मीडिया के बड़े-बड़े घराने हों या उनके न्यूज केबिन में बैठकर बहस करने वाले बुद्धिजीवि, एक हफ्ते से भारत की राजनीति मोदी से हटकर योगी के इर्द-गिर्द घूम रही है.. एक ही हफ्ते में ऐसे-ऐसे रहस्य उजागर हुए हैं कि लगता है कि नासा के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को अपनी नौकरी छोड़कर किसी न्यूज चैनल में नौकरी कर लेनी चाहिए.
अब जरा ध्यान से देखिए न, दिन-रात एक से बढ़कर एक समाचार बताए जा रहे हैं… जैसे कि
“योगी तीन बजे उठते हैं. उठते ही पहले पाँव जमीन पर रखते हैं… फिर योगी इस मन्दिर में एक घण्टा दुर्गा जी का पाठ करते हैं. फिर पूजा करने के बाद इस मन्दिर से नब्बे डिग्री सीधा घूमते हैं. फिर पचास डिग्री उल्टा घूमकर गौशाला में जातें हैं. वहां सीता, पार्वती और सावित्री नामक गौ माता को चारा खिलाते हैं.. अभी हमारे रिपोर्टर फून्नू लाल और कैमरा मैन चुन्नू लाल गायों से एक्सक्लूसिव बातें करेंगे. अभी आप साफ़-साफ़ देख रहे हैं कि गाय माता पगुरा रही हैं. अभी हम उनसे पूछेंगे कि “योगी जी आपको पेट भर खाना देते हैं कि भूखे ही रखते हैं”..? तब तक आप कहीं टीवी छोड़कर जाएं नहीं., बने रहे हैं हमारे साथ… इस कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता हैं.. फलाना अंडरवियर..
लीजिये साहेब दूसरा न्यूज चैनल में भी वही साज वही आवाज.. वही ढपली वही राग… यहां कैमरा मैन बेचन जी के साथ मैं रिपोटर चिचोहन कुमार योगी जी के दर्जी से बात कर रहे हैं…”तो बताइये आप जब भगवा सिलते हैं.. तो उसके साथ किस रंग का धागा प्रयोग करते हैं.. अच्छा-अच्छा… हमारे दर्शकों को ये बताएं कि वो धागा कहाँ से मंगाते हैं.. कैराना से या मुजफ्फरनगर से? दर्जी बेचारा मन ही मन गरियाता है… “भगबे की ना रे *****.”
लेते हैं एक छोटा सा ब्रेक और थोड़ी ही देर में देश के नम्बर एक न्यूज चैनल Abcd न्यूज पर योगी का रसोइया मुख्तार हमारे साथ होगा… तो ये बताइये मुख़्तार जी आपका नाम मुख्तार किसने रखा..? आपके माँ-बाप ने या आपकी गर्लफ्रेंड ने.. ओ.. अच्छा ये बताएं आप आटे को किस तरह गूँथतें हैं… कम्युनल तरीके से या सेक्युलर तरीके से.. अच्छा आखिरी सवाल आपका नाम मुख्तार है. आप हिन्दू हैं या मुसलमान..?
ओफ़्फ़.. ! तब तक एक कथित सबसे तेज चैनल पर एक नया प्रोग्राम.. “भारत का सेक्युलर योगी.. प्रस्तुत कर्ता चिलाना शिलाजीत.”
कुछ ही देर में कभी योगी को कट्टर बताने वाले आडियो-वीडियो क्लीप दिखाकर काम चलाने वाली मीडिया ये बताने लगी है कि योगी जिस मन्दिर के महंत हैं वो तो हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव का प्रतीक है.. उनके पत्रकार एक मदरसे में इंटरव्यू कर रहे.. एक मौलाना जी बता रहे कि एक बार मस्जिद में आग लगी तो गोरखनाथ मन्दिर से आग बुझाने का पानी महराज जी ने भेजा. मस्जिद की जमीन एक आदमी ने हड़प ली. महराज जी खड़े हुए तब वो अवैध कब्जा हटा.
इधर फरियादीयों की भीड़ जमा जमा है.. गोरखनाथ मन्दिर प्रांगण के मुसलमान दुकानदारों का इंटरव्यू हो रहा. बाकी दूकानदार टुकुर-टुकर मुंह ताककर सोच रहे..हाय! अल्लाह हम मुसलमां न हुए… तभी एक रिपोटर ने एक रोती हुई मुस्लिम महिला के मुंह में माइक लगा दिया.. तो आप यहाँ आई हैं क्या आपको इन्साफ मिल जाएगा.. वो रोते हुए बताती हैं… हाँ.. पता चला कि उनको खेत में किसी नईम की करीम ने पीट दिया .. चार दिन से थाने के चक्कर काट रही लेकिन पुलिस है कि रिपोर्ट ही नही लिख रही.. पत्रकार चिलाना जी बता रहे..”आप देख रहे हैं कि योगी के प्रति सबकी आँखों में एक अजीब किस्म की श्रद्धा और विश्वास है..”
इ सब का हो रहा इयार…एकदम्मे उल्टा..बाबा तो अइसन नहीं हैं..तब तक और न्यूज चैनल पर रहस्य उजागर हुआ जी लीजिये 5 साल से बाबा का कैशियर एक मुसलमान ही था..अरे ! ये कैसे हो गया..ये बबवा तो पाकिस्तान भेजने की बात करता था..
Disguised Intellectualism and Journalism, PM Modi, CM Yogi (Pic: bhaskar.com)
दर्शकों हम आपको बताएंगे कि मुहम्मद यासीन बीस सालों से इस मन्दिर में हैं और बाबा के सबसे विश्वसनीय हैं. आजकल मन्दिर के भवन निर्माण की जिम्मेदारी सौंप दी गयी है.. वो मन्दिर के गर्भ गृह में भी चले जातें हैं…हाय! ये तो उनके कट्टर भक्तों को भी नही पता था कि ये योगी बाबा इस किस्म के सेक्युलर हैं… खैर..
लीजिये तब तक एक बहुत क्रान्तिकारी चैनल पर समाचार की बरखा हो रही है.. हिन्दुस्तान के इतिहास में पहली बार टुंडे कबाब बन्द होने से आया भूकम्प.. इस दुखद घड़ी में भूख से लोग बिलबिला रहे.. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी धड़ाम.. सोना दस हजार और चाँदी पन्द्रह हजार सस्ता..
बस,बस,बस जान बख्स दो यार.
मेरे पत्रकार मित्र मुझे माफ करें..लेकिन मैं कई बार सोचता हूँ क्या ये बहुत बड़ी न्यूज है.? आप कैसे पत्रकार हैं कि उसी गोरखपुर में रहकर आपने ये न्यूज आज तक नहीं बताई .. कहीं ये उगते सूरज को सलाम करने वाली परम्परा तो नहीं है… आखिर क्यों योगी के सीएम बनने के बाद एकाएक उनकी अच्छाइयाँ दिखाई देने लगी हैं आपको.. एकाएक उनमें सद्भावना पुरुष दिखने लगा.. जबकि गोरखपुर के सब लोग जानते हैं कि वहां का अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक वर्ग सब योगी की छत्र-छाया में प्रेम से रहता है”
लेकिन क्या कहें.. ये हिन्दुस्तान की मीडिया मण्डी है. पहले वो नफरत बेचती थी. अब सद्भाव बेच रही है.. ये उसकी मार्केटिंग स्ट्रेटजी का हिस्सा है.. उसे पता है कि मण्डी में कब क्या बिकता है.. यहाँ हम टीवी खोलकर बैठे हैं. खरीद रहे हैं..
हिन्दुस्तान की पत्रकारिता का ये निम्न स्तर देखकर मुझे दुःख होता है.. कई बार लगता है कि लोकतन्त्र के इस चौथे खम्भे में दीमक लग रहे क्या? तभी तो ऐसे रहस्य आज निकल के आ रहे हैं… वरना क्या था.. आज जो समाचार बताया जा रहा ये पहले क्यों नहीं बताया गया… पहले जब आप अल्पसंख्यकों के खिलाफ आग उगलते भाषण दिखात थे.. तभी बताते अपने दर्शकों को कि योगी के मन्दिर का कैशियर एक मुसलमान भी है.. योगी को लेकर कोई धारणा न बनाएं… लेकिन नहीं.. आज योगी सीएम नहीं बने होते तो सच नहीं बताया जाता.
इधर हिन्दुस्तान के खाये-अघाये बुद्धिजीवियों का हाल देख लीजिये.. एक विदेस में बैठी महिला बुद्धिजीवि कह रही..
“हूँह ये संघी तो हमेशा से प्रेम के दुश्मन हैं..” मुझे कालेज जाने वाली गीता संगीता और बबिता का चेहरा याद आता है जिसको रोज राह चलते एक आवाज सुनाई दे जाती है…”का हो करेजा देबू ना ?
एक और क्रांतिकारी बेचारे दहाड़े जा रहे..रोए जा रहे. लगता है अब यूपी में विनाश होने वाला है. इनको देखकर लगता है कि बेचारे के ऊपर लोड बढ़ गया है.. पहले मोदी विरोध के लिए तैयारी करनी पड़ती थी. अब आरएसएस वालों ने एक और काम बढ़ा दिया है.. कितने निर्दयी हैं ये संघी… बेचारे कल तक सुबह-साँझ आरएसएस, हिंदुत्व, मोदी, को दो-चार बार गरियाते नहीं थे तब तक उनको चैन नहीं मिलता था.. अब योगी के लिए भी एक्स्ट्रा मेहनत करो..
देख रहा अभी एक बड़े चिंतक ने Tweet किया..
“आरएसएस वालों ने एक तानाशाह भेज दिया..”
तभी एक भक्त ने ने तीर-कमान निकाला और धड़ से मारा… “ओय तेरे माओ-स्टालिन क्या संकटमोचन मन्दिर के पुजारी थे?
क्रांतिकारी जी भड़के. लौंडे को ब्लॉक मारा और अगला स्टेट्स लिखा.. इन संघियों के राज में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता नहीं… बाबा मार्क्स उस लौंडे की आत्मा को शान्ति प्रदान करें..
देख रहा एक बुद्धिजीवि जो भर चुनाव सिर्फ सरकार को कोसते थे. उन्हें राहुल जी से बड़ी उम्मीदें थीं.. वो अब प्रेम की कविताएँ लिखने लगें हैं.. उन्हें लग रहा कि प्रेम पर पहरा बिठाया जा रहा.. कुछ ही महीने पहले उन्होंने लिखा था कि यूपी में उनकी बेटी सुरक्षित नहीं है.
अब उनके नेता वाली सरकार नहीं बनी तो एंटी रोमियो स्क्वायड को गलत बता रहे. आज एक संघी मूर्ख ने बुद्धिजीवि से पूछा. “अपनी लड़की से पूछ लीजिये उसे अब कालेज जाते समय कैसा लग रहा है..” सुना कि बेचारा वो भी ब्लाकित अवस्था को प्राप्त हो गया है..
हम क्या कहें.. इस लॉलीपॉप पत्रकारिता और लेमनचूस बौद्धिकता को देखकर माथा कनफ्यूजिया गया है… समझाया तो मूर्खों को जाता है..समझदारी का सार्टिफिकेट बाँटने वालों को नहीं..
लेकिन अब सही समय है इनको सोचने का.. इस बौद्धिक वर्ग को विचार करने का कि लगातार वैचारिक पराजय के बाद इसी तरह अन्धविरोध जारी रखेंगे या आगे कुछ जमीन पर उतरकर रचनात्मक करेंगे….. सर्जिकल स्ट्राइक हो या नोटबन्दी अमेरिका का चुनाव हो या यूपी का चुनाव क्या वो इसी तरह जनभावना से कटे रहेंगे… और मुंह की खाने के बाद लोकतन्त्र को कोसते हुए अपना वैचारिक लेमनचूस चूसते रहेंगे…?
वहीं विकृत स्वरूप ले रही भारत की मिडिया को भी सोचना है कि वो पत्रकारिता को सुधारेगा.. या ऐसे ही नफरत और प्रेम का होलसेलर बनकर लॉलीपॉप बेचता रहेगा… क्या इस देश में टुंडे कबाब के बन्द होने से ज्यादा ये महत्वपूर्ण नहीं है कि उन अस्पतालों, स्कूलों की न्यूज दिखाया जाए, जो आज कई सालों से बन्द हैं.. उन सड़कों के भ्रष्टाचार के बारे में बताया जाय जो बनने के कुछ ही साल बाद चलने लायक नहीं रही.. कुछ सकारात्मक खबरें दिखाई जाय जिससे कि लोगों को प्रेरणा मिले.. एक ही बार में सच और झूठ को झुठ की तरह बताया जाए ताकी लोग गुमराह न हों..
और भाईयों-बहनों.. पता न ये मिडिया और ये बौद्धिक वर्ग तय करे या न करे आपको और हमको इनके लॉलीपॉप पत्रकारिता और लेमनचूस बौद्धिकता से से सतर्क रहना होगा.. हम इनके कथित संवेदना का खरीदार न बनें… एक पहलू देखें तो दूसरा न भूल जाएं.. कुछ भी मानने से पहले उसे ठीक से जानने का प्रयास करें.. क्योंकि कई सालों से यहाँ सच की प्लास्टिक में झूठ को लपेटकर बड़ी खूबसूरती के साथ बेचा जा रहा है… जमाना बदल गया लेकिन ये लोग न बदले.
निदा फ़ाज़ली के शेर के साथ बात खत्म…
हर आदमी में होते हैं,दस-बीस आदमी
जिसको भी देखना हो कई बार देखना
Disguised Intellectualism and Journalism (Pic: itimes.com)
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