विश्व की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिताओं में से एक फीफा फ़ुटबाल विश्व कप को शुरू हुए लगभग एक सप्ताह बीतने वाला है. रोनाल्डो और मेस्सी के अलावा एक और नाम लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है. यह नाम है आईसलैंड की फ़ुटबाल टीम.
आईसलैंड ने अभी हाल में अपने से कई गुना मज़बूत अर्जेंटीना को ड्रा पर रोक लिया.
इस मैच में मेस्सी ने कुल 11 शॉट्स गोल की तरफ मारे, लेकिन आईसलैंड के खिलाड़ियों ने सारे बचा लिए.
इसके अलावा आईसलैंड की टीम कुछ और बातों में बिलकुल अलग है.
वह बातें कौन सी हैं आईए जानते हैं-
विश्व कप में खेलने वाला सबसे छोटा देश
आईसलैंड एक बहुत ही छोटा सा देश है. यहाँ करीब साढ़े तीन लाख लोग ही रहते हैं. हमारे देश के छोटे से छोटे प्रदेश में भी इससे ज्यादा लोग रहते हैं. इसके बाद भी आईसलैंड की फ़ुटबाल टीम फीफा रैंकिंग में 22 वें स्थान पर है.
आईसलैंड फीफा विश्वकप में खेलने वाला सबसे छोटा देश है.
असल में 2010 से पहले आईसलैंड की फ़ुटबाल टीम की इतनी पहचान नहीं थी. 2010 के बाद से ही इसके प्रदर्शन में इजाफा हुआ है. 2014 के विश्वकप के लिए हुए क्वालीफाई राउंड में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए यह टीम प्ले ऑफ़ में पहुंची थी.
यहां पर उसे क्रोएशिया के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
आगे 2016 में आईसलैंड को अपनी पहली बड़ी सफलता मिली. 2016 में होने वाले यूरो कप के क्वालीफाई राउंड में इसने नीदरलैंड को दो बार हराया. इस प्रकार आईसलैंड यूरो कप में खेलने वाला सबसे छोटा देश बन गया.
इसी क्रम में आईसलैंड ने यूरो कप के अंतिम 16 स्टेज में इंग्लैंड को पटखनी दे दी और क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई.
हालाँकि, क्वार्टर फाइनल में वह फ्रांस से हार गई.
आईसलैंड की उभरती हुई प्रतिभा जोश से लबरेज है. इस विश्वकप में इटली और नीदरलैंड जैसी दिग्गज टीमें जहां, क्वालीफाई नहीं कर पाई हैं, वहां आईसलैंड न केवल इसमें खेल रही है, बल्कि अर्जेंटीना जैसी बड़ी टीम को टक्कर भी दे रही है.
इसके खिलाड़ी सिर्फ फुटबाल नहीं खेलते!
आपको यह जानकर बड़ा आश्चर्य होगा कि आईसलैंड के कई खिलाड़ी फुटबाल खेलने के साथ- साथ अपने देश में दूसरे काम भी करते हैं. इसके बाद भी वे बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं.
आईसलैंड के फ़ुटबाल टीम मैनेजर हेइमिर हाल्ग्रिम्स्सन अपने देश में डेंटिस्ट हैं. वहीँ टीम के पांच और खिलाड़ी अपने देश में चिकित्सा जुड़े हल्के-फुल्के काम संभालते हैं. इसके साथ टीम में ऐसे भी खिलाड़ी हैं, जो अपने देश में फैक्ट्री में काम करते हैं.
आईसलैंड फ़ुटबाल टीम के डिफेंडर बिर्किर सेवरसन तो एक नमक की फैक्ट्री में काम करते हैं.
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वे इसलिए नमक की फैक्ट्री में काम करते हैं, क्योंकि खाली बैठने से आदमी का शरीर सुस्त हो जाता है, और सुस्त हो जाने पर अच्छी फ़ुटबाल नहीं खेली जा सकती है.
वहीँं मिडफील्डर गिल्फी सिगर्डसन एक मछली पकड़ने वाली कंपनी के मालिक हैं. तो स्ट्राइकर जोन डाडी बोडवारसन एक गैस स्टेशन पर काम करते हैं. इसके साथ ही इनमें से कई खिलाड़ी खेती भी करते हैं.
गोलकीपर हैंस हैल्डरसन तो फिल्म निर्देशक भी रह चुके हैं. उन्होंने कोका कोला के लिए विज्ञापन भी तैयार किया है.
...इसलिए दे रही है बड़ी टीम को टक्कर
आईसलैंड में केवल 33,000 ही आधिकारिक रूप से फ़ुटबाल खेलने वाले खिलाड़ी उपस्थित हैं. इसके अलावा यहां का मौसम ऐसा है कि केवल गर्मियों और वसंत में ही यहाँ फ़ुटबाल खेला जा सकता है.
सर्दियों में यहां तापमान शून्य से नीचे चला जाता है. साथ ही साथ ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित होने के कारण दिसंबर में तो यहां बीस- बीस घंटे अँधेरा ही रहता है.
ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि आखिर फिर आईसलैंड की फ़ुटबाल टीम की सफलता का कारण क्या है भला!
असल में आईसलैंड की सरकार ने फ़ुटबाल के लिए दो महत्वपूर्ण चीजों मैदान और कोच की कमी और गुणवत्ता का ख़ास ख्याल रखा है. आईसलैंड फ़ुटबाल एसोसिएशन ने 30 ऐसे मैदानों का निर्माण करवाया है, जो सभी सुविधाओं से लैस हैं.
साथ ही किसी भी मौसम में प्रैक्टिस के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं.
वहीँ कोच के मामले में इसने यूरोपियन फ़ुटबाल बॉडी से सीधा सम्पर्क साध रखा है.
आईसलैंड के हर चार साल के फ़ुटबाल खेलने वाले बच्चे के पास अपना अलग कोच होता है. अलग कोच देने की यह प्रक्रिया 15 साल पहले शुरू हुई थी और आज इसका फायदा दिख भी रहा है.
बहुत कम होता है टीम में बदलाव
इसके अलावा इस टीम की एक खासियत यह भी है कि इस टीम में खिलाडियों की ज्यादा अदला-बदली नहीं होती है. इस कारण उनका एक दूसरे से जुड़ाव बहुत मज़बूत हो जाता है. इसका फायदा मैदान पर दिखता है.
आज आईसलैंड की, जो टीम विश्व कप में खेल रही है, उसमें दो तिहाई खिलाड़ी वही हैं, जो 2016 के यूरो कप में साथ खेले थे. वहीं 23 लोगों की इस टीम में 8 लोग वो हैं, जिन्होंने 2011 के अंडर-21 कप में धूम मचाई थी.
वहीं पूरे आईसलैंड में फ़ुटबाल को लेकर बड़ा क्रेज है.
दर्शक अपनी टीम का बढ़- चढ़कर उत्साहवर्धन करते हैं. अभी पिछले यूरो कप की ही बात है. इसका आयोजन फ़्रांस में हुआ था. आईसलैंड की 10 प्रतिशत जनसँख्या अपनी टीम का उत्साहवर्धन करने के लिए फ्रांस पहुंची थी.
दर्शकों का यह उत्साहवर्धन खिलाड़ियों के लिए किसी टॉनिक से कम काम नहीं करता है.
इसके कारण वे विषम से विषम परिस्थतियों में भी अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं.
इस बार आईसलैंड की टीम ग्रुप डी में है.
उसके साथ अर्जेंटीना, नाइजीरिया और क्रोएशिया जैसी मज़बूत टीमें मौजूद हैं.
बहरहाल, अर्जेंटीना को ड्रा पर रोकने के बाद आईसलैंड का मनोबल बहुत ऊंचा उठा हुआ होगा.
ऐसे में उम्मीद करनी चाहिए कि इस मनोबल के साथ वह प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करेगी!
Web Title: Fifa World Cup: How Much You Know About Iceland's Football Team, Hindi Article
Feature Image Credit: Telegraph