जिस तरह भारत और पाकिस्तान के मैच के लिए इन दोनों देशों के क्रिकेट प्रेमी ताक लगाए बैठे रहते हैं, कमोबेश उसी तरह इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट फैन्स दशकों से इनके बीच चली आ रही क्रिकेट सीरीज ‘एशेज’ का इंतज़ार करते हैं!
एक लंबे अरसे से दोनों ही देश इस सीरीज को जीतने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं. यह सीरीज इन दोनों देशों के लिए कोई आम सीरीज नहीं होती, बल्कि इसे जीतना इनके मान-सम्मान की बात होती है.
जानना दिलचस्प होगा कि एशेज की लड़ाई कोई आज की नहीं है. यह लड़ाई तो बहुत पहले ही छिड़ चुकी थी. तो चलिए आज आपको बताते हैं एशेज का इतिहास–
हार की ‘आग’ में जब जला इंग्लैंड!
क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ने के बाद से ही इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुकाबले होते आ रहे हैं. दोनों ही देश 1861 से एक दुसरे के विरुद्ध खेलते आए हैं. कभी इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया की धरती पर जाकर खेलती तो कभी ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड के सर्द मौसम में उन्हें चुनौती देने आती.
क्योंकि यह खेल इंग्लैंड में ही इजाद हुआ था, इसलिए शुरूआती समय में इंग्लैंड की इस पर अच्छी पकड़ थी. माना जाता है कि इंग्लैंड की टीम इतना बेमिसाल क्रिकेट खेलती थी कि उनसे जीतना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जाता था. दूसरे देशों के मैदान में तो इंग्लैंड फिर भी कभी-कभी हार जाया करती थी मगर अपने देश में वह कोई भी मैच नहीं हारे थे. अपनी इस उपलब्धि पर ही इंग्लैंड को बहुत गुमान था.
इंग्लैंड का यह गुमान 29 अगस्त 1882 में ऑस्ट्रेलिया ने तोड़ दिया!
उस साल ऑस्ट्रेलिया की टीम हमेशा की तरह इंग्लैंड के दौरे पर आई थी. हर बार की तरह दोनों के बीच एक टेस्ट मैच होना था. इंग्लैंड की टीम पूरे आत्मविश्वास से भरी हुई थी कि इस बार भी वह ही मैच जीतेंगे पर शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था. स्टेडियम में दर्शकों की भीड़ लग चुकी थी. तमाम ब्रिटिश लोग अपने देश की टीम को जीतता देखने के लिए आ चुके थे.
‘ओवल’ का वह मैदान पूरी तरह तैयार था खेल के लिए…
दोनों टीमों के बीच टेस्ट मैच शुरू हुआ मगर हर बार की तरह इस बार इंग्लैंड कुछ कमजोर दिखाई दे रही थी. दर्शक इंग्लैंड के जीतने की उम्मीद लगाए बैठे ही थे कि कुछ दिन के खेल में ही ऑस्ट्रेलिया ने मैच जीत के इतिहास रच दिया.
हर कोई इसे देख हैरान हो गया कि आखिर इंग्लैंड अपने ही ग्राउंड में कैसे हार गई?
ऑस्ट्रेलिया ने इतिहास रच दिया था. यह बात अखबार वालों के लिए सबसे महत्वपूर्ण हो गई और इसी बीच आई एक खबर ने शुरू किया एशेज का सिलसिला. दरअसल एक पत्रकार ने अपनी खबर में लिखा कि ‘ 29 अगस्त 1882 को ओवल में मैदान में इंग्लिश क्रिकेट की मौत हो गई…
लाश का अंतिम संस्कार किया जाएगा और उसकी अस्थियां ऑस्ट्रेलिया की टीम अपने साथ ले जाएगी’!
Piece Of Newspaper From 1882 (Pic: yahoo)
बदला लेने गए थे, ले आए एशेज की ट्रॉफी
ऑस्ट्रेलिया से हार की बात पूरे इंग्लैंड में जंगल की आग की तरह फैल गई. हर कोई कहने लगा कि इंग्लिश क्रिकेट मर गया और उसकी अस्थियां ऑस्ट्रेलिया चली गई जो अब वापस नहीं आएंगी. इस बात ने इंग्लैंड की क्रिकेट टीम को इतना ठेस पहुंचाया कि उन्होंने ठान ली कि अब तो अपनी हार का बदला वह ऑस्ट्रेलिया से लेकर ही रहेंगे. किस्मत से उसी साल सर्दियों में इंग्लैंड की टीम को एक टेस्ट सीरीज के दौरे पर ऑस्ट्रेलिया जाना था. यही वह पल था जिसके लिए इंग्लिश क्रिकेट के सारे खिलाड़ी आस लगा के बैठे हुए थे. वह सब अपनी बेइज्जती का बदला लेना चाहते थे.
थोड़े समय बाद वह दिन आ ही गया ऑस्ट्रेलिया से मुकाबले के लिए इंग्लैंड की टीम को पानी के जहाज से जाना था. पूरी टीम एक-एक करके जहाज पर चढ़ने लगी. आखिर में टीम के कप्तान इवो ब्लिग रह गए थे. कहते हैं कि उन्होंने जहाज पर पांव रखने से पहले कसम खाई कि वह इंग्लिश क्रिकेट की खोई हुई इज्जत को वापस लेकर आएँगे. इस वादे के साथ ही इंग्लैंड की टाम निकल पड़ी अपने सफ़र पर ऑस्ट्रेलिया की ओर.
ऑस्ट्रेलिया की टीम से इंग्लैंड की टीम को तीन टेस्ट और कुछ ख़ास सोशल मैच खेलने थे. सोशल मैच से उन्हें मतलब नहीं था. उन्हें तो बस सीरीज जीतनी थी. इस बार किस्मत भी इंग्लैंड के साथ थी. तीन मैचों की सीरिज में से इंग्लैंड की टीम ने दो मुकाबले जीते. इसके साथ ही उन्होंने अपना बदला तो पूरा किया मगर एक नई जंग की शुरुआत कर दी.
माना जाता है कि इसके बाद ऑस्ट्रेलिया की एक समाज सेविका लेडी जेनेट क्लार्क ने मजाक के तौर पर इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लिग को एक छोटा सा कलश दिया, जिसमें 29 अगस्त 1882 के मैच की एक विकेट बेल की राख थी!
उनकी तरफ से तो यह मजाक था मगर इंग्लैंड ने इसे बहुत ही गंभीरता से लिया और एशेज के उस कलश को वह घर ले आए मगर उस दिन से उन्होंने इसे एक सीरीज का रूप दे दिया.
The Original Ashes Urn (Pic: wikipedia)
आज भी जारी है लड़ाई!
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच की यह एशेज की जंग आज भी जारी है.
समय-समय पर इनकी यह सीरीज होती रहती है और आज भी दोनों टीम एक दूसरे को हराने के लिए खून पसीना एक कर देती हैं. दोनों के बीच कई बार मामला बिगड़ भी जाता है. हाथापाई तो नहीं मगर ज़ुबानी तौर पर इन दोनों के बीच लड़ाई जारी रहती है. दोनों टीमों के बीच कई मौके ऐसे आए हैं जब इनके प्लेयरों ने एक दूसरे को बातों के जरिए उकसाने की कोशिश की. क्रिकेट जगत में इसे स्लेजिंग के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि स्लेजिंग की यह प्रक्रिया एशेज में बहुत आम है.
कई मौकों पर तो एशेज के दौरान कुछ ऐसा हुआ जो बहुत ही अजीब था. 1979 में एक मैच के दौरान ऑस्ट्रेलिया के पूर्व फ़ास्ट बॉलर डेनिस लिली ने एक मैच में ऐसे बल्ले का इस्तेमाल किया था जिसने सबको हैरान करके रख दिया था. एशेज के एक मैच के दौरान डेनिस लिली बैटिंग करने आए. उनका बल्ला बहुत ही चमक रहा था. पहले किसी को समझ नहीं आया आखिर ऐसा क्यों है मगर जैसे ही डेनिस लिली ने पहला शॉट मारा सब समझ गए उनका बल्ले में क्या अलग है. दरअसल डेनिस लिली ने अपने लिए एक खास एलुमिनियम से बना बैट बनवाया था.
इसके बाद तो मैदान में बहस का दौर शुरू हो गया. इंग्लैंड के सभी खिलाड़ी अंपायर के पास पहुंच गए यह बोलते हुए कि एलुमिनियम के बने उस बैट से बॉल खराब हो जाएगी. खुद ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों ने भी माना कि वह बैट बेकार है क्योंकि उसे लगाए शॉट से डेनिस लिली को बस तीन रन मिले थे, जब कि अगर वह लकड़ी का बैट होता तो वह शॉट चार रन दिलाता.
करीब 10 मिनट की चर्चा के बाद यह निर्धारित किया गया कि सभी बैट लड़की के बने होने चाहिए. इस बात से डेनिस लिली बहुत खफा हुए और उन्होंने अपना बैट हवा में फेंक कर अपना गुस्सा जाहिर किया. ऐसी ही छोटी-छोटी नोक-झोंक हर बार एशेज सीरीज में देखने को मिलती रहती है.
Ashes Battle Is Still Going On (Pic: LiFT Magazine)
सीरीज कोई भी जीते, एशेज इंग्लैंड का ही रहेगा!
भले ही कितनी भी एशेज सीरीज हो जाए. ऑस्ट्रेलिया कितनी ही सीरीज अपने नाम कर ले… मगर असली एशेज तो इंग्लैंड के पास ही रहेगा. जो छोटा सा एशेज का कलश ऑस्ट्रेलिया वालों ने इंग्लैंड को दिया था वह बहुत ही नाजुक था इसलिए उसे आज भी लॉर्ड्स के क्रिकेट ग्राउंड में ही रखा गया है. उस दिन के बाद से उसे इस्तेमाल में नहीं लाया गया क्योंकि उसे एक रेयर वस्तु मान लिया गया है.
जो एशेज की ट्रॉफी एशेज सीरीज के बाद दोनों में से जीतने वाली टीम को दी जाती है वह असल में असली एशेज ट्रॉफी की एक नक़ल है. यही कारण है कि एशेज हमेशा इंग्लैंड की ही रहने वाली है.
आप क्या कहेंगे इस दिलचस्प क्रिकेटीय जंग के ऊपर?
Web Title: History Of Ashes Series, Hindi Article
Feature Representative Image Credit: theweek