आपने स्कूली दिनों में दूरदर्शन चैनल पर एक टीवी शो देखा होगा… शो का नाम था ब्योमकेश बक्शी. इस धारावाहिक में एक पुरूष जासूस अनसुलझी गुत्थियों और पेचिदा केस को चंद दिनों में सुलझा देता था. ठीक इसी तरह अदालत नाम के धारावाहिक में कोर्ट में केडी पाठक को मुश्किल से मुश्किल केस को सुलझाते हुए, असल मुजरिमों को सजा दिलाते हुए दिखाया गया.
यह तो बात हो गई रील लाइफ की. अब बात करते हैं रियल लाइफ की.
क्या आपने कभी एक प्राइवेट महिला जासूस के बारे में सुना है, जो गंभीर से गंभीर केसों को चुटकियों में सुलझा देती थी. अगर नहीं तो कोई बात नहीं, आज हम आपका परिचय एक ऐसी ही महिला से कराएंगे, जिसे भारत की पहली प्राइवेट महिला जासूस होने का गौरव प्राप्त है.
इस महिला ने अपनी ख़तरनाक जासूसी से दुनिया को हिला कर रख दिया था. ऐसे में इस महिला जासूस के बारे में जानना और दिलचस्प रहेगा.
तो आईये जानते हैं इस अनोखी महिला जासूस के बारे में –
पिता से मिली जासूसी की प्रेरणा
भारत की पहली प्राईवेट महिला जासूस कही जाने वाली रजनी पंडित का जन्म मुंबई के ठाणे जिले के पलघर में हुआ था. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने मराठी साहित्य में मुंबई के रूपारेल कॉलेज में दाखिला ले लिया.
रजनी पंडित को जासूसी में करियर बनाने का ख्याल अपने पिता को देखकर आया था. असल में रजनी के पिता पुलिस में एक सीआईडी इंस्पेक्टर थे, जिन्होंने महात्मा गांधी हत्याकांड की जांच भी की. इस समय रजनी की उम्र बहुत कम थी, बावजूद इसके वह अपने पिता के काम में खासी दिलचस्पी रखती थीं.
वह अक्सर अपने पिता और अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ चोरों को पकड़ने और अपराध से संबंधित अन्य मामलों पर बात करते हुए सुना करती थीं, जिससे उनके मन में जासूसी करने की जिज्ञासा पैदा होती गई. इस वक्त उन्हें यह तक नहीं पता था कि जासूसी करने के लिए आगे किन हालातों का सामना करना पड़ता है.
रजनी पंडित को तो बस पुलिस में तैनात अपने पिता को देखकर जासूस बनने का भूत सवार हो गया था, जिसको लेकर वह बचपन में ही खुद को जासूस समझने लगी थीं.
Rajani Pandit (Pic: India Daily)
कॉलेज की एक घटना और …
रजनी पिता को देखकर जासूस बनने का तो ख़्वाब देखती थीं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि जासूस बनने के लिए भी कुछ पढ़ाई करनी पड़ती है या फिर अलग से कोई ट्रेनिंग लेनी पड़ती है.
वह इन सब बातों में उलझी ही थीं कि उनके कॉलेज में घटी एक घटना ने उनका ध्यान अपनी ओर खींचा, जिससे रजनी पंडित जासूसी की दुनिया में अपना मुकाम बना पाईं.
कहा जाता है कि कॉलेज के दिनों में उनकी नजर अपनी एक सहेली पर पड़ी, जिसका व्यवहार पिछले कुछ दिनों से बदला हुआ लग रहा था. उन्होंने जब इस पूरे मामले की जांच शुरू की, तो वह सामने आए तथ्यों से चौंक गईं.
असल में वह लड़की अक्सर गलत संगत के लड़कों के साथ बाहर जाती थी, सिगरेट पीती और तो और उनके साथ उसने शराब पीना भी शुरू कर दिया था. इसकी जानकारी पाकर रजनी ने ये सब बात उनके माता पिता को बताने की ठानी.
चूंकि, रजनी को उनके घर का पता मालूम नहीं था, इसलिए उन्होंने एक योजना के तहत कॉलेज के क्लर्क से उस लड़की के घर का पता निकलवाया. असल में रजनी ने क्लर्क से कहा कि उन्हें उस लड़की के घर पर एक गिफ्ट भेजना है, वह उसकी दोस्त हैं. इस तरह घर ढूंढने के बाद रजनी उनके पिताजी से मिलीं और उन्हें सारी सच्चाई बता दी.
पिताजी भी ये बात जानकर हैरान हो गए, हालांकि वह रजनी की गुप्तचर सेवा से खासा प्रभावित भी थे और उन्होंने रजनी से पूछ ही लिया, क्या आप एक जासूस हैं..?
और यहीं से रजनी पंडित एक जासूस बन गईं.
Rajani Pandit became interested in investigation in College Time. (Pic: Dramabeans)
25 की उम्र में बनाई डिटेक्टिव एजेंसी
अपनी सहेली का केस सुलझा कर रजनी अपने आपको जासूस समझने लगीं. उन्होंने इसे एक पेशेवर तरीके से शुरू करने का मन बना लिया. किन्तु वह एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुईं थी, इसलिए यह सब आसान नहीं था. उनके पिता उनके इस फैसले के खिलाफ थे.
उनके पिता का कहना था कि ये जॉब महिलाओं के लिए अच्छी नहीं है, फिर भी रजनी ने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर एक प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी खोल ही ली.
उन्होंने इसका नाम रखा रजनी पंडित डिटेक्टिव एजेंसी. एजेंसी खोलने के बाद रजनी पंडित को समझ में आ गया था कि निजी जासूस बनने के लिए कोई अलग से पढ़ाई करने या ट्रेनिंग की जरूरत नहीं है. अगर जरूरत है, तो बस एकाग्रता और तेज दिमाग की.
बहरहाल, अपनी एजेंसी खोलने के बाद उन्हें कई लोगों की आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा. उनके परिचित लोगों ने उनसे कहा कि जासूसी करना महिलाओं के बस की बात नहीं है. इतना ही नहीं लोगों ने उन्हें निजी जासूसी के क्षेत्र में जान का ख़तरा होने की भी बात कही.
आमतौर पर ऐसी प्रतिक्रियाओं के बात लड़कियां अपने पथ से हट जाती है, लेकिन रजनी ने ऐसा नहीं किया. उन्हें लोगों की टिप्पणियों से कोई फर्क नहीं पड़ा. वह आगे बढ़ती रहीं.
आगे उन्होंने जासूसी विषय पर दो किताबें भी लिखीं. पहली चेहरों के पीछे चेहरे और दूसरी मायाजाल. वहीं रजनी के बेमिसाल जासूसी करियर को लेकर साऊथ सिनेमा में कुत्रापायरची फिल्म भी बनी, जिसे लोगों ने काफी सराहा.
Rajani Pandit Detective Services started in 1991. (Pic: The Globe and Mail)
कभी अंधी बनीं, तो कभी नौकरानी
साल 1991 में अपनी निजी डिटेक्टिव एजेंसी शुरू करने वाली रजनी पंडित ने चंद सालों में ही अपने काम के बूते दुनिया को हैरान कर दिया. रजनी पंडित ने 20 लोगों के साथ अपनी खुफियागिरी शुरू की थी और 2017 के आख़िर तक करीब 75 हज़ार अनसुलझी गुत्थियों को उलझाकर उन्होंने कई राज़ का पर्दाफाश किया.
माना जाता है कि पुलिस जिन केसों को सुलझाने में अक्सर नाकाम हो जाती थी, उन केसों को रजनी पंडित महज़ कुछ दिनों में आसानी से सुलझा दिया करती थीं.
जानकर हैरानी होगी कि इस महिला जासूस के पास दूर-दूर से लोग अपने अनसुलझे केस लेकर आते थे. इससे बड़ी हैरानी की बात यह थी कि रजनी पंडित के कार्य से प्रभावित होकर पुलिस भी अब उनकी मदद लेने लगी थी.
बहुत गंभीर मामलों को सुलझाने में जब पुलिस को सफलता नहीं मिलती, तब वह रजनी पंडित की मदद मांगकर उन मामलों को सुलझाती थी. इतना ही नहीं विदेशों से भी रजनी पंडित के पास अनसुलझे केस की फाइल लेकर लोग आने लगे थे.
एक केस को सुलझाने में तो रजनी पंडित ने खुद को इतना समर्पित कर दिया था कि लोग उनका काम के प्रति समर्पण देखकर हैरान रह गए.
असल में, एक महिला पर अपने पति की हत्या का आरोप था, लेकिन उस महिला के ख़िलाफ कोई ठोस सबूत नहीं थे. सबूत जुटाने के लिए रजनी उस महिला के घर नौकरानी बनकर करीब पांच महीने तक काम करती रहीं.
इन पांच माह में उन्होंने महिला की गतिविधियों पर बारीकी से ऩजर रखी, रोचक बात यह है कि रजनी पंडित ने केस सुलझाने के लिए कई किरदार निभाए. कभी वह प्रेग्नेंट महिला बनीं तो कई बार कपड़ा बेचने वाली महिला, तो कई बार केस की गंभीरता को देखते हुए, उन्होंने अंधे होने का भी नाटक किया और जरूरी सबूत जुटाए.
Rajani Pandit is known as the First Female Investigator in India. (Pic: anandabazar)
जासूसी के जुनून ने पहुंचाया सलाखों के पीछे
जासूसी की दुनिया में रजनी पंडित का आगाज़ जितना बेहतरीन तरीक़े से हुआ था, उसका अंजाम उतना ही शर्मनाक रहा. शक के आधार पर लोगों की जासूसी करते-करते रजनी पंडित इतनी आगे निकल गईं कि उन्होंने कानून को धता बताने के आरोप में जेल डाल दिया गया.
मुंबई पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से कुछ लोगों की कॉल डिटेल रिकार्ड हासिल करने के आरोप में उन्हें अरेस्ट कर लिया. पुलिस पूछताछ में पकड़े गए लोगों ने बताया कि महिला जासूस रजनी पंडित ने उन्हें संबंधित लोगों की कॉल डिटेल हासिल करने के लिए अच्छी रकम दी थी.
इसके बाद उन्होंने गैर कानूनी रूप से निजता के कानून को तोड़ते हुए यह कॉल रिकार्डस हासिल किए थे. करीब 40 दिन पुलिस कस्टडी में रहने के बाद उन्हें बेल पर रिहा कर दिया गया. अपनी सफाई में रजनी ने कहा कि उन्होंने कोई गलत कार्य नहीं किया था.
Rajni was arrested to collect CDR illegally (Pic: Mumbai News)
रजनी पंडित पर जो आरोप लगे वह काफी गंभीर हैं. किसी की निजी ज़िंदगी में दख़ल देना गलत है और ये निजता का हनन भी है, लेकिन अपनी जासूसी से जिस तरह रजनी पंडित ने काम के बोझ तले घरों में कैद रहने वाली महिलाओं के लिए मिसाल क़ायम की है, वह सराहनीय है.
इस पहली प्राइवेट महिला जासूस के बारे में आप क्या सोचते हैं, नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय ज़रूर दें.
Web Title: Rajani Pandit: First Female Investigator in India, Hindi Article
Featured Image Credit: Borsalino/Better India