ज्वालामुखी विस्फोट कई कारणों से होता है. यह एक प्राकृतिक घटना है. जमीन के अंदर से हजारों टन लावा और राख तेज विस्फोट के साथ बाहर फैल जाते हैं. दूर से देखने पर यह बड़ा सुंदर प्रतीत हो सकता है, लेकिन असल में यह बहुत भयावह है.
इसके विस्फोट से जान-माल को तो क्षति पहुंचती ही है.
साथ में वातावरण को भी भारी नुकसान पहुँचता है. कई बार तो स्थितियों को सामान्य होने में सदियां तक लग गई हैं!
तो आइए जानते हैं दुनिया के कुछ ऐसे ही खतरनाक ज्वालामुखी विस्फोटों के बारे में जानते हैं, जिनकी कटु यादें आज भी लोगों की आंखों को नम कर देती हैं—
माउंट तंबोरा 1815
इस विस्फोट को अब तक का सबसे बड़ा विस्फोट माना जाता है. ज्वालामुखी विस्फोट सूचकांक पर इसकी तीव्रता 7 रही. यह इंडोनेशिया के समबावा द्वीप पर स्थित है. 10 अप्रैल को शाम करीब सात बजे अचानक ज्वालामुखी से आग की तीन बड़ी लपटें उठीं और आपस में मिल गई और ज्वालामुखी से लावा बाहर बहने लगा.
इस विस्फोट के बाद द्वीप पर एक छोटी से सुनामी आई.
इसी क्रम में अगले साल तापमान इतना गिर गया कि गर्मियां आई ही नहीं. इससे गर्मियों में उगाई जाने वाली फसलें नहीं उगीं और हजारों लोग भूखे मर गए.
इस विस्फोट में अलग- अलग कारणों से लगभग 3800 लोग मारे गए थे.
Mount Tambora Eruption (Pic: dusunbil)
चंगबैशन 1000
यह ज्वालामुखी उत्तर- पूर्व चीन में स्थित है. इसमें हुआ विस्फोट इतना भयंकर था कि विस्फोट के बाद बना धूल का जापान तक फ़ैल गया.
इस विस्फोट से 30 घन किलोमीटर लावा निकला था.
हाल में हुई रिसर्च ने बताया कि इस विस्फोट के बाद बहुत अधिक मात्रा में सल्फर वातावरण में फैल गया, जिसके कारण बड़े स्तर पर जलवायु परिवर्तन हुआ.
इस विस्फोट ने ज्वालामुखी के शिखर को फैला दिया, जोकि आज एक झील बन चुका है. हालाँकि, आज भी यह चीन के सक्रिय ज्वालामुखियों में गिना जाता है.
Changbaisahan Volcano (Pic: cheesecake)
माउंट थेरा 1610 BC
अब तक के ज्ञात इतिहास में यह सबसे बड़े ज्वालामुखी विस्फोटों में से एक विस्फोट माना जाता है. विशेषज्ञों की माने तो ज्वालामुखी विस्फोट सूचकांक पर इसकी तीव्रता 6 रही होगी.
कहा तो यह भी जाता है कि इस विस्फोट में सैंकड़ों परमाणु बमों के बराबर शक्ति थी. यह थेरा नाम के द्वीप पर स्थित है.
इस विस्फोट ने द्वीप को बहुत नुक्सान पहुँचाया.
इस द्वीप पर मिनोन सभ्यता के लोग रहते थे, जोकि करीब-करीब इस विस्फोट के बाद खत्म हो गई थी वहीं इस विस्फोट को भूमध्यसागरीय क्षेत्र और उत्तरी गोलार्ध में बड़े स्तर पर जलवायु परिवर्तन के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है.
Mount Thera Volcano (Pic: mttheravolcano)
इलोपंगो 450 AD
एल साल्वाडोर में दस हज़ार सालों का यह सबसे बड़ा विस्फोट रहा.
इस विस्फोट के बाद करीब 700 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से विस्फोट सामग्री वातावरण में फैल गई और करीब दस हजार वर्ग किमी का क्षेत्र 50 सेमी राख की परत से ढक गया.
इस विस्फोट ने ज्वालामुखी के पास का 100 किमी का क्षेत्र पूरी तरह बर्बाद कर दिया था. इस विस्फोट ने माया सभ्यता को बहुत क्षति पहुंचाई.
माया सभ्यता के हज़ारों लोग मारे गए थे और जो बच गए थे उन्हें यह क्षेत्र छोड़कर ग्वाटेमाला और बिलिज में बसना पड़ा था. चूंकि, इस क्षेत्र का व्यापारिक रास्ता पूरी तरह ध्वस्त हो गया था, इसलिए इसको वापस से ठीक होने में कई शताब्दियाँ लगी.
Ruins Of Mayan Civilization (Pic: Pinimig)
एमब्रिम आइलैंड 50 AD
यह विस्फोट इतना प्रचंड था कि इसने 12 वर्ग किलोमीटर का ज्वालामुखी कुण्ड बना दिया. यह आज भी विश्व के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है.
1774 के बाद से अब तक यह 50 से अधिक बार फट चुका है.
यह ऑस्ट्रेलिया से 2200 किलोमीटर दूर वैन्यूटा के एमब्रिम आइलैंड पर स्थित है. 50 एडी में हुए प्रचंड विस्फोट ने आइलैंड को तहस-नहस कर दिया था.
Clathera of Abrym (Pic: thecampingcanuck)
माउंट पिनाटुबो 1991
कहते हैं इस विस्फोट के बाद राख का 22 मील का बादल समतापमंडल में छा गया था. इसका नजीता यह रहा कि विस्फोट के अगले एक साल तक तापमान एक डिग्री फारेनहाईट तक गिरा रहा.
यह विस्फोट 12 जून 1991 को फिलीपींस में हुआ, जोकि दूसरा सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट है. इस विस्फोट के एक साल पहले फिलिफींस में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था.
इस भूकंप ने जमीन के बहुत नीचे स्थित भू-चट्टानों पर ऐसा प्रभाव डाला कि एक साल बाद इतना बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट हो गया. इसका प्रभाव अगले पांच सालों तक बना रहा. यही नहीं इसका ज्वाला लगातार बहता रहा.
कहते हैं कि जब भी जमीन के भीतर से आने वाला पानी इस ज्वाले के संपर्क में आया, तो छोटे- छोटे विस्फोट हुए और राख उड़ी.
इस राख को चक्रवात और तूफ़ान लगातार पूरे क्षेत्र में फैलाते रहे. वह तो इस विस्फोट कि चेतावनी पहले से ही दे दी गई थी, इस कारण हज़ारों लोगों और अरबों कि संपत्ति को वक्त रहते बचा लिया गया.
हालाँकि, बावजूद इसके करीब बीस हजार लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े थे!
Cloud of Mount Pinabuto’s Ash (Pic: bigthink)
नोवारुप्ता 1912
इस विस्फोट में तीन घन मील तक लावा बहा.
अलास्का का तीन हजार वर्ग मील का इलाका तबाह हो गया. राख की एक फीट मोटी चादर बिछ गई. यह बीसवीं शताब्दी का सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट था.
इस विस्फोट की आवाज 750 मील दूर तक लोगों को सुनाई दी. यह विस्फोट 1991 में हुए माउंट पिनाटुबो से तीन गुना अधिक प्रचंड था.
ऐसी मान्यता है कि तीन साल बाद तक आसपास के इलाकों में इसकी राख गिरती रही. इस कारण लोगों को घरों के अंदर बंद रहने को मजबूर होना पड़ा.
यही नहीं सूरज का दिखना तक बंद हो गया, जिस वजह से वनस्पतियाँ नष्ट हुईं!
Alaska Got Covered (Pic : alaskapublic)
सैंटा मारिया 1902
25 अक्टूबर, 1902 को ग्वाटेमाला में यह विस्फोट हुआ. ज्वालामुखी विस्फोट तीव्रता सूचकांक पर इसकी तीव्रता 6 आंकी गई. इस विस्फोट के बाद छोटे-छोटे पत्थर बरसते रहे और करीब दो दिनों तक राख वातावरण में छाई रही.
इस विस्फोट की खासियत यह रही की इसमें काले के साथ सफ़ेद धुआं भी निकला. काले धुंए में जहां कंकण- पत्थर और राख थे, वहीं सफ़ेद में द्रव्य रसायन थे.
इस विस्फोट में 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी!
क्राकाटोआ 1883
अगस्त 1983 को यह विस्फोट हुआ.
इसे आधुनिक इतिहास का सबसे जानलेवा विस्फोट कहा जाता है.
इसके पीछे बड़ा कारण भी है, क्योंकि इस विस्फोट के बाद से ही सुनामी आई और करीब 34000 लोग मारे गए थे.
इसने प्रकृति को बहुत नुक्सान पहुंचाया. इतना नुक्सान कि पूरे विश्व का तापमान गिर गया. इस विस्फोट का सबसे ज्यादा प्रभाव क्राकाटोआ द्वीप पर पड़ा.
चूंकि, इस विस्फोट के अंदर 100 परमाणु बमों की शक्ति थी. इस कारण इसने 442 किलोमीटर तक आकाश को ढक दिया. इसकी राख करीब 6 हजार किलोमीटर तक फैल गई और अगले पांच सालों तक विश्व का तापमान 1.2 डिग्री तक गिरा रहा.
Krakatoa Oil Painting (Pic: mentalfloss)
हुएनेपूटिना 1600
19 फरवरी 1600 को दक्षिणी पेरू में यह विस्फोट हुआ. तीस किलोमीटर वर्ग क्षेत में इसका प्रभाव पड़ा. इसने ना केवल कई गाँवों और कस्बों को बर्बाद किया, बल्कि खेती को भी नष्ट कर दिया. बहुत से लोगों की इसने जान भी ली.
इसके पास स्थित तासात और कसांतों नाम के गाँव दस फीट मोटी लावे की परत में गल गए. इसकी राख करीब 500 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैल गई.
यह पूरा विस्फोट पांच चरणों में हुआ, जिसमें करीब 1500 लोग मारे गए. वहीं व्यापारिक रास्ते कई सालों तक बंद रहे. दूसरी तरफ महामारी और अकाल ने क्षेत्र को जकड़ना शुरू कर दिया.
इस विस्फोट से वातावरण में भारी मात्रा में सल्फर डाई ऑक्साइड निकली, जो आगे रूस में अकाल का कारण बनी. चीन में तो पीच के फूल देरी से खिले और जापान में सूवा झील पांच सौ सालों में पहली बार जल्दी जम गई.
The Huaynaputina Eruption of 1600 (Pic: The Daily)
तो ये थे दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक ज्वालामुखी विस्फोट, जिनके बाद ढ़ेरों जिंदगियां काल के गाल में समां गई.
अगर आप भी किसी ऐसे ज्वालामुखी के बारे में जानते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Most Dangerous Volcano Eruption Till Date
Feature Image Credit: ytimg