रमेशर काका की वाइफ कलावती काकी इस बार जिद पर अड़ गई थी कि उसे इस गर्मी के सीजन में AC लगवाना ही है… जनवरी बीती नहीं कि वह रमेशर काका को गर्मी की याद दिलाने लगी थीं.
कहती थीं, पिछली दफा भी कूलर पर काम चला दिए थे. इस बार तो आपको AC लगवाना ही पड़ेगा… नहीं लगाएंगे तो देख लीजिएगा…
रमेशर काका कहते थे कि ‘उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह AC लगवाएं और ‘खर्च’ भुगतें… तो कलावती काकी का सीधा और सधा जवाब होता था कि आपके सभी कलीग्स के पास तो AC कहाँ से है, वहीं से मुझे भी चाहिए. पिछले दिनों भाटिया जी के पास गए थे तो मिसेज भाटिया अपने बैडरूम में ले जाकर ताना मार रही थीं कि नया ‘स्प्लिट AC लगवाया है, वह भी KG कंपनी का. इतने का है… इसमें स्टेबलाइजर भी नहीं लगता है, फलाना ढिमाका…
क्या बताऊँ उस वक्त मुझे कैसा लगा… इतना कह कर कलावती काकी ने अपनी आँखों में आंसू ला दिया..
रमेशर काका इस इमोशनल दांव से बड़े परेशान हुए. सोचे कि कैसे लगवा पाएंगे बेचारे…
भाटिया तो फाइल रोककर ‘चढ़ावा’ ले लेता है. मुझे तो यह ढंग पता ही नहीं है.
पर जब उन्होंने पत्नी की आँखों में आंसू देखा तो मन ही मन ठान लिया कुछ करने का.
खैर, ऑफिस में उन्होंने क्या किया यह पता तो नहीं चला, किन्तु अप्रैल आते-आते कलावती काकी को उन्होंने AC खरीदने के लिए हरी झंडी दे दी.
1 अप्रैल को मार्किट नहीं गए रमेशर काका और कलावती काकी, क्योंकि उस दिन उन्हें कोई ‘मूर्ख’ बना सकता था, पर 2 अप्रैल को पहुंच गए एक दुकान पर.
बड़ी दुकान में AC ही AC लगे हुए थे. सेल्समैन उन्हें बताने लगा अलग अलग कंपनियों के AC और उसकी फैसिलिटीज के बारे में.
इसमें नयी टेक्नोलॉजी है, इसमें ड्यूल इन्वर्टर है, इसमें बिजली की कम खपत लगेगी, इसमें इतनी सर्विस फ्री हैं… बला, बला…
रमेशर काका का दिमाग ही फ्यूज हो गया. आखिर कौन सा AC लें, पर कलावती काकी का दिमाग काबू में था. फुसफुसा कर बोलीं, ‘दूसरी दुकान में भी पूछ लेते हैं जी, कहीं यहाँ मामू न बन जाएँ.
रमेशर काका को बात जँच गयी और दूसरी दुकान में पहुंच गए.
वहां का सेल्समैन और तगड़ा था… उसने लगातार 15 मिनट अपनी दुकान, AC और उसकी कंपनी पर लेक्चर दिया. वह तो बोलते-बोलते उसके मुंह से थूक निकल कर कलावती काकी के मुंह पर पड़ गया और वह गुस्सा हो गयीं, तब जाकर उसका लेक्चर बंद हुआ… गुस्से में कलावती काकी ने काका की ओर देखा और दुकान से बाहर निकलने का इशारा किया.
सेल्समैन मनाने की कोशिश करने लगा. AC के ऊपर ऑफर पर ऑफर देने लगा, पर कलावती काकी नहीं मानीं…
पर सेल्समैन भी कम न था.. उसने आखिरी दांव फेंका और अपने बताये अंतिम प्राइज पर डेढ़ हज़ार की अतिरिक्त छूट देने की बात कह डाली.
उसके इस ऑफर पर कलावती काकी झिझकीं जरूर पर रुकी नहीं… रमेशर काका को घसीटते हुए बाहर निकल आईं.
दोनों लोग पहुँच गए तीसरी दुकान पर. वह कई मंजिलों पर फैली हुई दुकान क्या… शॉपिंग मॉल ही था. इलेक्ट्रॉनिक्स शॉपिंग मॉल…
हालाँकि, भागमभाग से रमेशर काका भी अब झुंझला रहे थे.
खैर, इस दुकान में AC पसंद आ गया. वही स्प्लिट वाला…
रमेशर काका ने जल्दी से पेमेंट करा दी, अन्यथा उन्हें न जाने और कितनी दुकानों के चक्कर काटने पड़ते.
काका और काकी बेहद खुश थे कि कूलर में रोज रोज पानी भरने के झंझट से मुक्ति मिली और आज शाम उन्हें AC की चिल्ड हवा में सोने को मिलेगा.
कलावती काकी ने सोचा कि AC में ज्याद ठण्ड लगेगी, तो वह पतला वाला कम्बल निकाल लेंगी, पर एयर कंडीशन का टेम्परेचर कम न करेंगी…
पर उनकी तन्द्रा तब भंग हो गयी, जब दुकान वाले ने कहा कि AC आपको कल मिलेगा.
पर क्यों…
हमारे यहाँ स्टॉक में है नहीं, गो डाउन से सीधे आपके घर पहुँच जायेगा. कल…
वैसे भी लगाने वाला तो कल ही आएगा आपके पास… यह लीजिये रसीद, कल सामान लेकर लड़का आपके पास आ जायेगा तो आप यह पर्ची उसे दे दीजियेगा.
पेमेंट की पक्की रसीद कट चुकी थी, सो रमेशर काका कर भी क्या सकते थे.
कलावती काकी ने टोका कि ‘भैया कल जल्दी भेज देना… दोपहर में गर्मी पड़ रही है, मेरे छोटे छोटे बच्चे हैं’…
जी मैडम आप निश्चिन्त रहें… आपका AC हमारा AC .. मतलब हमारी जिम्मेदारी है.
कल जरूर…
कल क्या हुआ? क्या रमेशर काका का AC समय पर घर पहुंचा?
उसके बाद AC लगाने के लिए किन किन हालातों से गुजरना पड़ा काका दंपत्ति को.
आखिर ठंडी हवा कब मिली मिस्टर एंड कलावती काकी को …
पढ़िए इस ‘व्यंग्य’ के दूसरे भाग में … !! (Click here…)
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