शांति और अमन दुनिया में रहने वाले हर इंसान की चाहत होती है, लेकिन इसे भी झुठलाया नहीं जा सकता कि दुनिया के इतिहास में कई पन्ने युद्धों से भरे पड़े हैं.
बावजूद इसके दुनिया के कई देश आज युद्ध भूमि बने हुए हैं, और युद्ध में नहीं हैं वे कुछ इस तरह अपनी ताकत को बढ़ाने में लगे हैं, मानो युद्ध की तैयारी में लगे हुए हैं.
बकायदें वे अपनी सेना और उनके हथियारों पर एक बड़ा बजट खर्च करते हैं. जबकि, सच तो यह है कि जंग केवल हथियारों के दम पर नहीं जीती जाती. उनके लिए कारगार नीतियों की आवश्यकता भी पड़ती है. इस बात को चाइनीज जनरल ‘सन जू’ अच्छे से समझते थे. यही कारण रहा कि उनकी नीतियों के आगे बड़े से बड़े सूरमा टिक नहीं पाए.
चूंकि, कहा जाता है कि ‘सन जू’ की नीतियां रणभूमि में आज भी कारगर हैं, इसलिए जानना दिलचस्प हो जाता है कि आखिर कैसी थी उनकी नीतियां—
‘आर्ट ऑफ वॉर’ की नींव बनीं!
युद्ध को और उससे जुड़ी नीतियों को जानने में जो महारथ चाइना के ‘सन जू’ ने हासिल की, वह शायद ही आज तक कोई और मिलिट्री लीडर हासिल कर पाया हो! वह युद्ध और उससे जुड़ी नीतियों को लेकर इस तरह संजीदा थे कि एक बार केवल युद्ध में संजीदगी का सबक सिखाने के लिए उन्होंने अपने ही महल की दो महिलाओं को मौत के घाट उतार दिया था.
‘सन जू’ के मुताबिक है कि यदि दिए गए आदेश साफ ना हो तो वह जनरल की गलती होती है, लेकिन यदि दिए गए आदेश साफ हो और उन पर गौर नहीं किया जाए तो गलती उन आदेशों को गंभीरता से न लेने वाले सैनिकों की होगी!
वू साम्राज्य, जो ‘सन जू’ की जन्मभूमि थी. उसे बड़े पड़ोसी मुल्क से बचाने में ‘सन जू’ ने जो नीतियां तैयार की थी, वह आगे चलकर ‘आर्ट ऑफ वॉर‘ की नींव बनीं.
Art of War (Pic: Christian)
जीत के लिए दुश्मन को जानना है अहम
उनकी किताब के 13 अध्याय वह मंत्र देते हैं, जो हमेशा जीत की ओर ले जाएंगे.
वैसे तो कई ऐसी नीतियां ‘सन जू’ ने अपनी किताब में लिखी हैं, जो युद्ध में काम आएंगी लेकिन उन नीतियों में तीन अहम बातें हैं. पहली यह कि खुद को और अपने दुश्मन को जाने, इससे आपको उसकी ताकत का अंदाजा लगेगा और आप आने वाली सौ लड़ाइयों में भी मात नहीं खाओगे. दूसरा यह कि सौ युद्ध जीतना आपकी नीतियों की प्रशंसा के लिए काफी नहीं है, जब तक आप अपने दुश्मन को पूरी तरह वश में ना कर लें.
इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि कई साम्राज्य अपने ताकत के दिखावे के लिए जंग में कूदते हैं, लेकिन ‘सन जू’ इस तरह के दिखावे को तवज्जो नहीं देते. यदि वो किसी युद्ध में उतरते हैं, तो उसमें ताकत के दिखावे से अहम वो जीत को मानते हैं.
युद्ध की नीतियों से जुड़ा ‘सन जू’ का काम कितना अहम है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी लिखी ‘आर्ट ऑफ वॉर’ को सालों तक छिपाकर रखा गया.
उन्हें पढ़ने की इजाजत केवल राजाओं और कुछ चुने हुए विद्वानों को ही थी, लेकिन जब वो हर किसी के लिए उपल्ब्ध हुई, तो लगभग हर युद्ध की अगुवाई करने वाले ने उससे सीखा!
युद्ध अवधि निभाती है महत्वपूर्ण भूमिका
ये एक तथ्य है कि इंसान खुद को बचाने के लिए लड़ता है. युद्ध जितना लंबा खिंचता जाएगा उतने ही ज्यादा उससे जुड़े साधनों की किल्लत होती जाएगी. इसके साथ ही सैनिकों का हौसला भी कम होता जाएगा.
साधनों की कमी से कोई भी देश कमजोर पड़ने लगेगा, जिसका फायदा युद्ध में उसके सामने खड़ा दुश्मन देश जरूर उठाएगा. इससे जुड़ा हाल ही का कोई उदाहरण देखें तो वो वियतनाम युद्ध होगा, जो 1955 से 1975 तक चला. इसके अलावा लंबी चलने वाली लड़ाईयों के उदाहरण अफगान युद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध भी रहे.
ज्यादातर देखा गया है कि लंबे युद्धों में कोई भी बड़ा विजेता बनकर नहीं उभरता, इसलिए इस तरह से हमला करो की लड़ाई छोटी रहे और ज्यादा लंबी न खिचे.
China Army (Pic: China Daily)
युद्ध के प्रभाव को जानना अहम, और…
यदि आप युद्ध के अंजाम से ही बेखबर हैं, तो आपमें लड़ने के काबिल कभी नहीं बना पाओगे. एक अच्छा नीतिकार लड़ाई में इस तरह की नीतियां बनाता है, जिससे युद्ध में काम आने वाली चीजों की आपूर्ति साथ-साथ होती रहे.
चूंकि, युद्ध अपने साथ देश में गरीबी और मंदी लाता है, जिसका युद्ध पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए कोई भी कुशल कमांडर युद्ध में दुश्मन के स्त्रोतों पर भी कब्जा करते हुए आगे बढ़ता है. यही नहीं ‘सन जू’ को यकीन है कि किसी भी कमांडर को अपने सैनिकों को लड़ाई के लिए उत्साहित करने के लिए उन्हें इनाम देकर खुश करना जरूरी है.
जासूस बन सकते हैं मुख्य हथियार!
‘सन जू’ ने युद्ध जीतने में जासूसों की भूमिका पर भी रोशनी डाली है. उन्होंने जासूसों के बारे में बात करते हुए लिखा है कि दुश्मन की मौजूदगी की खबर सिर्फ और सिर्फ जासूसों से ही मिल सकती है. इसी कड़ी में उन्होंने जासूसों को 5 भागों में बांटा है.
लोकल जासूस, ये वो किसी जगह में रहने वाले वो लोग हैं, जो युद्ध से आने वाली समस्याओं से परेशान रहते हैं. वहीं कुछ आर्थिक मदद के लिए जासूसी जैसे काम कर सकते हैं.
अंदरूनी जासूसों को ‘सन जू’ ने ऐसा जासूस बनाया, जो लड़ाई में सबसे अहम साबित हो सकते हैं. चूंकि ये वो लोग होते हैं, जो दुश्मन के साथ काम कर रहे होते हैं और उन्हें सारी अहम जानकारियों की खबर होती है.
दुश्मन के जासूस, ‘सन जू’ की दी गई इस तकनीक ने आधुनिक युग की लड़ाईयों में भी अहम भूमिका अदा की है, जिसमें दुश्मन के जासूस को उन्हीं की जासूसी करने में लगा दिया जाता है. यानी दुश्मन देश के जासूस को अपने देश के जासूस में ही तब्दील कर लेना.
Chinese Spy (Pic: Thatsfarming.)
आज के समय में ‘आर्ट ऑफ वॉर’
हजारों साल पुरानी होने के बाद भी ‘सन जू’ की युद्ध नीतियां उतनी ही कारगर हैं, जितनी उसके समय में होती थी. चाइना के कम्युनिस्ट नेता की माने तो उसने सन जू कि नीतियों पर चलकर ही चाइना के राष्ट्रवादी दल के नेता चिआंग काइशेक को गृह युद्ध में हराया था.
अमेरिका के गल्फ युद्ध में जैनरल रहे नोरमैन औऱ कोलिन पोवेल ने भी ‘सन जू’ से युद्ध नीति के गुर सीखे. यहां तक की ‘सन जू’ की नीतियां, अब केवल युद्ध तक सीमित नहीं रही हैं, बल्कि व्यवसायों, खेलों और राजनीति में भी लागू की जाने लगी हैं.
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Web Title: Sun Tzu and ‘Art of War’, Hindi Article
Feature Image Credit: Puttyandpaint