चारों तरफ पाप हो रहे हैं! कलयुग है भाई..., हिंसा हो रही है! कलयुग है भाई, बच्चे माता-पिता को घर से निकाल रहे हैं! कैसी कलयुगी संतान है ये.... बच्चियों की इज्जत खतरे में है! सब कुछ कलयुग की देन है...
ये बातें लगभग रोज कही और सुनी जाती हैं. जब इंसान के धर्म-कर्म के रास्ते भी भटक कर अधर्म के मार्ग पर आ जाते हैं तो उसका सारा दोष कलयुग पर मढ़ दिया जाता है. ऐसे में क्या कभी सोचा है कि आखिर यह कलयुग है कौन?
जितना अत्याचार पिछले तीन युगों में नहीं हुआ, उससे कई गुना कलयुग में हो रहा है. आखिर क्यों अब कोई राम या कृष्ण धरती को बचाने नहीं आ रहे हैं? क्यों हर इंसान के भीतर रावण और कंस जगह बना रहे हैं?
इन सवालों का जवाब छिपा है राजा परिक्षित की एक भूल में! ऐसी भूल जिसने कलयुग को धरती पर राज करने की अनुमति दे दी.
तो चलिए शास्त्रों के पन्ने पलटते हैं और जानते हैं कलयुग की कथा-
ऐसा है पिछले तीन युगों का रहस्य
हिंदू धर्म में चार युगों का वर्णन किया गया है, जिसमें पहला युग है सतयुग. ब्रह्म वैवर्त पुराण की माने तो सतयुग में धरती पर केवल आत्माओं का वास हुआ करता था. इसलिए इसे 'वर्ल्ड ऑफ सोल' भी कहा जाता है.
उस वक्त धरती पर जीने वाली इन आत्माओं की उम्र लगभग 1 लाख साल हुआ करती थी. उनका मरना या जीना खुद उन्हीं के हाथ में था. जिस तरह शरीर का अंत होता है, ठीक उसी तरह आत्मा का भी अंत हो जाता था.
ऐसा माना जाता है कि सतयुग 17280000 साल तक चला. उस वक्त आत्माओं की औसत लंबाई 32 फुट तक होती थी.
सतयुग की समाप्ति के बाद धरती पर त्रेतायुग का आगमन हुआ. इस युग में सकारात्मक भावों में कुछ गिरावट आई. धरती पर आत्माएं नहीं थी, लेकिन देवताओं ने इंसान के रूप में जन्म लिए. इसी युग में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था.
पद्य पुराण के अनुसार त्रेतायुग में भगवान राम ने सरयु नदी में समाधि ली थी, लेकिन भगवान हनुमान आने वाले सभी युगों तक जीवत रहने का आर्शीवाद मिला था. यह युग धरती पर 4320000 साल तक चला, जिसमें एक सामान्य इंसान 10 हजार साल तक जी सकता था.
त्रेतायुग के बाद द्वापरयुग का आगमन हुआ. इस नए युग में छल, काम, क्रोध, बैर आदि व्यसनों में बढ़ोत्तरी हुई. यह युग धरती पर 864000 साल तक चला. इसमें एक व्यक्ति औसतन 1000 साल तक जी सकता था.
ब्रह्म वैवर्त पुराण में भगवान हनुमान ने भीम को ज्ञान देते हुए कहा है कि सतयुग सबसे पवित्र था. वहां धर्म सुरक्षित था. त्रेतायुग में इसे हानि हुई, जिसकी भरपाई करने के लिए भगवान श्रीराम ने अवतार लिया.
द्वापर युग में धर्म पर वार हुआ, पाप बढ़ने लगे तब श्रीकृष्ण ने अवतार लिया.
उन्होंने कहा कि इसके बाद कलयुग आएगा, जिसमें धर्म पूरी तरह खत्म हो जाएगा. केवल पाप होगे, लालच होगा, हिंसा होगी. तब एक बार फिर भगवान विष्णु कल्कि के अवतार में जन्म लेंगे.
...और सम्राट घोषित किए गए राजा परिक्षित
पिछले तीन युगों के बारे में धर्म, पुराण, शास्त्र आदि में पढ़ ही चुके हैं. गीता, रामायण और वेदों ने हमने अपने भूतकाल के बारे में बहुत कुछ बताया है पर असली कहानी तो कलयुग से शुरू होती है.
वह कलयुग, जो हमारा वर्तमान है और आने वाला कल होगा.
शास्त्रों के अनुसार महाभारत की समाप्ति के साथ ही द्वापर युग की समाप्ति के दिन नजदीक आने लगे थे. भगवान कृष्ण धरती पर अपनी भूमिका पूरी करके वापस बैकुंठ धाम जा रहे थे.
उनके बिना पांडव धरती पर क्या करते? इतने रंज और हिंसा के बाद उनका मन भी धरती पर नहीं लग रहा था. सो महाराज युधिष्ठिर ने अपना सारा राजपाठ अर्जुन के पौत्र, अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र परिक्षित को सौंप दिया.
उन्होंने परीक्षित को सर्वअधिकारों के साथ सम्राट घोषित कर दिया. इसके बाद पांचो पांडव, द्रौपदी के साथ मोक्ष यात्रा पर हिमालय की ओर निकल गए. अब धरती पर राजा परिक्षित का राज था. न कृष्ण थे, न माता लक्ष्मी और न भीष्म और विदुर जैसे विद्ववान. फिर भी परिक्षित ने अपनी जिम्मेदारी को निभाने का प्रयास करते रहे.
राजा परिक्षित की चूक से आया कलयुग
बताया जाता है कि पांडवों के हिमालय गमन के बाद माता धरती और धर्म सरस्वती नदी के एक-एक छोर पर बैठे थे. मां धरती गाय के रूप में और धर्म बैल के रूप में बैठे बातें कर रहे थे.
गाय रूपी धरती मां दुखी थीं और निराश से उनकी आंखे भर आईं. धर्म ने ने पूछा कि अब तो महाभारत खत्म हो गई है. चिख पुकार, हिंसा सब समाप्त हो गई है, फिर भी आप दुखी क्यों है?
धरती ने कहा धर्म क्या तुम देख नहीं, रहे कि तुम्हारे चारों पैरों में से अब केवल एक पैर शेष रह गया है.
पहले भगवान कृष्ण के चरण मुझ पर पड़ते थे, जिसकी वजह से मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती थी, परंतु अब ऐसा नहीं है, अब मेरा सौभाग्य समाप्त हो गया है. धर्म और धरती आगे कुछ बातें कर पाते इसके पहले वहां असुर रूपी कलयुग पहुंचा.
उसने सरस्वती नदी के किनारे बैठे गाय और बैल को सताना शुरू कर दिया.
उसी दौरान राजा परिक्षित का वहां से गुजरना हुआ. निरीह गाय और बैल को परेशान होते देख उन्होंने कलयुग से कहा- दुष्ट, पापी! तू कौन है? इन निरीह गाय तथा बैल को क्यों सता रहा है? तेरा यह कृत्य पाप के समान है.
उन्होंने कहा कि तेरा अपराध क्षमा योग्य नहीं है, तेरा वध निश्चित है.
यह कहते हुए परिक्षित ने कलयुग पर धनुष तान दिया. राजा परिक्षित बैल रूपी धर्म को पहचान चुके थे. उन्होंने धर्म से पूछा कि यह कौन है? पर उन्होंने जवाब न दिया. राजा ने कहा, आप धर्म के मर्म को भली-भांति जानते हैं. इसलिए किसी के विषय में गलत न कहते हुए अपने ऊपर अत्याचार करने वाले का नाम भी नहीं बता रहे हैं.
राजा परिक्षित के चरणों में आ गिरा कलयुग
तभी कलयुग राजा के चरणों में आ गया और अपना परिचय देते हुए कहा, महाराज मैं कलयुग हूं.
राजा ने धर्म से कहा कि सतयुग में आपके चार चरण थे, त्रेतायुग में तीन, द्वापर युग में दो और आज कलयुग ने आपके एक और चरण को नुकसान पहुंचा दिया है. मैं कलयुग को आपको और हानि नहीं पहुंचाने दूंगा.
जैसे ही राजा परिक्षित ने कलयुग पर वार करना चाहता वैसे ही उसने कहा, महाराज एक बार मेरी बात सुन लीजिए.
परिक्षित ने कहा-अधर्म, पाप, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि अनेक उपद्रवों का मूल कारण केवल तुम हो. मैं तुम्हे अपने राज्य में नहीं रहने दूंगा.
कलयुग ने कहा कि महाराज आपका राज तो पूरी पृथ्वी पर है. आप मुझे पृथ्वी से निकाल देंगे तो मैं कहां जाउंगा? आप मुझे अपने सामने नहीं देखना चाहते यह ठीक है, लेकिन मुझे निकालने की बजाय निश्चित स्थान दे दीजिए.
परिक्षित ने कुछ विचार करके कहा झूठ, द्यूत, मद्यपान, परस्त्रीगमन और हिंसा, इन चार स्थानों में असत्य, मद, काम और क्रोध का निवास होता है. आज से यही तेरा ठिकाना होगा. कलयुग ने कहा, इतना स्थान मेरे लिए पर्याप्त नहीं है.
राजा ने उसे पांचवा स्थान स्वर्ण में दे दिया.
यह सुनते ही कलयुग पांच हिस्सों में बंट गया. और राजा के दिए गए क्षेत्र में उसका एक-एक हिस्सा समाहित हो गया. पांचवा हिस्सा स्वर्ण था, अत: कपटी कलयुग ने राजा परिक्षित के स्वर्ण मुकुट में अपना आखिरी स्थान बना लिया.
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार चूंकि राजा परिक्षित पूरी धरती के राजा थे, इसलिए उनके मुकुट में रहते हुए कलयुग ने धीर-धीरे पूरी धरती पर अपना राज कायम कर लिया.
यदि उस समय परिक्षित अपना स्वर्ण मुकुट त्याग देते तो शायद कलयुग के प्रभाव को सीमित किया जा सकता था.
4,32,000 साल लंबी है कलयुग की आयु!
महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने अपनी पुस्तक आर्यभट्टियम में कलयुग के बारे में बताया है. जब वे 23 साल के थे तब उन्होंने लिखा था कि यह कलियुग का 3600वां वर्ष चल रहा है. इस हिसाब से गौर करें तो आर्यभट्ट का जन्म 476 ईसवीं में हुआ था. गणना की जाए तो कलियुग का आरंभ 3102 ईसापूर्व हो चुका था.
शास्त्रों में युगों का एक आंकड़ा मिलता है. जिसके अनुसार मनुष्य का एक मास, पितरों के एक दिन रात के बाराबर है और मनुष्य का एक वर्ष देवता के एक दिन रात के समान. यानि मनुष्य के 30 वर्ष से देवताओं का एक मास बनाता है.
मनुष्य के 360 वर्ष देवता का एक वर्ष (दिव्य वर्ष) कहलाते हैं. मनुष्य के 432000 वर्ष यानि देवताओं के 1200 दिव्य वर्ष यानि पूरा एक कलयुग. यानि कलयुग की आयु 4,32,000 साल लंबी है. अब तक उसका केवल एक चरण पूरा हुआ है.
बताया जाता है कि 3102 ईसा पूर्व जब पांच ग्रह; मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे, तब कलयुग का प्रारंभ हुआ था. अब तक कलयुग के 5118 वर्ष बीत चुके हैं और 426882 वर्ष बाकी हैं.
एक दिन ऐसा आएगा जब...
आज हम जो दुष्कर्म देख रहे हैं वे कलयुग के भविष्य के आगे कुछ नहीं है. शास्त्रों में कहा गया है कि कलयुग में आत्मा 84 बार जन्म लेगी और फिर उसे मोक्ष प्राप्त होगा. मानव की आयु 100 वर्ष होगी और धीरे—धीरे यह कम होती जाएगी.
ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि एक वक्त ऐसा आएगा जब पांच वर्ष की उम्र में स्त्री गर्भवती हो जाएगी और 16 वर्ष तक व्यक्ति का बुढापा आने लगेगा. 20 वर्ष की आयु तक मृत्यु निश्चित है.
सतयुग में आत्माओं की औसत लंबाई 32 फुट थी और कलयुग का अंत आते—आते तक इंसान बौने होते जाएंगे.
कलयुग के 50000 साल पूरे होने पर गंगा सूख जाएगी और बैकुंठधाम चली जाएंगी. कलयुग के 10 हजार वर्ष पूरे होने पर धरती से देवताओं का पलायन शुरू हो जाएगा.
इसके बाद इंसान पूजा,कर्म,व्रत-उपवास और सभी धार्मिक काम करना बंद कर देंगे. प्रकृति ने जो कुछ भी मनुष्य को दिया है वह सब उससे एक-एक कर वापस ले लिया जाएगा. चारों ओर हिंसा का वातावरण होगा और केवल पाप दिखाई देगा.
कलयुग के अंत के बाद क्या!
वर्तमान में देखा जाए, तो शास्त्रों में लिखी बातें सत्य हो रही हैं. पहले मनुष्य की औसत आयु 100 साल थी जो लगातार घटते हुए 65 साल तक आ गई है. उंचाई औसतन 5 से 6 फीट ही रह गई है. पानी का संकट गहराने लगा है और प्रदूषण के कारण हवा जहरीली हो रही है. जिसका असर धरती की गुणवत्ता और फसलों पर दिखाई दे रहा है.
पर अब सवाल यह उठता है कि जब त्रेतायुग में पाप बढा तो भगवान राम ने अवतार लिया, जब द्वापर में अधर्म हुआ तो कृष्ण ने अवतार लिया. अब जबकि कलयुग धर्म की हर सीमा को पार कर जाएगा तब क्या होगा?
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार तब एक बार फिर भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे. पुराण में बताया गया है कि उनका जन्म विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर में होगा.
वे केवल तीन दिन के लिए धरती पर जन्म लेंगे और समस्त अधर्मी लोगों का नाश करेंगे.
इसके बाद धरती पर लगातार मोटी धार से वर्षा होगी. इतनी वर्षा की पृथ्वी एक बार फिर जल मग्न हो जाएगी. 170,0000 वर्षो का संधि काल (एक युग के अंत दूसरे युग के प्रारंभ के बीच के समय को संधिकाल कहते हैं) होगा.
संधि काल खत्म होने के साथ ही पृथ्वी पर 12 सूर्य उदय होंगे. जिनकी गर्मी से पृथ्वी का सारा अनउपयुक्त पानी सूख जाएगा. इसके साथ ही एक बार फिर सतयुग का आरंभ होगा.
ये सारा सार हमारे शास्त्रों में लिखा है. वे शास्त्र जो करोड़ों-अरबों सालों से हमें धर्म की शिक्षा देते आए हैं. कलयुग के अंत की व्याख्या केवल हिन्दू धर्म तक सीमित नहीं है. बल्कि प्रलय का जिक्र कुरान और बाइबल में भी किया गया है.
जो होने वाला है उसे रोकना हमारे वश में नहीं है, यदि कुछ है तो खुद को उस नकारात्मक प्रभाव से बचाना!
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