जिस मंच पर बराक ओबामा, बन की मून और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसी शख्सियत मौजूद हों, उस मंच पर यदि कोई भारत की बेटी पहुंचती है, तो वो बड़ी बात कही जा सकती है.
विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के मौके पर हम ऐसी ही भारत की बेटी की बात करेंगे, जिसने न सिर्फ भारत में बल्कि सात समुन्दर पार तक देश का नाम रोशन किया.
नाम है युगरत्ना श्रीवास्तव, जो लखनऊ की रहने वाली हैं. लखनऊ में अलीगंज की रहने वाली 19 साल की युगरत्ना श्रीवास्तव इंजीनियरिंग कर रही हैं. कहते हैं पूत के पांव पालने में ही पहचान लिए जाते हैं और युगरत्ना ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया…
छोटी उम्र से कर रहीं पर्यावरण संरक्षण पर काम
छोटी उम्र में ही युगरत्ना के मजबूत इरादों ने आज उन्हें पर्यावरण के क्षेत्र में एक जाना माना नाम बना दिया है. उस वक़्त युगरत्ना की उम्र महज 12 साल थी, जब उन्हें इंटरनैशनल ऑर्गेनाइजेशन यूनेप के जूनियर बोर्ड की सदस्य के रूप में चुना गया. उसी समय से वो इस संस्था के साथ जुड़ीं और तबसे आज तक पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों पर काम कर रही हैं.
हालाँकि, युगरत्ना के इस सफर की शुरुआत उनके बचपन से ही हो गयी थी, जब वो शामली में थी. वहां पर वो तरुमित्र नाम के एक एनजीओ के लिए काम करती थीं. यह एनजीओ पेड़ लगाने के मुद्दों पर काम करता है.
महज 11 साल की उम्र से युगरत्ना ग्रीन कैम्पेन चला रहीं हैं. उनका मानना है पर्यावरण के लिए सबसे घातक पॉलिथीन है और इसीलिए सबसे पहले उन्होंने कैम्पेन अगेंस्ट पॉलीथिन की शुरुआत की.
टून्जा (टु ट्रीट विद केयर),यूनेप (यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम) का एक प्रोग्राम है.
इसका मकसद दुनिया भर के बच्चों को एक मंच पर लाना है जो पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर सके. युगरत्ना इस संगठन को बढ़ाने का काम कर रही हैं और आज पूरे विश्व भर से लगभग 3 हजार बच्चे इस मुहीम में जुड़ गए हैं.
‘प्लांट फॉर प्लेनेट’ मुहीम पर चला रहीं कैम्पेन
गर्व करने वाली बात ये है कि सन 2008 में नॉर्वे में हुए यूनेप इंटरनैशनल सम्मेलन में युगरत्ना वो पहली इतनी कम उम्र की भारतीय थीं, जिन्हें इस सम्मेलन में शामिल होने का मौका मिला था.
पर्यावरण संरक्षण में युगरत्ना ने पेड़ों की संख्या को बढ़ाने के लिए बहुत काम किया है. युगरत्ना ने रोडसाइड गार्डन डिवेलप करने के लिए भी कई प्रोजेक्ट्स बनाये हैं जिनपर काम चल चल रहा है.
इस वक़्त वो प्लांट फॉर दि प्लेनेट मुद्दे पर काम कर रही हैं जिसके तहत अब तक 14 मिलियन पेड़ लगाये जा चुके हैं. दरअसल युगरत्ना ने कई ग्रीन कैम्पेन चलाए, लोगों को पौधे बांटे, उनमें इनवायरमेंट सेंसटेविटी डिवेलप किया.
यही कारण है कि उन्हें इतनी कम उम्र में ही यूनेप का सदस्य चुना गया. युगरत्ना का मानना है कि बच्चे चेंजमेकर होते हैं और इसीलिए हर बदलाव की शुरुआत उन्हीं से होनी चाहिए.
वो कहती हैं कि बच्चों के जरिए किये गए बदलाव लंबे समय तक टिकते हैं. इतना ही नहीं युगरत्ना केदारनाथ आपदा का भी जिक्र करती हैं. वो कहती हैं कि हम उनके साथ जैसा व्यवहार करेंगे, वो भी (प्रकृति) हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे, इसीलिए हमे एनवायरनमेंट को बचाना ही होगा. वो कहती हैं नेताओं को नीतियां बनाने से पहले बच्चों की आवाज जरूर सुननी चाहिए.
पढ़ाई में भी अव्वल हैं युगरत्ना
पर्यावरण को बचाने के साथ साथ ही लोगों को जागरूक करने वाली 19 साल की युगरत्ना पढ़ाई में भी टॉपर रही हैं. उन्होंने लखनऊ के सेंट फेडलिस कॉलेज से पढाई की है और 12वीं में 97 प्रतिशत अंकों के साथ पास हुईं थीं.
युगरत्ना के भीतर ये काबिलियत उनके पिता की ओर से आई है. उनके पिता का नाम आलोक श्रीवास्तव है जो सुभाष चन्द्र बोस पीजी कॉलेज में वनस्पति शास्त्र के रीड़र हैं.
आपको बता दें कि पर्यावरण संरक्षण पर काम करने वाली युगरत्ना का पसंदीदा विषय कंप्यूटर और गणित है, भाषण देना तो उन्हें पार्ट टाइम में पसंद है.
इतना ही नहीं उनके हर काम का सपोर्ट उनके टीचर्स भी करते थे, न्यूयॉर्क में जब पर्यावरण के मुद्दे पर भाषण देने के लिए उन्हें बुलाया गया तब उनकी 9वीं की परीक्षा चल रही थी. उस वक़्त उन्हें वो परीक्षा छोड़नी तक पड़ी. पर ये उनके टीचर का सपोर्ट ही था कि भारत आने के बाद उन्हें परीक्षा देने का मौका मिला.
विमिन एम्पावरमेंट के लिए भी हैं जागरूक
सिर्फ पर्यावरण के लिए ही वो जागरूक नहीं है बल्कि युगरत्ना विमन एम्पावरमेंट को लेकर भी काफी सजग हैं.
वो महिलाओं के लिए एक एनजीओ खोलना चाहती हैं. जिस हिसाब से युगरत्ना ने स्टडी किया, उनका मानना है कि शहरों के मुकाबले गांवों में अपराध ज्यादा है, इसलिए वहां काम करना बेहद जरूरी है.
कई सम्मेलनों का बन चुकी हैं हिस्सा
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून जैसे शख्स जिस मंच पर हों, उस मंच पर भारत की 13 साल की बेटी ने जलवायु परिवर्तन पर अपनी बात रखी.
बेशक! हमें गर्व होना चाहिए इस ग्रीन गर्ल पर. इतना ही नहीं उन्होंने कॉप 21 में भी हिस्सा लिया जहाँ दुनिया भर के चुनिन्दा लोगों को ही बुलाया गया था. युगरत्ना यूएन असेंबली में भी संबोधन दे चुकी हैं.
किसी भारतीय को महज 13 साल की उम्र में यूएन की जनरल असेंबली को संबोधित करने का संभवतः यह पहला मौका था. युगरत्ना कहती हैं कि प्रकृति से लड़ने के लिए दुनिया के सभी देशों को एक जुट होकर मुकाबला करना होगा.
इसके लिए एक्शन लेना होगा, क्योंकि बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और बर्फ का पिघलना सिर्फ बातों से नहीं बदलेगा, इसके लिए लाइफस्टाइल बदलनी होगी. युगरत्ना विदेशों में भी भारत की ही चर्चा करती हैं, यहीं के उदाहरण देती हैं.
वो कहती हैं हिमालय की बर्फीली चोटियाँ पिघलकर आंसू बहा रही हैं, और तो और ध्रुवीय भालुओं की जान पर लगातार खतरा बढ़ता ही जा रहा है. हममे से हर दूसरे लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है.
इसके जिम्मेदार कौन हैं? ऐसे तमाम सवाल युगरत्ना उठाती रहीं हैं.
वो कहती हैं हमारी धरती का तापमान लगातार हर साल बढ़ रहा है.
हम अपने आने वाली पीढ़ियों को क्या जवाब देंगे? उन्हें जवाब देने के लिए हम शायद मौजूद भी न रहें!
उपलब्धियां
- 2008 में नॉर्वे में यूनेप इंटरनैशनल कॉन्फ्रेंस में युगरत्ना ने भारत का प्रतिनिधित्व किया.
- इस कॉन्फ्रेंस में 107 देशों के बच्चे आए थे.
- न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया
- विश्व के तीन अरब बच्चों का प्रतिनिधित्व करने का मिला मौका
उम्मीद की जानी चाहिए कि हमारी वर्तमान पीढ़ी प्रकृति से जुड़े मुद्दों के प्रति सजग रहेगी और युगरत्ना से सीख लेगी.
हालाँकि, विश्व स्तर पर पेरिस समझौते को लेकर काफी हलचल मची है, किन्तु मुख्य सवाल यही है कि क्या हम युगरत्ना की तरह अपना कुछ योगदान दे सकते हैं? अवश्य विचार कीजिये और कमेन्ट कर हमारा उत्साहवर्धन करना न भूलें.
Web Title: Meet ‘Green Girl’ on World Environment Day, Hindi Article
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