कौन कहता है कि सफलता सिर्फ उन्हीं के कदम चुमती है जो शारीरिक रुप से मजबूत व स्वस्थ होते हैं?
सच तो यह है कि सफलता उस वृक्ष के समान है जिसे वर्षों तक मेहनत और परिश्रम के पानी से पालना पड़ता है. सालों की उस तपस्या के बाद ही उस वृक्ष के फलों का आनंद मिलता है.
मतलब ये कहना गलत नहीं होगा कि सफलता सिर्फ वही पा सकते हैं जिनके मन में उसे पाने की सच्ची चाह, जज्बा और लगन होती है.
अगर ये चीजें आपके पास हैं तो शायद आपकी शारीरिक संपूर्णता या अपूर्णता इतना मायने नहीं रखती. इस बात के जीते जागते उदाहरण हैं यह कुछ लोग, जिनकी कहानी हम आज बताने वाले हैं.
इन्होंने अपनी अपंगता को अपनी कमजोरी न मानते हुए अपनी लगन, अपनी मेहनत और अपने कठोर परिश्रम से सफलता की उंचाईयां छुई. अपने इस परिश्रम के कारण यह कुछ लोग दुनियाभर के लोगों के लिए मिसाल बन गए.
चलिए मिलते हैं इन अद्भुत शख्सियतों से जो दुनिया के लिए प्रेरणा बने…
स्टीफन हॉकिंग
इस सूची के सबसे पहले दिग्गज हैं स्टीफन हॉकिंग.
8 जनवरी 1942 में पैदा हुए स्टीफन ब्रिटीश मूल के वैज्ञानिक, प्रोफेसर व साहित्यकार हैं. स्टीफन ने भौतिक और ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय काम किया है. इसके चलते आज वह दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं. यूँ तो आज स्टीफन का नाम शिखर पर है मगर इन ऊंचाइयों तक आना उनके लिए इतना आसान नहीं था. जब स्टीफन 21 साल के थे तो वह ‘एम्योट्रॉफिक लेटरल स्क्लेरोसिस’ नामक बीमारी के शिकार हो गए थे.
साफ शब्दों में बताएं तो इस बीमारी ने स्टीफन के शरीर की मांसपेशियों को नकारा कर दिया था. इस वजह से वह अपने पैरों पर खड़े होने के भी मोहताज हो गए. 21 वर्ष की आयु में अगर किसी शख्स के साथ ऐसी घटना हो तो उसका टूटना लाजमी है. हालांकि ऐसे मुश्किल हालातों में ही उन लोगों की पहचान हो पाती है जो दुनिया को बदलने की काबिलियत रखते हैं.
स्टीफन भी उन्हीं में से एक हैं. उन्होंने अपनी बीमारी से हार न मानते हुए अपनी पढ़ाई को जारी रखा और आगे चलकर वह भौतिक व ब्रह्मांड विज्ञान क्षेत्र के विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक बने.
साल 1988 में स्टीफन ने ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में अपनी पहली किताब ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ नामक पुस्तक प्रकाशित की. यह पुस्तक अपने क्षेत्र में किसी क्रांति से कम नहीं थी. करीब चार साल तक ये किताब टॉप सेलर बुक की सूची के शीर्ष पर रही. हालांकि इस किताब को समझ पाना इतना भी आसान नहीं था क्योंकि इसमें बहुत से जटिल समीकरण के बारे में लिखा गया था जोकि आम लोगों की समझ से परे थे. इसे देखते हुए साल 2001 में स्टीफन ने अपनी दूसरी किताब ‘द यूनिवर्स इज ए नटशेल’ भी दुनिया के सामने प्रस्तुत की.
इस किताब में उनकी पहली किताब के जटिल समीकरणों को आसान शब्दों में बताया गया था. करीब चार साल बाद 2005 में स्टीफन ने ब्रह्मांड को लेकर लिखे गए अपने सिद्धांतों को हर आम शख्स तक पहुंचाने के लिए इसे और भी सरल कर दिया. उन्होंने अपनी तीसरी किताब निकाली, जिसमें ब्रह्मांड से जुड़े कई रहस्यों से पर्दा उठाया गया.
अपनी बीमारी के कारण स्टीफन हिल तक नहीं सकते हैं. इसके बावजूद भी उन्होंने खुद को इस कदर सक्षम बनाया कि आज दुनिया उनके आगे झुकती है.
Stephen Hawking (Pic: time)
मारला रयान
इस कड़ी की दूसरी महारथी हैं मारला रयान.
मारला इकलौती ऐसी नेत्रहीन महिला रनर हैं जिन्होंने वर्ष 2000 में 1500 मीटर रनिंग में अमरीका का प्रतिनिधित्व किया था. वैसे सुनने में यह काफी अजीब लगता है कि बिना आँखों की रोशनी के कोई भला इतने बड़े स्तर पर किसी देश का नेतृत्व कैसे कर सकता है. हालांकि मारला कोई आम महिला नहीं हैं. उनके अंदर इतना आत्मविश्वास है कि उन्होंने जीवन की हर बाधा का सामना बिना डरे किया. यही कारण है कि उन्होंने नेत्रहीन होने के बाद भी खुद को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का एथलीट बनाया.
मारला का जन्म 4 जनवरी 1969 में सेंट मारिया, कैलिफोर्निया में हुआ था. 9 साल की उम्र में एक बीमारी के चलते मारला ने अपनी आँखों की रोशनी खो दी. बचपन में नहीं देख पाने के कारण उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. इन सब के बावाजूद भी उन्होंने कभी खुद को अपंग नहीं माना. आंखे खोने के बाद भी मारला ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. साल 1987 में उन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा पूरी की. इसके बाद उन्होंने 1994 में संचार विकार में अपनी मास्टर डिग्री भी पूरी कर ली. पढ़ाई के साथ-साथ मारला की रुची खेल में भी थी.
वह अक्सर 200 मीटर रेस, हाई जंप, शॉट जंप, शॉट पुट, लोंग जंप, जैवलिन थ्रो जैसे कई खेलों में हिस्सा लेती थीं. धीरे- धीरे ये रुची कब जुनून में बदल गई खुद मारला को भी पता नहीं चला. अपनी अपंगता को पीछे छोड़ते हुए मारला ने कठोर परिश्रम कर अपने हुनर को निपुण बनाया. इसकी बदौलत साल 1999 में उन्होंने अमेरिका की तरफ से पैरालिम्पिक्स खेलों में हिस्सा लिया. इतना ही नहीं वह 1500 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीतने में भी सफल रहीं. इसके बाद मारला ने सन 2000 के ओलिंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व भी किया
हालांकि इस रेस में मारला मेडल तो नहीं जीत पाईं, लेकिन वह हजारों लाखों लोगों का दिल जीतने में जरूर कामयाब रहीं.
Marla Runyan (Pic: 15min)
हेलेन केलर
हेलेन केलर वह नाम है जिन्होंने बिना आँखों की रोशनी और कानों की आवाज के बिना खुद को एक ऊंचे मुकाम तक पहुंचाया. कई बड़ी परेशानियों के बावजूद भी हेलेन एक प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक और शिक्षक शिक्षक बनने में कामयाब रहीं. इतना ही नहीं वह एक राजनीतिक वक्ता भी थीं, जिन्होंने महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाई. 27 जून 1880 को अमेरिका में पैदा हुई हेलेन ने 19 महीने की आयु में मामूली बीमारी के चलते अपनी देखने और सुनने की शक्ति खो दी थी.
इतने छोटे बच्चे के लिए इतनी बड़ी बीमारी के साथ जी पाना बहुत ही मुश्किल था. बचपन में उन्होंने बहुत ही मुश्किल भरे दिनों का सामना किया था.
हालांकि 6 वर्ष की आयु में हेलेन ऐलेक्ज़ैन्डर ग्राहम बेल के संपर्क में आईं. ग्राहम बेल ने हेलेन को बॉस्टन के पर्किंस इंस्टिट्यूट फॉर ब्लाइंड की शिक्षक एनी सुल्लिवन के पास भेजा. वहां आने के बाद तो मानो जैसे हेलेन की जिंदगी ही बदल गई. वहां पर हेलेन को सिखाया गया कि कैसे वह अंधीं होने के बाद भी अपने हाथों से अक्षरों को पढ़ सकती हैं.
उन्होंने बॉस्टन स्कूल से ही अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद 1904 में रेडक्लिफ कॉलेज से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने अपने जीवन के कठिन परिश्रम को किताब का रूप देके दुनिया के सामने पेश किया. उनकी जिंदगी के बारे में जान के लोगों को भी काफी अच्छा लगा. सब ने जाना कि आखिर कैसे मुश्किलों के बाद भी उन्होंने जीवन को खुल के जिया.
इसके बाद उन्होंने कई और किताबें भी लिखी.
एक लेखक के तौर पर प्रसिद्धी हासिल करने के बाद हेलेन ने समाजिक व राजनीतिक कार्यों में भी अपना हाथ बढ़ाया. उन्होंने 1913 में अमेरिकन फाउंडेशन फॉर ब्लाइंड में व्याख्यान करना शुरु किया. धीरे-धीरे वह इतनी प्रसिद्ध हो गईं कि उन्होंने दुनियाभर में घूम-घूम कर लोगों को अलग-अलग विषयों पर संबोधित किया. अपने इस कार्य से हेलेन ने जो भी कमाई की उससे उन्होंने अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन नामक संस्था की शुरुआत की.
इस काम में उनका साथ सिविल राइट्स कार्यकर्ता रॉजर नैश बाल्डविन ने भी दिया. उनकी यह संस्था अंधे लोगों को समर्पित थी. इस प्रकार हेलेन केलर ने अपनी कमी को हरा कर न सिर्फ सफलता की ऊंचाईयों को छुआ बल्कि समाज में सफलता की नई मिसाल भी कायम की.
Helen Keller (Pic: thetipsguru)
जॉन हॉकेनबेरी
4 जून 1956 में पैदा हुए जॉन हॉकेनबेरी अमेरिका के मशहूर जर्नलिस्ट और लेखक हैं जो लगातार चार बार ऐमी अवार्ड विजेता रह चुके हैं. हॉकेनबेरी इकलौते ऐसे पत्रकार हैं जिन्होंने रीढ़ की हड्डी की अपंगता के बावजूद इतनी बड़ी सफलता हासिल की. 90 के दशक में वह एकमात्र ऐसे पत्रकार थे जो व्हीलचेयर पर बैठ के रिपोर्टिंग किया करते थे.
उन्होंने अपने जीवन में कई मैगजीनों में लिखा, समाचार पत्रों के लिए ढेरों आर्टिकल लिखे साथ में उन्होंने दो किताबें भी लिखी. जॉन का हुनर केवल यहीं तक ही सीमित नहीं रहा. वह 2008 से अमेरिका के पब्लिक रेडियो प्रोग्राम के होस्ट भी रहे हैं. जॉन की सफलता का यह सफर इतना भी आसान नहीं था. उन्हें कई तरह की परेशानियों को झेलना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद अपने जज्बे और मेहनत की बदौलत वह आगे बढ़ते रहे और खुद को सफलता के काबिल बनाया.
John Hockenberry (Pic: prx)
सुधा चंद्रन
भारतीय टेलीविजन की जानी मानी हस्ती सुधा चंद्रन हमारी इस सूची की आखिरी दिग्गज हैं.
सुधा की कहानी भी हमारे लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है. जिस प्रकार से उन्होंने अपने साथ हुए हादसे को भुला कर फिर जिंदगी की नई शुरुआत की और अपने हुनर से अपनी नई पहचान बनाई वह सब वाकई काबिले तारिफ है. 21 सितंबर 1964 में पैदा हुई सुधा बॉलीवुड इंडस्ट्री के जाने माने निर्माता स्वर्गीय के.डी चंद्रन की बेटी हैं. सुधा को शुरु से ही इंडियन क्लासिकल डांस भरतनाट्यम में रुची थी.
17 वर्ष की आयु में उनके साथ एक हादसा हुआ जिसमें उन्होंने अपना एक पैर गंवा दिया. हालांकि सुधा के मन में आगे बढ़ने की उनकी चाह उनके कदमों को रोक नहीं पाई. उन्होंने ऑपरेशन करवा के प्रोस्थेटिक की नकली टांग लगवाई और अपने सफर को जारी रखा. अपनी लगन और कठोर परिश्रम की बदौलत सुधा अपने नृत्य को एक अलग ही स्तर पर ले गईं, जिससे उनकी एक अलग ही पहचान बन गई.
उन्होंने न केवल भारत बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भी अपने नृत्य का जादू बिखेरा. इससे उन्हें विश्व भर में प्रसिद्धी मिली. इसके अलावा उन्होंने अलग-अलग भाषाओं की कई फिल्मों में काम किया. वह भले ही नकारात्मक रोल किया करती थीं मगर इसने ही उन्हें उनकी असली पहचान दिलाई. अपनी इन प्रतिभाओं के लिए उन्हें कई पुरस्कारों व अवार्डों से सम्मानित किया गया.
Sudha Chandran (Pic: hamaraphotos)
बहरहाल ये कुछ ऐसी शख्सियतें थीं, जिन्होंने अपनी कमियों को हराकर दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई. इन्होंने दिखाया कि वह किस्मत से मजबूर हैं मगर लाचार नहीं! इन सभी ने अपनी हर कमजोरी को अपने हुनर के नीचे दबा दिया और खुद को ऊंचाईयों तक ले गए.
आप का क्या कहना है इन महान शख्सियतों के बारे में… अवश्य बताएं!
Web Title: World Most success Handicapped People, Hindi Article