इस साल आठ अगस्त को केरल में भयंकर बाढ़ आई. इसे पिछले सौ सालों की सबसे भयानक बाढ़ बताया गया है. इसने व्यापक स्तर पर तबाही मचाई. करीब 400 के आस-पास लोग मारे गए और करोड़ों की संपत्ति नष्ट हो गई.
अब धीरे-धीरे बाढ़ का पानी वापस जाने लगा है. ऐसे में लोगों को राहत शिविरों से वापस उनके निवास स्थानों पर भेजा जा रहा है. लेकिन निवास स्थान पर पहुँचने के बाद नज़ारा कुछ अलग ही नज़र आ रहा है.
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बाढ़ ने लोगों के घरों को बुरी तरह से प्रभावित किया है. सारा जरूरी सामान या तो खराब हो गया है या फिर बह गया है. वहीं घरों और गलियों में कीचड़ जम गया है. इसे लेकर लोग बहुत चिंतित हैं. कईयों ने तो हार भी मान ली है. तो आईए जानते हैं कुछ ऐसे ही लोगों की कहानियां-
घर में केवल कीचड़ और मलबा है...
केरल के चंगनूर में सिन्नादुरई का घर है. वे अपने दोनों पैरों से विकलांग हैं. उनके घर के आस-पास बाढ़ का पानी और मलबा भरा हुआ है. इसे देख कर उनकी हिम्मत टूट गई है.
अपनी नब्बे साल की मां के साथ वे बस एक कमरे के घर में रहते हैं. राहत शिविर से लौटने के बाद जब उन्होंने घर का दरवाजा खोला, तो उनका दिल बैठ गया. उन्होंने देखा कि उनका कमरा पूरी तरह से कीचड़ से सराबोर है. इसे साफ़ करने में उन्हें कई दिन लग जाएंगे.
जीवन चलाने के लिए सारा जरूरी सामान ख़राब हो गया है. 46 साल के सिन्ना का कहना है कि वे बस अपनी जान ही बचा पाए और अब उन्हें एक नई शुरुआत करनी पड़ेगी. इसके लिए उन्हें बहुत हिम्मत की जरूरत पड़ने वाली है.
वैसे उनके पड़ोसियों का कहना है कि वे बहुत बहादुर हैं. एक अधेड़ पडोसी ने बताया कि जब बाढ़ आई तो वे तैरकर कहीं नहीं जा सकते थे, क्योंकि वे दिल के मरीज हैं. ऐसे में सिन्ना ने एक छोटी से शाफ्ट बनाई, जिसके सहारे वे और उनकी पत्नी राहत शिविर में पहुँच पाए.
सांप और मगरमच्छ बस गए हैं घर में
चंगनूर के करीब ही स्थित अरट्टूपेटा में भी लगभग यही हाल है. यहाँ रह रहीं एस नलिनी जब राहत शिविर से वापस लौटीं तो लगभग गश खाकर ही गिर पड़ीं. उन्हें लगा कि उनके सपने और जिंदगी पूरी तरह से तबाह हो गए हैं.
उन्होंने देखा कि उनके घर का सारा जरूरी सामान बाढ़ में बह गया है. उनके पास एक गाय थी, वो भी बाढ़ में ही बह गई है. अब उनके पास कुछ भी नहीं बचा है. ऊपर से उनके घर में कीचड़ और मलवा जमा हो गया है.
इसके साथ ही उनकी दसवीं में पढ़ रही बेटी के नोट्स और किताबें भी बह गई हैं. इसको लेकर उनकी बेटी बहुत उदास है. उनका यह भी कहना है कि उन्होंने घर के पास सांप और मगरमच्छ देखे हैं. ऐसे में घर की सफाई करने की उनकी हिम्मत नहीं हो रही है. वे बहुत डरी हुई हैं.
प्रमाण पत्र नष्ट होने पर की आत्महत्या
वहीँ केरल के कोझिकोड जिले से भी एक दुखद कहानी बाहर आई है. पुलिस के अनुसार कोझिकोड जिले के करंतूर में रहने वाले एक 19 वर्षीय युवक ने राहत शिविर से लौटने के बाद आत्महत्या कर ली. उसने यह आत्महत्या इसलिए की क्योंकि बाढ़ की वजह से उसका बारहवीं का प्रमाण पत्र खाराब हो गया था.
पुलिस ने युवक का नाम कैलाश बताया है. कहा जाता है कि जब बाढ़ आने से पहले कैलाश ने आईटीआई कोर्स में दाखिला लिया था. वह इसके लिए बहुत उत्साहित था.
जब बाढ़ आई और उसका घर डूब गया, तो उसे उसके परिवार सहित राहत शिविर में भेज दिया गया. बाढ़ के बाद जब वह घर लौटा तो उसने अपने सभी प्रमाण-पत्रों को भीगा हुआ पाया. इससे उदास होकर उसने फांसी लगा ली.
छलक रहा है गौतम का दर्द
इडुक्की जिले में एक वेंदीपेरियार नाम का एक कस्बा है. इस कस्बे में भी बाढ़ कहर बनकर टूटी. नतीजा यह हुआ कि लोग अपना घर छोड़कर राहत शिविरों में चले गए. इन लोगों में गौतम भी शामिल थे.
बहरहाल, जब पानी नीचे उतरा तो गौतम अपने घर वापस लौटे. घर पहुंचकर उन्होंने देखा कि उनकी किताबें और नोटबुक बाढ़ का पानी बहा ले गया है. ये देखकर वे बहुत उदास हुए.
गौतम घर के पास ही स्थित सेंट जोसफ स्कूल में पढ़ाई करते हैं. वे बाढ़ के कारण लगभग पंद्रह दिनों तक घर से दूर रहे. जब से वे घर लौटे हैं, तब से बेतहाशा अपनी किताबें पानी में खोज रहे हैं. लेकिन किताबों की जगह उनके हाथ में सिर्फ कीचड़ और मलवा आ रहा है. उन्हें अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे वे आगे अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे.
घर की बर्बादी देख की खुदखुशी
वहीं ऐसी ही एक खुदखुशी की खबर कोथडू से भी आई है. पुलिस के अनुसार कोथडू के कद्क्मुक्क्दी में रहने वाले रॉकी ने आत्महत्या कर ली. पुलिस ने आत्महत्या के पीछे की वजह यह बताई है कि जब रॉकी राहत शिविर से वापस अपने घर लौटे, तो उन्होंने अपने घर को जर्जर हालत में देखा.
उन्होंने देखा कि उनके घर में रखा हुआ जरूरत का सारा सामान या तो बह गया है, या फिर नष्ट हो गया है. ये देखकर उन्हें अपने भविष्य की चिंता सताई और इसी चिंता में उन्होंने आत्महत्या कर ली.
वहीं उनके पड़ोसियों ने बताया कि रॉकी आत्महत्या करने से पहले वाली रात में उनसे बातें कर रहे थे. उन्होंने बताया कि रॉकी ने आपस में मिल-जुलकर एक-दूसरे का घर दोबारा से खड़ा करने की बात उन लोगों से की थी. लेकिन फिर पता नहीं क्या हुआ कि उन्होंने आत्महत्या कर ली.
54 वर्षीय रॉकी अपने पीछे अपनी पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गए हैं. उनकी पत्नी उनके जाने के बाद उदास और चिंतित हैं. उदास इसलिए कि उनके पति ने आत्महत्या कर ली है और चिंतित इसलिए कि अब उन्हें अकेले ही सब कुछ सही करना पड़ेगा.
इसी तरह कई ऐसी दर्द भरी कहानियाँ हैं. जहाँ बाढ़ का पानी तो चला गया, लेकिन अपने पीछे लोगों के आशियाने तोड़कर चला गया. लोगों के जरुरी सामान जैसे सर्टिफिकेट आदि पानी में बह गए. वहां लोगों का जीवन वापस पटरी पर आने में समय लगेगा. बाढ़ के जख्म को भरने में भी काफी समय लग जायेगा.
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केरल बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए रोर इंडिया यह अभियान #RoarForKerala चला रहा है. इस अभियान से सम्बंधित दूसरे लेख, विडियो इत्यादि आप यहाँ देख-पढ़ सकते हैं:
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Web Title: Plight Of People After Kerala's Flood, Hindi Article
Feature Image Credit: time