15 अगस्त 1947 को देश को आज़ादी मिली और इसी साल अक्टूबर में भारतीय टीम पहली बार किसी विदेशी दौरे पर जाने का मौका मिला. इस दौरे को लेकर भारतीय क्रिक्रेट कंट्रोल बोर्ड, खिलाड़ियों और भारतीय क्रिकेट प्रेमियों में बड़ा उत्साह था.
यह पहला मौक़ा था, जब आज़ाद भारत की क्रिकेट टीम आस्ट्रेलिया जैसी ताक़तवर टीम के खिलाफ खेलने जा रही थी.
तो आईए जानते हैं कि आखिर कैसा रहा था आज़ादी के बाद भारतीय टीम का यह पहला दौरा था-
पहले विजय मर्चेंट, फिर लाला अमरनाथ को मिली कमान
आज़ादी से पहले भारत ने इंग्लैंड के साथ मैच खेला था, जिसमें कई भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया था. उन्हीं प्रदर्शनों के आधार पर खिलाड़ियों का चयन किया जाना था. जिसके लिए सेलेक्टरों ने काफी सूझबूझ दिखाई थी.
खैर, कुछ सीनियर खिलाड़ियों का अनफिट होना भी भारतीय टीम के लिए दुखद था. उनमें से एक बड़ा नाम पटौदी का भी है. ऐसे में भारतीय टीम का नेतृत्व विजय मर्चेंट के हाथों दिया गया और उपकप्तान लाला अमरनाथ को बनाया गया था.
जो टीम चुनी गई थी उसमें अनुभवी खिलाड़ियों के साथ ही नए प्रतिभावान खिलाड़ियों को भी शामिल किया गया था.
परन्तु, उसी समय देश में विभाजन के चलते मुश्ताक अली और फज़ल महमूद ने दौरे पर जाने में अपनी असमर्थता जताई. वहीं ऐन मौके पर कप्तान विजय मर्चेंट भी पैर में चोट लगने की वजह से अनफिट हो गए थे.
ऐसी परिस्थिति में जोश के साथ की गई तैयारी पर पानी फिर चुका था. भारत के मुख्य बल्लेबाजों का न जाना टीम के मनोबल पर घातक प्रहार था. जिसमें मर्चेंट और मुश्ताक के साथ ही मोदी का भी नाम शामिल है.
बहरहाल, फिर से आईसीसी से सोच विचार करने के बाद टीम चुनी.
इस बार लाला अमरनाथ को कप्तान और विजय हजारे को उपकप्तान चुना गया. ऐसे में भारत के पास सीनियर खिलाड़ियों की कमी थी, जबकि आस्ट्रेलिया के पास ब्रेडमेन जैसे दिग्गज बल्लेबाज का( होना ही बहुत बड़ी बात थी.
आस्ट्रेलिया के साथ खेली जानी थी 5 मैचों की सीरीज
भारतीय टीम के दौरे को महत्वपूर्ण देखते हुए मीडिया भी कवर करने में उत्सुक दिखी. उसने कुछ खिलाड़ियों को रिपोर्टिंग करने के लिहाज़ से अपने मीडिया चैनल में चुना. इसमें वरिष्ठ खिलाड़ी देवधर और दिलीप सिंह जैसे क्रिकेटर भी शामिल थे.
भारतीय टीम अनेक परिस्थितियों और अड़चनों का सामना करते हुए आस्ट्रेलिया रवाना हुई.
आस्ट्रेलिया के साथ 5 मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जानी थी.
वहीं मौसम की बात करें तो, इस पूरे श्रृखंला में बारिश ने खलल पैदा कर दिया था. बारिश के कारण भारतीय टीम के लिए अब चुनौती और भी कठिन हो चुकी थी. वैसे भी भारतीय टीम आस्ट्रेलिया की तेज विकेट वाली पिच से बिलकुल अनजान थी.
खैर, मैच में दोनों टीमों के खिलाड़ी अपना जौहर दिखाने को तैयार थे. खिलाड़ियों में एक नई उर्जा और जोश का संचार देखने को मिल रहा था. इस दौरे का पहला टेस्ट आस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन मैदान में शुरू हुआ.
आस्ट्रेलिया टीम पहले बल्लेबाजी करने उतरी. पहले ही मैच के पहली पारी में डॉन ब्रेडमेन ने शतक जड़ते हुए टीम का स्कोर 300 के पार पहुंचा दिया था. 382 रन पर 8 विकेट खोकर आस्ट्रेलिया ने पारी डिक्लेयर कर दिया.
अब भारतीय खिलाड़ियों की बारी थी. मगर भारतीय टीम का प्रदर्शन पहली पारी में ख़राब रहा. भारत की पूरी टीम मात्र 58 रन पर आल आउट हो गई. वहीं दूसरी पारी में भी 98 के स्कोर तक ही पहुँच पाई.
इस तरह पहला मैच भारतीय टीम 226 रन व एक पारी से हार गई.
दूसरे मैच की पहली पारी में 81 रनों की बढ़त, मगर….
बारिश से पिच गीली होने की वजह से भारतीय बल्लेबाज विरोधी टीम के गेदबाजों के सामने जद्दोजहद करते नज़र आये थे.
सीरीज का दूसरा मैच खेलने के लिए दोनों टीमें सिडनी ग्राउंड पर उतरीं. इस बार भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी किया, लेकिन पूरी टीम 188 रन पर ही सिमट गई. अब बारी आस्ट्रेलिया की थी.
भारतीय गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया और आस्ट्रेलिया को महज 107 रनों पर आल आउट कर दिया, जो दिलचस्प था. लाला अमरनाथ ने पहली पारी में 4 विकेट और फाडकर ने 3 विकेट लेकर भारतीय टीम का मनोबल बढ़ा दिया था.
अब दोनों टीमों की पहली पारी समाप्त होने के बाद भारतीय टीम 81 रनों की बढ़त बना चुकी थी.
भारतीय टीम जोश के साथ दूसरे पारी में बल्लेबाजी करने उतरी, लेकिन मौसम ने फिर इस मैच में खलल पैदा कर दिया. बारिश की वजह से ये मैच पूरा नहीं हो सका. इसी तरह दौरे का दूसरा मैच ड्रा हो गया.
विजय हजारे ने चौथे मैच की दोनों पारियों में लगाया शतक!
आस्ट्रेलिया सीरीज में 1-0 की बढ़त बना चुकी थी. दौरे का तीसरा मैच मेलबर्न ग्राउंड पर खेला जाना था.
दोनों टीमें नए साल की शुरुआत में 1 जनवरी 1948 को ग्राउंड पर उतरीं. इस मैच में आस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 394 का विशाल स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही. अब बारी भारतीय बल्लेबाजों की थी. भारत ने भी अच्छी बल्लेबाजी का मुजाहिरा करते हुए 291 रन बनाने में सफल रही, जिसमें वीनू माकड़ के द्वारा लगाया गया शतक (116 रन) महत्वपूर्ण था.
आस्ट्रेलिया के बल्लेबाज दूसरी पारी खेलने उतरे और 4 विकेट खोकर 255 रनों के साथ पारी घोषित कर दी. मगर अफ़सोस भारतीय बल्लेबाजों का बल्ला दूसरी पारी में नहीं चला और पूरी टीम 125 रनों पर ढेर हो गई.
इस तरह ये मैच भी भारत की हाथों से फिसल गया था. सीरीज के चौथे मैच में भी आस्ट्रेलिया ने शानदार प्रदर्शन किया और भारतीय टीम को हराने में कामयाब रही. इस चौथे मैच के दौरान भारतीय टीम के साथ बहुत कुछ घटित भी हुआ था.
विजय हजारे ने सीरीज के चौथे मैच की दोनों पारियों में शतक जड़कर लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा. उन्होंने पहली पारी में 116 रन और दूसरी पारी में 145 रन बनाएं. ऐसा कारनामा करने वाले वह पहले भारतीय बल्लेबाज बन चुके थे.
पांचवें मैच में काली पट्टी बांधकर उतरी टीम इंडिया
चौथा मैच ख़त्म होते ही भारतीय टीम को एक बड़ा दुखद समाचार मिला. भारतीयों के दिलों पर राज करने वाले महात्मा गाँधी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. इस घटना ने भारतीय टीम को अन्दर से हिलाकर रख दिया था.
बात यहां तक पहुंच गई थी कि टीम इंडिया बीच में ही सीरीज छोड़कर वापस लौटने वाली थी. हालांकि, इस फैसले पर दोबारा विचार किया गया और अंतत: दौरे के पांचवे मैच में भारतीय टीम ने काली पट्टी बांधकर मैदान पर उतरी.
वह बात और है कि पिछले मैच की तरह उसे इस मैच में भी आस्ट्रेलिया के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा.
इस दौरे में भारतीय टीम की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी विजय हजारे थे. उन्होंने पूरी सीरीज में 429 रन बनाए. वहीं आस्ट्रेलिया के लिए रन मशीन कहे जाने वाले दिग्गज बल्लेबाज ब्रेडमैन ने सीरीज में सर्वाधिक 715 रन बनाये थे.
भारत आज़ादी के बाद अपने पहले दौरे में आस्ट्रेलिया से सभी मैच हार चुकी थी. मगर वह अपने खेल से इस बात का एहसास सभी मजबूत विदेशी टीमों को दिला दिया था कि भारतीय टीम भी इस खेल में अपना जौहर दिखाने का माद्दा रखती है.
Web Title: After Independence First Series of Indian Cricket Team, Hindi Article
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