प्रकृति में इतनी विभिन्नताएं हैं कि उसे समझ व सुलझा पाना इंसान के बस में नही है. अगर हम वृक्षों की बात करें, तो धरती पर बहुत से ऐसे वृक्ष हैं, जोकि सैंकड़ों साल पुराने हैं. इन वृक्षों का आकार भी बेहद विशालकाय होता है.
शायद इनमें से कुछ आपने देखे भी होंगे.
आज हम आपको जिस खास वृक्ष के बारे में बता रहे हैं, उसे आप अपने घर के कमरे में एक शो-पीस के तौर पर लगा सकते हैं. यहां तक कि इस छोटे से वृक्ष पर फल-फूल भी लगते हैं.
बड़े वृक्षों को छोटे आकार में एक बर्तन में उगाने की कला को बोन्साई कहते हैं.
आइए जानते हैं, कुदरत की इस अद्भुत कला के बारे में –
चीन की उत्पति है बोन्साई
वैसे तो बोन्साई एक जापानी शब्द है, लेकिन इसकी शुरुआत चाइनीज शासनकाल में हुई.
दरअसल 700 ई.वी. के दौरान चीनी लोगों ने पुन-साइ नाम की एक कला की शुरुआत की. इस खास तकनीक का इस्तेमाल कर उन्होंने छोटे-छोटे बर्तनों में बोने पेड़ उगाए. इस तकनीक को केवल एक ही जाति के लोग कर पाते थे. वह इस तकनीक के जरिए कुछ खास किस्म के पेड़ों को इस प्रकार उगाते थे. उस समय यह एक बेशकीमती तोहफा माना जाता था.
चीनी लोगों को देख जापानियों ने भी पेड़ों को छोटे बर्तनों में उगाना शुरू कर दिया. कामाकुरा सभ्यता के दौरान जैन और बौद्ध भिक्षुओं के अधीन जापान ने चीनी सभ्यता से जुड़े बहुत से तौर तरीकों को अपनाना शुरू कर दिया. इनमें पूनसाइ कला भी शामिल थी.
चीन सीमा से नजदीकी होने के चलते जापानियों ने चीनी लोगों की बहुत सी तकनीकों व शैलियों को अपनाया. कुछ तकनीकों में बदलाव लाकर उन्हें और बेहतर भी बनाया. उन्होंने इस कला को बोनसाई नाम दिया, जिसका मतलब होता है छोटे बर्तन में पौधे को उगाना.
जापानियों ने कला का किया प्रसार
जापान में इस तकनीक की शुरूआत कम से कम 1200 साल पहले हुई थी.
जापान के लोग मानते थे एक पेड़ अपना विशाल आकार त्यागकर एक बर्तन में तभी उग सकता है, जब इंसान उसे पूरे प्यार और स्नेह से पाले व उसका ख्याल रखे.
जब जापान में इस कला को बढ़ावा मिला, तो यह देख चीन के लोग भी उनके प्रति उत्साहित हुए. जिसके चलते बहुत से लोग जापान आए. उन्होंने इस कला को ब्रह्मांड की खूबसूरती का बखान करने वाला माध्यम माना.
जापानियों द्वारा इन वृक्षों को जिन बर्तनों में लगाया जाता था, उनका तल काफी गहरा होता था. चीन में ऐसे बर्तन इस्तेमाल नहीं होते थे. इसलिए जापान में इस कला को एक नया नाम हाची नो की यानी बोल ट्री दिया गया.
इस कला को लेकर जापान में एक लोककथा भी काफी मशहूर है. जिसके मुताबिक एक समुराई योद्धा ने अपने तीन बोने वृक्षों का बलिदान तीन बीमार संतों को बचाने के लिए कर दिया था. इस लोक कथा पर जापान में नाटक भी किए जाते हैं, जिसमें इस कहानी का स्टेज पर मंचन होता है.
जापान और अमेरिका में हैं बोन्साई म्यूजियम
इतिहास के बाद अब बात करते हैं, बोन्साई वृक्ष को पालने की कला के बारे में.
अगर आप सोच रहे हैं कि इस वृक्ष को एक छोटे से बर्तन में जिंदा रखना आसान है तो यकीन मानिए आप पूरी तरह से गलत हैं. इस बारे में बोन्साई विशेषज्ञ कोबायाशी ने अपनी विशेष राय दी है. कोबायाशी ने अपने जीवन के पिछले 30 साल बोन्साई पेड़ों से जुड़ी जानकारी इकट्ठी करने और इन्हें सुरक्षित रखने में बिताए हैं.
वह खुद 1000 साल पुराने जूपिटर वृक्ष की देखभाल कर रहे हैं, जिसे अब लोगों के लिए प्रदर्शनी में लगाया गया है.
इस बारे में कोबायाशी बताते हैं कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कि कितनी मेहनत और लगन से बोन्साई की देखभाल करते हैं. अगर आपको इसकी देखभाल के बुनियादी नियम व तरीकों का ज्ञान नहीं है, तो आप इसे ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रख सकते.
कोबायाशी इस समय जापान के टोक्यो में स्थित शुनकेन बोन्साई म्यूजियम में मौजूद बोन्साई पेड़ों की देखभाल करते हैं. बोन्साई की देखभाल के बुनियादी तरीकों व नियमों की जानकारी हासिल करने के लिए उन्होंने 6 से 10 साल तक मेहनत की है.
वैसे, बोन्साई वृक्ष म्यूजियम केवल जापान में ही नहीं, बल्कि अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में भी यू.एस. नेशनल अरबोरेटम नाम से मौजूद है. जहां 400 साल पुराना यमाकी व्हाइट पाइन वृक्ष रखा गया है, जो कि हिरोशिमा के न्यूक्लियर अटैक में बच गया था.
इस तरह करें देखभाल
अगर आप भी बोन्साई पेड़ लगाकर अपने घर की शोभा बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको इसकी देखभाल से जुड़ी कुछ बुनियादी बातों की जानकारी होना आवश्यक है.
आमतौर पर जापानी लोगों का मानना है कि बोन्साई की देखभाल करना किसी बच्चे को पालने के समान है. आपको बहुत सी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना पड़ता है, जैसे कि अगर आप चाहते हैं कि बोन्साई वृक्ष लंबी उम्र तक जिए तो इसके लिए जरूरी है कि आप उसे बाहरी वातावरण में रखें न कि सजावटी समान की तरह कमरे के अंदर.
यदि आप इसे बगीचे में लगाते हैं तो यह अच्छे से फलता फूलता है. इसको पानी देने का भी अपना एक तरीका होता है. इसे पानी देने का सही तरीका ये है कि आप इसे तब-तब पानी दें जब तक इसकी मिट्टी गीली न हो जाए. इसकी लंबी उम्र के लिए जरूरी होता है कि इसकी मिट्टी हमेशा गिली रहे, ताकि इसकी जड़ों को नमी मिलती रहे.
जैसा कि आप जानते हैं कि किसी भी वृक्ष के लिए सूर्य की रोशनी कितनी जरूरी होती है. उसी प्रकार बोन्साई के लिए भी यह जरूरी है.
हालांकि किस वृक्ष को कितनी धूप लगवानी है, यह उसकी किस्म पर निर्भर करता है. अक्सर कुछ लोग बोनसाई को कृत्रिम रोशनी देते हैं. यह तरीका गलत नहीं है, मगर इसके लिए आपको इस तरीके का गहरा ज्ञान होना चाहिए.
बहरहाल बेहतर यही रहेगा कि इसे प्राकृतिक रोशनी दी जाए.
इन बातों का भी रखें ख्याल
बोन्साई वृक्षों की छटाई करना भी बहुत जरूरी रहता है. मगर इसे आप ऐसे ही नहीं कर सकते, जब तक कि आपके पास इसे करने का अनुभव और सही ओज़ार न हों.
छटाई के दौरान आपको ध्यान देना होता है कि इसकी पत्तियों व टहनियों की सही लंबाई तक ही छटाई की जाए.
अब बात करते हैं, इस वृक्ष की खुराक की. जैसे इंसानों को स्वस्थ रहने के लिए खाने की आवश्यकता होती है, वैसे ही वृक्षों के विकास व पोषण के लिए भी सही खुराक की आवश्यकता होती है. इसकी खुराक को आप बाजारों से खरीद सकते है.
अगर आप खुराक लाते हैं, तो एक बात का ख्याल रखें कि आप इसे पहले पानी में अच्छे से घोल लें, ताकि यह पेड़ की जड़ों तक पहुंच सके.
किसी भी बोन्साई वृक्ष की लंबी उम्र के लिए सबसे जरूरी है उसकी मिट्टी, जिसमें उसे उगाया गया है. वैसे तो आप इसकी मिट्टी को ऑनलाइन खरीद सकते हैं, लेकिन अगर आप इसे घर में बनाना चाहें, तो ये भी मुमकिन है.
साथ ही इस बात का भी ख्याल रखें कि आप बोन्साई के बर्तन को हर दो साल में जरूर बदलें. इससे उसकी उम्र और बढ़ जाती है.
बहरहाल अगर आपको भी पेड़-पौधों से प्यार है, तो अपने घर के बाहर गार्डन में आप बोन्साई लगा सकते हैं.
Web Title: Fate of Demon Brothers Atapi And Vatapi, Hindi Article