अब तक आपने पढ़ा कि किस तरह रमेशर काका और कलावती काकी ने कई दुकानों का चक्कर लगाने के बाद एयर कंडिशनर का आर्डर दे दिया था. AC अगले दिन डिलीवरी का वादा किया गया था और अगले दिन जैसे से घड़ी की सुइयां आगे निकल रही थीं, वैसे-वैसे काका काकी की धड़कन बढ़ती जा रही थी..
जब 12:00 बजे तो काका से रहा नहीं गया और उन्होंने दुकान को फोन लगा दिया. उधर से जवाब आया कि बंदा लेकर थोड़ी देर में निकलेगा और पहुँच जायेगा. लगे हाथ दुकान वाले ने गो डाउन वाले का लैंडलाइन नंबर भी दे दिया कि अगर दो तीन घंटे में आपका AC नहीं पहुंचे, तो उस नम्बर पर कॉल कर लें. इंतजार में दिन बीतता गया और तीन बजने पर रमेशर काका ने फोन लगाया, पर उधर से फोन क्यों उठे. फोन पर फोन… फोन पर फोन… पर नहीं उठा फोन!
काका को यकीन हो गया कि ऑफिस से छुट्टी लेना बेकार गया है.
तभी दरवाजे की घंटी बजी और काकी ने झट से दरवाजा खोला. सामने मजदूर कंधे पर AC के दो पार्ट उठाए खड़े थे. काका अपना दुखड़ा भूल गए और सोचा, चलो AC तो घर आया.
अब जल्दी से AC लगा भी दो आप लोग, ताकि रात को…
हम AC लगाते नहीं हैं, उसके लिए कंपनी से मेकेनिक आएगा जी… उन में से एक बोला.
अब कब आएगा, शाम के 5 तो बज गए हैं?
ये आप खुद फोन कर लो जी, हमें ‘बख्शीश’ दीजिये, चलते हैं.
कैसी ‘बख्शीश’?
पर वह रोनी सी सूरत बनाने लगे तो काका ने 50 रूपये का नोट निकाल दिया.
इतने में हम तीनों का क्या होगा? कम से कम 100 तो दीजिये…
गुस्सा तो बहुत आया काका को, पर जाने क्या सोचकर 10 रूपये की नोट और निकालकर बढ़ा दिया और कड़े स्वर में बोले ‘अब निकलो यहाँ से’… एक तो इतनी देरी कर दी…
दोनों भुनभुनाते हुए निकल गए.
“जाने दीजिये ना, क्यों गुस्सा करते हैं… AC तो आ गया न” काकी बोलीं.
हाँ, पर लगता है आज लग नहीं पायेगा… शाम हो गयी है.
थक हारकर दुकान में रमेशर काका ने फोन लगाया, पर बेल बजती रही और फोन उठा नहीं.
काका और काकी की रात कैसे कटी, यह तो वही जानते होंगे पर वह आश्वस्त थे कि कल तो AC लग ही जायेगा, जब आ गया है तो..
अगले दिन काका अलर्ट थे और जिस दुकान से AC लिया था, सुबह-सुबह वहां पहुँच गए. दुकान अभी खुली नहीं थी… दस बजे उस दुकान का शटर उठा तो आधे घंटे वहां साफ़-सफाई में लग गए. आधे घंटे बाद वहां का मैनेजर आया तो उसे देखते ही रमेशर काका गुस्सा हो गए…
अरे सर बैठिये तो… क्या बात है, बताइये प्लीज. अच्छा AC नहीं लगा कल… सर 48 घंटे लगते हैं.
आज बन्दा शाम तक आपके पास पहुँच जायेगा. आप निश्चिन्त रहें.
आज काका छुट्टी नहीं ले सकते थे, पर ऑफिस पहुँचते पहुँचते उन्हें 12 बज ही गए. ऑफिस में सब लोग उन्हें ही घूर रहे थे, क्योंकि संभवतः वह पहली बार लेट हुए थे. ऊपर से पिछले दिन अनुपस्थित भी थे.
खैर, अपनी सीट पर बैठते ही रमेशर काका ने काकी को फोन लगाया कि AC लगाने वाला आया कि नहीं?
नहीं… उधर से जवाब आया!
लंच बीत गया और AC वाले का अता पता न था.. 3 बजे फिर दुकान पर फोन लगाया काका ने… तो उधर से रटा रटाया जवाब मिला कि ‘देर शाम तक बन्दा आपके पास पहुँच जाना चाहिए’… आप निश्चिन्त रहें…
इस ‘निश्चिन्त रहें’ की शब्दावली को काका का धैर्य पार कर चुका था, पर वह कर भी क्या सकते थे.
काका की परेशानी को देर से नोटिश कर रहे भाटिया साहब ने जब उनसे कारण पूछा तो वह रूआंसे हो गए और यथास्थिति बता डाली.
भाटिया साहब को दया आ गयी और उसने काका को याद दिला डाला कि क्यों न वह सीधे KG कंपनी के कस्टमर केयर पर ही फोन करें… उनकी सर्विस बेहद अच्छी है.
अरे हाँ, मुझे याद कैसे नहीं आया… काका को जैसे अचानक याद आ गया.
खैर, देर आयद दुरुस्त आयद.
फटाफट कम्प्यूटर जी ने 1800 … सीरीज का नम्बर दे दिया और झटपट KG कंपनी में कम्प्लेन रजिस्टर हो गयी. तुरंत काका के मोबाइल पर मेसेज भी आ गया कि आपकी शिकायत दर्ज हो गयी है और उसके निवारण हेतु आपके क्षेत्र की अमुक सर्विस सेंटर का बन्दा 48 घंटे के भीतर उपस्थित होगा.
फिर 48 घंटे…
अरे जल्दी हो जायेगा, ये तो सिर्फ एक नम्बर है, कल तक ये काम कर देंगे तुम्हारा.
मतलब आज भी AC नहीं लगेगा?
हो सकता है आज लगा भी दें… भाटिया साहब ने उम्मीद व्यक्त की.
पर काकी फोन पर ‘नहीं आया’ नहीं आया कहती रहीं और ऑफिस की छुट्टी भी हो गयी.
घर जाते ही काकी रमेशर काका पर बिगड़ गयीं कि ‘कैसा AC ले लिया है, मैं तो पहले ही कह रही थी कि दूसरा वाला लेते हैं…
तुमने कब कहा था… काका आश्चर्य से बोले.
जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं, सठिया रहे हो… इसलिए कुछ ठीक से सुनाई दे तब न!
काका समझ गए कि काकी से इस वक्त उलझने का वक्त नहीं है. बोले, चिंता न करो कलावती… सीधे कंपनी वालों को कम्प्लेन कर दी है, कल पक्का लगा देंगे… तुम चिंता न करो…
काकी ने भी थोड़ी देर बड़बड़ की और शांत होकर अगले दिन का इन्तजार होने लगा.
घड़ी की सुइयां अगले दिन भी रफ़्तार से चलती रहीं और 12 बज गए. KG कंपनी के कस्टमर केयर पर फोन लगाने पर वहां से 48 घंटे का जवाब आया. दुकान पर फोन लगाने पर वहां का फोन उठ ही नहीं रहा था. काका परेशान हो गए और उन्होंने हॉफ टाइम से छुट्टी ले ली और जहाँ से AC परचेज किया था, उस दुकान पर फिर पहुंचे.
उनको देखते ही मैनेजर ने मासूम सी सूरत बनाते हुए आश्चर्य से कहा कि
“अभी आपका AC लगा नहीं क्या ?”
काका भड़क गए और….
क्या किया काका ने AC की दुकान में?
कैसे इनस्टॉल हुआ काका का AC?
KG कंपनी के कस्टमर केयर वालों की कम्प्लेन का क्या हुआ? कैसी परिस्थितियां उत्पन्न हुईं… जानने के लिए पढ़ें इस व्यंग्य-कथा का अंतिम भाग… (Click here)
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