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क्या आपने कभी देखा है एक ऐसा गाँव, जहां लोग साथ मिलकर कचरा साफ करते हो. जहां शराब की कोई दुकान ही न हो. जहां कभी जुआ खेलने वाले पुरुष, अब परिवार के साथ समय बिताते हो. इतना ही नहीं एक ऐसा गाँव जहां की सरपंच महज एक 23 साल की महिला हो.
अगर आपने कभी ऐसे किसी गाँव के बारे में नहीं सुना, तो आपको हिमाचल के थर्जुन गाँव जरूर जाना चाहिए.
साथ ही मिलना चाहिए वहां की सरपंच जबना से, जिन्होंने अपने कड़े परिश्रम से गाँव की तस्वीर ही बदल डाली.
एमजी मोटर इंडिया (MG Motor India) एवं दी बेटर इंडिया (The Better India), यूएन विमेन (UN Women) के सहयोग से अपनी चेंजमेकर कैम्पेन में ऐसी ही ‘बदलाव के वाहकों’ को सामने ला रहा है, जिन्होंने अपने हौसले से समाज में एक बड़ा बदलाव लाया.
तो आईए जानते हैं आखिर क्या है जबना की कहानी–
हर कदम पर पिता ने दिया साथ...
22 साल की उम्र में अपने गाँव की सरपंच बनने वाली जबना ने हर किसी को अपनी काबिलियत दिखाई है.
उन्होंने सबको बताया कि आपकी उम्र नहीं आपका इरादा ज्यादा महत्वपूर्ण है बदलाव लाने के लिए. अपनी आँखों में बड़े- बड़े सपने संजोए जबना का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ.
तेज दिमाग की धनी जबना का मन शुरू से ही पढ़ाई में लगता था, लेकिन घर की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि जबना उच्च शिक्षा में दाखिला लेने की बात सोचें.
इतना ही नहीं उनके गाँव में कोई डिग्री कॉलेज भी नहीं था. पिता श्री हरिया जानते थे कि उनकी बेटी आगे पढ़ना चाहती है.
इसलिए उन्होंने अपने छोटे भाई से जबना को आगे पढ़ाने के लिए मदद मांगी. जबना के चाचा मान गए, तो उनका दाखिला मंडी जिले के एक डिग्री कॉलेज में करवा दिया गया.
इसके बाद जबना निकली अपने एक नए सफर पर.
...जब, गाँव वालों की परेशानियों को जाना
मंडी में अपनी पढ़ाई के दौरान जबना ने एक स्थानीय अखबार में नौकरी खोज ली. इस नौकरी ने जबना की आर्थिक तंगहाली की समस्या कुछ हद तक दूर कर दी थी.
इतना ही नहीं उन्हें नए लोगों से मिलने और उनकी समस्याओं को करीब से समझने का भी मौका मिला. उन्हें पता चला कि कैसे गाँव के लोग आगे बढ़ना चाहते हैं मगर, उनके रास्ते में बहुत सी बाधाएं मौजूद हैं.
आगे जबना को ‘ओरिएण्टल टाइम्स’ नाम के एक न्यूज चैनल में एंकर और रिपोर्टर के तौर पर नौकरी मिली.
इस नौकरी के मिलने के बाद ही जबना के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन होने शुरू हुए. यह जबना के जीवन का वह पड़ाव था, जहां से उन्होंने अपने गाँव के लोगों की समस्याओं का निवारण करने की बात सोची.
महिलाओं की खातिर डटी रहीं जबना!
जल्द ही जबना ने अपनी रिपोर्टिंग के जरिए गाँव के लोगों की समस्याएं उच्च अधिकारियों तक पहुंचानी शुरू की.
जबना केवल समस्याओं को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाती ही नहीं थीं, बल्कि उनका निवारण होने तक उसके पीछे लगी रहती थीं.
कहते हैं कि उनके गाँव में महिलाओं के ऊपर बहुत शोषण होता था. महिलाओं के ऊपर घरेलू हिंसा तो जैसे आम बात थी.
इसके अलावा 16 की उम्र में ही ज्यादातर लड़कियों की शादी कर दी जाती थी. जबना ने इन मुद्दों पर भी अपना स्वर तीखा किया.
आगे एक साल के भीतर ही जबना पूरे मंडी जिले में एक जाना-पहचाना चेहरा बन गईं. एक ऐसा चेहरा, जो न केवल समाज की बुराइयों से लड़ रहा है, बल्कि गरीब लोगों की समस्याएं भी दूर कर रहा है.
समय आगे बढ़ा, तो 2016 में थर्जुन गाँव में सरपंच पद का चुनाव होने की बारी आई. गाँव के लोगों ने एक स्वर में जबना से इस चुनाव में हिस्सा लेने को कहा.
हर किसी को लगा जबना जैसी कोई हमारी सरपंच होनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि, वह दिन-रात बिना किसी स्वार्थ के अपने गाँव को ठीक करने में लगी हुई थीं.
लोगों के बार-बार कहने के बावजूद भी जबना चुनाव के लिए राज़ी नहीं हुईं. उनके पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं था, शायद इसलिए उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया.
इसके बाद भी वह लगातार समाज सुधार के काम में लगी रहीं.
…और बनीं भारत की सबसे युवा सरपंच
एक ओर कुछ लोग जबना को सरपंच बनाना चाहते थे. वहीं दूसरी ओर कई लोग जबना के पिता से उनकी शादी की बात कहने लगे.
जबना के पिता जानते थे कि अगर, उन्होंने अभी उनकी शादी करा दी, तो वह आगे कुछ बड़ा नहीं कर पाएंगी.
उन्होंने अपनी यह चिंता जबना के सामने जाहिर की. इसके बाद जबना ने सरपंच के चुनाव में खड़े होने का निर्णय लिया.
जबना ने सरपंच का चुनाव लड़ा. आगे 1 जनवरी 2016 को जबना थर्जुन गाँव की सरपंच चुनी गईं. इतना ही नहीं इस जीत के साथ वह भारत की सबसे कम उम्र की सरपंच भी बन गईं.
जबना सरपंच बनी थीं उन कामों को पूरा करने के लिए जिन्हें वह एक आम लड़की रहते हुए नहीं पूरा कर सकती थीं.
जबना ने गाँव में देखा था कि महिलाएं काम करके पैसा कमाती हैं और उनके पति उनसे पैसा छीनकर शराब पीते हैं.
शराब पीने के बाद वे उनके साथ मारपीट भी करते हैं. सरपंच बनने के बाद जबना ने जो सबसे पहला काम किया, वो था शराब के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को बताना.
जबना ने अपने नेतृत्व में गाँव की महिलाओं का एक मांगपत्र डिप्टी कमिश्नर को सौंपा. इसमें उन्होंने गाँव में चलने वाली सभी शराब की दुकानों को बंद किए जाने की मांग की.
धमकियों के बाद भी डगमगाए नहीं कदम!
जबना ने मंडी जिले के दूसरे सरपंचों से इसी प्रकार का अभियान चलाने का आग्रह किया. आगे फरवरी 2017 को थर्जुन ग्राम पंचायत में एक प्रस्ताव पारित हुआ.
इस प्रस्ताव के तहत गाँव में शराब और तम्बाकू की बिक्री और प्रयोग पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया.
हालाँकि, यह करना आसान नहीं था. जबना को इसके लिए जान से मार देने की धमकियाँ भी मिलीं, लेकिन वह रुकी नहीं.
धीरे-धीरे गाँव के लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया. आगे यह अभियान जिले के दूसरे गाँवों में भी पहुंचा, तो वहां भी शराब और तम्बाकू के खिलाफ बैन लगा दिया गया.
शराब और तम्बाकू की समस्या से निपटने के बाद उन्होंने गाँव को स्वच्छ करने पर ध्यान लगाया. इसके लिए उन्होंने हर घर में दो डस्टबिन रखवाए.
सीवर का जो कचरा पानी के खुले स्रोतों में जा रहा रहा था, उसे अलग गड्ढे खोदकर उनमें डाला गया. गाय और भैंस के गोबर को एक जगह एकत्रित करने के लिए जगह-जगह शेड बनवाए गए.
इस तरह थर्जुन गाँव पूरी तरह साफ-सुथरा हो पाया. यह सब मुमकिन हो पाया सिर्फ जबना के हौसले के कारण.
आगे आसमान और भी हैं…
सफाई अभियान के दौरान जबना के द्वारा की गई मेहनत का थोड़े ही समय में उन्हें फल मिल गया. जबना के गाँव को जिले का सबसे स्वच्छ गाँव घोषित किया गया.
इसके साथ ही जबना को जिले के सबसे अच्छे सरपंच का खिताब भी मिला. इतनी कम उम्र में इतना सब कर लेने के बाद भी जबना अभी थकी नहीं हैं.
उनकी ताजगी भरी आँखों में अभी न जाने कितने सपने अपना आकार ले रहे हैं. फिलहाल उनका लक्ष्य अपने गाँव में प्रकाश की समुचित व्यवस्था और एक डिग्री कॉलेज को खोलना है.
इसके अलावा वे एक ऐसे एनजीओ को खोलने की भी ख्वाहिश रखती हैं, जहां से महिलाओं की कुछ कमाई हो सके.
जबना अभी खुद बहुत छोटी हैं, मगर उनके इरादे बहुत बड़े हैं. इसके कारण ही वह अपने गाँव में इतने बड़े बदलाव ला पाई हैं. उन्होंने कभी भी अपने सपने को टूटने नहीं दिया. यही कारण है कि वह उन्हें आखिर में पूरा करने में सक्षम रहीं.
एमजी मोटर इंडिया (MG Motor India) एवं दी बेटर इंडिया (The Better India), यूएन विमेन (UN Women) के सहयोग से भारतीय महिलाओं के सम्मान का उत्सव मना रहा है, जो प्रत्येक दिन नए कीर्तिमान गढ़ रही हैं तो भारत को एक उन्नत भविष्य की ओर प्रभावी ढंग से अग्रसर कर रही हैं.
ऐसे अभियानों को सपोर्ट करने के लिए आप यथासंभव दान कर सकते हैं. डोनेट करने के लिए इस लिंक पर जाएँ: https://milaap.org/fundraisers/mgchangemakers
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Web Title: Jabna Chauhan The Youngest Sarpanch Of India, Hindi Article
Feature Image Credit: thebetterindia