एशियन गेम्स 2018 में पहलवान विनेश फोगाट ने जबसे फ्रीस्टाइल 50 किग्रा वर्ग के खिताबी मुकाबले में जापान की पहलवान यूकी आयरी को चित्त किया है, तबसे वह सुर्खियों में हैं.
लोगों की जुबान पर बस एक ही सवाल है कि आखिर भारत के लिए गोल्ड जीतने वाली यह बहादुर लड़की है कौन!
ऐसे में उनको नजदीक से जानना सामयिक रहेगा-
गांव 'बिलाली' से आती हैं विनेश
विनेश हरियाणा में भिवानी के बलाली गांव से आती हैं. बिलाली के बारे में बताते चलें कि वह हरियाणा का वही गांव है, जहां के लोग आज भी लड़कियों को चूल्हे-चौके तक ही सीमित रखना चाहते हैं. बावजूद इसके इस गांव ने कर्इ खेल प्रतिभाएं पैदा कीं.
वह तो भला हो! विनेश के पिता राजपाल का जिन्होंने न सिर्फ अपने बड़े भाई महावीर की बात मानी.
ये वही महावीर हैं, जिनका जिक्र आपने आमिर खान की फिल्म दंगल में देखा होगा. बिल्कुल सही सोच रहे हैं आप विनेश दंगल वाली बहनों गीता व बबीता की चचेरी बहन हैं.
विनेश महज 10 साल की रही होगी, जब जमीन के एक विवाद में उनके पिता की हत्या कर दी जाती है. यह उनके लिए बड़ी क्षति थी. ऐसे में उनके ताऊ महावीर फोगाट उनका सहारा बने. उन्होंने विनेश को पहलवानी के गुर सिखाने शुरू किए. उन्होंने न सिर्फ विनेश को घर से बाहर निकला, बल्कि अखाड़ों में लड़कों के साथ उनकी कुश्ती लड़वार्इ.
विनेश खुद बताती हैं कि वह पहलवानी में अच्छी थीं, लेकिन उन्हें इसका ज्यादा शौक नहीं था. वह अभ्यास के दौरान कई बार लापरवाही भी करती थी. ऐसे में उनके ताऊ सख्ती से पेश आते और ट्रेनिंग में कोई कोताही नहीं बरतते.
अंतत: उनकी मेहनत रंग लाई और वो एक अंतरराष्ट्रीय पहलवान बन गईं.
इस तरह विनेश का जीवन पटरी पर लौटते हुए दिख रहा था, लेकिन चुनौतियां यही खत्म नहीं हुई थीं!
बाधाएं भी नहीं रोक सकी रास्ता
अपने ताऊ महावीर की मदद से विनेश अपने गांव 'बिलाली' के अवरोधों को तो पार कर चुकी थीं. साथ ही ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स, 2014 और गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स के माध्यम से अपने हुनर का लोहा दुनिया को मनवा चुकी थी.
इसी बीच 2016 में आयोजित हुई एक 'ओलंपिक फ्री स्टाइल कुश्ती' प्रतियोगिता में भी वह जगह बनाने में सफल रही, लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि यह प्रतियोगिता उनके करियर पर ही प्रश्नचिन्ह लगा देगा.
इस रियो ओलपिंक के दौरान वह फ्रीस्टाइल स्पर्धा के 48 किलोग्राम भार वर्ग के लिए चीन की सुन यानान के सामने थी. दोनों की बीच इस प्रतियोगिता का क्वार्टर फाइनल मुकाबला खेला जाना था.
मैच शुरू हुआ तो वह 'सुन यानान' पर भारी पड़ीं. जल्दी ही उन्होंने 1-0 से बढ़त बना ली. लग रहा था वह इस मुकाबले को आसानी से जीत लेंगी, तभी उनका घुटना चोटिल हो गया और उन्हें स्ट्रेचर पर मैदान से बाहर लाना पड़ा.
आगे डॉक्टर ने उन्हें खेलने तक से मना कर दिया था. उन्होंने विनेश को हिदायत देते हुए कहा कि अगर वह इस स्थिति में खेलती हैं, तो उनकी जान को खतरा हो सकता है. मगर विनेश कहाँ मानने वाली थीं. उन्होंने थोड़ा सा स्वस्थ होने पर अपना अभ्यास शुरू कर दिया. इस दौर से निकलने में उनकी फोगाट बहनों का खासा योगदान रहा.
वह बताती है कि इस चोट के कारण उन्हें कई बार बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. कई खिलाड़ी तो जान-बूझकर उनकी चोटों को निशाना बनाते थे, ताकि उन्हें आसानी से हराया जा सके. ऐसी परिस्थितियों का विनेश ने बड़ी बहादुरी से सामना किया. नजीता यह रहा कि 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने दुनिया को अपना दम दिखाया.
साथ ही दुनिया को संदेश दिया कि इरादे मजबूत हो तो बाधाएं आपका रास्ता नहीं रोक सकतीं.
2016 का बदला 2018 में लिया
इसे संयोग ही कहा जाएगा कि जिस खिलाड़ी के खिलाफ खेलते हुए विनेश को रियो ओलंपिक 2016 में चोट का सामना करना पड़ा था. 2018 के एशियन गेम्स में उनका मुकाबला एक बार फिर से उनसे ही था.
अंतत: 20 अगस्त को दोनों एक दूसरे के सामने आए तो सभी की नज़र इस मैच के परिणाम पर थी. मैच शुरु हुआ तो अपने पहले ही राउंड में विनेश सुनियान को 8-2 के अंतर से मात देकर अपना हिसाब पूरा किया.
फाइनल मुकाबले के लिए जब विनेश मैदान में उतरीं तो वह पैर में दर्द की समस्या से जूझ रही थीं. इसके बावजूद उन्होंने विरोधी को हावी नहीं होने दिया और जापानी पहलवान को चारों खाने चित्त कर भारत की झोली में गोल्ड डाल दिया.
उनकी कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि आज पूरी दुनिया उन्हें पहचानती है. अपने यहां तक के करियर में उन्हें कई पदक जीते हैं. इसमें 2014 और 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स का गोल्ड और इंचियोन एशियन गेम्स का ब्रॉन्ज मेडल शामिल है.
अपने शानदार प्रदर्शन के चलते वह भारत सरकार द्वारा सितम्बर 2016 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित की जा चुकी हैं.
विनेश ने जिस तरह से चोटिल होने के बावजूद खुद को खड़ा किया, वह बताता है कि 'चोटें' एक खिलाड़ी के करियर का हिस्सा होती हैं. इसलिए उनके सामने डटे रहना चाहिए, लड़ते रहना चाहिए, वह भी आलोचनाओं को अनसुना करते हुए.
विनेश की कहानी यह भी बताती है कि देश की बेटियों को सिर्फ मौका देने की जरूरत है, वह आसमान छू सकती हैं.
एक कहावत भी यही कहती है कि मन के हारे, हार है. मन के जीते-जीत.
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Web Title: Frst Women Wrestler Vinesh Phogat, Hindi Article
Feature Image Credit: Mumbai Mirror