भगवान हनुमान के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह जीवन भर ब्रहमचारी रहे. उनके जीवन का एक ही उद्देश्य रहा, अपने प्रभु राम की साधना. यही कारण है कि बल और साहस की इच्छा रखने वाले लोग उनकी पूजा करते हैं.
किन्तु, क्या आप जानते हैं कि उन्होंने शादी की थी. लोककथाओं की माने तो वह विवाहित थे. उनकी एक नहीं, बल्कि तीन-तीन शादियां हुई थीं. यही नहीं उन्हें मकरध्वज के रूप में एक पुत्र की प्राप्ति भी हुई थी.
ऐसे में भगवान हनुमान के जीवन के इस पहलू को जानना दिलचस्प रहेगा-
अगर शादी नहीं हुई तो बेटा कैसे?
वैसे तो भगवान हनुमान विवाहित थे या नहीं इसका कहीं सटीक जानकारी नहीं मिलती. फिर भी प्रचलित लोककथाएं की माने तो लगता है कि वह विवाहित थे. सवाल यह भी उठता है कि अगर उनकी शादी नहीं हुई थी, तो फिर वह मकरध्वज के पिता कैसे बने! इसके जवाब में वाल्मीकि जी द्वारा लिखी रामायण को देखे, तो वहां उन्होंने एक घटना का जिक्र किया है.
उसके अनुसार सीता हरण के बाद रावण के साथ छिड़े युद्ध के दौरान जब राम-लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल पुरी ले जाया गया था, तब उनकी सहायता करने लिए हनुमान जी पाताल पुरी गए थे. वहां पाताल के द्वार पर उन्हें एक वानर दिखाई देता है. आगे परिचय होने पर वह बताता है कि वह हनुमान पुत्र मकरध्वज है. यह सुनकर भगवान हनुमान हैरान रह जाते हैं. यह सुनकर हनुमान जी क्रोधित हो कर कहते हैं कि 'यह कैसे संभव है.
मैं बाल ब्रह्मचारी हूं. फिर भला तुम मेरे पुत्र कैसे हो सकते हो!
इसके जवाब में मकरध्वज बताता है कि रावण की लंका दहन के बाद आप अपनी पूंछ की आग बुझाने के लिए समुद्र पहुंचे थे. इस दौरान आप तेज आग के कारण पसीने से लत-पथ थे. तभी आपके शरीर से टपकी पसीने की बूंद को एक मछली ने पी लिया. परिणाम स्वरूप वह मछली गर्भवती हो गई. उसी मछली से जो मानव निकला वह मैं ही था पिता जी!
सूर्य देव ने बांधा विवाह बंधन में...
जानकर थोड़ी हैरानी हो सकती है, लेकिन लोककथाओं के अनुसार भगवान हनुमान की एक नहीं बल्कि तीन-तीन शादियां हुईं था. इसमें पहला नाम आता है सूर्यपुत्री सुर्वचला का. सूर्वचला के साथ शादी को लेकर दो कथाएं प्रचलित हैं.
पहली कथा के अनुसार भगवान हनुमान सूर्यदेव के शिष्य हुआ करते थे. उन्होंने भगवान सूर्य से वेदों का प्रशिक्षण लिया था. चूंकि वह एक शानदार छात्र थे इसलिए जल्द ही वह पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में सफल रहे. पर चूंकि, इस शिक्षा के दौरान एक चैप्टर के तहत उन्हें गृहस्थ जीवन में जाना अनिवार्य था, इसलिए भगवान सूर्य ने अपनी बेटी सुर्वचला से उनका विवाह करा दिया.
दूसरी कथा के अनुसार सुवर्चला को अपने पिता की प्रतिभा विरासत में मिली थी. इस कारण कोई भी आम व्यक्ति उनकी चमक का सामना नहीं कर सकता था. इस कारण भगवान सूर्य ने धरती की बेहतरी के लिए हनुमान जी से अनुरोध किया कि वह उनकी बेटी से शादी कर ले. गुरू की आज्ञा का टालने संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने हां कर दी. हालांकि, हनुमान ने बल ब्रह्मचारी के रूप में अपनी प्रतिज्ञा जारी रखी और अपने पूरे जीवन में ब्रह्मचर्य बनाए रखा!
तेलंगाना में है पत्नी सुवर्चला का मंदिर
तेलंगाना के खम्मम जिले में हैदराबाद से करीब 220 किलोमीटर दूर एक प्राचीन मंदिर मौजूद है. इस मंदिर मे आज भी हनुमान जी और उनकी पत्नी पत्नी सुवर्चला की एक साथ तस्वीर मौजूद हैं.
बताते चलें कि यह भारत का एकलौता ऐसा मंदिर है, जहां दोनों की तस्वीर एक साथ मौजूद है. दिलचस्प बात तो यह है कि इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है. कहते हैं कि इस मंदिर में मौजूद हनुमान जी और सुवर्चला के दर्शन भर से भक्तों की वैवाहिक परेशानियां खत्म हो जाती है.
हैदराबाद होते हुए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.
सत्यवती और अनंगकुसुमा के साथ रिश्ता
सुर्वचला के आलावा वरुण पुत्री सत्यवती और रावण की दुहिता अनंगकुसुमा के साथ भी हनुमान जी के विवाह की बात कही जाती है. शास्त्र पउम चरित की माने तो एक युद्ध के अनुसार रावण के सभी पुत्रों को हनुमान जी ने अपना बंदी बना लिया.
साथ ही इस युद्ध में वरुण देव को विजय दिलाई. इससे खुश होकर उन्होंने हनुमान जी का विवाह अपनी पुत्री सत्यवती से कर दिया. दिलचस्प बात तो यह है कि इस युद्ध में रावण की हार हुई थी. बावजूद इसके उसने हनुमान जी से प्रभावित होकर अपनी 'दुहिता' (पुत्री) अनंगकुसुमा का हाथ उनके हाथ में दे दिया था.
अनंगकुसुमा की तस्वीर आपके जेहन में अगर धुंधली हो तो याद कीजिए वह दृष्य जिसमें, खर दूषण-वध का समाचार लेकर जब राक्षस-दूत हनुमान की सभा में पहुंचता तो समूचे अंत:पुर में शोक की की लहर दौड़ जाती है. आगे इसकी खबर सुनकर एक महिला भी मूर्च्छित हो जाती है. वह कोई और नहीं अनंगकुसुमा ही थीं! शास्त्र पउम चरित में इसका सटीक वर्णन किया गया है.
इस तरह हनुमान जी ने तीन विवाह किए. पर चूंकि उनका जीवन परमार्थ को समर्पित था, इसलिए तीन विवाह होने के बावजूद वह सदैव ब्रह्मचारी ही रहे. यही कारण है कि वह प्रभु दासता और साहस व बल के लिए पूज्यनीय हैं.
धन्य है भगवान हनुमान, जो भोग-विलासिता से दूर हर तरह के कष्ट सहते हुए भगवान राम के नाम का रमते रहे!
Web Title: Hanuman Was Married, Hindi Article
Feature Image Credit: SantaBanta