द्रौपदी, सीता, राधा, रुक्मिणी और भी कई सारे नाम. हिंदू पौराणिक कथाओं में स्त्रियों की बात की जाए तो ये नाम तुरंत याद आते हैं. इनके बारे में हम बहुत पढ़ते और सुनते हैं.
माँ सीता का त्याग तो द्रौपदी का चीरहरण, राधा का श्री कृष्ण के लिए निःस्वार्थ प्रेम आदि.
त्याग, ममता, स्नेह से परिपूर्ण महिलाओं के किरदारों से हटकर, आज हम बात करेंगे हिंदू पुराण की विलेन महिलाओं की. ऐसी महिलाएं जो अपने कृत्य या क्रूरता के लिए जानी जाती हैं.
जानते हैं, हिन्दू पौराणिक कथाओं में अपने बुराई के लिए याद की जाने वाली कुछ महिलाओं के विषय में-
भतीजे को अग्नि में भस्म करने की चेष्टा की
एक इंसान का अहंकार ही उसको ले डूबता है. ये बात राजा हिरण्यकश्यप पर बड़ी ही सटीक बैठती है. हिरण्यकश्यप की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अमर होने के वरदान मिला.
अपने इस वरदान को प्राप्त करने के बाद वो खुद को पृथ्वी का सबसे बलशाली व्यक्ति मानने लगा. वो खुद को भगवान से भी ऊपर समझने लगा. सीमा तो वह तब पार करने लगा जब वह लोगों से स्वयं की पूजा भी करवाने लगा.
उसका खौफ लोगों में इतना था कि लोग डर से उसकी पूजा करने लगे. इस भेड़-चाल में हिरण्यकश्यप के पुत्र ने शामिल होने से इनकार कर दिया. उसके पुत्र प्रहलाद ने उसकी हर आज्ञा मानी सिवाय उसकी पूजा करने से.
दरअसल, बालक प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त थे. वो दिन रात विष्णु जी की आराधना किया करते थे. वो सिर्फ उन्हें ही अपना प्रभु मानते थे. ऐसे में, वो अपने पिता की पूजा करने के लिए तैयार नहीं हुए.
इस बात से हिरण्यकश्यप आग बबूला हो गया. उसने बालक प्रहलाद को मारने के असफल प्रयास किये. वह हर बार उसकी कोशिश नाकामयाब हो जाता था. इस बार हिरण्यकश्यप ने एक तरकीब सोची.
उसने अपनी बहन होलिका के ज़रिए अपने बेटे को मारना चाहा.
दरअसल, होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती. इस वरदान के घमंड में होलिका जब बालक को अपनी गोद में लेकर अग्नि पर बैठ गयी. उसे लगा कि वह तो बच जाएगी और प्रहलाद का काम तमाम हो जायेगा.
लेकिन, जैसे ही आग लगाई गयी, होलिका की गोद में बैठे प्रहलाद ने भगवान विष्णु का नाम जपना शुरू कर दिया. इस दौरान एक चमत्कार हुआ.
वरदान प्राप्त करने वाली होलिका तो आग में जल गयी जबकि बालक अग्नि से भगवान का नाम जपते हुए सही सलामत आ गया. सब यह देखकर हैरान रह गए.
दरअसल, होलिका को अकेले अग्नि में न जलने का वरदान था. जबकि वह इस बार प्रहलाद को लेकर बैठी थी. होली मनाने के पीछे भी इस कहानी को ही माना जाता है.
बात अगर महिला विलेन की हो तो होलिका का नाम शीर्ष में ही लिया जाता है. जो अपने नन्हे भतीजे को जान मारने में बिलकुल भी नहीं कतराई.
भुलाए नहीं भूलता रामायण की ‘मंथरा’ का किस्सा
रामायण की कहानी के राम, रावण, सीता, कुंभकरण के अलावा भी एक बेहद दिलचस्प किरदार है. जो कहीं न कहीं इस पूरी रामायण के घटित होने की वजह है. वो किरदार और कोई नहीं बल्कि मंथरा ही है.
अगर उसने कैकयी को भड़काया नहीं होता तो वह शायद ही राम का वनवास और भारत के ताजपोशी की इच्छा जतातीं. एक पिता के उसके पुत्र के वियोग में मृत्यु को प्राप्त कर लेना. एक माँ को अपने बेटे से 14 साल तक अलग रहना पड़ा.
मंथरा हिंदू महाकाव्य रामायण की एक ऐसी नौकरानी हैं जिन्होंने अयोध्या राज्य की तस्वीर को बदलने में काफी अहम भूमिका निभाई. उसने ही रानी कैकयी को महाराजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए सिंहासन की मांग करने को बोला.
साथ ही, श्री राम का वनवास माँगा. अपनी पीठ से झुकी यानी कूबड़ी मंथरा का वर्णन एक बदसूरत औरत के रूप में हुआ है. उसे एक स्वार्थी, चालाक और अपने स्वार्थ के काम को करवाने में किसी भी हद तक जाने से कोई परहेज नहीं था.
राम के निर्वासन के बाद मंथरा जब बाग़ में ख़ुशी से झूम रही थी तभी सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न मंथरा को मारने के लिए आगे बढ़ते हैं, लेकिन तभी कैकयी उसे बचाने के लिए भरत से प्रार्थना करती हैं. तब भरत जाकर उन्हें रोकते हुए कहते हैं कि उनके भाई बड़े भैय्या राम कभी इस बात से खुश नहीं हो सकते हैं.
बता दें, मंथरा कैकयी से बहुत प्रेम करती थी. उसने ही उन्हें बचपन में पाला भी था. अपने इस लगाव की वजह से ही वह शादी के बाद कैकयी के साथ उनके ससुराल आ गई थी.
अपने इस भड़काने के इस कृत्य की वजह से उसे एक महिला विलेन की लिस्ट में रखा जाता है.
श्रीकृष्ण को जहर से मारने की कोशिश करने वाली ‘पूतना’
नन्हे कृष्ण की बाल लीलाओं से सभी लोग वाकिफ हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, वो अपने नटखट और सुंदर रूप से सभी का मन मोह लिया करते थे.
कृष्ण राक्षस कंस के भांजे थे. वो कृष्ण को मारना चाहता था. उसे अपनी बहन देवकी के आठवें पुत्र से अपनी मृत्यु का श्राप था. ऐसे में, वह कृष्ण को बचपन में ही मार डालना चाहता था. इसके लिए उसने कई असफल प्रयास भी किये.
इसी कड़ी में उसने एक दुष्ट राक्षसी पूतना को भी इस काम के लिए चुना. राक्षसी पूतना खुद को एक खूबसूरत महिला के रूप में बदल लेती है. वह छलिये की तरह कृष्ण के घर में दाखिल होती है.
वह किसी तरह भोली यशोदा माँ को अपने जाल में फँसाने में कामयाब हो गयी. इस तरह वह घर के अंदर आ पहुंची. उसने कृष्णा को खाने में जहर के ज़रिये मारने की कोशिश की. इसमें कामयाब न होने के बाद पूतना बस एक मौके की तलाश में थी.
उसने जैसे ही नन्हे कृष्णा को अकेले देखा, वो उनका अपहरण करके बाहर भाग गयी. उसने अपने वक्षों से जहरीला दूध पिलाने की कोशिश करने लगी. और तभी नन्हे कृष्णा ने उसका वध कर दिया.
...और अपना दिल हारने वाली ‘शूर्पणखा’
रावण की एकमात्र बहन शूर्पणखा वैसे तो भयानक कुरूप राक्षसी थी, लेकिन अपनी मायावी शक्तियों से एक अत्यंत सुंदर स्त्री का रूप भी धारण कर लेती थी. अपने सूर्प जैसे बड़े और चौड़े नाखूनों की वजह से उसका नाम शूर्पणखा पड़ा. राम-रावण युद्ध के मूल वजह भी यही महिला रही.
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब राम, लक्ष्मण और सीता वनवास के दौरान पंचवटी में निवास कर रहे थे, तब रावण की बहन शूर्पणखा का दिल राम पर आ गया. वह उनके पास अपनी इस इच्छा को लेकर गयी.
राम विवाहित थे, इसीलिए उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. उसके प्रस्ताव को यह कहकर खारिज कर दिया कि वह पहले से विवाहित हैं और उनकी पत्नी सीता है.
इसके बाद शूर्पणखा लक्ष्मण के पास गई, लेकिन गुसैल स्वभाव के लक्ष्मण से क्रोधी हो गए और उन्होंने आव देखा न ताव, शूर्पणखा की नाक काट ली. स्वयं को अपमानित महसूस कर रही वह रोते हुए अपने भाई रावण के पास पहुंची और अपने अपमान का बदला लेने को कहा.
जिसके बाद का युद्ध तो सर्वविदित है ही.
अनेक ग्रंथों में शूर्पणखा के बारे में कहा जाता है कि किसी खुशी के अवसर पर उसका अट्टाहास महाभयानक होता था और दुख के समय विलाप ऐसा कि लोग कांप ही जाते थे.
इसी तरह इस पौराणिक कहानियों में शूर्पणखा का नाम भी शामिल है. इस लिस्ट कई और भी नाम शामिल हैं. लेकिन, ये विलेन्स कुछ ऐसी हैं जो आज भी अपने छल और क्रूरता के लिए जानी जाती हैं.
अगर आप भी ऐसे ही कुछ नाम जानते हैं तो हमारे साथ 'कमेंटबॉक्स' में जरूर शेयर करें.
Web Title: Lady Villains Of Hindu Mythology, Hindi Article
Feature Image Credit: i.ytimg