मेसी के गोल के लिए नेमार को मदद करते हुए या फिर रोनाल्डो को गोल करने के बाद सुआरेज के साथ खुशी बांटने की तस्वीरें आपने कई बार देखी होंगी. अक्सर फुटबॉल मैच के बाद ऐसी दोस्ती भरी तस्वीरें सामने आ ही जाती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मैदान के बाहर और मैदान के भीतर इनके रिश्ते मजबूत हैं मगर ऐसा हमेशा नहीं होता.
यूँ तो हर अधिकाँश खिलाड़ी एक दूसरे के साथ दोस्ती दिखाते हैं मगर फुटबॉल की दुनिया में कई खिलाड़ी ऐसे भी हैं, जो साथ में खलते हैं मगर कभी दोस्त नहीं बन पाए. तो चलिए जानते हैं फुटबॉल की दुनिया के ऐसे ही राइवल जोड़ियों से–
रॉबर्ट लेवांडोवस्की और जकूबा
यह दोनों खिलाड़ी पोलिश जाति के हैं और पुर्तगाल की टीम में खेलते थे. जकूबा पुर्तगाल टीम के कप्तान हुआ करते थे और रॉबर्ट टीम के मजबूत आधार. दोनों के बेहतरीन खेल की बदौलत टीम के सितारे बुलंद थे. इसी दौरान एक बार मैच के दौरान जकूबा चोटिल हो गए. इस परिस्तिथि में टीम की कमान रॉबर्ट को सौंप दे दी गई.
बाद में टीम मैनेजमेंट ने रॉबर्ट को स्थाई तौर पर टीम का कप्तान बना दिया. जकूबा ने जब वापसी की, तो परिस्थितियां बदल चुकी थीं. उन्होंने टीम में खेलना तो शुरू कर दिया, पर रॉबर्ट की कप्तानी उनको रास नहीं आई.
कहते हैं बस यहीं से उनके बीच तल्खी बढ़ने लगी और आजीवन जारी रही.
बॉबी चार्लटन और जैक चार्लटन
ये दोनों इंग्लैंड के रहने वाले थे और सगे भाई थे. दोनों भाई मैनचेस्टर यूनाइटेड की टीम से खेलते थे. ये मैनचेस्टर यूनाइटेड के सर्वकालिक महान खिलाड़ी हुआ करते थे, पर हैरानी की बात यह थी कि इनके रिश्ते मजबूत नहीं थे. दोनों के बीच ‘ऑन द फील्ड’ हो या फिर ‘ऑफ द फील्ड’ रिश्ते हमेशा तनावपूर्ण ही रहे. दोनों भाई खेलते तो साथ ही थे मगर ऐसा न तो कभी अपनी जीत की खुशी साथ मनाते न ही कभी हार का गम. दोनों साथ खेलते हुए दुश्मन की तरह थे.
इसका कारण ये बताया जाता है कि एक बार बॉबी ने प्रेस कांफ्रेंस में जैक की पत्नी और अपनी माँ के बीच के रिश्ते को लेकर कोई खुलासा कर दिया था….इसको लेकर जैक के रिश्ते अपने भाई के साथ तल्ख हो गए थे. इस घटना के बाद से दोनों भाई के बीच की यह दीवार खड़ी हो गई थी. कहते हैं कि फुटबॉल करियर ख़त्म होने तक भी दोनों भाई कभी एक नहीं हो पाए.
ज्लाटन इब्राहिमोविक और मार्क दे मैन
इब्राहिमोविक किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. मार्क दे मैन भी अपने समय के महानतम स्ट्राइकर रहा चुके हैं. फुटबॉल की दुनिया में दोनों ही खिलाड़ियों को एक साथ पहचान मिली थी और साथ ही टकराव का दौर भी शुरू हो गया. जितने बड़े यह दोनों खिलाड़ी थे उनता ही बड़ा ही इनके बीच का टकराव.
इब्राहिम स्वीडन की ओर से खेलते थे और मार्क दे मैन हॉलैण्ड की ओर से. एक मैच के दौरान बॉल पर कब्जा करने की कोशिश करते हुए मार्क दे मैन, फाउल करार दिए गए. मैच के बाद मार्क दे मैन ने बयान दिया कि इब्राहिम उनको चोटिल करने का प्रयास कर थे. मार्क के लिए यह इल्जाम एक दम रही था मगर इब्राहिम को यह गुजारा नहीं था. उन्हें यह बात अच्छी नहीं लगी की कोई उनके ऊपर इल्जाम लगा रहा है. इस एक बयान के बाद इब्राहिम के अंदर नफ़रत की आग फ़ैल गई.
इसपर इब्राहिम ने बयान दिया कि ‘मैं तो उसकी दोनों टांगें तोड़ देना चाहता था, पर संयोग से वो बच गया.’ इब्राहिम के इस बयान ने, तो एक नई जंग की शुरुआत कर दी. इसके बाद दोनों जब भी मैदान में आते, तो उनके बीच कोई न कोई किस्सा जरूर होता.
Mark De Man & Zlatan Ibrahimovic (Pic: portfolio.lesoir/standard)
लोथर मैथ्स और स्टीफन एफेंबर्ग
ये दोनों जर्मन थे और बायर्न म्यूनिख की टीम की ओर से खेलते थे. हालांकि दोनों ही खिलाड़ियों में हमेशा टकराव की स्थिति रही. ये दोनों एक-दूसरे का साथ पसंद नहीं करते थे. 1990 फीफा विश्व कप के दौरान एक पेनल्टी शूट-आउट से मना करने पर मैथ्स को स्टीफन एफेंबर्ग ने डरपोक और भगौड़ा कह दिया था. इस एक घटना के बाद इन दोनों के बीच दुश्मनी की चिंगारी जल उठी.
वहीं साल 2001 में एक मैच हारने पर एफेंबर्ग के खराब प्रदर्शन को लेकर मैथ्स ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि ‘उसे बायर्न म्यूनिख को छोड़ देना चाहिए.’ यह दूसरा मौका था जिसने इन दोनों के बीच लड़ाई और बढ़ा दी. इसी क्रम में एफेंबर्ग जब अपने करियर के आखिरी दौर में थे, उस समय उनकी जीवनी प्रकाशित हुई. इस किताब के एक पन्ने से काफी हायतौबा मची, क्योंकि इसमें टॉपिक था मैथ्स का फुटबॉल ज्ञान और बाकि पूरा पन्ना खाली था.
यह दोनों कोई भी मौका नहीं छोड़ते थे एक दूसरे को नीचा दिखाने का. प्रेस कांफ्रेंस में कोई न कोई एक दूसरे के बारे में कटीले शब्द बोल ही देता था. इसके कारण ही इनकी दुश्मनी और भी बढ़ गई.
एमलिन ह्यूज और टॉमी स्मिथ
एमलिन ह्यूज और टॉमी स्मिथ लिवरपूल की ओर से खेलते थे. 70 के दशक में दोनों की जोड़ी ने अपनी टीम को लगातार जीत का स्वाद चखाया. किन्तु, दोनों के आपसी संबंध हमेशा कटुतापूर्ण रहे. टॉमी स्मिथ के लिए लिवरपूल घरेलू टीम थी और प्रशंसक उनको आयरन मैन कहकर बुलाया करते थे.
स्मिथ टीम के कप्तान भी हुआ करते थे, लेकिन एक बार खराब व्यवहार की वजह से उनकी कप्तानी छीन ली गई. उनसे कप्तानी लेने के बाद एमलीन ह्यूज को कप्तान बना दिया गया. ये बात स्मिथ को पसंद नहीं आई.
नजीता यह रहा कि आगे दोनों टीम में साथ तो थे, पर उनके संबंध कटूतापूर्ण थे. यहां तक कि अभ्यास के समय दोनों नजरें नहीं मिलाते थे. आपस में छींटाकशी करते थे.
इस दौरान ह्यूज की कप्तानी में लिवरपूल को लगातार सफलता मिलती रही. अपने करियर के आखिरी दौर में स्मिथ ने कहा कि मेरा पूरा जीवन फुटबॉल को समर्पित रहा. खासतौर पर लिवरपूल की टीम के लिए, लेकिन मुझे कप्तानी से हटाकर ह्यूज को कप्तान बनाया जाना मेरे लिए बहुत निराशाजनक रहा.
Emlyn Hughes & Tommy Smith (Pic: pinterest/whoateallthepies)
तो यह थी फुटबॉल की वह जोड़ियाँ, जो साथ तो खेलीं, लेकिन कभी इनके दिल एक नहीं हो पाए. ऐसी कोई और जोड़ी के बारे में अगर आप जानते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Footballer Who Have Rivalry, Hindi Article
Featured Image Credit: sportbible