हमारा ब्रह्मांड एक अथाह सागर की तरह है, जिसका हमें न तो यह पता है कि उसकी शुरुआत कहां से है, न ही हम ये जानते हैं कि यह ख़त्म कहां पर होता है.
शुरुआत से ही इंसान के मन में ब्रह्मांड को जानने की एक उत्सुकता रही है. और इसी उम्मीद में दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने अपने-अपने स्तर पर कई खोज और अविष्कार किए हैं.
इसी क्रम में मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण पल वह था, जब पहली बार किसी इंसान के कदम हमारी पृथ्वी के उपग्रह चांद पर पड़े थे.
ये वो पल था, जहां से इंसान ने आसमान से भी ऊंची छलांग लगाने की शुरुआत की. साथ ही उस बाहर मौजूद ब्रह्मांड की खोज का आरंभ हुआ.
यूरी गागरिन सबसे पहले अंतरिक्ष में जाने वाले इंसान बने.
तो आइए, जानते हैं कि यूरी गागरिन ने इसे कैसे संभव बनाया –
1957 में बने 'फाइटर पायलट'
यूरी एलेक्सेविच गागरिन एक बढ़ई के बेटे थे. उनका जन्म 1934 में रूस के क्लूशीनो गांव में हुआ था, जो स्मोलेंस्क शहर में है. वह जब 16 वर्ष के हुए तो मॉस्को चले गए.
यहां उन्होंने धातु का प्रशिक्षण और फॉउन्ड्री मैन के तौर पर काम करना शुरू कर दिया. वहां उनका कार्य अच्छा रहा, तो उन्हें सरातोव के एक टेक्निकल स्कूल में जाने का मौका मिला.
वहां उन्होंने एक फ्लाइंग स्कूल को ज्वाइन कर लिया.
कहते हैं, बस यहीं से उनके मन में प्लेन में बैठकर आसमान छूने का सपना जन्म लेने लगा था. इसके लिए उन्होंने खुद को पूरी तरह से फ्लाइंग स्कूल को सौंप दिया.
परिणाम यह रहा कि 1957 में स्नातक होते ही वह एक फाइटर पायलट के रूप में उभरे.
दूसरे विश्व युद्ध के बाद, जहां दुनिया को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ा. वहीं, दो देश दुनिया की महाशक्ति बनकर उभरे.
इनमें एक था अमेरिका और दूसरा सोवियत संघ. ये दोनों देश शीत युद्ध के दौर से गुजर रहे थे.
दिलचस्प बात तो यह थी कि दोनों देश सिर्फ हथियारों के मामले में ही एक-दूसरे से आगे नहीं निकलना चाहते थे. बल्कि ये अंतरिक्ष में भी सबसे पहले पहुंचना चाहते थे.
'सोवियत' ने शुरू किया स्पेस प्रोग्राम
इसके लिए दोनों ने कई स्पेस प्रोग्राम भी चलाए. अमेरिका इस वार में आगे रहा, लेकिन सोवियत यूनियन स्पेस में किसी इंसान को सबसे पहले भेजने में सफल रहा.
शुरू में अमेरिका की अंतरिक्ष उपलब्धियां सोवियत यूनियन से पीछे ही थीं. मानव निर्मित सबसे पहली सेटेलाइट स्पूतनिक 1 को अंतरिक्ष में स्थापित करके सोवियत यूनियन ने अमेरिका को चौका दिया था.
विश्व का पहला उपग्रह स्थापित करने के बाद अपनी स्पेस खोज को आगे बढ़ाते हुए सोवियत यूनियन ने एक फैसला लिया. इसके तहत उसने तय किया कि वह अब इंसान को अंतरिक्ष में भेजेगा.
इसके लिए एक सीक्रेट चुनाव प्रक्रिया के तहत हजारों लोगों को चुना गया. कड़ी मानसिक और शारीरिक परीक्षा को पास करने के बाद 19 लोग इस काबिल पाए गए. यूरी गागरिन भी इनमें से एक थे.
'सोची सिक्स' में एंट्री के बाद 'वोस्टॉक' प्रोग्राम
शुरुआती कुछ प्रशिक्षणों के बाद गागरिन को एलीट ट्रेनिंग ग्रुप 'सोची सिक्स' के लिए चुन लिया गया. इसमें गागरिन ने सभी लोगों को प्रभावित किया, तो उन्हें वोस्टॉक प्रोग्राम का हिस्सा बनाया गया.
यहां तक पहुंचने वाले वह पहले यात्री थे.
आगे 'वोस्टॉक लॉन्च' का नंबर आया तो यूरी गागरिन ही थे, जिन्हें उनके साथी घेरमन तीतोव के साथ नामित किया गया.
इन दोनों का चुनाव न सिर्फ प्रशिक्षण में इनके बेहतर प्रदर्शन की वजह से किया गया था, बल्कि उनकी कद काठी भी स्पेस मिशन की जरूरत के अनुसार थी.
अंत में तय हुआ कि गागरिन सबसे पहले वोस्टॉक-1 में जाएंगे. वहीं, घेरमन तीतोव को वोस्टॉक-2 में भेजने की तैयारी की गई.
फिर इंसान ने भरी अंतरिक्ष में पहली उड़ान
जल्द ही वह घड़ी आ गई, जिसका यूरी काफी सालों से इंतजार कर रहे थे. गागरिन को अंतरिक्ष में ले जाने वाला 4.75 टन वजनी वोस्टॉक-1 स्पेस क्राफ्ट तैयार था.
यह 12 अप्रैल 1961 का दिन था, सुबह 9.37 (मॉस्को के टाइम के अनुसार) वोस्टॉक-1 को लॉन्च कर दिया गया.
अंतरिक्ष में पहुचने के बाद वोस्टॉक-1 ने 1 घंटे 29 मिनट में करीब 301 किमी की ऊंचाई पर रहते हुए पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी की और उसके बाद 10 बजकर 55 मिनट पर रूस की धरती पर वापस लैंड हो गए.
ये इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण पल था, जब किसी इंसान ने पृथ्वी से बाहर अंतरिक्ष में उड़न भरी. इस अनोखी यात्रा के तुरंत बाद ही यूरी गागरिन दुनिया भर में मशहूर हो गए.
न सिर्फ सोवियत यूनियन में उनकी ख्याति बढ़ी, बल्कि पूरी दुनिया में उनका नाम हो गया. और वो अखबारों की सुर्खियां बन गए.
इसी बीच उन्हें सोवियत यूनियन का सबसे बड़ा सम्मान 'ऑर्डर ऑफ़ लेनिन' दिया गया.
साथ ही उन्हें सोवियत यूनियन के हीरो की उपाधि भी दी गई. इसके बाद उन्होंने कई देशों के चक्कर लगाए और दुनिया की कई जगह जाकर सोवियत यूनियन के अंतरिक्ष प्रोग्राम का प्रचार भी किया.
एक विमान हादसा और अलविदा कह गए यूरी
वोस्टॉक-1 के बाद गागरिन फिर दोबारा स्पेस में नहीं गए, लेकिन वो अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग देते रहे.
फिर एक दिन एक विमान हादसे में उनकी मौत हो गई. गागरिन एक और पायलट के साथ एक रूटीन ट्रेनिंग के तहत दो सीट वाले मिग-15 विमान को उड़ा रहे थे, जो हादसे का शिकार होकर नीचे जा गिरा.
इसकी वजह से उसके अंदर मौजूद दोनों पायलट की मौत हो गई. उनकी मृत्यु के बाद उन्हें सम्मान देने के लिए 1968 में उनके होम टाउन का नाम बदलकर 'गागरिन' रख दिया गया.
इसके अलावा उनके सम्मान में कई स्मारक भी बनवाए गए. यही नहीं सोवियत यूनियन की कई गलियों के नाम बदलकर उनके नाम पर रखे गए. उनके ऊपर फिल्म भी बनी, जो आज भी रूस के प्लेन्स में देखने को मिल जाती है.
आज यूरी गागरिन हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से वह अंतरिक्ष में पहुंचने वाले पहले इंसान बने. वह हमेशा इतिहास के पन्नों में दर्ज रहेगा और वह उसके लिए याद किए जाते रहेंगे.
क्यों सही कहा न?
Web Title: Yuri Gagarin the First Man in Space, Hindi Article
Web Title: inverse