हाल ही में क्रिकेट के गलियारों से एक ऐसी खबर ने तूल पकड़ा, जिसकी फिलहाल तो किसी ने कल्पना नहीं की थी. खबर यह थी कि बीसीसीआई ने भारतीय क्रिकेट टीम के वर्तमान कोच कुंबले के कार्यकाल को बढ़ाने वाले कयासों को दरकिनार करते हुए नए कोच के लिए आवेदन मंगा लिये. मौजूदा कप्तान विराट कोहली की मानें तो यह एक आम प्रक्रिया है, जो बदस्तूर चली आ रही है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है. पर क्या सच में यह आम प्रक्रिया जैसा ही है, या फिर कहानी कुछ और है? आईये इसके जवाब के लिए इस मामले से जुड़े हर पहलू को जरा नजदीक से जानने की कोशिश करते हैं.
फ्लैशबैक
कहते हैं कि किसी भी मामले को सही से जानने के लिए उसकी जड़ में जाकर शुरुआत करनी चाहिए, इसलिए मौजूदा खबर से जरा सा हटते हुए, आईये चलते हैं फ्लैश बैक में. आज से लगभग एक साल पहले बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर एक प्रेस कांफ्रेस बुलाते हैं, जिसमें वह ऐलान करते हैं कि अनिल कुंबले होंगे भारतीय क्रिकेट टीम के नए कोच.
यह खबर टीम इंडिया के लिए सुखद थी, क्योंकि एक लम्बे समय से टीम बिना कोच के खेल रही थी, पर इस खबर ने कुछ पूर्व खिलाड़ियों के बीच में जंग छेड़ दी. बात यहां तक बढ़ गई कि सार्वजनिक मंचों तक पहुंच गई.
आमतौर पर अभी तक भारतीय क्रिकेट टीम में खिलाड़ियों या कप्तान के चयन पर तो सवाल उठते थे, मगर कोच की नियुक्ति पर इससे पहले कभी इतना हंगामा नहीं हुआ था. चूंकि इस बार भी पिछली बार की तरह हंगामा शुरु हो चुका है, इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि इसकी नींव पिछले साल ही पड़ गई थी. वह बात और है कि इस बार किरदार और कहानी दोनों अलग है.
Controversy Between Anil Kumble and BCCI (Pic: indianexpress.com)
कुंबले की नियुक्त की खबर ने जिस व्यक्ति को सबसे ज्यादा परेशान किया, वह थे रवि शास्त्री. असल में वह लगभग 18 महीनों से टीम को बतौर प्रशिक्षक लीड कर रहे थे और टीम भी बेहतर प्रदर्शन कर रही थी. ऐसे में वह कोच पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे थे, पर जब ऐसा न हो सका तो वह आहत हो गये और उन्होंने सौरभ गांगुली पर जमकर आग उगली. हालांकि,
सौरभ गांगुली भी पीछे नहीं हटे और ईंट का जवाब पत्थर से दिया. यह मामला इतना ज्यादा खिच गया था कि, पूर्व क्रिकेटर दो गुटों में नज़र आए. कुछ खिलाड़ी शास्त्री के साथ खड़े दिखे, तो कुछ गांगुली के पक्ष में बोले.
ऐसे में इसकी पूरी संभावना है कि पर्दे के पीछे से रवि शास्त्री बीसीसीआई को साधने में कामयाब रहे हों, नतीजन बीसीसीआई और कुंबले में हालिया विवाद नज़र आ रहा है. कैप्टन विराट कोहली से भी रवि शास्त्री के सम्बन्ध अच्छे बताये जाते हैं. अगर ऐसा है तो भी रवि शास्त्री की डगर आसान नहीं है, क्योंकि कुंबले की इंट्री सीधे साक्षात्कार राउंड में है और जिस कमेटी को कोच का चयन करना है, उसमें सचिन तेंडुलकर, गांगुली व वीवीएस लक्ष्मण मौजूद हैं, जोकि उनके दोस्त बताये जाते हैं.
पहले भी उठे थे बीसीसीआई पर सवाल
सनद हो कि कुंबले को बतौर कोच नियुक्त करने के बाद बीसीसीआई की जमकर आलोचना हुई थी. कहा गया कि कोई अनुभव न होने के बावजूद कुंबले को कोच इसलिए बनाया गया क्योंकि वे चयनकर्ताओं के मित्र हैं. ऊपर से रवि शास्त्री के कार्यकाल को भी जिस तरह से अनदेखा किया गया वह भी लोगों के गले नहीं उतरा था.
शास्त्री के 18 माह के कार्यकाल में भारत ने तीन सीरीज जीती थी और एकदिवसीय विश्व कप के सेमीफाइनल तक पहुंचने में कामयाब रही थी. ऐसे में मुमकिन है कि बीसीसीआई उस समय हुई गलती को सुधारते हुए रुठे रवि शास्त्री को मनाने की जुगत में हो.
अगर ऐसा है तो वह फिर से गलती करने जा रही है, क्योंकि अब कुंबले के पास अनुभव भी है और आंकड़े भी. साथ ही उनके कोच बनने के बाद टीम के खिलाड़ियों में भी नई ऊर्जा का संचार हुआ है, जिसकी चर्चा भारतीय खिलाड़ी करते रहते हैं. खासकर कप्तान विराट कोहली, जो कभी रवि शास्त्री को टीम के कोच के रुप में देखना चाहते थे.
Ravi Shastri (Pic: Indianexpress.com)
नए अफसरों से प्रभावित है यह फैसला?
जिस वक्त कुंबले कोच बने थे, उस समय बीसीसीआई में अनुराग ठाकुर जैसे बड़े नाम सक्रिय थे. अब चूंकि समय का चक्र घूमने के कारण उस वक़्त के सभी बड़े नामों के चले जाने के बाद एडमिनिस्ट्रेटिव पदों पर नए लोग आकर बैठे हैं, तो क्या यह माना जाये कि बीसीसीआई का यह फैसला इन नए अफसरों के नए प्लान का नतीजा है. हालांकि, कुम्बले की नियुक्ति के दौरान बीसीसीआई की तरफ से कहा गया था कि ‘यह एक प्रोफेशनल अपॉइंटमेंट है, जो फिलहाल सही है. भविष्य में इसमें विचार की गुंजाइश है, इसलिए कुंबले को एक साल का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है. अब एक साल खत्म होते ही आवेदन मांगे गए हैं, तो माना जा रहा है कि बीसीसीआई अपने फैसले पर दोबारा विचार करना चाहती है, पर कुंबले का जिस तरह से टीम के साथ सामंजस्य और प्रदर्शन रहा है, वह कितान सही है? यह एक बड़ा सवाल है.
क्या कुंबले के पर कतरना चाहती है बीसीसीआई?
बीसीसीआई की घोषणा इस ओर इशारा करती है कि वह कुंबले से खुश नहीं है. उनके नाखुश होने का कारण कुंबले का प्रदर्शन नहीं है. बल्कि, इसके पीछे कारण यह है कि खिलाड़ियों के केंद्रीय अनुबंध और अपने वेतन में इजाफे के लिये उन्होंने काफी आक्रामक रवैया अपनाया, जो बीसीसीआई को बिल्कुल रास नहीं आया. बताते चलें कि
कुंबले ने कोहली के साथ से सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त सीओए (Committee of Administrators) के सामने फ़ीस में बढ़ोतरी की मांग का प्रस्ताव रखा है, जिसको सीओए ने बीसीसीआई को देखने के लिए कहा है.
ऐसे में माना जा रहा है कि बीसीसीआई का यह फैसला कुंबले के पर कतरने के लिए लिया गया है. बीसीसीआई जानता है कि अगर वह इसमें सफल रहा, तो कुंबले निष्किय हो जायेंगे और पैसों में बढ़ोत्तरी का चैप्टर यहीं क्लोज हो जायेगा.
BCCI (Pic: inkhabar.com)
क्या कहती है लोढ़ा कमेटी
कुंबले ने फीस बढ़ोत्तरी को लेकर जो मांग की है, वह एक तरह से जायज है. लोढ़ा कमेटी के सदस्य शंकरनारायणन का भी यही मानना है कि कुंबले ने खिलाड़ियों के हित में खड़ा होने का साहसिक फैसला लिया. हालांकि, मुख्य कोच को प्रतिमाह लाखों रुपये से अधिक वेतन मिलता है और खिलाड़ियों को भी एक मोटी रकम दी जाती है, पर मुनाफा बढ़ने पर हिस्सेदारी में बढ़ोत्तरी की मांग को गलत नहीं ठहराया जा सकता.
सनद हो कि, आईसीसी से बीसीसीआई को मुनाफे के तौर पर एक बड़ी रकम आती है, जिसे शायद वह किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहती. इसलिए माना जा रहा है कि कुंबले की मांग उसे खटक रही है और वह इसको इस तरह से दबाना चाहती है कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे. हालांकि, यह कयास भर है, सच्चाई का सामने आना अभी बाकी है.
शानदार प्रदर्शन के बाद अनदेखी पर सवाल
अमूमन सफल कोच का कार्यकाल बढ़ाने की परंपरा रही है. पर कुंबले के मामले में ऐसा न किया जाना बीसीसीआई को कटघरे में खड़ा करता है. लोढ़ा कमेटी का भी मानना है कि कुंबले को कमतर आंकना ठीक नहीं है. उन्हें एक साल के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए किसी भी तरह की चयन प्रक्रिया चलाने की बजाय ऑटोमेटिक एक्सटेंशन दे देना चाहिए.
बताते चलें कि भारत ने कुंबले के कोच रहते घरेलू सत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 13 में से 10 टेस्ट जीते, दो ड्रॉ खेले और सिर्फ एक गंवाया. सबसे हैरानी की बात यह है कि ऐसे समय में नये आवेदन मंगवाये गए हैं जब टीम चैंपियंस ट्रॉफी खेलने इंग्लैंड पहुंची ही है.
बीसीसीआई चैंपियंस ट्रॉफी खत्म होने तक इंतजार कर सकता था लेकिन उसका ऐसा न करना साफ इशारा करती है कि कुंबले उसकी आंखों में खटक रहे हैं, जिसे वह एक दिन भी बर्दाश्त नहीं कर सकता.
कोहली-कुंबले के बीच मनमुटाव की खबरों का सच
खबर है कि, टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली और कोच अनिल कुंबले के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है? कहा जा रहा कि कप्तान विराट कोहली और कई सीनियर प्लेयर कुंबले के टीम को गाइड करने के तरीके से खुश नहीं हैं. यह कितना सही है यह तब तक नहीं कहा जा सकता, जब तक इस पर कप्तान और कोच दोनों सामूहिक रुप से कोई बयान नहीं देते.
बताते चलें कि, कुंबले के चुनाव से पहले बतौर कोच रवि शास्त्री उनकी पहली पंसद थे. उन्होंने उनकी वकालत भी की थी, पर कुंबले के मौजूदा प्रकरण में उन्होंने जिस तरह से बीसीसीआई के रवैये को सिर्फ ‘एक सामान्य प्रकिया बताया’ वह हैरान करने वाला था.
क्योंकि जिस तरह से कुंबले ने कोहली के साथ टीम की फीस में बढ़ोत्तरी की मांग की थी, उससे माना जा रहा था कि वह कुंबले के साथ खड़े दिखेंगे.
Virat Kohli Unhappy With Anil Kumble (Pic: news18.com)
अभी तक बतौर कोच कुंबले सफल रहे, पर बीसीसीआई के इस फैसले के बाद 1 जून से शुरु हो रही आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम का प्रदर्शन बहुत कुछ तय करेगा. घरेलू पिचों पर भारतीय टीम के आंकड़े बेहतर हैं. लेकिन कई बार विदेश जाकर टीम मुश्किल में नज़र आती है. इसलिए हर कोच की सफलता-विफलता का मापदंड विदेशी दौरा माना जाता है. ऐसे में यदि वह सफल रहे तो उनका पक्ष मजबूत होगा और बीसीसीआई को न चाहते हुए कुंबले के नाम पर सहमति जतानी पड़ सकती है.
Web Title: Controversy Between Anil Kumble and BCCI, Hindi Article
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