प्रस्तुतकर्ता
पृथ्वी हमें आसरा देती है. उसका जल, हरियाली, वन्य प्राणी और सुंदरता सब हमारा ही तो है. किन्तु, बदले में हमने उसे क्या दिया प्रदूषण, गंदगी या फिर ग्लोबल वार्मिंग!
चूंकि, टूरिज्म का दायरा तेजी से बढ़ा है और उस पर पर्यावरण को हानि पहुंचाने को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं, इसलिए जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ऐसा क्या किया जाए कि हमें बेहतर कल देखने को मिले.
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ‘टूरिस्ट्स जागरूकता’ और ‘सस्टेनेबल टूरिज्म’ पृथ्वी को बचाने का बेहतर विकल्प हो सकता है, इसलिए पृथ्वी दिवस के पहले गुरुग्राम के एेम्बीअन्स मॉल में 21 व 22 अप्रैल को ‘वन-शू ट्रेवल फेयर’ द्वारा पृथ्वी को बचाने की एक शानदार पहल देखने को मिली.
इसमें क्या रहा खास, आईए तस्वीरों के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं –
गुरुग्राम के ऐम्बीअन्स मॉल में पृथ्वी दिवस की पूर्व संध्या पर मौजूद चित्र, 22 अप्रैल 1970 को अमेरिका में हुए आधुनिक पर्यावरण आंदोलन के जन्म की सालगिरह की याद दिलाता है. (Pic: Team Roar)
‘वन-शू ट्रेवल फेयर’ की मुख्य आयोजक अंशू गुप्ता लोगों को पर्यावरण और बेहतर टूरिज्म के प्रति जागरूक करते हुए. उनके अनुसार ‘वन-शू ट्रेवल फेयर’ जैसे जागरुकता कार्यक्रम सही मायने में तभी सफल माने जाएंगे, जब ‘अर्थ डे’ पर लिए गए संकल्पों को याद रखा जाए, न कि अगले दिन ही उसको भुला दिया जाए. (Pic: Team Roar)
22 अप्रैल को पूरे विश्व में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है. हर साल किसी ने किसी थीम के तहत इसे जोरदार तरीके से मनाया जाता है. पृथ्वी दिवस नेटवर्क के अनुसार इस साल यानी 2018 का ‘वैश्विक पृथ्वी दिवस’ ‘प्लास्टिक प्रदूषण का अंत’ थीम पर केंद्रित रहा. बावजूद इसके दुनिया के कोने-कोने से आईं तस्वीरें निराश करने वाली हैं. (Pic: pexels)
दिलचस्प बात यह है कि हम सब जानते हैं कि पृथ्वी के लिए सबसे घातक प्लास्टिक है, फिर भी हम इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं. इस मुद्दे को ‘वन-शू ट्रेवल फेयर’ में भी उकेरा गया. जहां, एक तरफ इस फेयर का हिस्सा रहे स्टूडेंट्स अपने पोस्टर्स के माध्यम से लोगों को जागरुक करते हुए दिखे. (Pic: diver.co.il)
वहीं इस फेयर में मौजूद ‘दी हैप्पी टर्टल’ नामक कंपनी की फाउंडर ऋचा मालिक ने प्लास्टिक के दुष्परिणाम और उसके प्रयोग को कैसे कम किया, इस पर लोगों को जागरूक करती दिखाई दीं. उनके अनुसार प्लॉस्टिक का इस्तेमाल रुक सकता है, बस इसके लिए हमें अपनी इच्छा शक्ति को बढ़ाना होगा, जोकि संभव है. (Pic: Team Roar)
अक्सर हम आम चर्चा में कह देते हैं कि मौसम तेजी से बदलता जा रहा है, लेकिन हम ये क्यों भूल जाते हैं कि इस बदलते मौसम की सबसे बड़ी वजह तो हम ही हैं. हम यह क्यों नहीं सोचते कि आखिर पेड़ क्यों सिमटते जा रहे हैं और बहुमंजिली इमारतें क्यों बढ़ती जा रही हैं. (Pic: Pinterest)
यही नहीं अपने घर से बाहर निकलकर घूमते हुए, मौज-मस्ती करते हुए हम इससे बेखबर होते हैं कि हमारी छोटी-छोटी गलतियां, प्रकृति के खूबसूरत स्थानों और वहां के स्थानीय लोगों को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती हैं! बचपन में कहा जाता है कि धरती हमारी माता है. लेकिन शायद हम बड़े होते-होते ये बात भूल जाते हैं. (Pic: Team Roar)
कहते हैं, ‘टूरिस्ट जागरुकता’ और ‘सस्टेनेबल टूरिज्म’ पृथ्वी को बचाने में अहम भूमिका अदा कर सकता है. कैसे? इसके कई अलग-अलग जवाब हैं. सार के रूप में बस इतना समझ लीजिए कि जिस दिन हम पेड़ों को काटना और नदियों, तालाबों को गंदा करना बंद कर देंगे, उसी दिन से सही मायने में दुनिया ‘पृथ्वी दिवस’ मनाएगी. (Pic: Team Roar)
गौरतलब हो कि भारत के लोगों के अंदर त्योहारों की परम्परा रची-बसी हुई है. यहां के लोग लगभग हर महीने किसी न किसी त्यौहार को मनाते ही हैं. इसी कड़ी में ‘विश्व पृथ्वी दिवस’ भी यहां के लोगों के लिए एक त्योहार जैसा है. जिसमें ‘वन-शू ट्रेवल फेयर’ जैसे जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन होता है, पर बावजूद इसके चुनौतियां हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. (Pic: indiatimes)
इसे बिडम्बना ही कहा जाएगा कि एक तरफ हम पर्यावरण के कार्यक्रमों में भाग लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते और सुनते हैं, वहीं घर और ऑफिस में बिजली की बर्बादी, गैर जरूरी रूप से एयर कंडीशनर चलाकर उन्हीं सिद्धांतों को धता भी बताते हैं. ऐसे में बदलाव की कितनी गुंजाइश है, इसे अच्छे से समझा जा सकता है. (Pic: Brainly.in)
खैर, इस सबके बीच ‘वन-शू ट्रेवल फेयर’ जैसे अभियानों की उपयोगिता को कम नहीं आंका जा सकता. निश्चित रूप से इसे छोटी ही सही पर धरती को बचाने की एक मुहिम कहना गलत नहीं होगा! बस जरूरत है ऐसे जागरुकता अभियानों में बढ़-चढ़कर भाग लेने की और उनसे निकलने वाले संदेशों को प्रसारित करने की. (Pic: Team Roar)
जाहिर है, तभी बात बनेगी और अपनी पृथ्वी बचेगी!
क्या कहते हो आप?
In association with One Shoe Travels
Web Title: One shoe travel Fair, Photo Story
Feature Image Credit: kb4images.com