पूरे विश्व में भारत ही मात्र एक ऐसा देश है, जहां हर माह में कोई न कोई त्योहार ज़रूर मनाया जाता है. इसकी वजह यहां के विभिन्न धर्म, भाषा व समाज है.
बहरहाल, विभिन्न धर्मों के उन्हीं त्योहारों में से एक पवित्र त्योहार जन्माष्टमी है!
हिन्दू धर्मं के अनुसार जन्माष्टमी का त्योहार बड़ा महत्वूर्ण है. यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिवस के मौके पर मनाया जाता है. पूरे भारत के साथ ही विदेशों में भी जन्माष्टमी का उत्सव बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है.
इस दिन उनके भक्त दिन भर व्रत रहते हैं. रात में 12 बजे भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाने के बाद अपना व्रत तोड़ते है. इस दिन झाकियां भी निकाली जाती हैं. मन्दिरों में पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है.
कई स्थानों में दही मटका फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी होता है. वहीं श्री कृष्ण को झूला भी झुलाया जाता है.
मगर क्या आप जानते हैं कि आखिरकार जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर बारिश क्यूँ होती है.
अगर नहीं तो आइए जानते हैं-
जन्म के साथ ही बारिश से रहा रिश्ता
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म त्रेता युग के अंत व द्वापर युग के शुरुआत में हुई थी. यह वही दौर था जब मथुरा के साम्राज्य पर राजा उग्रसेन का शासन हुआ करता था. उसके बेटे कंस ने अपनी गलत रणनीति के तहत पिता के स्थान पर खुद को राजा घोषित कर दिया. उसी दुष्ट रूपी राजा कंस की एक बहन जिसका नाम देवकी था.
देवकी का विवाह वासुदेव नामक यदुवंशी सरदार के साथ हुआ. एक बार जब कंस अपनी बहन को उसके ससुराल छोड़ने जा रहे थे, तभी उनको एक संदेश प्राप्त हुआ. उस संदेश के तहत यह भविष्यवाणी की गई कि हे कंस जिस बहन को तू बड़े प्यार से उसकी ससुराल लेकर जा रहा है उसी के आठवीं संतान के हाथों तेरा खात्मा होगा.
अपनी भयानक भविष्यवाणी के बाद कंस ने बहन के पति वासुदेव को जान से मारना चाहा.
ऐसे में बहन देवकी ने अपनी भाई के सामने अपने पति के प्राणों की भीख मांगीं. देवकी ने कंस से कहा जब हमारी आठवीं संतान होगी, तो मैं खुद उसे तुम्हारे हवाले कर दूँगी. मगर मेरे पति को छोड़ दो. बहन की इस बात को सुनकर कठोर हृदय वाले कंस ने वासुदेव की जान को तो बख्श दिया. मगर बहन के साथ उसके पति वासुदेव को एक काल कोठरी में बंद कर दिया.
कहा जाता है कि इसके बाद देवकी ने अपनी कोख से सात संतानों को जन्म दे चुकी थी. मगर उनकी सातों संतानों को कंस ने जान से मार दिया. इसके बाद अब भविष्यवाणी के तहत आठवें संतान के रूप में देवकी एक पुत्र को जन्म देने वाली थी.
उनकी कोठरी के चारो तरफ कड़ा पहरा लगा दिया गया.
वासुदेव व देवकी को आठवें पुत्र के रूप में एक पुत्र की प्राप्ति हुई. यह कोई और नहीं वो दुष्ट रुपी कंस का वध करने वाले भगवान श्री कृष्ण जी थे. जिस समय उनका जन्म हुआ उसी समय एक संयोग हुआ कि यशोदा को एक पुत्री की भी प्राप्ति हुई थी.
दरअसल, उसी वक़्त कोठरी में अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने भगवान चतुर्भुज एक संदेश के साथ प्रकट हुए. दोनों ने भगवान को शीश झुकाया. तब भगवान ने उनसे कहा कि "अब मैं पुनः नवजात शिशु का रूप ले लेता हूँ तुम मुझे अपने मित्र नंद के घर वृन्दावन छोड़ आओ और वहां जन्मी कन्या को यहां लाकर कंस के सामने पेश कर दो. तुम चिंता न करो कारागार का दरवाजा अपने आप खुल जायेगा पहरेदार भी सो गए हैं और यमुना को भी तुम आसानी से पार कर जाओगे.
उसी समय वासुदेव ने ऐसा ही किया उस समय भगवान कृष्ण जी के जन्मदिन तेज वर्षा भी हो रही थी. यमुना अपने उफान पर थी. इसके बावजूद पिता वासुदेव पुत्र कृष्ण को सफलता पूर्वक वृन्दावन छोड़ आये थे. इनके जन्म अवसर पर हुई भारी बारिश और यमुना का इनके पिता के द्वारा आसानी से पार कर ले जाना भी एक अवधारणा है कि इसीलिए जन्माष्टमी के दिन बारिश होती है. इस अवधारणा के साथ-साथ जन्माष्टमी के दिन बारिश होने की कुछ और भी अवधारणाए हैं.
क्या कहती हैं दूसरी अवधारणाएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार नंद गाँव में यशोदा की बेटी को नवजात शिशु का आदान-प्रदान करने के लिए कहा जाता है. जो बेटी बाद में देवी शक्ति बन गई थी. जब वासुदेव उस अदला बदली के लिए जा रहे थे. तो भारी बारिश के कारण यमुना नदी उफान पर थी. ऐसे में पांच सिर वाली शेशनाग सांप ने बारिश से बच्चे कृष्णा की रक्षा के लिए अपना सिर फैला लेती है.
इसके बाद आसानी के साथ वासुदेव अपने पुत्र को नंद गांव छोड़कर अपने दोस्त की पुत्री को वापस ले आते है. माना जाता है यही वजह है कि जन्माष्टमी के दिन बारिश होती है. इसी के साथ ही ये भी कहा जाता है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण तेज बारिश से गोकुलवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ ऊँगली पर उठा लिया था.
अगर वो ऐसा न करते तो भगवान इंद्र के प्रकोप से पूरा गोकुल डूब जाता.
बारिश से बचने के लिए लोग इसी पर्वत के आकर रहे. या सिलसिला एक दिन नहीं बल्कि लगातार सात दिनों तक चलता रहा. सात दिनों तक बारिश से मनुष्यों की रक्षा करते हुए भगवान श्री कृष्ण ने कुछ नहीं खाया-पिया था. आखिरकार उनकी इस सब्र को देखकर इंद्र को भी विवश होना पड़ा. अंततः आठवें दिन बारिश बंद हो गई थी.
इसी के साथ ही यह भी माना जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने अपने दुष्ट मामा कंस को जमीन पर पटकते हुए मौत के घाट उतारा था. तो उस दिन भी जोरदार बारिश हो रही थी. शायद यही वजह है कि जन्माष्टमी के दिन बारिश होती है.
तो ये थे कुछ ऐसे तथ्य जो ये साबित करते हैं कि भगवान श्री कृष्ण के जीवन में वर्षा का बहुत गहरा रिश्ता रहा है. जो जन्माष्टमी के दिन बारिश होने की वजह माने जाते हैं. खैर, इसकी वजह इनमें से जो भी हो मगर इस पवित्र मौके पर भगवान श्री कृष्ण के भक्तों की खुशियाँ अपने चरम सीमा पर होती है. वहीं इस दिन पूजा अर्चना से लोगों को पुण्य प्राप्त होता है.
Web Title: Why Does It Rain on Krishna Janmashtami, Hindi Article
Faeture Image Credit: kanaknews