अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे KG कंपनी का AC लेकर रमेशर काका और कलावती काकी परेशान हो रहे थे, क्योंकि कई दिन गुजर जाने के बाद भी AC इनस्टॉल नहीं हो रही थी.
अब आगे पढ़ें…
काका भड़क गए और… बोले
यार जब तुम लोग ठीक से सर्विस नहीं देते तो सामान बेचते ही क्यों हो?
सर बैठिये तो… प्लीज सर शांत हो जाइये… अभी मैं पूछता हूँ ‘दिक्कत क्या है’?
काका कुछ और बोलते, उससे पहले ही मैनेजर ने फोन लगा दिया और चिल्लाने का अभिनय करने लगा.
हम सेल करते हैं तुम्हारी KG कंपनी का AC और तुम लोग परेशान करते हो, अब KG कंपनी का कोई भी सामान हम बेचेंगे ही नहीं.
बीच बीच में वह काका की तरफ देख ले रहा था…
फोन रखकर उसने बोला- सर, यह पीक सीजन है, इसलिए इतनी देरी हो रही है.
आपने गलत समय पर AC ही लिया है. अगर आप दिसंबर या जनवरी में AC लेते तो बिलकुल समय पर लग जाता.
भड़कते हुए काका बोले… दिसंबर और जनवरी में चिलचिलाती ठण्ड पड़ती है, उस समय AC लेकर मैं क्या करता?
सर आप गुस्सा मत होइए, मैं तो सिंपल बता रहा था आपको…
मैनेजर थोड़ा बिंदास होने लगा.
भाड़ में गया आपका बताना. आप अपना AC वापस ले लो और मेरे पैसे रिटर्न कर दो..
काका ने दांव फेंक दिया.
इतना कहना था कि मैनेजर के तेवर बदल गए और गिड़गिड़ाते हुए उसने बोला कि कल किसी भी हाल में आपके घर बंदा पहुँच जायेगा, मेरी गारंटी है… आप मेरे बड़े भाई समान हैं, आप का गुस्सा जायज़ है, पर अपने छोटे भाई को 1 दिन का समय दे दीजिये.
नहीं, मुझे AC वापस करनी है, प्रोसीजर बताओ मुझे. काका ने नहले पर दहला मारा…
सर उसमें हफ़्तों टाइम लग जायेगा. इस स्टोर का हेड ऑफिस मुंबई है, वहां से रिटर्न का चेक आने में समय लग जायेगा और सर आप नेगेटिव क्यों सोचते हो… कल फाइनल आपका AC लग जायेगा.
हफ़्तों की बात सुनकर काका थोड़े ढीले हुए और बोले… कल पक्का लग जायेगा न?
सर अपनी कसम, शाम का समय है… रोजी-रोटी की कसम खा कर कहता हूँ ‘कल हर हाल में लग जायेगा’
उसकी बातों में इस बार आत्मविश्वास झलक रहा था और अगले दिन सच में 10 बजे किसी मेकेनिक का फोन काका के फोन पर आ गया.
उधर से पहले नाम, पता और अड्रेस कन्फर्म किया और बोला कि 1 बजे तक पहुँच जाऊंगा आपके पास.
भाई और जल्दी आ जाओ ना…
सर, एक AC कहीं और इनस्टॉल करनी है, फिर आपके यहाँ सीधे आऊंगा.
खैर, आज काका रूक नहीं सकते थे, इसलिए पास में ही रहने वाले अपने भतीजे ‘नीलू’ को फोन करके आने को बोल दिया और खुद ऑफिस निकल गए.
ऑफिस से ठीक 1 बजे जब घर फोन लगाया तो पता चला अभी बंदा आया नहीं है. फिर आधे घंटे बाद फोन किया तो फिर भी नदारद…
अब तो काका का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने सीधे उस मेकेनिक को फोन लगा डाला, जो उनकी रिसीव कॉल की लिस्ट में था.
उधर से जवाब आया कि मैं नहीं आ रहा हूँ जी… कंपनी ने मुझे कहीं और जाने को कहा है.
फिर कौन आएगा?
कोई दूसरा आएगा…
फोन पर ही काका गिड़गिड़ाने लगे, प्लीज आकर लगा दो यार… कई दिन से परेशान हूँ.
पर उधर से फोन कट कर दिया गया.
तब तक ऑफिस का लंच हो गया था और भाटिया जी पर काका बरस पड़े. कहा…
आप तो कहते थे कि KG कंपनी की सर्विस बहुत बढ़िया होती है. फिर यह क्या है?
भाटिया जी आश्चर्य से बोले, अभी AC नहीं लगा क्या?
नहीं!
फिर लंच कौन करता. KG कंपनी के कस्टमर केयर पर फोन लगाया गया और कस्टमर एक्सिक्यूटिव से लेकर उसके टीम लीडर की ढंग से आरती उतारी गई और विधिवत धमकी दी गयी ‘कंज्यूमर कोर्ट’ जाने की.
उधर से किसी और को लाइन पर लिया गया और बताया गया कि पीक सीजन में AC लेने से रश मचा हुआ है.
गोया, सीजन में AC लेकर रमेशर काका ने कोई बहुत बड़ी गलती कर दी थी.
खैर, अगले दिन का इंतजार होने लगा.
शाम को काका के भतीजे नीलू का फोन आया कि अभी तक कोई घर पर आया नहीं AC लगाने…
हाँ, हाँ पता है. काका फोन पर ही झुंझला उठे.
रात को काफी देर से घर पर पहुंचे काका, ताकि सोने का समय हो जाए, अन्यथा घर में AC लगा या नहीं लगा, पर महाभारत जरूर दिख जाता.
काकी भी उस दिन कुछ बोली नहीं, खाना पटक कर सोने चली गयीं… पर नींद किसे आती थी.
सोच रही थीं, खामखा चालीस हज़ार पैसा भी लगा और… इससे बढ़िया तो कूलर ही था. कल वह कूलर की नयी घास मंगा लेंगी और…
सुबह उनके पास नीलू आ गया और चाचा को चिंता नहीं करने को बोला और कहा कि आज किसी भी हाल में AC लग जाएगी, आप ऑफिस जाएँ.
ठीक 11 बजे नीलू ने अपने दो तीन दोस्तों को बुलाया और AC की दुकान पर पहुँच गया.
पहले तो नीलू को मैनेजर ने पहचाना नहीं पर जब उसने तेवर के साथ बिल दिखाया तो मैनेजर समझ गया कि हंगामा कटेगा.
पर नीलू काफी कूल था और उसने बोला कि आज सुबह से शाम तक इसी दुकान पर बैठा रहूंगा, जब तक काका की AC नहीं लग जाती.
उसके साथ के दोस्त गरम हो रहे थे, तो नीलू ने समझाया कि रिलैक्स रहो यार. आज यह लगवायेगा हर हाल में…
वही हुआ, काका के घर पर ठीक 1 बजे मेकेनिक पहुँच गया. काकी ने जब नीलू से बात की और कन्फर्म किया तो उसके दोस्त मुस्कराते हुए दुकान से निकले.
इससे पहले दुकानदार ने KG कंपनी के सीनियर, जूनियर और न जाने किसका किसका नंबर नीलू को दे दिया था.
घर पर पहुंचकर जब नीलू ने देखा कि ड्रिल मशीन चल रही थी तो वह काकी को प्रणाम करके चला गया.
पर काका, काकी की किस्मत भी तो कुछ ऐसी ही थी.
हुआ यूं कि उनके घर के अंदर कमरे में स्प्लिट AC की इंटरनल वायरिंग हुई थी और उसकी पाइप बाहरी हिस्से में टूटी हुई थी.
मेकेनिक ने बोला कि आपका काम तो हो जायेगा, पर आज नहीं. क्योंकि मेटल पाइप जोड़ने के लिए मुझे वेल्डिंग मशीन लानी पड़ेगी. कल काम हो जायेगा आपका.
अब काकी क्या बोलतीं, प्रॉब्लम जेन्युइन थी.
कल कब तक आओगे भैया आप?
सुबह सुबह पहले आपका ही काम करूंगा, फिर कहीं और जाऊंगा.
काकी उस मेकेनिक की खुशामद कर रही थीं, ताकि अगले दिन वह आ जाए.
अगले दिन फिर मुसीबत हुई, जब दोपहर तक कोई बन्दा नहीं आया.
इस बार काकी ने सीधा नीलू को फोन किया.
नीलू ने KG कंपनी के सर्विस हेड से बात की तो उन्होंने वेल्डिंग मशीन का रोना रोया कि वह उनके पास नहीं है और जुगाड़ करके शाम तक किसी को भेजने की पूरी कोशिश करेंगे, नहीं तो कल पक्का बंदा पहुँच जायेगा.
खैर, उस पूरे दिन बन्दा नहीं आया.
अगले दिन 11 बजे कोई और मेकेनिक आया पर उसके पास भी वेल्डिंग मशीन नहीं थी. शायद कंपनी वालों ने प्रेसर होने की वजह से उसे भेज तो दिया था, पर वेल्डिंग मशीन के बिना ही.
वह जाने लगा तो काकी ने बोला कि भैया चाय तो पी लो, तुम्हारे लिए ही बनायी है.
… और इस बीच दूसरे कमरे से काकी ने नीलू को फोन कर दिया.
अगले पांच मिनट में नीलू हाजिर था और आते ही उसने बोला कि भाई ‘तू कहीं नहीं जायेगा’… जब तक AC नहीं लगेगी तू कहीं नहीं जायेगा.
ऐसे कैसे भाई जी… ?
ऐसे ही, अपने सीनियर्स को फोन लगाकर बोल दे कि तुझे जाने नहीं दे रहे हैं.
मेकेनिक नीलू के तेवर देखकर समझ गया कि अब सच में कुछ होने वाला नहीं है. तो उसने अपने सुपरवाइजर को फोन लगा कर मामला समझाया.
उधर से काका के पास फोन आने लगे कि उनके भतीजे ने मेकेनिक को घर पर रोक लिया है. चूंकि, काका का नम्बर ही कंपनी में रजिस्टर्ड था.
काका भी पूरे फॉर्म में आ गए और उन्हें खूब बढ़िया से फोन करने वालों को असामाजिक मन्त्र सुनाया.
फिर काका ने अर्जेन्ट में हाफ टाइम छुट्टी ली और घंटे भर में घर पहुँच गए.
तब तक पूरे KG के रीजनल ऑफिस में हलचल मच गयी थी और फोन पर फोन बज रहे थे.
पर काका पिछले सात आठ दिनों में पक गए थे और इस बार उनके हाथ बड़ा हथियार लग गया था.
ठीक से दो घंटे भी नहीं बीते होंगे कि घर की घंटी बजी और बाहर वेल्डिंग सिलिंडर लेकर बन्दा खड़ा था.
और… और…
रमेशर काका और कलावती काकी का AC लग चुका था.
पर कैसे लगा… यह किसी को बताइयेगा नहीं आप. नहीं तो फिर AC पर से लोगों का भरोसा उठने लगेगा. ही ही ही 🙂 🙂
Web Title: Air Conditioner Shopping of Rameshar Kaka, Kalawati Kaki, Part 3
Keywords: व्यंग्य, व्यंग्य कथा, हंसी मजाक, खरीददारी व्यंग्य, Shopping Satire, FMCG Products, Indian Market, Sales and Service, Experienced Satire, Family Satire, AC Shopping Experience
Featured image credit / Facebook open graph: brandsdisplay