मार्च 9, 1996 बेंगलूरु का चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम.
पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट और सीटियों से गूंज रहा था. टीवी और रेडियो पर मैच का लुत्फ लेने वाले क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह तालियों का शोर और बाजों की आवाज़ बता रही थी कि उस दिन टॉस होने से पहले ही मैच में कितना उत्साह था.
यह महज़ एक मैच नहीं था, यह प्रतिष्ठा का सवाल था, भारत और पाकिस्मान के लिए. जो जीता वही सिकंदर.
बहरहाल, बात विल्स वर्ल्ड कप के दूसरे क्वार्टर फाइनल मैच की है, जब भारत-पाकिस्तान मैदान पर भिड़ने वाले थे. ऐसे में दर्शकों के बीच उत्साह का होना लाजमी था.
इस मैच में भारत से हारने के बाद पाकिस्तान की टीम 1996 के वर्ल्ड कप से बाहर हो गई थी. मैच के बाद पूरे भारत की सड़कों पर क्रिकेट प्रेमियों ने पटाखे जलाए और भारत की जीत का जश्न मनाया था.
ऐसे में आइए जानते हैं, इस रोमांचित कर देने वाले मैच के बारे में, जिसमें भारत ने पाकिस्तान को मात दी थी –
भारत ने की सधी शुरुआत
चिन्नास्वामी का मैदान यूं तो बल्लेबाज़ी के लिए जाना जाता है. पूरी भारतीय टीम वर्ल्ड कप में बेहतरीन बल्लेबाज़ी करते हुए आ रही थी, लेकिन उस दिन शायद हाइवोल्टेज मुकाबले में भारतीय बल्लेबाज़ों के बल्लों पर जंक लग गया था.
इस डे-नाइट मैच में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान अज़हरुद्दीन ने अपनी टीम को पहले बल्लेबाज़ी करने के लिए भेजा. क्रीज़ पर मौजूद थे नवजोत सिंह सिद्धू और सदाबहार क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर.
ये वही सिद्धू हैं, जो ओय गुरु कहकर मौजूदा समय में लोगों को हंसाते हैं और राजनीति में भी सक्रिय हैं. बहराहाल, तब ये अपनी जुबान से ज्यादा बल्ले से बोला करते थे. इस मैच में भी यही हुआ. नवजोत सिंह सिद्धू ने उस दिन बेहतरीन पारी खेली.
पहले बल्लेबाज़ी के लिए उतरी भारतीय टीम की सलामी जोड़ी ने 90 रन की बुनियाद रखी. सचिन 31 रन पर अताउर रहमान की गेंद पर 31 रन बनाकर पवेलियन लौट गए.
सिद्धू की आंधी में उड़े पाकिस्तानी गेंदबाज़
सचिन को आउट करने के बाद पाकिस्तान के कप्तान आमिर सोहेल अपने खिलाड़ियों को इस तरह गले लगा रहे थे कि जैसे पाकिस्तान टीम ने मैच जीत लिया हो.
बहरहाल, पाकिस्तान के लिए ये थोड़ा सुकून का मौका जरूर था, क्योंकि सचिन अगर क्रीज़ पर टिक जाते, पाकिस्तान टीम के गेंदबाज़ों की बखिया उधेड़ देते.
सचिन को आउट करने के बाद पाकिस्तान के खिलाड़ी जश्न में डूबे थे, लेकिन ज़्यादा देर तक ये कायम नहीं रह सका. दूसरे छोड़ पर दाढ़ी वाला नौजवान अपने बल्ले से खूब रन बटोर रहा था. शायद उस दिन सचिन का नहीं, सिद्धू का दिन था.
जिन लोगों ने सिर्फ सचिन को बल्लेबाज़ी करता देखने के लिए मैच टिकट खरीदे थे. सिद्धू ने उनके टिकट के पैसों की कीमत अदा कर दी.
सिद्धू ताबड़तोड़ रन बना रहे थे. उन्होंने 115 गेंदों में 93 रनों की उम्दा पारी खेली, जिसमें 11 चौके शामिल थे. हालांकि सिद्धू अपना शतक नहीं लगा सके और पाकिस्तानी गेंदबाज़ मुश्ताक अहमद की फिरकी में फंसकर आउट हो गए.
... और लड़खड़ा गई भारतीय बल्लेबाज़ी
जब तक सिद्धू बल्लेबाज़ी करते रहे, चिन्नास्वामी स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट और भारतीय प्रशंसकों की आवाज से गूंजता रहा. और सिद्धू के पवेलियन लौटने के बाद मैच की तस्वीर पलट गई.
पाकिस्तान के गेंदबाज़ों ने वापसी करते हुए, छोटे-छोटे अंतराल पर भारतीय बेट्समेन को बाहर का रास्ता दिखाते रहे. इस तरह टीम इंडिया 200 रन पर 4 विकेट खो चुकी थी.
अताउर रहमान पाकिस्तान की ओर से काफी किफायती गेंदबाज़ी कर रहे थे. जिसके बाद पाकिस्तानी टीम मैच में वापस पकड़ बनाते हुए दिख रही थी.
पाकिस्तान के कप्तान आमिर सोहेल भारतीय बल्लेबाज़ों को आउट करने का खयाल शायद दिल से निकाल चुके थे. उन्हें इस बात की खुशी थी कि अब टीम इंडिया 250 रनों से ज़्यादा स्कोर खड़ा नहीं कर पाएगी. पाकिस्तान टीम के गेंदबाज़ों ने भारतीय बल्लेबाज़ों पर पूरी तरह से अंकुश लगा कर रखा था.
फिर जडेजा ने खेली बेहतरीन पारी
टीम इंडिया के कप्तान अज़हरुद्दीन भी आउट होकर पवेलियन लौट गए. अज़हरउद्दीन ने 22 गेंदों में 27 रन, संजय मांजरेकर ने 43 गेंदों में 20 रन और विनोद कांबली ने 26 गेंदों में 24 रन बनाए.
46 ओवर के बाद टीम इंडिया का स्कोर 6 विकेट पर 236 रन था.
अब यहां से चिन्नास्वामी स्टेडियम में क्रिकेट प्रेमियों की वो गूंज गायब हो गई थी, जो मैच की शुरूआत में देखने को मिली थी. लोग सिर झुकाए बस 4 ओवर खत्म होने का इंतज़ार कर रहे थे.
फिर क्रीज़ पर एक दुबला पतला लड़का आया और मैच को पूरी तरह से समेट कर ले गया. अजय जडेजा ने जब बल्लेबाज़ी करनी शुरू की, तो देखते ही देखते मैच में दोबारा रोमांच पैदा हो गया.
जो टीम इंडिया मैच में पूरी तरह से पिछड़ चुकी थी, जडेजा ने उसे दोबारा मैच में ला दिया. जडेजा ने आखिरी दो ओवरों में 40 रन कूट डाले. इस तरह उन्होंने 25 गेंदों में ताबड़तोड़ 45 रन बनाए.
मैच की अंतिम गेंद फेंके जाने तक टीम इंडिया का स्कोर 8 विकेट पर 287 रन पर पहुंच चुका था.
दबाव में ढह गई पाकिस्तान की बल्लेबाज़ी
भारतीय पारी खत्म होने के बाद पाकिस्तान के सभी खिलाड़ी चिंतित थे. चिंतित होना लाज़िमी था, पाकिस्तान के कप्तान आमिर सोहेल ने जो सोचा था सब कुछ उसके उलट हुआ.
सोहेल को उम्मीद थी पाकिस्तान के गेंदबाज़ टीम इंडिया को 250 रनों के आसपास रोक देंगे. जहां से दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी करते हुए लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सकेगा. अब एक्स्ट्रा रन, पाकिस्तान पर भारी पड़ने वाले थे.
हो न हो सोहेल ने सोच लिया था कि जडेजा की 45 रनों की पारी ने मैच में हार-जीत का अंतर पैदा कर दिया है.
लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तान टीम दबाव में ही लड़खड़ा गई. सलामी जोड़ी को छोड़कर कोई बल्लेबाज़ बेहतरीन साझेदारी नहीं कर सका.
कप्तान आमिर सोहेल ने ज़रूर 55 रनों की पारी खेली. उन्हें साथी जोड़ीदार सईद अनवर का अच्छा साथ मिला. दोनों ने पहले विकेट के लिए 84 रन जोड़े. उसके बाद पूरी पाकिस्तान की बल्लेबाज़ी लड़खड़ा गई और ताश की पत्तों की तरह ढेर हो गई.
और फिर वही हुआ, जिसका सोहेल को डर था. पाकिस्तान 49 ओवरों में 248 रन ही बना सका.
पाकिस्तान टीम को अजय जडेजा के 45 रन हार का सदमा दे गए. और इसी हार के साथ पाकिस्तानी टीम वर्ल्ड कप से बाहर हो गई.
जडेजा की यह पारी आज भी वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई सर्वश्रेष्ठ पारियों में आंकी जाती है. वहीं, जीत की बुनियाद रखने वाले नवजोत सिंह सिद्धू को 'मैन ऑफ दी मैच' अवॉर्ड से नवाज़ा गया.
उस रात पूरे भारत में दीवाली मनाई गई थी.
भारत की जीत पर जमकर जश्न मना और शायद पाकिस्तान में लोगों ने अपने टीवी फोड़ दिए थे.
Web Title: 1996 World Cup: Ajay Jadeja Decimates Pakistan Bowling In Quarter Final, Hindi Article
Featured Image Credit: thecricketmonthly