कुछ लोगों की जिंदगी में ऐसे हादसे होते हैं, जिसके कारण उनकी पूरी जिंदगी ही बदल जाती है. ऐसे हादसों के बाद कुछ लोग पूरी तरह से टूट जाते हैं, तो कुछ हर परेशानी के विरुद्ध खड़े होकर नई सफलता पाते हैं.
ऐसे ही अटूट इरादे वाली महिला हैं मालविका अय्यर, जिन्होंने एक हादसे में अपने दोनों हाथ गंवा दिए. महज 13 साल की उम्र में हुई उस घटना ने मालविका को हिला दिया था मगर उनके हौसले ने उन्हें टूटने नहीं दिया.
उसके दम पर ही आज मालविका एक ऐसी पोजीशन पर हैं जहाँ हर कोई उन्हें पहचानता है. तो चलिए जानते हैं मालविका के इस अनोखे सफर के बारे में–
...जब हाथों में फट गया ग्रेनेड!
बिकानेर , राजस्थान में रहने वाली मालविका अय्यर बचपन से ही एक कत्थक डांसर बनना चाहती थीं. हालांकि, उन्हें नहीं पता था कि उनकी जिंदगी में जल्द ही एक बड़ा बदलाव आने वाला है.
यह बात है 26 मई 2002 की. दोपहर के समय मालविका अपने घर के बाहर घूम रही थीं. घूमते हुए उन्होंने देखा कि उनकी पैंट की एक जेब थोड़ी फटी हुई है और लटक रही है.
उन्होंने सोचा कि इसे ठीक करना चाहिए. इसके लिए मालविका ने अपनी जेब पर थोड़ा सा फेविकॉल लगाया मगर उससे वह चिपक नहीं रही थी.
उन्होंने फिर सोचा कि किसी भारी चीज से अगर इसे दबाया जाए, तो पक्का ही ये चिपक जाएगा. घर में उन्हें ऐसी कोई चीज मिली ही नहीं इसलिए वह अपने गेराज में गईं.
वहां थोड़ी देर ढूँढ़ने पर उन्हें एक मजबूत सी चीज मिल ही गई. उसे लेकर वह वापस अपने कमरे में गईं. इसके बाद जैसे ही उन्होंने उस चीज को अपनी पैंट पर लगाया एक बहुत जोर का धमाका हुआ!
धमाके की आवाज सुनते ही मालविका के माता-पिता उनके कमरे में आए और अंदर आते ही उनके होश उड़ गए. उन्होंने देखा कि हर एक चीज तबाह हो चुकी है और खून से लथपथ उनकी बेटी जमीन पर पड़ी है.
...और नहीं बच पाए मालविका के हाथ!
धमाका बहुत जोर का था मगर मालविका उसके बाद भी बेहोश नहीं हुई थीं. उनके दोनों हाथ अलग हो चुके थे. उस हालत में उन्हें अस्पताल ले जाया गया.
अस्पताल में जाते ही डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की हर मुमकिन कोशिश शुरू कर दी. अभी तक लग रहा था कि सिर्फ उनके हाथों पर धमाके का असर हुआ है मगर उसके कारण उनके पैर पर भी काफी फर्क पड़ा था.
इतना ही नहीं उनकी कई नसों ने भी काम करना बंद कर दिया था. एक पल को तो लग रहा था कि मालविका जीवित नहीं बच पाएंगी मगर डॉक्टरों ने उन्हें बचा लिया.
वह जिंदा तो थीं मगर आने वाला वक्त उनके लिए बहुत ही मुश्किल होने वाला था. दूसरी ओर हर कोई इस बात से परेशान था कि आखिर कैसे मालविका के कमरे में धमाका हुआ.
इसके बाद उस जगह की जांच की गई. जांच में सामने आया कि आखिर किस कारण धमाका हुआ. जिस जगह मालविका बिकानेर में रहती थीं, वहां से कुछ ही दूरी पर हथियारों का एक स्टोर था.
हादसे से कुछ महीनों पहले उस स्टोर में एक धमाका हुआ था जिसके कारण कई ग्रेनेड दूर-दूर तक चले गए थे. अधिकांश ग्रेनेड को तो वापस ढूंढ लिया गया था मगर कुछ लोगों के घरों तक चले गए थे.
वैसा ही एक ग्रेनेड मालविका के गेराज में भी आ गिरा था. मालविका ने बिना जाने ही उसे उठा लिया था. जब उन्होंने उसे अपनी पैंट पर इस्तेमाल किया उस समय वह अचानक ही फट गया.
इस एक छोटी सी गलती के कारण मालविका ने अपने हाथों को गंवा दिया था. उस एक पल के बाद अब उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल चुकी थी.
मजबूत इरादों ने कभी झुकने नहीं दिया
हादसे के करीब 18 महीने बाद तक मालविका को अस्पताल में रहना पड़ा. इस दौरान उन्हें बहुत सी सर्जरी से गुजरना पड़ा. इतने लम्बे इलाज के कारण उन्होंने अपनी 9वीं और 10वीं क्लास परीक्षा छोड़ दी थी.
हालांकि, एक बार जैसे ही वह ठीक हुईं उन्होंने ठान ली कि वह सीधा अब बोर्ड की परीक्षा देंगी. उनके हाथ नहीं थे मगर फिर भी वह खुद को ऐसा प्रतीत नहीं होने देना चाहती थीं कि वह लाचार हैं.
इसलिए उन्होंने किसी भी कीमत पर परीक्षा देनी ही चाही. परीक्षा में लिखने के लिए उन्होंने अपने लिए एक व्यक्ति को भी चुना. उन्होंने परीक्षा दी और रिजल्ट के लिए इंतजार किया.
जब 10वीं के रिजल्ट सामने आए, तो मालविका ने हर किसी को हैरान कर दिया. उन्होंने 500 में से 483 अंक हासिल कर खुद को स्टेट टॉपर बना दिया. इस कारनामे को देख कर कोई हैरान हो गया!
इतना ही नहीं जब इस बात की खबर पूर्व राष्ट्र्पति अब्दुल कलाम को लगी तो वह खुद मालविका से मिले. इन सब चीजों ने मालविका के बिखरे हुए हौसले को फिर से एकत्रिक कर दिया था.
अब वह समझ गईं थी कि सिर्फ शिक्षा के माध्यम से ही वह अपनी एक अलग पहचाना बना सकती हैं. इसके बाद, तो उनका पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई में लग गया.
यूनाइटेड नेशंस तक पहुंचाई अपनी आवाज...
एक बार जैसे ही मालविका के हौसलों को उड़ान मिली वह रुकी नहीं. 12वीं पूरी करते ही वह दिल्ली आईं सेंट. स्टीफेंस कॉलेज में अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के लिए.
इसके बाद मालविका को लगा कि उन्हें अपने जैसे बाकी विकलांगों के लिए भी कुछ करना चाहिए. इसलिए उन्होंने अर्थशास्त्र से अपना ध्यान हटाया और सोशल वर्क की तरफ अपना रुख किया.
उन्होंने सोशल वर्क में अपनी पीएचडी तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने विकलांगों की परेशानियों को समझना और उनके लिए जीने के नए तरीके सोचने शुरू किए.
थोड़े ही समय में कई लोग मालविका के नाम से परिचित होने लगे थे. इतना ही नहीं 2013 में तो उन्होंने चेन्नई में पहली बार पब्लिक स्पीच भी दी.
उस स्पीच में उन्होंने बताया कि आखिर कैसे इतने बड़े हादसे के बाद भी उन्होंने खुद को अपने पैरों पर खड़ा किया. इतना ही नहीं इसके बाद उन्होंने विकलांगों के लिए नए कानून और नियम बनाने की भी मांग की.
सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों तक मालविका विकलांगों की आवाज बनकर गईं. इतना ही नहीं वह यूनाइटेड नेशंस से भी जुड़ी हुई हैं. इससे जुड़ने के कारण उनकी आवाज़ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच पाती है.
2017 में तो खुद यूनाइटेड नेशंस ने मालविका को आमंत्रित किया अपने न्यू यॉर्क हेडक्वाटर में स्पीच देने के लिए. वहां स्पीच देकर मालविका ने पूरे देश का नाम रोशन किया.
मालविका को अपने किए गए अद्भुत कामों के लिए 'नारी शक्ति पुरस्कार' से भी सम्मानित किया जा चुका है. मालविका ने दिखा दिया कि जिंदगी में मुश्किलें जरूर आती हैं मगर उनसे लड़ना भी जरूर है.
मालविका अय्यर हर किसी के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं. इतना कुछ खोने के बाद भी उन्होंने खुद को हालात के आगे हारने नहीं दिया. यही कारण है कि आज पूरी दुनिया उनके नाम से परिचित है. अपनी जिंदगी संवारने के बाद आज मालविका अपने जैसे बाकियों की जिंदगी सुधारने में लगीं हैं. यकीनन ही अपने इस काम में भी वह जरूर सफल होंगी.
WebTitle: Malvika Iyer Who Lost Her Hand But Still Become A Successful Motivational Speaker, Hindi Article
Feature Image: edexlive