लेहमन ब्रदर्स एक समय विश्व के सबसे बड़े बैंकों में से चौथे नंबर पर था, लेकिन अचानक आई वैश्विक मंदी में इसका अरबों रुपए का साम्राज्य ढह गया और ये बैंक दिवालिया हो गया.
असल में इस वित्तीय संकट की शुरूआत तब हुई, जब अमेरिकी बैंकों ने मकानों को खरीदने के लिए अमेरिकी लोगों को बिना जांच पड़ताल और उनके कर्ज को चुकाए जाने की क्षमता जाने बिना करोड़ों डॉलर का ऋण बांट दिया था.
हालांकि, बैंकों को नहीं पता था कि ऋण बांटने की एवज में उनके साथ धोखाधड़ी हो रही है, इससे शेयर बाजार डूबने लगे और लेहमन ब्रदर्स की पूरी साख मिट्टी में मिल गई.
लेकिन इसकी असल शुरूआत कहां से हुई ये जानना दिलचस्प रहेगा–
कुछ इस तरह पड़ी थी नींव
लेहमन ब्रदर्स की शुरूआत मॉन्टगोमरी अल्बामा में 1844 हुई. इसका श्रेय जर्मनी के शहर रिमपर से अमेरिकी हेनरी लेहमन को जाता है.
सबसे पहले उन्होंने ही एक छोटा सा स्टोर खोला, जिसमें वो छोटे किसानों के लिए ग्रोसरी और अन्य जरूरी सामान बेचा करते थे. सन 1850 ई. को इनके दो भाई मेयर लेहमन और इमैनुअल लेहमन ने भी इसी व्यवसाय को ज्वाइन किया. इस तरह तीनों भाई साथ में काम करने लगे और कंपनी का नाम बदलकर लेहमन ब्रदर्स हो गया.
इसके कुछ सालों बाद हेनरी लेहमन की मौत हो गई और बाकी दो भाईयों ने ही कंपनी के काम को आगे बढ़ाया. लेहमन ब्रदर्स ने कंपनी में नौकरी के लिए एक नीति बनाई, जिसके तहत केवल लेहमन परिवार के सदस्य ही इस कंपनी में नौकरी कर सकते थे.
यह सिलसिला 1920 तक चला, तब तक किसी भी अन्य व्यक्ति को इसमें नौकरी नहीं दी गई. इसके बाद कंपनी ने अपना क्षेत्र बढ़ाया और कॉमोडिटी में भी व्यापार की शुरूआत कर दी.
कंपनी को बड़ा फायदा हुआ तो…
आगे उन्होंने कॉफी, पेट्रोलियम एक्सचेंज में काम शुरू किया और सरकार की ओर से बांड बेचने के काम में जुट गए. वहीं सरकार ने इनके काम को देखते हुए इन्हें वित्तीय प्रबंधन का कार्य भी सौप दिया. इसके बाद इनकी किस्मत के दरवाजे अपने आप खुलते चले गए.
अभी अमेरिकी अर्थव्यवस्था विकसित ही हो रही थी, आर्थिक वृद्धि के तौर पर कई कंपनियों को रेल लाइन बिछाने और अन्य कार्यों के लिए पैसों की जरूरत पड़ी और उन्होंने लेहमन ब्रदर्स का रुख किया. देखते ही देखते कंपनी को बड़ा फायदा होने लगा.
वहीं कंपनी ने प्रतिभूतियों (सिक्योरिटी) की बिक्री और व्यापार का कार्य शुरू कर दिया और 1887 में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में एक मर्चेंट बैँकिंग फर्म के तौर पर शामिल हो गई.
अपनी स्थापना के 150वें साल के समारोह के एक साल बाद ही 9/11 के हमले में लेहमन ब्रदर्स का वर्ल्ड ट्रेड सेंटर स्थित मुख्यालय पूरी तरह से ध्वस्त हो गया.
Emanuel Lehman and Mayer Lehman. (Pic: library)
अमेरिकी परिवारों के बेहिसाब खर्चे और…
वैश्विक वित्तीय तंत्र की चूल्हें हिला देने वाले लेहमन ब्रदर्स के फेल होने की शुरूआत सन 1997 के दौर से हो गई थी, जब अमेरिका में घरों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली.
लोग बड़े घरों को खरीदने पर अपना ध्यान देने लगे और 2004 आते ही, वहां तेजी का दौर शुरू हो गया. ऐसे में अमेरिकी परिवार अपने खर्चों को कम नहीं कर पाए और सारा पैसा दूसरे घरों को खरीदने में लगाने लगे, जिससे रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी कर्ज की जरूरत पड़ने लगी.
ऐसे में जो परिवार अपने खर्चों में कटौती नहीं करने से परेशान थे, वह भी बैंक के दरवाजे पर थे. वहीं जिन परिवारों ने अपने फिजूल खर्चों में कटौती कर ली थी. वह भी घरों के लिए बैंक की ओर देख रहे थे. हालांकि, इनकी जरूरत पहले से कम थी, लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं हुई.
U.S. Household Income. (Pic: Wall Street Journal)
विफल रहीं सरकारी कोशिशें
धीरे-धीरे लोगों में और कर्ज लेने की भूख बढ़ने लगी, लेकिन अब बैंक या वित्तीय संस्थान पहले जैसी स्थिति में नहीं थे, इनके पास नकदी की कमी थी. इस कारण बैंकों ने कर्ज बांटना लगभग बंद कर दिया.
इसी बीच अमेरिका के होम लोन बाजार में करीब आधा हिस्सा रखने वाले अमेरिकी सरकार समर्थित वित्तीय संस्थान संघीय राष्ट्रीय बंधक एसोसिएशन (फैनी मेई) और संघीय गृह ऋण बंधक निगम (फ़्रेडी मैक) के ऊपर भी संकट के बादल छाने लगे.
जब सरकार को फैनी मेई और फ़्रेडी मैक के फेल होने का डर सताने लगा, तो उन्हें सरकारी नियंत्रण में ले लिया गया. वहीं लोगों को और मुसीबतों का सामना न करना पड़े. इसका बहाना देकर, अमेरिकी सरकार ने वित्तीय संस्थानों में जान फूंकने और उन्हें दिवालिया होने से बचाने के लिए 200 अरब डॉलर की सरकारी मदद दी.
सरकार सिर्फ फैनी मेई और फ़्रेडी मैक को अपने नियंत्रण में लेने भर से वित्तीय संकट की समस्या से उबर नहीं सकती थी, इसलिए उसे लेहमन ब्रदर्स को मदद देनी चाहिए थी.
वह बात और है कि ऐसा नहीं हुआ और अमेरिकी सरकार ने वित्तीय तंत्र की एक मजबूत कड़ी और लड़खड़ाते निवेश बैंक लेहमन ब्रदर्स को संभालने के लिए किसी भी तरह की कोई मदद देने से इंकार कर दिया.
इसका असर तो होना ही था, लिहाजा स्थिति बिगड़ती चली गई और अंतत: 14 सितंबर की रात लेहमन ब्रदर्स दिवालिया घोषित हो गई.
Reaction on Lehman Brothers’ Bankrupcy. (Pic: DLA Yield)
…और औंधे मुंह गिरे वैश्विक बाजार
15 सितंबर 2008 को जब लेहमन ब्रदर्स ने दिवालिया घोषित होने के लिए अमेरिकी कोर्ट में अर्जी दी, तब ये अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी दिवालिया होने वाली वित्तीय फर्म थी. इससे अमेरिका का वित्तीय बाजार धराशायी हो गया और सरकार की बैंकों को बचाने की सारी कोशिशें फेल हो गईं.
डाऊ जोंस स्टॉक मार्केट 4.4 प्रतिशत या 504 प्वाइंट की गिरावट के साथ बंद हुए, जो अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले के बाद की सबसे बड़ी गिरावट थी.
वहीं अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज के ‘नैसडैक’ में 24 मार्च 2003 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई, वहीं पेरिस के सीएसी-40, यूरोप के एफटीएसई इंडेक्स, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान, सिंगापुर, और कई अन्य एशियाई देशों के स्टॉक मार्केट धड़ाधड़ उल्टे मुंह गिरने लगे.
हालांकि, भारत के शेयर बाजार पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ा, लेहमन ब्रदर्स के दिवालिया होने के बाद वैश्विक सुस्ती आने के बाद एक साल के भीतर ही सेंसेक्स 52 प्रतिशत गिर गया. साथ ही सरकारी हस्तक्षेप के बाद स्थिति सामान्य हो गई और भारत का बैंकिंग तंत्र वित्तीय संकट की चपेट में आने से बच गया.
Stock Market Crash. (Pic: Budget on a Budget)
नियामकों, बैंकरों पर फोड़ा ठीकरा
लेहमन ब्रदर्स तो फेल हो गया, लेकिन सरकारी सहायता के अभाव के चलते पूंजीवादी अर्थव्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लग गया!
आपको जानकर ताज्जुब होगा कि लेहमन ब्रदर्स के फेल होने से 6 दिन पहले तक विश्व की प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने फर्म की निवेश ग्रेड रेटिंग “ए” रखी थी.
ऐसे में कुछ दिनों बाद ही ऐसे संस्थान का दिवालिया हो जाना क्या आर्थिक मॉडल पर प्रश्न चिह्न नहीं लगाते..?
जाहिर तौर पर ऐसी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में अस्थिरता इसका बड़ा कारण नहीं है.
द गार्जियन ने अपनी एक रिपोर्ट में नियामकों, बैंकरों और रेटिंग एजेंसियां को इस संकट के लिए ज्यादा जिम्मेदार बताया है. अगर ये संस्थान आंखें बंद कर कर यूं ही लेहमन ब्रदर्स पर भरोसा ने करते तो शायद इतना बड़ा वैश्विक भूचाल नहीं आता!
क्या कहते हो आप?
Web Title: How the Lehman Brothers Empire Collapsed, Hindi Article
Featured Image Credit: Fortune