भगवान राम को चिंतित देख लक्ष्मण जी ने पूछा, ‘भैया आज आप इतने परेशान क्यों दिख रहे? क्या सीता मैया से झगड़ा हो गया?
भगवान बोले, अरे छोटे तुम कैसे समझ गए कि मैं किस वजह से परेशान हूँ” राम जी ऐसे बोले मानो किसी ने दुखती रग पर हाथ रखा हो.
“अरे भैया ये तो हम सब मर्दों की कामन परेशानी है, हम चाहे मनुष्य रूप में हों या ईश्वर रूप में पति सिर्फ पति होता है और पत्नी की नाराजगी और तेवरों का सामना तो उसे करना ही पड़ता है.” लक्ष्मण जी बोले
‘हां भाई ये बात तो सही है पत्नी को झेलना वाकई चुनौती है…’ राम जी मुस्कुरा कर बोले
“खैर ये बताइए क्या हुआ है? मृत्युलोक में तो आप दोनों मर्यादा निभाने के चक्कर में साथ रह नहीं पाए. अब तो अवतार से मुक्त हैं. अब तो आराम से रहिये” लक्ष्मण जी बड़े भाई को समझाने की मुद्रा में बोले.
‘अरे क्या कहूँ भाई, असली समस्या तो यही है. सीता कहती हैं कि वे कभी अयोध्या अपने ससुराल में रह ही नहीं पाई हैं, सो इस बार जो एल टी सी मिल रहा है, उस पर उन्हें अयोध्या ही घूमने जाना है.’ राम जी के स्वर में चिंता उभरी
‘भाभी सच ही तो कह रही हैं. वे तो कभी अयोध्या के महलों में रही नहीं पाई. सदा वन-वन ही भटकती रहीं. इस बार तो आप उन्हें अयोध्या घुमा ही लाइए” लक्ष्मण जी बोले
“अरे लक्ष्मण तुम भूल गए क्या… अयोध्या में हमारा कोई ठौर ठिकाना नहीं है.’ राम जी मानो तड़प उठे.
अरे हां भैया.. ये बात तो मैं भूल ही गया कि हम लोगों की इज्जत सारी दुनिया में है. सिवाय अयोध्या के, हर जगह हमारी पूजा होती है… पर अपने ही घर में हम नजरबंद हैं. पर ये बात आपने भाभी को क्यों नहीं समझाई? लक्ष्मण गंभीर हो गए
‘अरे भाई बहुत सालों से यही तो समझा रहा हूँ पर नारी हठ तो पता ही है तुम्हें! एक बार किसी बात की जिद्द कर ले तो कोई नहीं समझा सकता और इस बार तो सीता अड़ ही गई है” प्रभु आम पति की तरह परेशान होते हुए बोले
‘भैया आप तो स्वयं प्रभु हैं, दूसरों की इच्छाओं को पूरा करते हैं… फिर अपनी ही जन्मस्थली में जाने का कोई उपाय नहीं है आपके पास?” लक्ष्मण जी निरीह सा भाव लिए बोले
Ram Mandir Nirman, Bricks named Ram (Pic: india.com)
‘अरे लक्ष्मण तुम जानते नहीं हो क्या? कितने सालों से प्रयास कर रहा हूँ वहां की राजनीति में भी जोड़-तोड़ की… पर कुछ नहीं हुआ नेता सब एक जैसे हैं. मन्दिर के नाम पर वोट मांगे हमारे सब भक्तों ने भरोसा करके साथ भी दिया था… पर आज तक कुछ नहीं हुआ’. राम जी के स्वर में उदासी का भाव था
‘अरे भैया आप तो मर्यादा पुरूषोत्तम हैं, सदा वचन का पालन किया है. आप नहीं जानते मर्यादा और वचन निभाने जैसी बातों पर अमल करने वाले लोग राजनीति में सफल नहीं हो सकते सो ऐसे दुर्गुणों से सौ कोस की दूरी बना कर चलते हैं और जो वादा निभाए वो काहे का नेता” लक्ष्मण जी दार्शनिक अंदाज में बोले
क्या कह रहे हो लक्ष्मण? मर्यादा और वचन का पालन दुर्गुण? राम जी हैरान परेशान से होकर बोले
“अरे भैया ये सब सतयुग में गुण माने जाते थे, अब तो घोर कलियुग चल रहा है.” लक्ष्मण जी ने कहा… फिर कुछ रुकते हुए बोले “सुना है इस बार फिर आपके भक्तों की जीत हुई है. अब तो अयोध्या में हमारा प्रवेश जरुर हो पायेगा” लक्ष्मण आशान्वित से होते हुए बोले
अरे लक्ष्मण भक्तों की जीत भी हुई है और संतो को सत्ता भी मिली है… पर क्या इतना काफी होगा? राम जी निराशाजनक स्वर में बोले
“अरे भैया आप इतने निराश तो मत होइए. माना सालों से भारतभूमि की राजनीति का खामियाजा हमें भी भुगतना पड़ा पर अब हमारे भक्तों के हाथ में कमान है कुछ ना कुछ जरुर होगा”. लक्ष्मण समझाते हुए बोले.
“अरे भाई तुम भूल रहे हो कमान तो पहले भी थमा चुके हैं, तब पांच साल हम इंतजार ही करते रह गए थे. इन नेताओं के झूठे वादों के झांसे ने हमें भी नहीं बख्शा, याद है कितने लोगों ने नारा दिया था “रामलला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे”
“हां भैया याद आया… आपके कुछ भक्त रथ लेकर भारत भ्रमण पर भी निकले थे. और आपके बहुत से भक्त सत्ताशीन लोगों तक से भिड गए पर सफल नहीं हो पाए. लक्ष्मण के स्वर में उदासी थी
हां लक्ष्मण बहुत बदनामी हुई उस वक्त देवताओं के बीच हमारी… सब कह रहे थे कैसे भक्त हैं हमारे इतना खून खराबा हो गया हमारे नाम पर” राम जी बोले
‘अरे भैया आप ज्यादा ना सोचें उस वक्त परिस्थितियां अलग थीं… जहाँ अयोध्या है वहां कुछ असुरों का बोलबाला था अब तो हर तरफ आपके भक्तों का राज है’ लक्ष्मण जी खुश होते हुए बोले
Ram Mandir Nirman, Ram Janmbhumi Nyas (Pic: indiatvnews.com)
उसके बाद इतने साल लग गए अब जाकर हम फिर उन्हें सत्ता दिलाने में सफल हुए हैं पर ….राम जी चुप हो गए.
पर क्या भैया… ??
“लक्ष्मण भाई अभी तुम मृत्युलोक की राजनीति से बहुत परिचित नहीं हो .. हमें नारद जी ने सब समझाया है. बड़ा अलग ही खेल है. ये वोट बैंक की उठापटक में भाईचारा और प्रेम तक किनारे कर देते हैं. सब अपना फायदा देखते हैं. हमें बहुत दुःख होता है हमारी पूजा के चक्कर में कितना खून खराबा हो चुका है… इन लोगों को कौन समझाए… हमें सिर्फ भक्ति की भावना के भूखे हैं, कहाँ पूजा होती है उससे हमे कोई मतलब नहीं”राम जी बहुत उदास थे.
“उन्हें देख लक्ष्मण भी उदास हो गए और बोले “भैया पर हम क्या कर सकते हैं सालों से आपके भक्त भी तो उम्मीद लगाये बैठे हैं… आपके मंदिर में पूजा करने की… ऊपर से भाभी की जिद्द भी… वैसे भी हर देवता के जन्मस्थान पर इतनी धूम धाम से पूजा अर्चना होती है और हम लोग अपने ही जन्मस्थान पर कैदी बने पड़े हैं. ये देखकर हमारे भक्तों का हृदय कितना दुखी होता होगा?”
दुखी तो होता होगा पर क्या धर्म और जाति ही सब कुछ है? इंसानियत कुछ नहीं? क्या इस सबके लिए इन्सान की रचना की थी ब्रह्मा जी ने? अब तो हमें अपने भक्तों से भी डर लगने लगा है.
राम जी प्रश्न करते जा रहे थे और लक्ष्मण जी … चुपचाप .. सोच रहे थे… उन सवालों के जबाब … जो स्वयं प्रभु को भी दुखी कर रहे थे ..
जय श्री राम’ तभी हनुमान जी ने प्रवेश किया. वे बड़े खुश नजर आ रहे थे.
अरे हनुमान आओ क्या बात है, आज बड़े खुश नजर आ रहे हो? राम जी बोले
प्रभु बात ही ऐसी है अयोध्या में मंदिर की एक और उम्मीद नजर आई है’ हनुमान जी बोले
ऐसा क्या ?
अरे प्रभु सुप्रीम कोर्ट ने सलाह दिया है कि नेता नहीं अब समाज और इससे जुड़े पक्ष मिलकर इसका हल निकालने की कोशिश करें… और आपको तो पता है राजनीति और नेताओं की ही देन है ये मुद्दा. अगर किसी तरह राजनेता इस विवाद से दूर रहे तो संभव है यह.
चलो ये तो अच्छी खबर है आपके भक्तों के लिए अब तो उन्ही के हाथ में है’ लक्ष्मण जी खुश थे…
पर राम जी के चेहरे पर अब भी शांति के भाव के साथ कुछ अनसुलझी लकीरें भी थीं … प्रभु तो अंतर्यामी हैं, वह सब जानते हैं. पर इस बीच उम्मीद फिर जाग चुकी थी … राम लला हम आएंगे….
Ram Mandir Nirman, Hindi Satire, Narendra Modi, Yogi Adityanath (Pic: time.com)
Web Title: Ram Mandir Nirman, Hindi Satire
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