किसी भी देश या राज्य के हालात यूं ही नहीं बदलते. एक देश बनने में क्रांतिकारी परिवर्तनों की आवश्यकता होती है.
आज हम एक ऐसे ही देश की बात कर रहे हैं, जो 1971 में आज़ाद हुआ और देखते ही देखते उसने तरक्की की राह में आसमान को छू लिया.
आज इस देश का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विश्व में सबसे ज्यादा है. यहां तेल की तादाद इतनी है कि दुनिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा उसका इस्तेमाल करता है.
ये देश 2022 में फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी करने वाला है. ये मुल्क कोई पश्चिमी देश नहीं, बल्कि भारत से लगभग 3 हजार किलोमीटर दूर सऊदी प्रायद्वीप में मौजूद एक छोटा सा देश कतर है.
जिसने सबसे कम वक़्त में सबसे ज्यादा कामयाबी हासिल करते हुए विश्व में अपनी एक नई पहचान बनाई है. एक ओर जहां 80 के दशक तक इस देश में तरक्की के नाम पर सिवाय मोतियों के कारोबार के कुछ नहीं था, आज ये इस छोटे से देश के लिए अद्भुत उपलब्धि है.
ऐसे में आइए एक बार जान लेते हैं कि आखिर कैसे 47 साल पहले आजाद हुए इस मुल्क ने तरक्की की राह बनाई –
कतर की आज़ादी और तेल का सहारा
कतर कभी ब्रिटेन का गुलाम था. सन 1868 में ब्रिटिश इस देश की बागडोर किसी ऐसे व्यक्ति के हाथों में सौंपना चाहते थे, जो ब्रिटेन के अधीन रहकर इसे संभाल सके.
ब्रिटेन उस वक़्त बड़ी शक्ति थी और उसे ऐसा शख्स चाहिए था, जो इस कालोनी की देखभाल और प्रबंधन कार्य कर सके. ऐसे में उन्हें मोहम्मद अल थानी मिले. इन्होंने इस देश की बागडोर अपने हाथों में ली और इस पर शासन शुरू किया.
आज भी अल थानी खानदान कतर पर राज करता है. इसी के साथ कतर का इतिहास भी इन्हीं के इर्द गिर्द घूमता है.
हालांकि कई बार इस देश को भुखमरी का सामना करना पड़ा है. और कुछ ऐसे ही हालात सन 2017 में भी बने थे. लेकिन स्थिति के बिलकुल उलट कतर जब सुधार की ओर बढ़ा, तो उसने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
समय एक जैसा कभी नहीं रहता. 1950 के दौर में यहां तेल और प्राकृतिक गैस के असीम भंडारों का पता चला. इसके बाद तो मानो कतर की किस्मत ही बदल गई.
कतर 55 साल की लंबी ब्रिटेन की गुलामी से आजाद हो चुका था. सन 1971 में कतर ने संयुक्त अरब अमीरात का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया, ऐसे में इसे एक अलग देश 'कतर' के तौर पर मान्यता दे दी गई.
अब्दुल्लाह बिन जसीम बिन मोहम्मद अल थानी कतर के संस्थापक थे.
और उसने अपने प्राकृतिक संसाधनों को बेचकर बेसुमार दौलत इकट्ठी कर ली.
शहजादे की कूटनीति ने कतर को चमकाया
1990 तक कतर के हर फैसले में उसके पड़ोसी मुल्क सऊदी का बड़ा हस्तक्षेप रहता था. हर बड़ा या छोटा फैसला सऊदी अरबी की ही मर्ज़ी से होता था.
आजादी के एक साल बाद ही शेख खलीफा बिन हमाद अल थानी ने अपने चचेरे भाई शेख अहमद बिन अली की सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था. 1995 में इनके बेटे हमाद ने पिता के हाथों से सत्ता छीनकर अपने हाथों में ले ली.
शेख खलीफा के पुत्र शेख हमाद जो 1952 में पैदा में हुए थे, को ये बात जरा भी पसंद नहीं थी. इन्होंने अपनी पढ़ाई विदेश में की थी. ऐसे में उन्होंने कतर में सुधारों की ओर काम शुरू किया.
उनका मानना था कि सऊदी के आगे झुक कर देश तरक्की कभी नहीं कर पाएगा. ऐसे में बेहद ज़रूरी था कि वो देश में सुधारों की बयार लाएं.
वर्तमान में शेख तमीम बिन हमाद अल थानी कतर के 8वें अमीर हैं. 25 जून 2013 को इन्होंने अपने पिता शेख हमाद बिन खलीफा अल थानी से कतर की सत्ता प्राप्त की थी.
90 के दौर में हमाद के सत्ता में आने के बाद कतर को अव्वल दर्जा दिलाने के लिए सुधार शुरू किए गए. शेख हमाद ने पर्यटन पर ज्यादा ध्यान दिया. उन्होंने विदेशी सैलानियों को आकर्षित करने और कतर की संस्कृति और ऐतिहासिक जानकारी देने के लिए एक जगह का निर्माण कराया.
इसके बाद मिडिल ईस्ट में गृह युद्ध की शुरूआत हुई, जिसकी चपेट में आने से कतर बच सा गया.
शेख हमाद ने बिगड़े हुए ढांचे को सुधार कर इसमें सैन्य शक्तियों से लेकर निवेश और फिर शिक्षा के क्षेत्र में फ्रांस जैसे देशों के साथ संबंध स्थापित करते हुए देश की तरक्की की राह खोली.
इन्होंने विदेशी निवेश को आकर्षित किया और व्यापारियों को बिजनेस के लिए बेहतर माहौल प्रदान किया.
और इन्हीं सब की बदौलत उसकी प्रति व्यक्ति आय किसी भी मुल्क से आगे निकल गई. उसके पास ज्यादा निवेशक थे और बहुत कम आबादी. ये दोनों ही इस देश के लिए काफी फायदेमंद साबित हुए.
शायद यही कारण है कि फ़ोर्ब्स पत्रिका ने 2010 में कतर को सबसे अमीर मुल्क घोषित कर दिया. तब वो अपनी आज़ादी के 40 साल पूरे कर रहा था, लेकिन उसकी तरक्की 10 गुना तेजी से हो रही थी.
दुनिया की नामी कंपनियों में हिस्सेदार
विश्व की नामी और बड़ी कंपनियों में कतर एक हिस्सेदार है. इसकी लंदन का नामी डिपार्टमेंटल स्टोर हैरड्स, फ्रांस की लग्जरी सामान बनाने वाली कंपनी एलवीएमएच मोएत एनसी लुई वितौं, जर्मन फुटबॉल क्लब में हिस्सेदारी है.
इसके अलावा इसने पश्चिमी देशों के बड़े होटल और लग्जरी प्रॉपर्टी को भी खरीदा है. जिसमें लंदन का 'द सेवॉय' और 'द कनॉट' जैसे ऐतिहासिक होटल भी कतर के ही पास हैं.
वहीं, कतर सरकार का कतारा होल्डिंग, होटल न्यूयॉर्क के प्लाजा होटल को खरीदने की फिराक में है. यह होटल पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का था. जिसे बाद में उन्होंने बेच दिया. इस होटल में सहारा इंडिया परिवार की 75 फीसदी स्टेक है.
Web Title: Qatar: From Desert To The Richest Country In The World, Hindi Article
Feature Image Credit: thedesertsafari