पिछले कई दिनों तक गूगल का डूडल चर्चा का विषय बना रहा, कारण था दक्षिण कोरिया के प्योंगचांग में हुए विंटर ओलंपिक खेल.
एक ओर गूगल लगातार विंटर ओलंपिक के लिए अपने डूडल तैयार कर रहा था वहीं दूसरी ओर, खेल के बहाने उत्तर कोरिया और अमेरिका की राजनीति अपने चरम पर रही.
हालांकि 9 फरवरी से शुरू हुए विंटर ओलंपिक विदाई ले चुके हैं. पर उनकी यादें अभी बाक़ी हैं.
हर चार साल में आयोजित होने वाले विंटर ओलंपिक खेलों में अधिकांश प्रतिस्पर्धा बर्फ की सफेद चादर पर खेली जाती है. इन खेलों में ऑल्पाइन स्कीइंग, क्रॉस कंट्री स्कीइंग, कर्लिंग, फिगर स्केटिंग, फ्रीस्टाइल स्कीइंग, आइस हॉकी आदि का आयोजन होता है, जिसमें दुनिया भर के खिलाड़ी भाग लेते हैं.
तो चलिये आज विंटर ओलंपिक को विभिन्न दृष्टिकोण से समझने की कोशिश करते हैं–
इतिहास के पन्नों से
पहला शीतकालीन ओलंपिक साल 1924 को फ्रांस के शौमॉनिक्स शहर में आयोजत किया गया था. जिसमें स्कींइग और बॉबस्लेड जैसे खेलों का आयोजन हुआ था. यह उस समय 25 जनवरी से 5 फरवरी तक चला था और इसमें 16 देशों के कुल 258 खिलाड़ियों ने भाग लिया था.
वैसे इसी तरह के खेल 1901 से 1923 के बीच यूरोप के स्वीडन में आयोजित कराए जाते रहे थे. जिन्हें ‘नॉर्डिक गेम्स’ कहा जाता था जो ओलंपिक की तरह ही हर चार साल में एक बार आयोजित किए जाते थे. लेकिन उस दौर में केवल स्कैंडिनेवियाई देश ही इसमें भाग ले सकते थे.
आपको बता दें कि उत्तरी यूरोप में स्थित देशों को स्कैंडिनेवियाई देश कहा जाता है. इनमें डेनमार्क, फिनलैंड, नार्वे, स्वीडन जैसे देश शामिल हैं. उस दौर में स्वीडन में ही हमेशा इन खेलों को आयोजित किया जाता था. सन् 1908 तक इन खेलों को अधिक सफलता नहीं मिली, लेकिन उस वर्ष लंदन ग्रीष्म ओलंपिक्स के बाद इनकी स्थिति बदली.
इसके बाद अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने नॉर्डिक खेलों को भी ओलंपिक में सम्मिलित किए जाने के प्रयास आरंभ किए लेकिन स्कैंडिनेवियाई देशों ने इसका विरोध किया. उनका मानना था कि इससे नॉर्डिक खेलों की मौलिकता खत्म हो जाएगी.
इसके बावजूद, 1916 में पहली बार शीतकालीन ओलंपिक खेल कराने का निर्णय लिया गया लेकिन उन दिनों प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था. फिर 1920 के ओलंपिक खेलों में आइस हॉकी को भी शामिल किया गया. इसके बाद 1921 में आईओसी ने निर्णय किया कि 1924 फ्रांस ओलंपिक के बाद वहीं विंटर खेल भी कराए जाएंगे, जिसके बाद से आधिकारिक रूप से विंटर ओलंपिक की शुरूआत हुई.
An Ice Hockey Match at the First Winter Olympics at Chamonix in 1924 (Pic: time)2018 के विंटर ओलंपिक का सफ़र
इस साल प्योंगचांग में हुए 23वें शीतकालीन ओलंपिक खेलों में 92 देशों के करीब 2925 खिलाड़ियों ने भाग लिया था, जिसने इसे इतिहास का सबसे बड़ा शीतकालीन ओलंपिक बना दिया है. इस दौरान 15 खेल श्रेणियों के 102 इवेंट्स का प्रसारण हुआ जिसमें स्कीइंग, स्केटिंग, स्की जंपिंग, आइस हॉकी जैसे खेल शामिल थे. इससे पहले साल 2014 के साेची में हुए शीतकालीन ओलंपिक में 88 देशों के कुल 2,858 खिलाड़ियों ने भाग लिया था.
इस वर्ष अमेरिका ने शीतकालीन ओलंपिक में अपना सबसे बड़ा दल भेजा, जिसमें 242 खिलाड़ी शामिल रहे. वहीं, इस साल स्नोबोर्ड बिग एयर, स्पीड स्केटिंग में मास स्टार्ट और कर्लिंग व अल्पाइन स्कीइंग में मिश्रित युगल श्रेणी भी शामिल की गई थीं.
इस साल के शीत ओलंपिक के उद्धाटन समारोह में 12 साल बाद दो कोरियाई देश यानी उत्तर और दक्षिण कोरिया ने एक झंडे के नीचे मार्च पास्ट किया. दोनों देशों के खिलाड़ी संयुक्त कोरिया का प्रतिनिधित्व करने वाले नीले और सफेद झंडे को लिए हुए थे. इससे पहले तूरिन में 2006 में हुए शीतकालीन ओलंपिक में दोनों देशों ने एक झंडे के तले मार्च पास्ट किया था.
इस दौरान एक और ऐतिहासिक पल आया जब दो दुश्मन देश के बड़े नेताओं दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जाए-इन और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन की बहन किम यो-जोंग ने हाथ मिलाया.
ओलंपिक खेलों की शुरुआत से नॉर्वे ने अपना वर्चस्व बनाते हुए 39 मेडल अपने नाम किए. वहीं, जर्मनी कुल 31 पदक के साथ दूसरे और कनाडा 29 पदक के साथ तीसरे पायदान पर रहा.
Opening Ceremony of the Pyeongchang Winter Olympic 2018 (Pic: 12newsnow)
रूसी खिलाड़ियों को किया गया बैन!
इस बार के विंटर ओलंपिक खेलों में रूस हिस्सा नहीं ले पाया. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने डोपिंग के एक मामले में प्योंगचांग के इन विंटर ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने से रूस को प्रतिबंधित कर दिया था.
जिसके पीछे एक लंबी कहानी है. जो शुरु हुई सन 2014 में जब एक जर्मन डॉक्यूमेंट्री ‘सीक्रेट डोपिंग: हाउ रशिया मेक इस्ट विनर्स’ आई. इस डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया कि कैसे रूस में सरकार प्रयोजित डोपिंग होती है और कैसे इसे छिपाया जाता है. जिसके बाद रूस के खिलाड़ियों पर जांच का एक लंबा सिलसिला शुरू हुआ.
वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) ने आरोपों की जांच के लिए कनाडा के एक प्रोफेसर और खेल वकील डॉ रिचर्ड मैकलेरन की सेवाएं लीं. मैकलेरन की रिपोर्ट में ये खुलासा किया कि 2012 और 2015 के बीच डोपिंग कार्यक्रम से 30 खेलों में लगभग 1000 खिलाड़ियों को लाभ पंहुचा है.
इसके बाद वाडा ने रूस की रशियन एंटी-डोपिंग एजेंसी ‘रूसाडा’ को नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में निलंबित कर दिया. साथ ही इस बीच कई खिलाड़ियों को डोपिंग मामले में निलंबित करना का सिलसिला चला. इसके बाद रूसी एथलीटों के नमूनों की दोबारा जांच हुई और खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगाकर उनसे सभी पदक वापस ले लिए गए.
हालांकि इस बार के विंटर ओलंपिक में आईओसी ने निर्दोष रूसी खिलाड़ियों को हिस्सा लेने की अनुमति दी और उन्हें ‘ओलंपिक एथलीट फ़्रॉम रशिया’ (ओएआर) के नाम से आमंत्रित किया गया.
Olympic Athletes from Russia (OARs) Enter The Stadium During Opening Ceremony. (Pic: vox)
भारत की भागेदारी
भारत ने पहली बार सन 1964 में ऑस्ट्रिया के इंसब्रक में हुए शीतकालीन ओलंपिक खेलों में भाग लिया था. जिसमें अल्पाइन स्कींइग में जेरेमी बुजोकोस्की ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था.
जेरेमी जॉन बुजोकोस्की, पोलिश मूल के भारत के अल्पाइन स्कायर थे, और शीतकालीन ओलंपिक में भारत के दो बार प्रतिनिधि थे. उन्होनें सन 1964 और 1968 में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
सन 1968 में जेरेमी के प्रदर्शन के बाद एक लंबे अंतराल के बाद सन 1988 में भारत ने विंटर ओलंपिक में भाग लिया. उस साल गुल देव, किशिर राहतना और शैलजा कुमार (शीतकालीन ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला) अल्पाइन स्कीइंग में भाग लेने वाले तीन भारतीय सदस्य बने.
वहीं प्योंगचांग में हुए इस बार के शीतकालीन आलांपिक में भारत की अोर से दो खिलाड़ी शिवा केशवन और जगदीश सिंह ने भाग लिया था. हिमाचल प्रदेश के केशवन ने छठी बार इन खेलों में भाग लिया और यह उनका आखिरी ओलिंपिक था. वो इससे पहले वर्ष 1998, 2002, 2006, 2010 और 2014 ओलंपिक खेलों में भाग ले चुके हैं.
चार बार के एशियन चैंपियन रहे शिवा ल्यूज में, जबकि जगदीश 15 किमी क्रांस कंट्री स्पर्धा में चुनौती पेश की. प्योंगचांग ओलंपिक जगदीश के करियर का पहला ओलंपिक रहा. पुरुष सिंगल्स ल्यूज स्पर्धा में शिवा केशवन 34वें स्थान पर रहे. इसके साथ ही उन्होंने अपने दो दशक से लंबे चले अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कह दिया. वहीं, जगदीश सिंह भी क्रॉस कंट्री स्कीइंग में 103वें स्थान पर रहे.
साल 2014 में हुए शीतकालीन ओलंपिक में भारत के तीन खिलाड़ियों ने भाग लिया था. विंटर ओलिंपिक में अब तक भारत के 14 खिलाड़ी भाग ले चुके हैं लेकिन इनमें से कोई भी पदक नहीं जीत सका है.
Flag bearer Shiva Keshavan during the Opening Ceremony of Winter Olympic. (Pic: youtube)बहरहाल, विंटर ओलंपिक अपनी खट्टी-मीठी यादों के साथ अलविदा कह चुका है. बाक़ी आने वाले समय में यही उम्मीद है कि भारत का प्रदर्शन विंटर ओलंपिक में बेहतर हो.
Web Title: Brief History Of Winter Olympics And About Winter Olympics of 2018, Hindi Article
Feature Image Credit: healthylivingandtravel