क्रिकेट के मैदान में यूं तो भारत ने पाकिस्तान को कई रोमांचक मुकाबलों पर धूल चटाई है, लेकिन उनमें से एक मौका ऐसा भी रहा, जिसे आज भी पाकिस्तान के खिलाड़ी नहीं भूले होंगे. खासकर मशहूर हिटर मिसबाह-उल-हक.
असल में उन्होंने उस मुकाबले में धैर्य रखा होता और अंतिम मौके पर गलती नहीं की होती तो शायद वह उस बड़े मुकाबले की बदौलत हीरो बन गये होते.
जी हां, हम बात कर रहे हैं 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप की. इसके फाइनल मुकाबले के आखिरी ओवर में पाकिस्तान को भारत ने 13 रन नहीं बनाने दिये थे. यह वहीं मैच था जिसमें धोनी ने जोगिंदर शर्मा को अंतिम ओवर थमा कर सभी को सरप्रराइज कर दिया था. फिर क्या हुआ आईये जानने की कोशिश करते हैं:
धोनी की अगुवाई में बड़ा करिश्मा!
2007 में दक्षिण अफ्रीका में खेले जा रहे पहले टी-20 विश्वकप में भारतीय टीम अपने नए कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ गई थी. शुरुआती मैचों में शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम इस टूर्नामेंट के फाइनल तक पहुंचने में सफल रही. उसका फाइनल मुकाबला पाकिस्तान के साथ था. 24 सितम्बर जोहांसबर्ग के वॉन्डरर्स स्टेडियम पर भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया.
भारतीय टीम की बल्लेबाजी को कमजोर माना जा रहा था. असल में फाइनल से पहले ही टीम के विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग चोटिल होने को कारण टीम का हिस्सा नहीं बन सके थे. हालांकि, उनकी जगह अपना पहला मैच खेलने यूसुफ पठान ने आते ही मैच की चौथी गेंद पर जोरदार छक्का मारकर पाकिस्तान को बता दिया था कि उन्हें कमजोर न समझा जाये. वह बात और है कि वह अपना जलवा ज्यादा देर तक नहीं दिखा पाये और महज 15 रन बनाकर पवेलियन लौट गये.
इसके बाद तो उथप्पा 8, युवराज 14 और कप्तान धोनी 6 रन बनाकर एक के बाद एक वापस लौटते गये. लग रहा था कि भारतीय टीम तीन अंकों के आकड़े तक नहीं पहुंच पायेगी. खैर, गंभीर ने एक छोर से उम्मीद बनाये रखी और टीम को संतोषजनक स्कोर तक पहुंचाया. उनके साथ रोहित शर्मा ने 30 रन की किफायती पारी खेलकर अपना अहम योगदान दिया था. 20 ओवर के बाद भारत पांच विकेट के नुकसान पर इस मैच में 157 रन बनाने में सफल रहा था.
Dhoni with his team mates (Pic: yahoo)
अच्छी रही पाक की शुरुआत, लेकिन…
वैसे तो 157 रन का स्कोर बड़ा नहीं था, लेकिन चुनौती भरा जरुर था. पाकिस्तान की शुरुआत शानदार रही. उनके सलामी बल्लेबाज इमरान नजीर ने श्रीसंत के पहले और पारी के दूसरे ओवर में 21 रन ठोककर भारतीय खेमे में खलबली मचा दी थी. वह तो आरपी सिंह ने कामरान अकमल को बोल्ड करके भारत को वापसी कराई थी. बाद में पाकिस्तानी बल्लेबाजों के विकटों की झड़ी लग गई थी. मिसबाह उल-हक को छोड़ दें, तो कोई भी बल्लेबाज भारतीय गेंदबाजी के आगे नहीं टिक सका था.
मैच पर भारत की पकड़ मजबूत थी, लेकिन 17वें ओवर में हरभजन पर तीन छक्के ठोककर मिसबाह ने मैच को फिर से जिंदा कर दिया था. अगले ही ओवर में सोहेल तनवीर ने दो छक्के मारे और कप्तान धोनी को चिंता में डाल दिया. मैच आखिर ओवर तक खिंचा, जिसमें पाकिस्तान को अंतिम ओवर में 13 बनाने थे. बस उनके लिए चिंता की बात यह थी कि उनके आखिरी विकेट क्रीज पर थे.
तब ‘जोगिंदर’ पर लगाया धोनी ने दांव!
मैच का आखिरी ओवर था. पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रन चाहिए थे. ऐसे में धोनी ने जोगिंदर शर्मा जैसे अपेक्षाकृत युवा गेंदबाज को आखिरी ओवर देकर सबको सकते में डाल दिया. सब उनकी आलोचना करने लगे थे. किसी को समझ नहीं आ रहा था कि धोनी ने ऐसा क्यों किया? अधिकतर दर्शकों ने धोनी के इस फैसले को गलत बताया था. दर्शक अपनी जगह सही थे, क्योंकि उस वक्त क्रीज पर मिसबाह-उल-हक खेल रहे थे, जिनके बारे में कहा जाता था कि वह बड़े हिटर हैं.
उनके अंदर पलक झपकते ही मैच का रुख बदलने का हुनर जो था. उनके लिए 13 रन बनने का मतलब था, सिर्फ दो गेंदों को हिट करना!
वह आसानी से यह कर सकते थे. इस लिहाज से माना जा रहा था कि भारत शायद ही इस मैच को जीत पायेगा.
तुरुप का ‘इक्का’ साबित हुए जोगिंदर
लोग निराश थे. इसी के साथ जोगिंदर ने ओवर की पहली ही गेंद वाइड फेंक दी. दर्शक और ज्यादा निराश हो गये. माहौल गंभीर हो चुका था. अगली गेंद में मिसबाह-उल-हक ने मिस कर दी तो थोड़ी सी आस बंधी. लगा कि जोगिंदर संभाल लेंगे, लेकिन अगली ही गेंद उन्होंने फुलटॉस फेंक दी. इस बार मिसबाह-उल-हक ने कोई गलती नहीं कि और शानदार छक्का जड़कर अपनी ताकत का एहसास कराया.
इस छक्के ने भारतीय दर्शकों को नाखून चबाने पर मजबूर कर दिया. बहुत से लोगों ने अपने टीवी तक बंद कर दिये थे. साथ ही धोनी और जोगिंदर को भला बुरा कहना शुरु कर दिया था, लेकिन कहते हैं न कि क्रिकेट अनिश्चतताओं का खेल है. वैसे भी अभी खेल बाकी था.
मैदान पर मौजूद कप्तान धोनी की आंखों में अभी भी जीत की आस थी. उन्हें विश्वास था कि जोगिंदर उन्हें निराश नहीं करेंगे. बड़े दवाब के साथ जोगिंदर ने गेंदबाजी के लिए भागना शुरु किया… रोमांच बढ़ता गया… उसके बाद जो हुआ उसे आज तक कोई नहीं भूला.
Joginder Sharma during 2007 World T20 (Pic: firstpost.com)
श्रीसंत ने भी नहीं की कोई गलती
पैरों के पास गिरी जोगिंदर की इस गेंद पर मिसबाह-उल-हक ने बचकाने शॉट का चयन किया. उन्होंने स्कूप शॉट खेलते हुए शॉर्ट फाइन-लेग पर मौजूद एस. श्रीसंत को कैच के लिए आमंत्रित किया.
श्रीसंत ने भी कोई गलती नहीं की और भारत पहली बार टी-20 विश्व कप का विजेता बनने में कामयाब रहा. भारत ने पांच रन के अंतर से पाकिस्तान को धूल चटा दी थी. जोगिंदर शर्मा पर लगाया गया धोनी का दांव सफल रहा. इस फैसले को उनके बड़े साहसिक फैसलों में गिना जाता है.
बताते चलें कि जीत के नायक रहे जोगिंदर शर्मा इस मैच से पहले पाकिस्तान के खिलाफ कोई टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेले थे. इससे भी ज्यादा हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इस अहम मुकाबले के बाद वह कभी टीम में अपनी जगह नहीं बना पाये. हालांकि, उनका प्रयास बाद में भी जारी रहा.
गंभीर ने रखी थी जीत की नींव
इस मुकाबले को वैसे तो पूरी टीम का योगदान रहा. किसी के योगदान को कम नहीं आंका जा सकता. फिर भी अगर कुछ खास नामों की बात की जाये तो उनमें सबसे पहले गौतम गंभीर का नाम आता है. उन्होंने इस फाइनल मुकाबले में 75 रन की शानदार पारी खेलकर भारत को जीत का हकदार बना दिया था. इसमें दो राय नहीं कि गंभीर की पारी के कारण ही भारतीय टीम 157 रन के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंची थी.
इस कड़ी में दूसरा नाम इरफान पठान का आता है. उन्होंने सही वक्त पर शोएब मलिक और शाहिद आफरीदी जैसे धुरंधर खिलाड़ियों को सस्ते में आउट कर टीम की जीत को सुनिश्चित कर दिया था. पठान ने इस मैच में 4 ओवर के अपने कोटे में सिर्फ 16 रन देकर 3 विकेट चटकाए थे. वह इसके लिए मैच ऑफ द मैच भी चुने गये थे.
नायकों की इस सूची में तीसरा नाम आरपी सिंह का आता है. उन्होंने भी पठान की तरह इस मुकाबले में 3 विकेट झटककर पाकिस्तान को बैकफुट पर धकेल दिया था.
2007 T20 World Cup Final India vs Pakistan (Pic: cricketcountry)
आज भारतीय क्रिकेट टीम ने तेजी से आगे बढ़ते हुए इन यादों को भले ही पीछे छोड़ दिया हो, लेकिन क्रिकेट के इतिहास और फैंस की यादों में ऐसे मैचों की यादें हमेशा ताजा रहती हैं.
वह भी जब जीत पाकिस्तान के खिलाफ हो तो फिर क्या कहने. क्रिकेट के दीवाने टी20 विश्व विजेता बनाने के उन आखिरी लम्हों को कभी नहीं भूलना चाहेंगे, जिन्होंने उन्हें खुशी से झूमने का सुनहरा मौका दिया था.
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