भारत जैसे पुरुष प्रधान देश में मर्द होना अपने आप में श्रेष्ठता साबित करने वाला जन्मसिद्ध अधिकार बन जाता है. घर में लड़के का जन्म होना उसे स्वच्छंदता की ‘बाई डिफाल्ट’ सुविधा प्रदान कर जाता है. वह जनाब भी उसी विशेषाधिकार प्राप्त श्रेणी के तथाकाथित मर्द हैं क्योंकि उनके चेहरे पर दाढ़ी -मूंछे हैं. उनके जन्म लेते ही मुहल्ले भर में बिना मांगे मिठाई बांटी गयी थी, क्योंकि वे कुल को चलाने का लाइसेंस लेकर पैदा हुए थे. उनके आते ही घर में थाल पीटा गया था ताकि लोगों के कानो तक आने वाले वारिस की गौरवमयी सूचना दी जा सके. उनके बचपन को राजकुमारों वाला ट्रीटमेंट दिया गया क्योंकि उसे ही तो उनके कुल का साम्राज्य विस्तार करना था. उनकी हर जायज और नाजायज मांग बिना शर्त पूरी की गयी क्योंकि वे कुल गौरव थे.
उनकी हर गलती पर बचपन से इसी लिए पर्दा डाला जाता था कि वह तो लड़के थे और गलती तो लड़के ही किया करते हैं. उनको सुबह -शाम गिलास भर दूध दिया जाता क्योंकि वे मर्द बनने की प्रक्रिया में थे. उनका दाखिला शहर के सबसे नामी स्कूल में कराया गया क्योंकि वे बड़े होकर शर्तिया डॉक्टर, इंजीनियर या आईएएस बनने वाले थे. उन पर बेइंतेहा पैसा फूंका गया क्योंकि वह इस इन्वेस्टमेंट का सौ गुना देने की तथाकथित क्षमता रखते हैं.
उनके पास हाई स्पीड की धूम स्टाइल बाइक है, क्योंकि वे जब फर्राटा मारते हैं तो माँ -बाप को बड़ा गर्व होता है और वे उसमें जॉन अब्राहम की झलक देख पाते हैं. वह रात को चाहे जिस समय घर को लौट कर आयें, इस पर कोई प्रश्न नही उठाता क्योंकि वे तो लड़के हैं और लड़के रात में बाहर निकलने से ही निडर हो पाते हैं.
चूँकि वह लड़के हैं इसलिए रात का सदुपयोग करते हुए ‘लेट नाईट मूवी’ देख आते हैं. चूँकि वह लड़के हैं इसलिए नाच गाना सिर्फ महंगे डिस्को क्लब में में अलाउड है. चूँकि वह लड़के हैं इसलिए उनको अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत सचेत रहना है इसलिए वह सिर्फ विदेशी बियर और शराब गटकते हैं. चूँकि वह लड़के हैं इसलिए उन्हें करतब भी आने चाहिए! जनाब इस क्रम में अब सिगरेट के छल्ले उड़ाते नज़र आते हैं. चूँकि वह लड़के हैं, इसलिए उन्हें अपने साहस में कोई कमी नहीं लानी है. इसलिए अब वह कार और बाइक पर हैरतंगेज स्टंट करते फिरते हैं. उनके दोस्तों ने आज उन्हें इसलिए ड्रग्स सुंघाया, ताकि कल उनकी बारी आ सके और वह बराबरी के सिद्धांत का महत्त्व जान सकें.
चूँकि वह एक मर्द है इसलिए उसकी अंतिम परीक्षा में भी उन्हें झंडे गाड़ने है. राह चलती लड़कियों पर अपनी मर्दानगी का जलवा दिखाना इस टेस्ट के सिलेबस में ही आता है.
उनके लिए लड़कियों की इस संसार में वही हैसियत है जो उनकी महँगी बाइक की है. वह अपनी बहन को छोड़कर इस दुनिया की हर लड़की को मस्ती और ऐश करने की चीज़ समझते हैं. उन्हें यह फरक नहीं पड़ता कि हर लड़की किसी न किसी की बहन ज़रूर होती है . वह लड़कियों को फंसाने के लिए अपने पास अमीरीयत का एक रेडीमेड जाल हमेशा तैयार रखते हैं. यह बात अलग है कि जितना लगन और समर्पण वह इस क्षेत्र में करते हैं उतना अगर उन्होंने अपनी पढाई में किया होता तो आज वह भी एक बार में ही हर क्लास पास कर जाते. जनाब अभी उम्र के सोलहवें पायदान पर पहुचे हैं.
देश की हिस्ट्री-ज्योग्राफी के बारे में उतना ही पता है जितने से इन सब्जेक्ट्स में पासिंग मार्क्स मिल सकते थे, लेकिन मोहल्ले के हर लड़की की हिस्ट्री-ज्योग्राफी छोड़िये, फिजिक्स-केमिस्ट्री पर उनकी पीएचडी कम्प्लीट हो चुकी है.
देश में हुए लोक सभा के चुनाव में अट्ठारह साल की उम्र न होने के कारण वोट न दे पाने से ज्यादा मलाल उनको इस बात का है कि उन्हें ‘ए’ सर्टिफिकेट वाली फिल्में हाल में देखने के लिए अभी दो साल का और इंतजार करना पड़ेगा. वैसे इसकी क्षति पूर्ति जनाब अपने स्मार्ट फोन से पोर्न देखककर कर लेते हैं .अपने गेटअप पर भी उनकी विशेष दृष्टि रहती है. फिजीक भले ही सिंगल पसली वाली हो, अलबत्ता शर्ट के चार बटन इस कदर खुले रहते हैं मानो जॉन अब्राहम ने इन्हीं से ट्रेनिग ली हो. अपने घर के इकलौते वारिस तो हैं ही, साथ ही साथ बदमाशी में पूरे मोहल्ले के अघोषित वाइरस की तरह भी जाने जाते हैं. बिना लाइसेंस के वो जनाब धूम स्टाइल की बाइक पर इस गुमान में फर्राटा मारते हैं, क्योंकि उनकी अंटी में सर्वस्वीकार्य गाँधी ब्रांड लाइसेंस हमेशा पड़ा रहता है. सड़कों पर स्टंट करने को स्वराज्य की तरह वे अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते है.
माँ -बाप की राय से ज्यादा उन्होंने अभी तक ऐश्वर्या राय की तरफ ही ध्यान दिया है. दुनिया के जितने भी ऐब हैं, उनमें सिद्धहस्त होने के लिए वे सदैव तत्पर और आतुर रहते हैं. कोल्ड ड्रिंक की जगह जनाब बियर की बोतलें गटक कर भविष्य में अपने आपको बार कल्चर में ढालने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. सिगरेट के छल्लों को छुड़ाने में इनको दूर -दूर तक कोई मात नहीं दे सकता है . सारे तथाकथित आधुनिक संस्कारों से लैस होने के बाद भी अभी तक किसी लड़की ने इनको घास तक नहीं डाली है. ना जाने कितनी एप्लीकेशन्स बैरंग वापस आ चुकी है. न जाने कितनी बार उनके गाल पर तमाचे से ‘रिजेक्टेड’ की मोहर लग चुकी है.
अब जनाब का बाँध टूट रहा है. मन में कुछ खुराफाती चीज लगातार चल रही है. प्लान बनाए जा रहे हैं. दिमाग में बस जवानी का जोश छाया हुआ है. तथाकथित सच्चे यार दोस्तों की शह जारी है. कोई निशाने पर आ चुका है . अब या तो आर या पार. सोलह बरस की उम्र है कोई फांसी तो ही नहीं जाएगी?
मजा तो अभी है. आखिर क्या अठारह साल के बाद सजा भुगतनी है? ज्यादा से ज्यादा क्या तीन साल बस! अब जनाब आश्वस्त हैं. उम्र से नाबालिग हैं, काम से तो बालिग हैं ही ना!
कल ही तो उनके दोस्त ने बगल में चल रही लड़की का दुपट्टा खिंचा था. वे आज न जाने क्या करने वाले हैं, लेकिन करेंगे वही जिनसे इनकी मर्दानगी बखूबी बयान हो. कई दिनों से एक लड़की उस सुनसान सड़क पर दिखती है. शायद उनका निशाना वही है. उन्हें लगता है कि तथाकथित मर्दानगी का सर्टिफिकेट उन्हें समाज तभी देगा जब वह ऐसी हरकतें करेंगे. उन्हें महज उनका शिकार चाहिए था.
अब वह निडर हैं, क्योंकि वह अब कानून की लाचारी वह बखूबी जान चुके हैं. रही बात माँ-बाप के नजरों में गिरने की तो उसका भय तभी निकल गया था जब उन्हें मर्द होने के एवज में हर तरह की छूट मिल गयी थी. उन्होंने सीधा सा मतलब निकाल लिया है कि उनका मर्द होना उन्हें सारी सामाजिक वर्जनाओ से परे कर देता है और छोड़ देता है उसे समाज के उस निरंकुश प्राणी की तरह जिसके लिए मर्द का चोला पा जाना ही सब कुछ है.
मर्दानगी का चोला जब धरा का धरा रह जाता है जब वही बन्दे शादी के बाद अपनी बीवियों को बाहर ले जाते समय ऐसे खौफ खाते हैं मानो अभी तक जो इन्होने लूटा वही खजाना उनके साथ चल रहा हो. तब वही सारा ध्यान अपने खजाने पर दूसरों की नजर न लग जाए इसी चिंता में घुले रहते हैं.
उधर मर्दानगी का सर्टिफिकेट भी समय के साथ सफ़ेद होता चला जाता है.
Web Title: Virus of Manhood, Hindi Satire, Alankar Rastogi
Keywords: Sarcasm, Rape, Women Safety, Manhood, Man, Power, Politics, Safety, Culture, Civilization
Featured image credit / Facebook open graph: youtube