एक वक्त था जब अगर सबसे बेहतर मैच फिनिशर की बात होती थी, तो सभी की जुबान पर आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बेवन (Link in English) का नाम आता था. वहीं अगर अब किसी से पूछा जाये, तो वह बेहिचक महेंन्द्र सिंह धोनी का नाम लेता है.
वैसे भी महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट का वह नाम बन चुके हैं, जिनके बारे में जितनी बात की जाये वह कम होगी. महानतम कप्तान, स्मार्ट विकेटकीपर और सर्वश्रेष्ठ मैच फिनिशर, क्या-क्या कहा जाये उन्हें? आईये एक नज़र कुछ ऐसे मौकों पर जब धोनी ने अनहोनी को कर दिया होनी:
हाल ही श्रीलंका के साथ खेली जा रही सीरीज में धोनी ने अपने बल्ले की धमक से दुनिया को बता दिया कि अभी वह बूढ़े नहीं हुए हैं. उन्होंने बता दिया कि उन्हें दुनिया का सबसे शानदार फिनिशर क्यों कहा जाता है. पहले दूसरे और बाद में तीसरे वनडे में उन्होंने अंत तक खड़े रहकर भारतीय टीम को जीत दिलाई. इसी के साथ धोनी वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा बार नॉट आउट रहने वाले बल्लेबाज बन गए हैं. धोनी वनडे क्रिकेट में कुल 72 बार नॉट आउट (Link in English) रहे हैं.
वहीं लक्ष्य का पीछा करने के दौरान वो 40 बार नॉट आउट रहे हैं और इस दौरान उन्होंने 27 बार अपने बल्ले से रन बनाकर टीम को जीत दिलाई है. वहीं धोनी टी20 में कुल 33 बार नॉट आउट रहे हैं और लक्ष्य का पीछा करने के दौरान वो 12 बार नॉट आउट रहे हैं. उन्होंने खेल के इस फॉर्मेट में 9 बार अपने बल्ले से रन बनाकर टीम को जीत दिलाई है.
टेस्ट में भी धोनी 16 बार नॉट आउट रहे हैं और दूसरी पारी में वो कुल 4 बार नॉट आउट रहे हैं. टेस्ट में उन्होंने 3 बार अपने बल्ले से रन बनाकर टीम को जीत दिलाई है.
Dhoni the world’s greatest finisher (Pic: Sportskeeda.com)
जब छक्कों से दिलाई भारत को जीत
31 जुलाई 2005 को इंडियन ऑयल कप के दूसरे मैच में धोनी क्रीज पर थे. भारत को जीतने के लिए 179 (Link in English) बनाने थे. यह मैच श्रीलंका के दांबुला अंतरराष्ट्रीय मैदान पर खेला जा रहा था. वेस्टइंडीज की तरफ से घातक गेंदबाज जर्मेन लॉसन बॉलिंग कर रहे थे. वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2003 में हैट्रिक भी ले चुके हैं, पर धोनी के लिए वह महज़ एक गेंदबाज थे. उन्होंने इस मैच के 36वें ओवर की अंतिम गेंद पर छक्का लगाकर स्टेडियम पर मौजूद लोगों को अपने पैरो पर खड़ा होने के लिए मजबूर कर दिया था.
4 सितंबर 2005, भारत और जिम्बाब्वे के बीच त्रिकोणीय सीरीज के छठे मैच में भी धोनी ने कुछ ऐसा ही किया. जिम्बाब्वे ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के सामने 251 रन का लक्ष्य रखा था. जब टीम इंडिया 91 रन पर पांच विकेट खोकर हार के कगार पर पहुंच गई थी, तब धोनी ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 63 गेंदों पर 67 रन बनाए थे. यही नहीं ब्लेसिंग महारे की गेंद पर छक्का मारकर उन्होंने मैच भारत के नाम कर दिया था.
31 अक्टूबर 2005 सवाई मानसिंह स्टेडियम में उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ तीसरे वनडे मैच में तो गजब ही कर डाला. इस मैच में श्रीलंका ने भारत के सामने 299 रन का लक्ष्य दिया था. इस मैच में भारत की शुरुआत खराब रही. सचिन, द्रविड़ जैसे दिग्गज जल्दी पवेलियन लौट चुके थे. ऐसे में धोनी को पहले बल्लेबाजी करते हुए पहले खेलने का मौका दिया गया, तो उन्होंने बल्ले से भारत की बल्ले कर दी. इस मैच में धोनी ने विस्फोटक पारी खेलते हुए अपने करियर के बेस्ट 183 रन (Link in English) बनाए, जिसमें 15 चौके और 10 छक्के शामिल थे. यही नहीं 47वें ओवर की पहली गेंद पर धोनी ने छक्का लगाकर श्रीलंका के हाथ से यह जीत छीन ली थी.
यहीं नहीं रुका सिलसिला…
15 नवंबर 2007, ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में धोनी के बल्ले ने अनहोनी को होनी करने कर दिया. पाकिस्तान के साथ खेले जा रहे इस मैच में भारत के सामने 255 रन का टारगेट था. धोनी ने इस मैच में 45 रन की शानदार पारी खेली थे और सलमान बट की गेंद पर छक्का लगाकर भारत की जीत पर मुंहर लगा दी. भारत ने यह मैच 6 विकेट से जीता था.
26 जून 2008 को कराची के मैदान में पाकिस्तान के खिलाफ धोनी ने एक बार फिर अपना कमाल दिखाया. उन्होंने यूनुस खान की गेंद पर छक्का लगाते हुए भारत को जीत दिलाई थी.
Dhoni the world’s greatest finisher (Pic: topnews.in)
वर्ल्ड कप फाइनल जीतकर ‘जीता दिल’
2011 आईसीसी वर्ल्ड कप के फाइनल (Link in English) मैच में नुवान कुलसेकरा की गेंद पर उनके द्वारा लगाया गया छक्का शायद ही कोई भूला होगा. 28 साल के बाद भारत के पास यह बड़ा मौका था दोबारा से विश्व विजेता बनने का. श्रीलंका के खिलाफ 274 रन का पीछा करते हुए जब भारत सचिन तेंदुलकर, सहवाग और कोहली के विकेट खोकर दबाब में था, तब कप्तान धोनी ने युवराज से पहले उतरने का फैसला किया. उन्होंने शानदार बल्लेबाजी करते हुए न केवल 79 गेंदों पर 91 रन बनाए, बल्कि गौतम गंभीर को भी बीच-बीच में समझाते रहे और उन्हें लंबी पारी खेलने के लिए प्रेरित किया. बाद में जो हुआ सभी को पता है. धोनी ने कुलसेकरा की धारदार गेंदबाजी को बेअसर करते हुए भारत को वर्ल्ड कप दिला दिया था.
धोनी का प्रदर्शन यूंही चलता रहा. 11 जुलाई 2013, पोर्ट ऑफ़ स्पेन के मैदान पर एशिया की दो दिग्गज टीमें भारत और श्रीलंका त्रिकोणीय टूर्नामेंट का फाइनल खेल रहीं थीं. श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के सामने 201 का लक्ष्य रखा था. धोनी ने इस मैच में 45 रन की पारी खेली और आखिरी ओवर में एरंगा की गेंद पर छक्का लगाते हुए दुनिया को बता दिया कि उन्हें क्यों दुनिया का सबसे बड़ा फिनिशर क्योंं कहा जाता है.
धोनी के अलावा अन्य मैच फिनिशर्स की बात की जाये तो क्रमवार (Link in English) उनके बाद आस्ट्रेलिया के माइकल बेवन, साउथ अफ्रीका के लांस क्लुसनर, माइकल हसी (आस्ट्रेलिया) और पाकिस्तान के जावेद मियांदाद का नाम आता है. अब जबकि, यह सारे नाम ही क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं, तो दूर-दूर तक कोई नज़र नहीं आता, जो धोनी के इस रिकॉर्ड की बराबरी कर सके.
Dhoni With Bhuvnesh (Pic: sportzwiki.com)
श्रीलंका के खिलाफ चौथा वनडे धोनी के करियर का 300वां मैच होगा और धोनी अपने 300वें मैच को यादगार बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहेंगे. बताते चलें कि भारत ने पहले ही श्रीलंका हराकर सीरीज को अपने नाम कर लिया है.
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