चुनावी भागमभाग और राजनीतिक आपाधापी के बीच बच्चा भैय्या इस बार किसी बड़ी पर्सनालिटी का इंटरव्यू लेने को उतावले थे. चूंकि, पीएम मोदी ‘विकास’ को बड़ा करने में लगे हुए हैं इसलिए उनके इंटरव्यू के बारे में सोचना ही दायरे से बाहर है. हालाँकि, पीएम और वह भी मोदी जैसे पीएम का इंटरव्यू लेना अपने आप में फायदेमंद है, किस्मत चमक सकती है. अब देखिये ना… अर्नब गोस्वामी… अरे वही ‘नेशन वांट्स टू नो’ वाले अर्नब… उन्होंने पीएम मोदी का बिना चिल्लाये इंटरव्यू क्या लिया कि उनका नया चैनल लांच की दहलीज पर खड़ा है.
पर पीएम का इंटरव्यू लेना तो मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा है, वह भी बच्चा भैय्या जैसे बदतमीज पत्रकार द्वारा… वैसे भी हर जगह पिटते पिटते बचते हैं. कहीं गोरक्षक नाराज हो गए तो पीट-पीट कर… पीट-पीट कर…
खैर, छोड़िये, कहाँ मुद्दे से भटक गए. तो फिर बच्चा भैय्या की उलझन समाप्त हुई राष्ट्रपति का इंटरव्यू लेने पर… न.. न… भावी राष्ट्रपतियों का इंटरव्यू लेने पर.वैसे भी वर्तमान महामहिम तो रिटायर होने वाले हैं, तो उनका ले दे के क्या फायदा. हाँ, जो आने वाले हैं… उनके बारे में ‘नेशन वांट्स टू नो’… पर असली चिंता थी कि भावी राष्ट्रपति तो कई हैं… किसका-किसका इंटरव्यू लेंगे वह?
चिंता जायज़ थी बच्चा भैय्या की. आखिर, लाल कृष्ण आडवाणी से लेकर मुरली मनोहर जोशी और जो पहले कभी सुना तक नहीं गया, वह खबर भी उड़ी कि संघ प्रमुख मोहन भागवत तक रेस में हैं. इतना ही होता तो कुछ बात थी… पर बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन का नाम बड़ी तेजी से चला. इसके अलावा, विपक्ष के कुछ समाजवादी नेता जिनके ‘सगे बेटे’ समाजवाद की बागडोर संभाल चुके हैं, वह भी ठगबंधन… अरे रे… महा गठबंधन बनाने की बात ठोको ताली की तर्ज पर ठोक रहे हैं.
बड़ी मुश्किल है रे बाबा…अंत में महा गठबंधन की तर्ज पर ही राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की चाह रखने वाले तमाम उम्मीदवारों का एक जगह इंटरव्यू करने की सोच ली बच्चा भैय्या ने. और प्रश्न-उत्तर में देखिये तो कौन-कौन आया और किसके दिल में कौन सा गुबार बसा है…
बच्चा भैय्या: प्रश्न सबसे पहले ‘मार्गदर्शक मंडल’ के आडवाणी जी से. राष्ट्रपति के स्वाभाविक उम्मीदवार तो आप ही हैं, पर…
आडवाणी जी: पर क्या.. 2 सीट से पार्टी को इस कंडीशन में कौन लाया, मैं लाया. अटल जी को पीएम कौन बनाया… मैं बनाया. नरेंद्र मोदी को किसने बचाया… मैंने बचाया. तो स्वाभाविक कहो चाहे अस्वाभाविक कहो… जो हूँ मैं ही हूँ. यहाँ तक कि ‘रामलला हम आएंगे’ का नारा भी मैंने ही … ! समझ गए न आप.
बच्चा भैय्या: हाँ, हाँ… तो राम-मंदिर और अपने बारे में कुछ समानता दिखती है आडवाणी जी?
आडवाणी जी: भाई, असमानता के तो हम पहले ही विरोधी रहे हैं. हिन्दू, मुस्लिम (फुसफुसाते हुए नहीं, नहीं… पहले ही जिन्ना की वजह से..), सिक्ख इत्यादि सब एक ही हैं. रही बात रामलला और मुझमें समानता की तो न तो उनका मंदिर बना और न मैं पीएम. अब जब मैं राष्ट्रपति बन जाऊँगा, तब शायद रामलला का नंबर भी आये. अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह असहिष्णुता होगी जी.
बच्चा भैय्या: असहिष्णुता होगी? पर इस टॉलरेंस / इनटॉलेरेंस का दौर तो आपकी राजनीति से ही शुरू माना जाता है?
मुरली मनोहर जोशी: हाँ, बिलकुल ठीक कहा आपने बच्चा जी. ये (आडवाणी की तरफ इशारा करते हुए) न. 2 पर होने का रोना जीवन भर रोते रहे, किन्तु मुझ जैसों का क्या? जिनका कभी कोई नम्बर ही नहीं रहा. अब राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी मुझे ही मिले… वैसे बाल नरेंद्र… म म मतलब नरेंद्र मोदी मुझे ही आगे करेगा. देख लेना आप.
बच्चा भैय्या: पर शिवसेना तो सर संघचालक मोहन भागवत का नाम आगे कर रही है?
लालू प्रसाद: हो बुड़बक, उ संघी कैसे बनेगा राष्ट्रपति? हाफ पैंट पहन कर कोई महामहिम की कुर्सी पर अच्छा लगेगा क्या? वोइसे (कुछ याद करते हुए…) राबड़ी देवी ने हाफ पैंट पर ताना कसा तो फुल पैंट में आ तो गया सब, पर वही परमाणु बम के ज़माने में लाठी भांजना… अच्छा लगेगा क्या? नीतीश (वा) से कहे हैं हम कि तुम तो सीएम के रूप में सेट हो गए… हमहि न कराये. अब हमें राष्ट्रपति बनवाओ तो फिर पीएम के रूप में… वोइसे नीतीश बाबू समझदार हैं.
बच्चा भैय्या: बड़ी लम्बी चेन है यह तो. पर लालू जी आपने तो मुलायम सिंह को कभी पीएम बनने से रोक दिया था, तो क्या आपको राष्ट्रपति बनाने पर मुलायम सिंह मान जायेंगे?
मुलायम सिंह: ई जोकर राष्ट्रपति बनेगा? एक ज़माने में मुझे पीएम नहीं बनने दिया और अब इससे फिर से रिश्तेदारी किये तो बेटवा अकलेस सीएम पद से हट गया. हम शिवपाल को बोले हैं कि गणित सेट करो मेरे राष्ट्रपति बनने का.. थोड़ा नाराज है, पर सेट कर देगा, बहुत गणित आती है शिवपाल को.
बच्चा भैय्या: बाप रे…
अमिताभ बच्चन: आंय… राष्ट्रपति की कुर्सी किसी के बाप की है क्या? नाम- अमिताभ बच्चन, बाप का नाम- विजय दीनानाथ… मतलब हरिवंश राय बच्चन… आगे जानकार क्या करोगे आप लोग? मुझे जो सही लगता है, मैं करता हूँ और अबकी बार, अमिताभ बेकरार! जी हाँ, कौन बनेगा करोड़पति का खासा अनुभव है मुझे, तो कौन बनेगा राष्ट्रपति मेरे लिए ला सकती है सौगात!
बच्चा भैय्या: वो सब तो ठीक है, पर राष्ट्रपति बनने का असल गणित किसके पास है?
आडवाणी: भाई, वो अपना चेला मोदी और उसका चेला शाह… दोनों बड़े तेज हैं और इलेक्शन का गणित-विज्ञान उनको खूब आता है. पर मैंने भी शिवसेना और नीतीश इत्यादि को सेट किया है कि कुछ एक वोटों की जब कमी हो तो सिर्फ आडवाणी के नाम पर ही सपोर्ट मिले.
लालू, मुलायम: इनके पास गणित नहीं, बल्कि हम विपक्षियों के पास है. बस कांग्रेस मान जाए… और वह मान ही जाएगी, क्योंकि उसके पास भी दूसरे उम्मीदवार हैं नहीं. अब राहुल बाबा तो राष्ट्रपति बनेंगे नहीं और सोनिया गाँधी तो विदेशी मूल की… ही ही ही 🙂 तो मजबूरन हम में से ही कोई…
बच्चा भैय्या: पर अगर पक्ष-विपक्ष दोनों का गणित फेल हुआ तो…?
सभी (एक स्वर में): फिर तो प्रणव दा का दोहरा शतक पूरा हो जायेगा.
सबका इतना कहना था कि आडवाणी जी रूठ कर इंटरव्यू रूम से बाहर चले गए. उन्हें उम्मीद थी कि इस बार तो कम से कम पार्टी जरूर मनाएगी और मिन्नतें करके कहेगी कि ‘हे भाजपा के भीष्म पितामह! कृपया राष्ट्रपति पद संभाल कर हमें कृतार्थ कीजिये’…
पर भीष्म पितामह तो सिंहासन पर न बैठने की कसम खा चुके थे. यह ख्याल आते ही बच्चा भैय्या के चेहरे पर मुस्कराहट तो आ गयी, पर वह भी आश्वस्त नहीं हो सके कि आखिर ‘कौन बनेगा राष्ट्रपति’?
Web Title: Election for the President of India 2017, Satirical Interview
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