कौन भूल सकता है 'सैट मैक्स' का वो एड जिसमें दर्जनों बार दिखाई जा चुकी फिल्म 'सूर्यवंशम' की तारीफों के कसीदे पढ़े जाते थे . फिर लगभग धमकाने वाले अंदाज में कहा जाता था कि 'भानू प्रताप ठाकुर ने जहर वाली खीर खाई या नहीं, यह देखना है तो तैयार रहें दोपहर 12 बजे'
भारत में 'नेटफ्लिक्स' आ जाने से अब ये दिन हवा हो गए हैं. यानि भानू प्रताप ठाकुर को भी भी खीर खाते हुए देखा जा सकता है. इतना ही नहीं बाकी टीवी शो, जो टेलीकास्ट के टाइम पर मिस हो गए हैं उन्हें भी जब चाहे तब देखा जा सकता है. भारत में इस क्रांति के प्रचार ने लोगों के सामने से समय की बंदिशे हटा दी हैं.
अब घर की महिलाओं और बच्चों के बीच रिमोट को लेकर तनाव कम हो गया है. बीते कुछ दिनों में तो 'नेटफ्लिक्स' ने सैफ अली खान, राधिका आप्टे जैसे डूबते कलाकारों के करियर की नाव को भी नई दिशा दी है.
पर आखिर यह चमत्कार हुआ कैसे? और क्या है यह 'नेटफ्लिक्स'? आइए जानते हैं-
आखिर कौन सी बला है ये 'नेटफ्लिक्स'
यदि आप ऑन-डिमांड वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस से परिचित हैं, तो बेशक नेटफ्लिक्स के इस्तेमाल को भी जानते होंगे. फिर भी यदि इसे आम भाषा में समझा जाए तो यह वह सुविधा है जो इंटरनेट के माध्यम से फिल्में, टीवी शोज और आपके फेवरेट मैच का रिकॉडेट प्रसारण देता है. हालांकि यह सुविधा अमेज़न प्राइम, हॉटस्टार, जी 5 और जियो टीवी जैसे अन्य चैनल भी दे रहे हैं पर कई मायनों में नेटफ्लिक्स इनसे जुदा और बेहतर माना गया है.
नेटफ्लिक्स पूरी दुनिया में सबसे बड़ी ऑनलाइन मीडिया सर्विस प्रोवाइडर व्यवस्था है. भारत में बीते दो सालों में नेटफ्लिक्स ने अच्छी पैठ जमा ली है. अब तो बॉलीवुड की अधिकांश वेबसीरीज नेटफ्लिक्स पर ही रिलीज हो रही हैं. हाल ही में रिलीज हुई सैफअली खान की वेबसीरीज सेक्रेड गेम्स ने तो भारतीय दर्शकों को नेटफ्लिक्स का दीवाना बना दिया है.
खास बात है कि यह दुनिया में 60 देशों में करीब 70 करोड़ उपभोक्ताओं को अपने नेटवर्क में शामिल किए हुए है. सर्विस का इस्तेमाल स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप आदि पर यह सिर्फ इंटरनेट कनेक्शन के जरिए हो जाता है. जबकि, टीवी पर यह सुविधा पाने के लिए एक्सबॉक्स 360 जैसा डिवाइस लगाने की जरूरत होती है.
बहुत दिन नहीं हुए हैं जब भारत में हर घर में डीटीएच लगाने पर जोर दिया जा रहा था. नेटफ्लिक्स के आ जाने से संवाद कुछ बदल गए हैं. पर आखिर इतने कम समय में भारत में नेटफ्लिक्स ने अपनी पैठ कैसे बनाई यह जानने से पहले जानते हैं नेटफ्लिक्स का इतिहास!
डीवीडी बेचकर शुरू किया था व्यापार
यह इतिहास दशकों पुराना नहीं है, बल्कि नेटफ्लिक्स की शुरूआत 1997 में हुई. यह वह दौर था जब इंटरनेट जैसी सुविधाएं आम आदमी की पहुंच से दूर थीं. तब ये किराए पर फिल्म और शोज की डीवीडी उपल्बध कराते थे.
जब इंटरनेट की पहुंच बढ़ी तो इन्होंने आॅनलाइन डीवीडी भेजने की सर्विस शुरू की. इस तरह हर घर में नेटफ्लिक्स नाम को जाना जाने लगा. मार्केट में पांव जम गया तब इन्होंने वीडियो ऑन डिमांड सर्विस की शुरुआत की. यानि जो प्रोग्राम जब देखना चाहें, तब देखें.
डीवीडी व्यापार की अपेक्षा उपभोक्ताओं को यह सुविधा ज्यादा अच्छी लगी. समय का बंधन खत्म हो गया था यानि अब सुबह 7 बजे का शो दोपहर में 11 बजे भी देखा जा सकता था.
वैसे 2007 में इन्होंने स्ट्रीमिंग सर्विस शुरू की थी पर ज्यादा फायदा 2012 में होना शुरू हुआ. अब तक जो नेटफ्लिक्स औरों के शोज दिखा रहा था उसने पहली बार एक सीरीज खुद प्रोड्यूस की, नाम था ‘लिलिहैमर’.
पहली सीरीज सुपरहिट हुई और नेटफ्लिक्स फिल्मों और वेबसीरीज का निर्माण करने लगे. साल 2016 तक यह कंपनी ओरिजनल कंटेंट देने वाले चैनल/नेटवर्क की श्रेणी में पहुंच गई. इस दौरान 126 फिल्में/सीरीज़ रिलीज़ हुईं. एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2018 तक नेटफ्लिक्स के दुनियाभर में तकरीबन 12.8 करोड़ सब्सक्राइबर बन गए.
एप्पल के आई फोन ने एक डेटा ज़ारी किया, जिसमें बताया गया कि सबसे ज्यादा फेसबुक एप यूज हुआ पर कमाई करने वाला सबसे बड़ा एप नेटफ्लिक्स है.
फिर जब भारत पहुंचा नेटफ्लिक्स
प्रियंका, दीपिका पादुकोण और एश्वर्या राय जैसी सिनेतारिकाओं के कारण बॉलीवुड इंटरनेशन पहचान रखता है. ऐसे में नेटफ्लिक्स के लिए भारत में आना फायदे का सौदा था. साल 2016 में नेटफ्लिक्स ने भारत में अपनी सेवा देना शुरू किया. शुरूआत में टीवी शोज और फिल्मों के जरिए हुई.
जुम्मा-जुम्मा दो साल के भीतर नेटफ्लिक्स ने ‘एक्सक्लूसिव’ सीरीज़ ‘सेक्रेड गेम्स’ रिलीज कर तहलका मचा दिया.
यह वही सीरीज थी जिसने सैफ अली खान के करियर की डूबती नाव को पतवार दे दी. हाई-रिज़ॉल्यूशन वाले अल्ट्रा एचडी में फिल्म देखने का मजा ही कुछ और होता है. यह बात भारतीय दर्शकों को नेटफ्लिक्स की क्वालिटी से समझ में आ गई थी. नेटफ्लिक्स अब तक डेयरडेविल, हाउस ऑफ़ कार्ड, स्ट्रेंजर थिंग्स, और ल्यूक कैज जैसे टॉप शोज का निर्माण कर चुका है.
यह एक यूट्यूब वीडियो की तरह काम कर रहा है. वह भी स्लो इंटरनेट कनेक्शन के साथ. इसमें कंटेंट को वेब ब्राउजर वर्जन की तरह ब्राउज़ कर सकते हैं, स्ट्रीम कर सकते हैं और कंटेंट को सेव कर सकते हैं.
वैसे भारत में नेटफ्लिक्स के प्रसार के लिए जियो का थैंक्स कहना तो बनता है! क्यों? यह बात जगजाहिर है. भारत में नेटफ्लिक्स का प्रवेश गाजे—बाजेे के साथ नहीं हुआ पर अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी का आगमन तो वजह कुछ खास ही होगी.
टेलीकॉम टॉक के एक सर्वेक्षण पर गौर करें तो 45 फीसदी इंटरनेट यूजर्स के पास एक से तीन एमबी प्रति सेकेंड की स्पीड का इंटरनेट कनेक्शन है. 30 फीसदी यूजर्स एक एमबी प्रति सेकेंड से कम स्पीड वाले हैं और 50 एमबी प्रति सेकेंड से अधिक स्पीड का कनेक्शन 1 प्रतिशत से भी कम लोगों के पास है.
अब यदि नेटफ्लिक्स की बात की जाए तो हाइ डेफिनिशन सेवाएं लेने के लिए आठ एमबी प्रति सेकेंड स्पीड का कनेक्शन और 100 जीबी प्रति माह का डाटा जरूरी है. जिसके लिए आपको लगभग 2 हजार रुपए खर्च करने होंगे, जो भारतीय उपभोक्ताओं के लिहाज से ज्यादा है. बावजूद इसके हर रोज नेटफ्लिक्स के यूजर्स बढ़ रहे हैं.
साथ ही नेटफ्लिक्स ने पहले माह फ्री सर्विस मुहैया कराने की व्यवस्था भी की है. जिसका असर भारतीय उपभोक्ताओं में दिखाई दे रहा है. खास बात यह है कि इसके भारत में उसके किसी भी कंटेंट पर सेंसर नहीं है.
भारत में मुकाबला जारी है...
भारत में नेटफ्लिक्स के मुकाबले में टीवीएफ प्ले, ऑल्ट बालाजी, हॉटस्टार, सोनी लिव और अमेज़न प्राइम हैं. जो जी जान लगाकर नेटफ्लिक्स को रेस से बाहर करने का प्रयास कर रहे हैं. पर सबसे बड़ा मुकाबला है इरोस के साथ.
करीब 2000 फिल्मों की लाइब्रेरी वाली कंपनी इरोस इंटरनेशनल भी नेटफ्लिक्स की तरह भारतीय दर्शकों को ताजा मटेरियल उपलब्ध करवा रही है. चूंकि लाइब्रेरी अच्छी खासी है इसलिए आॅप्शन ज्यादा हैं.
अब इरोस की कोशिश है कि बॉलीवुड और दूसरी भारतीय भाषाओं की फिल्में भी आॅनलाइन की जाएं. बता दें कि यह कंपनी सालभर में करीब 70 फिल्में रिलीज करती है.
चूंकि भारत में हर साल 800 से ज्यादा फिल्मों का निर्माण होता है और उन्हें दुनियाभर में पसंद किया जाता है. ऐसे में जाहिर है कि नेटफ्लिक्स का भारत आना अपनेआप में बहुत मायने रखता है.
Web Title: NetFlix's Success Story, Hindi Story
Feature Image Credit: TheStreet