Barack Obama Tenure Analysis in Hindi, Family Values (Pic Credit: Wikipedia)
बराक ओबामा आठ साल वाइट हाउस में रहने के बाद विदा हो चुके हैं, किन्तु उनके सफल कार्यकाल ने कई सुनहरी यादें छोड़ी हैं. खासकर भारत के सन्दर्भ में ओबामा बेहद मुलायम रहे, तो दुनिया के दो सफल और बड़े लोकतान्त्रिक देशों को ‘और’ करीब लाने में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही. इसके अतिरिक्त, अमेरिका की वैश्विक नीतियों में भी ओबामा की स्पष्ट छाप दिखी, तो मिशेल ओबामा और बेटियों के साथ अक्सर नज़र आ जाने वाली उनकी खिलखिलाहट ने उनकी प्रतिष्ठा में चार चाँद लगा दिए. आइये देखते हैं, याद रहने की कसौटी पर ओबामा कार्यकाल की कौन सी बातें प्रभावित करती हैं:
तेरी मेरी यारी (भारत-अमेरिका सम्बन्ध)
भारतवासियों के लिए यह बेहद नया अनुभव था कि अमेरिका के राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में कई बार इंडिया का चक्कर लगा रहे थे. बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों में अमेरिका और भारत दोनों को एक-दूसरे की सख्त जरूरत है और बराक ओबामा ने इसे काफी संजीदगी से लिया. प्रधानमंत्री मोदी और बराक ओबामा के बीच संबंधों का दोनों देशों को फायदा हुआ. दोनों देशों के संबंधों में गर्मजोशी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक ओर पीएम मोदी ने जहां अमेरिकी कॉन्ग्रेस के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित किया, वहीं बराक ओबामा भारत में गणतंत्र दिवस परेड के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.
ओबामा के कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिका के बीच 74.22 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ जो पिछले दस सालों की तुलना में पांच गुना ज्यादा है. इतना ही नहीं, इस दौरान भारत से अमेरिका जाने के लिए 11 लाख वीजा जारी हुए, तो 12 लाख अमेरिकियों ने भारत भ्रमण किया, जो अब तक एक रिकॉर्ड है.
दोनों देशों की यारी की कहानी इतनी ही नहीं है, बल्कि अमेरिका में भारतीय छात्रों का रिकॉर्ड एडमिशन, रक्षा सौदे, तकनीक, एफडीआई, व्यापार और नौकरी जैसे मुद्दों पर दोनों देशों ने मिलकर काम किया. थोड़ा खुलकर कहा जाए तो बराक ओबामा ने भारत-अमेरिका संबंधों को द्विपक्षीय दायरे से निकालकर वैश्विक प्रभाव छोड़ने की हद तक आगे बढ़ाया, जिससे चीन को खासी तकलीफ हुई.
Barack Obama Tenure Analysis in Hindi (Pic Credit: NDTV)
आतंकवाद पर कसी लगाम
अगर राष्ट्रपति ओबामा की क्रमवार उपलब्धियों को देखें, तो नाइन इलेवन (9/11) वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमले का प्रमुख सरगना, अलकायदा आतंकी ओसामा बिन लादेन इनके कार्यकाल में मार गिराया गया. अगर इस्लामिक स्टेट सहित अलकायदा के आतंकी अपने तमाम प्रयासों के बावजूद अमेरिका में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं कर सके, तो इसे ओबामा की सधी हुई रणनीति माना जा सकता है.
हालाँकि, सीरिया मामले में रूस से जो विवाद हुआ, कहीं ना कहीं उसने लोगों को उलझन में जरूर डाला. इसी तरह आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को कड़े ढंग से संदेश देने में थोड़ी कोताही जरूर की गई, पर वैश्विक राजनीति की तमाम मजबूरियां होती हैं! वैसे हक्कानी नेटवर्क से लेकर आतंकवाद पर पाकिस्तान को बराबर फटकार पड़ती रही, तो अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी गयी आर्थिक मदद पर भी कई बार तलवार लटकी.
दिलचस्प यह भी है कि आतंकवाद पर कड़ा रूख अपनाने के साथ बराक ओबामा ने सैन्य खर्च में भी कटौती की. विश्लेषकों के अनुसार युद्ध क्षेत्र में अमेरिका के सबसे कम सैनिक ओबामा के कार्यकाल में मौजूद रहे हैं.
क्यूबा और ईरान से रिश्ते में सुधार
अमेरिका-क्यूबा रिश्ते में जो सुधार आया है, वह बेहद महत्वपूर्ण है. गौरतलब है कि साठ के दशक के दौरान ही अमेरिका-क्यूबा के रिश्ते में भारी तनाव आ गया था, किंतु हवाना में 54 साल से बंद अमेरिकी दूतावास को अब खोल दिया गया है. इसी तरह, ईरान न्यूक्लियर डील को भी ओबामा प्रशासन की महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया जा रहा है. हालांकि इस मामले में इसराइल जैसा अमेरिकी दोस्त कहीं ना कहीं ओबामा प्रशासन से चिढ़ा भी, किंतु बराक ओबामा ने इसकी परवाह किए बगैर इस मामले में दूर का देखना ही बेहतर समझा.
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सार्थक पहल
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अगर देखा जाए तो राष्ट्रपति ओबामा के कार्यकाल में बजट घाटे को 1.4 ट्रिलियन डालर से 430 बिलियन डालर तक कम किया गया. गौरतलब है कि 2007 के बाद यह घाटा अपने न्यूनतम स्तर पर है. ऐसे ही, नौकरियों की बात की जाए तो, साल 2000 में अमेरिका की बेरोजगारी दर 10.1% थी जो 2016 तक 4.99% पर आ गई. कहा जा रहा है कि ओबामा ने जॉब सेक्टर में पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
एलजीबीटी को कानूनी मान्यता
ओबामा के कार्यकाल में ही अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सेम सेक्स-कपल्स को भी शादी करने का हक है. अब 50 अमेरिकी राज्यों में सेम सेक्स मैरिज को कानूनी वैधता मिली हुई है. इसे नागरिक अधिकारों में एक बड़े कदम के रूप में देखा गया तो जिस दिन इसका आदेश सुप्रीम कोर्ट से आया, उस दिन वाइट हाउस सतरंगी रंगों में रंग गया था.
ओबामा हेल्थ केयर
राष्ट्रपति ओबामा की ‘ओबामा हेल्थ केयर’ भी काफी चर्चित रहा है. हालांकि इस नीति का कई जगहों पर रिपब्लिकन्स द्वारा विरोध भी हुआ है, लेकिन सच यह है कि 2 करोड़ अमेरिकी इस हेल्थ कानून का लाभ उठा रहे हैं. अमेरिका में पहली बार है कि गैर बीमा प्राप्त आबादी की तादाद 10 प्रतिशत से कम हुई हो! हालाँकि, राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालने के तुरंत बाद इस कानून में कटौती करने के निर्णय पर डॉनल्ड ट्रम्प हस्ताक्षर कर चुके हैं. शायद इस कानून के बदले कोई और वैकल्पिक व्यवस्था डॉनल्ड ट्रम्प पेश करें!
Barack Obama Tenure Analysis in Hindi (Pic Credit: BBCHindi.com)
आम जनमानस से जुड़ाव और मिशेल ओबामा का योगदान
बराक ओबामा के व्यक्तित्व का जो पहलु और भी रोमांचक रहा है, वह उनकी ‘पारिवारिक छवि’ रही है.
मिशेल ओबामा और अपनी बेटियों साशा और मालिया के साथ वह एक परफेक्ट व्यक्तित्व नज़र आये, जो पारिवारिक मूल्यों पर भरोसा करता है.
लोगों से जुड़ाव के क्रम में, ओबामा कभी आम इंसान की तरह भावनाओं में बहकर रो देते हैं, जैसा कि गन कल्चर की वजह से कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर बराक ओबामा ने सार्वजनिक रूप से अपना दुःख जाहिर किया. इसी तरह विभिन्न देशों में जाकर वह वहां की परम्पराओं में घुलमिल गए. ऐसे में वह कहीं ठुमके लगाते नज़र आए तो कहीं आम लोगों से हाथ मिलाते! मिशेल ओबामा ने बराक की छवि के इस पहलु पर सार्थक ढंग से साथ दिया, जिसका सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा. बहुत धीर-गंभीर और भारी चेहरा बनाने वाले राष्ट्र-प्रमुखों से उलट बराक ओबामा कई मौकों पर खिलखिलाते नजर आए तो ऐसे में, आम जनमानस में बेहद आसानी से घुल मिल जाने वाले राष्ट्रपति के तौर पर वह निश्चित रूप से याद किए जाने वाले हैं.
इसके अतिरिक्त, बराक ओबामा पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने जो जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने के बाद मारने वाले लोगों की समाधि पर पुष्प चढाने गए. परमाणु खतरों से घिरी दुनिया के लिए यह एक सीख हो सकती है. ऐसे ही, दक्षिणी चीन सागर पर बराक ओबामा सख्त रूख अपनाते नज़र आए तो अंतरराष्ट्रीय अदालत ने चीन के खिलाफ फैसला भी दिया. हालाँकि, चीन इस पर अड़ा हुआ है और वर्तमान राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प को इस बाबत कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
कुल मिलाकर ओबामा ने राष्ट्रपति के तौर पर एक बेंचमार्क स्थापित किया है. न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में भारत की एंट्री के लिए अमेरिका ने सीमा से बाहर जाकर लाइजनिंग करने की कोशिश की है और इसके लिए चीन पर निशाना भी साधा है. जाहिर तौर पर इन कदमों का सकारात्मक प्रभाव निकट भविष्य में आएगा ही.
उम्मीद की जानी चाहिए कि नए राष्ट्रपति के तौर पर डोनॉल्ड ट्रम्प बराक ओबामा की सार्थक योजनाओं पर कैंची चलाने की बजाय ‘उपयोगिता के पहलुओं’ पर ज्यादा गौर करेंगे. इस राह से अमेरिका की महानता बनी भी रहेगी और बढ़ेगी भी, इस बात में दो राय नहीं!
Web Title: Barack Obama Tenure Analysis in Hindi
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