
‘डॉन’ ने खेली मैराथन पारी
बात जब क्रिकेट के डॉन की होती है तो एक ही नाम लिया जाता है वह है क्रिकेट इतिहास के सबसे मशहूर बल्लेबाज सर डॉनाल्ड जॉर्ज ब्रैडमैन का.
क्रिकेट इतिहास में ब्रैडमैन ने कई बड़े रिकार्ड अपने नाम किए. टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज़ रन बनाने का उनका 99.94 का औसत गज़ब का रहा है.
आज ही के दिन यानी 27 फरवरी को सर ब्रैडमैन ने इंग्लैंड के खिलाफ बल्लेबाज़ी करते हुए 169 रनों की मैराथन पारी खेली थी. इंग्लैंड के खिलाफ पांचवे टेस्ट में इस महान ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने बेहतरीन बल्लेबाज़ी करते हुए इंग्लैंड के गेंदबाजों की बखिया उधेड़ दी. उन्होंने क्रीज पर 223 मिनट तक डटे रहकर इंग्लैंड के खिलाफ शानदार शतकीय पारी खेली.
उस समय ब्रैडमैन के बेहतरीन रिकार्ड से प्रभावित होकर ऑस्ट्रेलिया ब्राॅडकास्टिंग कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया के सभी पोस्ट बॉक्स का नंबर उनके 99.94 के औसत के आंकड़ों पर रख दिया था. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने ब्रैडमैन के जादुई आंकड़े 9994 को हमेशा के लिए संजोकर रख लिया.
Sir Don Bradman: Legend Of cricket. (Pic: bigdipper)
शहीद हुए चंद्रशेखर ‘आजाद’
भारत की मांटी ने इस धरती पर अनन्य वीरों को पैदा किया है, उसी में से एक थे चंद्रशेखर तिवारी. इनका जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के एक गांव में हुआ था. प्रारंभिक पढ़ाई अपने गांव से करने के बाद ये बनारस आगे संस्कृत की उच्च शिक्षा के लिए चले गए.
इन्होंने अपनी उम्र के 15वें साल में प्रवेश किया ही था कि अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड हो गया. इससे इनके भीतर देशभक्ति की चिंगारी भड़क उठी और तभी आजाद देश सेवा को समर्पित हो गए. इसके बाद ये गांधी जी के असहयोग में कूद पड़े. लेकिन जल्द ही इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. तभी से इन्होंने ये प्रण कर लिया कि वे कभी अंग्रेजों के हाथों पकड़े नहीं जाएंगे और हमेशा आजाद रहेंगे. ये अपने प्रण से कभी पीछे नहीं हटे और तब तक अंग्रेजों से लड़ते रहे जब तक कि उनके प्राणों ने उनका साथ नहीं छोड़ दिया.
बात 1925 की है इन्होंने कुछ क्रांतिकारियों के साथ मिलकर काकोरी रेल को लूट लिया, वहीं 1926 में लाला लाजपत राय की मौत का बदला अंग्रेज अफसर की हत्या करके लिया. इसके बाद ये अंग्रेजों की आंखों में खटकने लगे, अंग्रेज अफसर पागलों की तरह इन्हें ढूंढ रहे थे, ऐसे में एक दिन इलाहाबाद में जब ये अपने एक मित्र से मिलने जा रहे थे तब इन्हें अंग्रेज सैनिकों ने अल्फ्रेड पार्क में घेर लिया.
ये 27 फरवरी 1931 का दिन था, जब ये चारों तरफ से अंग्रेजों द्वारा घेरे जा चुके थे.
वहां से बच निकलने का कोई भी रास्ता शेष नहीं था. ऐसे में इन्होंने अपनी प्रतिज्ञा याद की और अपनी पिस्तौल की एक गोली अपने शरीर में उतार ली.
इस तरह ‘आजाद’ चंद्रशेखर तिवारी हमेशा के लिए ‘आजाद’ ही रहे.
Chandrashekhar ‘Azad’, 23 July 1906-27 February 1931 (Pic: hindgrapha)
टाइगर वुड्स ने गोल्फ में रचा इतिहास
मेहनत इतनी ख़ामोशी के साथ करो कि कामयाबी शोर मचा दे…
टाइगर वुड्स के नाम से भला कौन परिचित नहीं है, इन्होंने उपरोक्त वाक्य साबित करके दिखाया है.
गोल्फ की दुनिया में टाइगर वुड्स का कोई सानी नहीं है. इसमें कोई दो राय नहीं कि कई लोग सिर्फ टाइगर वुड्स की वजह से ही गोल्फ देखना पसंद करते हैं. इस लिहाज से आज का दिन इस महान अमेरिकी खिलाड़ी और उनके प्रशसंकों के लिए काफी महत्वपूर्ण है.
27 फरवरी 1992 को टाइगर वुड्स महज़ 16 साल की उम्र में प्रोफेशनल गोल्फर बन गए थे. कहां ये रईसों का खेल हुआ करता था लेकिन अपनी छोटी सी उम्र में टाइगर द्वारा रचे गए इस इतिहास ने दुनिया में खलबली मचा दी थी. टाइगर वुड्स ने अपने बचपन के दिनों से ही गोल्फ खेलना शुरू कर दिया था.
बचपन में गोल्फ खेलने में वह इतने निपुण हो गए थे कि उन्होंने महज़ 16 साल की उम्र में एक प्रोफेशनल गोल्फर के तौर पर अपने करियर का आगाज़ कर दिया. जानकर हैरानी होगी कि एक प्रोफेशनल गोल्फर के तौर पर यह खिलाड़ी सौ से अधिक चैंपियनशिप जीत चुका है.
Tiger Woods watches his shot during Los Angeles Open. (Pic: pgatour)
तो ये थीं 27 फरवरी से जुड़ी कुछ खास जानकारियां!
अगर आप भी इस दिन से जुड़ा कोई विशेष और ऐतिहासिक किस्सा जानते हैं तो कृपया नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Important Historical Events of 27th February, Hindi Article
Feature Image Credit: Wikimedia