जब एक औरत को शिक्षित किया जाता है तो वह अपने साथ पूरे समाज को सुधारने का कार्य करती है.
ये कोई कहावत नहीं है.. इसे सिद्ध कर दिखाया है सुसेन ला फ्लैच पिकोटे ने!
अगर आप इस महिला की जीवन-यात्रा को देखेंगे तो यही निष्कर्ष पाएंगे.
हालांकि सुसेन ला फ्लैच पिकोटे कोई बहुचर्चित नाम नहीं है, लेकिन अमेरिका के मूल निवासियों के उत्थान में इनका अहम योगदान रहा है.
अमेरिका में रहने वाली ओमाहा जनजाति से आने वाली सुसेन पिकोटे पहली अमेरिकी मूल की महिला थीं जिन्होंने मेडिकल डिग्री हासिल की.
इतना ही नहीं उन्होंने इस शिक्षा का उपयोग समाज को बेहतर करने में किया और उसे एक नई दिशा दी.
तो चलिये कोशिश करते हैं सुसेन ला फ्लैच पिकोटे के जीवन और समाज में उनके योगदान को समझने की–
मेडिकल क्षेत्र में ऐसे किया प्रवेश
सुसेन फ्लैच का जन्म नेब्रास्का के पास 17 जून 1865 को एक ओमाहा जनजाति परिवार में हुआ था.
ओमाहा मिड वेस्टर्न की मूल निवासी मान्यता प्राप्त अमेरिकी जनजाति है.
अपनी चार बहनों में सबसे छोटी सुसेन के पिता जोसेफ ला फ्लैच ओमाहा जनजाति के प्रमुख थे. इनके माता-पिता चाहते थे कि उनके बच्चे श्वेत अमेरिकियों के तौर-तरीके से बड़े हों और उनकी आदतें सीखें.
सुसेन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक मिशन स्कूल से ली. वहां बच्चों को श्वेत अमेरिकी लोगों की संस्कृति और आदतों के बारे में बताया जाता था. ओमाहा जनजाति के लोगों को यही सिखाया जाता था कि वे इन लोगों के तौर-तरीकों को सीखें ताकि उनकी दुनिया में घुल-मिल सकें.
स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद सन 1886 में सुसेन ने वर्जीनिया हैम्पटन इंस्टीट्यूट से अपनी स्नातक पूरी की.
उस दौर में ओमाहा जनजाति के लोगों से भेदभाव किया जाता था. जिसका सुसेन के दिमाग पर गहरा प्रभाव था.
इसी क्रम में एक बार एक अश्वेत महिला को केवल इसलिए मरने के लिए छोड़ दिया गया, क्योंकि वहां कोई भी श्वेत डॉक्टर उस महिला का उपचार करना नहीं चाहता था.
इस विषम परिस्थिति को देखकर उनका मन भर आया और उन्होंने निश्चय कर लिया कि अब वो इन लोगों के स्वास्थ्य के लिए कार्य करेंगी.
Susan La Fleshche Picotte (Pic: biography)
…और बनीं पहली मूल अमेरिकी डॉक्टर
सुसेन पढ़ने में शुरू से ही एक मेधावी छात्रा थीं.
वर्जीनिया हैम्पटन इंस्टीट्यूट में पढ़ाई के दौरान सुसेन को उनके एक शिक्षक ने यू.एस. ऑफिस ऑफ इंडियन अफेयर्स की छात्रवृत्ति लेने के लिए प्रेरित किया.
जब सुसेन को छात्रवृत्ति दी गई तब वे पेशेवर शिक्षा के लिए संघीय सहायता प्राप्त करने वाला पहली महिला बनीं.
सन 1886 में सुसेन ने वुमेन मेडिकल कॉलेज ऑफ पेन्सिलवेनिया में अपनी मेडिकल की पढ़ाई की शुरूआत की. उस समय केवल कुछ मेडिकल स्कूलों में ही महिलाओं को दाखिला दिया जाता था.
सुसेन अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर से बहुत दूर आई थीं. ऐसे में उनकी राह आसान नहीं थी, लेकिन उन्होंने हर चुनौती का सामना किया और सन 1899 में अव्वल नंबरों के साथ मेडिकल की पढ़ाई पूरी की.
इसके बाद उन्होंने पेन्सिलवेनिया में एक साल तक इंटर्नशिप की. इंटर्नशिप खत्म होने के बाद वे अपने घर वापिस लौट आईं और एक सरकारी बोर्डिंग स्कूल में चिकित्सक के रूप में सेवा देने लगीं.
Physicians, Susan Flesche is in the second row from the back, fourth woman from the right (Pic: heavy)
20 घंटे करती थीं काम
सुसेन के स्कूल ज्वाइन करने से पहले वहां स्वास्थ्य सेवाएं बहुत अच्छी नहीं थीं. लोग हैज़ा और टीबी जैसी बीमारियों से जुझ रहे थे.
चूंकि ये बीमारियां गंदगी से ज्यादा फैलती थीं, इसलिए सुसेन ने खुद वहां की साफ-सफाई का जिम्मा लिया और अपने व अन्य समुदाय के लोगों की देखभाल करने को अपना मिशन बना लिया.
सुसेन पूरी शिद्दत के साथ लोगों की सेवा करतीं जिस कारण वहां लोगों के स्वास्थ्य में अच्छा सुधार हो रहा था.
धीरे-धीरे सुसेन इतनी लोकप्रिय हो गईं कि लोग अक्सर इन्हीं से इलाज करवाने की मांग करते, जिसके चलते कई श्वेत चिकित्सक वहां से चले गए.
इससे करीब 1300 वर्ग मील में बने इस स्कूल में सुसेन एकमात्र डॉक्टर रह गईं.
सुसेन अपना काम करते वक्त न समय देखतीं और न ही मौसम की परवाह करतीं. कभी-कभी ताे वह कड़ाके की ठंड में भी घर-घर जाकर रोगियों की देखभाल करती थीं.
हालांकि वो ज्यादातर पैदल ही सफर करती थीं, लेकिन कभी कभार वह बग्गी से भी चली जाती थीं.
कुल मिलाकर सुसेन लगभग 20 घंटे काम करतीं और हर महीने लगभग 100 रोगियों को देखती थीं.
इसके मुकाबले एक डॉक्टर के रूप में उन्हें बेहद कम मेहनताना दिया जाता था, जो केवल 500 डॉलर प्रति वर्ष था. यह सेना या नौसेना के चिकित्सक से भी दस गुना कम था.
इसके बावजूद भी उन्होंने लोगों की सेवा करना नहीं छोड़ा. फिर एक दिन काम का अत्यधिक बोझ होने के कारण वह जल्दबाजी में बग्गी से गिर गईं. जिस कारण उन्हें दो महीने बिस्तर की राह पकड़नी पड़ी.
Susan La Fleshche, the First Native American to Earn a Medical Degree (Pic: netnebraska)
समाज सुधारक बनकर उभरीं
सन 1894 में सुसेन ने हेनरी पिकाेटे से शादी की, जिसके बाद इनकी जिंदगी में बड़े परिवर्तन आए. कुछ ही समय बाद दोनों बैनक्रॉफ्ट, नेब्रास्का में रहने लगे, जहां सुसेन ने निजी मेडिकल प्रैक्टिस शुरू कर दी.
शादी होने के बाद भी अन्य महिलाओं की तरह घरेलू कामों में उलझे रहने की बजाए उन्होंने अपना काम जारी रखा. हालांकि इस बीच उन्हें दो बच्चे भी हुए बावजूद इसके वो अपना काम करती रहीं.
सुसेन के पति शराब के लती थे जिससे उनका स्वास्थ्य गिर रहा था. इस कारण सुसेन का भी बहुत समय पति की देखभाल में गुजरता. कई कोशिशों के बाद भी आखिर में उनके पति की मौत हो ही गई.
पति की मौत के सदमे से निकलना इनके लिए बड़ी चुनौती थी, जिस पर वह खरी उतरीं.
सुसेन नहीं चाहती थीं कि अब कोई और शराब के कारण बीमार पड़े और उसकी मौत हो जाए. इसलिए उन्होंने ये निश्चय किया कि वह ओमाहा लोगों में बढ़ती शराब की लत को खत्म करेंगी.
इसके लिए उन्होंने टेंपररेंस नाम का एक आंदोलन भी चलाया.
सुसेन की एक दिली इच्छा थी कि उनका अपना एक अस्पताल हो और उनकी ये इच्छा जल्द ही पूरी होने वाली थी.
सन 1913 में उन्होंने वॉल्ट हिल, नेब्रास्का में अपना अस्पताल खोला.
हालांकि इस बीच उनका स्वास्थ्य भी लगातार तेजी से गिर रहा था. इसी क्रम में 18 सितंबर, 1915 को एक महान समाजसेवी इस धरती से विदा हो गईं.
माना जाता है कि उन्हें हड्डियों का कैंसर था.
Susan LaFlesche Picotte Center built in 1913. (Pic: wikimedia)
सुसेन आज के समय में एक मिसाल पेश करती हैं. वह पेशे से एक डॉक्टर थीं, लेकिन उन्होंने डॉक्टरी के साथ-साथ समाज सुधारक का कार्य भी किया और ओमाहा जनजाति के लिए एक मसीहा बनकर उभरीं.
अपनी 50 साल की छोटी सी उम्र में ही इन्होंने अपना नाम इतिहास के पन्नों में अमर कर लिया.
आपको इस समाज सेवी की कहानी कैसी लगी हमें नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Susan La Flesche Picotte: the First Native American to Earn a Medical Degree, Hindi Article