दूर-दूर तक नज़र दौड़ाई जाए, सिर्फ पानी ही पानी. पानी के इस सैलाब में पूरा केरल राज्य डूबा हुआ था. लोगों के घर पूरी तरह से जलमग्न हो गए. इस कुदरत के कहर में जन-धन को काफी हानि पहुंची है.
केरल के 100 वर्ष में आई यह सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा है. इससे पहले साल 1924 में कुछ ऐसे हालात सामने आये थे. इस कहर को रोका तो नहीं जा सकता. लेकिन इस कहर के प्रकोप को मिलकर झेला जा सकता है.
जब कभी भी देश संकट की घड़ी में होता है, तब देश के लिए सबसे बड़े फरिश्ते के रूप में कोई उभरता है. तो, वह भारतीय सेना है.
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भले ही हालात कितनी भी विपरीत परिस्तिथि में हो. सेना अपने पराक्रम और शौर्य से उसे अपने पक्ष में कर लेती है. जब कभी भी राष्ट्रीय आपदा से देश जूझा तब सेना ने अपने सैन्य अभियान को चलाकर लोगों की जिंदगी बचाई है.
केरल में आई बाढ़ में भी ‘भारतीय नौसेना’ ने एक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया. इस रेस्क्यू ऑपरेशन का नाम था ऑपरेशन ‘मदद’.
तो आइये जानते हैं, ऑपरेशन ‘मदद’ के बारे में जिसने हजारों लोगों की जिंदगी बचाई-
लगातार 14 दिनों तक चला ऑपरेशन ‘मदद’
भारी बारिश और इडुक्की व अन्य डैम से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने की वजह से केरल राज्य पूरी तरह से जलमग्न हो गया.
केरल में आई भीषण तबाही के लिए भारतीय सेना ने अपना ऑपरेशन लांच किया. इस ऑपरेशन का नाम रखा गया ‘ऑपरेशन मदद’.
केरल के वायनाड के डिप्टी कलेक्टर के निवेदन के बाद वहां भारतीय नौसेना पहुंची. इस टीम में डाइवर्स के साथ-साथ जैमिनाई के गैस से चलने वाले बोट को मदद के लिए भेजा गया.
सेना के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए सबसे पहले कल्पेट्टा में उतरें.
नौसेना के हेलीकाप्टर को पूरे राज्य में बाढ़ से प्रभावित इलाकों में फैलाया गया. ये हेलीकाप्टर डाइवर्स से लेकर जरुरत के हर सामान को पहुंचाने में मदद कर रहे थे.
जैमिनाई की बोट के साथ सेना की टुकड़ियाँ या टीम ने मिलकर कल्पेट्टा और वायनाड आदि प्रभावित इलाकों में शुरुआत के बचाव में ही 55 लोगों को बचा लिया.
इसके बाद गंभीर हालात को देखते हुए सेना की और टीम भेजी गयी. इस टीम में जरुरत के सभी सामान के साथ जनरेटर भी भेजे गए. इस प्रकार कुल मिलकर सेना की 72 टुकड़ियाँ पूरे राज्य में फैला दी गयीं.
एयर रेस्क्यू के बिना यह मिशन संभव नहीं था
ज्यादा पानी भरे जाने की वजह से कई इलाकों में एयर रेस्क्यू द्वारा ही जानें बचाई जा सकती थीं.
केरल के कुछ जिले जैसे थ्रिस्सुर, एर्नाकुलम और पठानामथित्ता आदि में बेहद ख़राब हालात होने की वजह से एयर रेस्क्यू करना पड़ा.
इसके लिए ALH, सी किंग, चेतक और MI 17 एयरक्राफ्ट को लोगों की मदद के लिए भेजा गया. इन एयरक्राफ्ट की मदद से सैकड़ों लोगों की जान बचाई गयी.
इसके अलावा, इन्हीं की मदद से लोगों को खाना, दवाइयां और पानी पहुंचाया गया.
इसके साथ ही, जितने भी सामान INS गरुड़ में मौजूद हैं, उनका प्रयोग भी बाढ़ पीड़ितों के लिए चलाये जा रहे इस ऑपरेशन में किया गया.
इससे खाना, राहत सामग्री आदि पहुंचाने में मदद की गयी. इसके अलावा, नौसेना के कई नेवल बेस को लोगों के राहत शिविर में बदल दिया गया.
17,000 के करीब बचाई जिंदगियां
ऑपरेशन मदद को 9 अगस्त को कोची के साउथ नेवल कमांड पर शुरू किया गया.
लगातार 14 दिनों तक चले इस ऑपरेशन में नौसेना के जवानों ने 17,000 लोगों की जान बचायी है.
सबसे खास बात यह रही कि सेना के जवानों ने मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी लोगों की जिंदगी बचाई नौसेना के जवानों ने 17,000 लोगों की जिदंगी को बचाया है.
वो केरल के लोगों के लिए इस विपदा के समय में किसी फरिश्ते से कम नहीं रहें.
इस दुःख की घड़ी में कुछ ऐसे मौके भी देखने को मिले, जब सेना के जवानों ने देशवासियों का दिल जीत लिया.
जहां एक और एक बेहद संकरी छत पर भी हेलीकाप्टर उतारकर उन्होंने एक 80 साल की वृद्ध महिला को रेस्क्यू किया.
वहीं दूसरी और एक पूरे दिनों से गर्भवती महिला को सही-सलामत अस्पताल पहुंचाया. जहाँ उस महिला ने बच्चे को खैरियत से जन्म दिया.
इसके अलावा, वायुसेना ने भी उस समय पाने पराक्रम का परिचय दिया, जब बेहद जटिल परिस्थिति में भी उन्होंने लगभग 26 लोगों को एयरलिफ्ट किया.
उन्होंने बिना किसी झिझक के एक जान बचाने के लिए भी अपनी जी जान लगा दी. भारतीय थल, जल और वायु सेना ने अपने शौर्य और वीरता के कारण ही हजारों-लाखों जिंदगियां बचाई.
बात थल सेना की करें तो, इस आपदा से निपटने के लिए दस राहत टुकड़ियाँ, दस इंजीनियरिंग टास्क फोर्स, 60 नौकाएं, कोस्ट गार्ड और NDRF के लिए तैनात रहे.
ऑपरेशन ‘सहयोग' और टेम्पररी 40 फीट लम्बा पुल
बाढ़ की वजह से राज्य में पुल ढह गए थे. लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. सेना के पास इस का भी एक उपाय था. उन्होंने एक बांस का पुल बनाकर तैयार कर दिया. उन्होंने इस पुल को स्थानीय संसाधनों की मदद से ही बनाया.
बाढ़ की वजह से कई सारे पेड़ नीचे गिर गए. उन्हीं पेड़ की लकड़ियों की मदद से जवानों ने कोई छोटा-मोटा पुल नहीं बनाया, बल्कि 40 फीट लंबा पुल बनाया.
इस पुल की मदद से लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में आसानी हो गयी. इस पुल की मदद से ही करीब 800 लोगों की जान बचा ली गयीं.
बताते चलें, भारतीय सेना ‘ऑपरेशन सहयोग’ नाम से भी एक राहत बचाव काम कर रही है.
इसके तहत आठ कॉलम में सेना की टुकड़ियाँ बांटी गयीं. जिसमें से दो कॉलम को तो अकेले इडुक्की में भेजे गए. गौरतलब है कि यह बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका रहा.
बाकी की 6 कॉलम सेना की टीम को पूरे राज्य में फैला दिया गया. इसके साथ ही, मद्रास रेजिमेंट के 80 जवान सैनिकों को भी इस रेस्क्यू मिशन में लगाया गया था.
इस तरह सेना ने इस तबाही में नागरिकों को अपने कंधे का सहारा दिया. अपनी वीरता और साहस से उन्होंने कई जानें बचाईं. यही वजह रही कि एक बार फिर उन्होंने हर भारतवासी का दिल जीत लिया.
इस आपदा में ऐसा लगा, मानो जब तक हमारे देश में ऐसे वीर सैनिक हैं, तब तक हम हर दुःख हँसते-हँसते झेल जाएंगे.
प्रभावित लोगों के लिए आप यथासंभव दान कर सकते हैं. डोनेट करने के लिए इस लिंक पर जाएं: https://milaap.org/fundraisers/helpkeralaroaragain
केरल बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए रोर इंडिया यह अभियान #RoarForKerala चला रहा है. इस अभियान से सम्बंधित दूसरे लेख, विडियो इत्यादि आप यहाँ देख-पढ़ सकते हैं:
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Web Title: Operation Madad Indian Army Saved Thousands Of Lives, Hindi Article
Feature Image Credit: manoramaonline