झूलन गोस्वामी!
महिला क्रिकेट जगत का एक ऐसा नाम, जिन्हें देश 'चकदहा एक्सप्रेस' के नाम से जानता है. भले ही पुरुष क्रिकेट की तुलना में महिला क्रिकेट टीम को कम तवोज्जों दी जाती हो, पर झूलन की बात ही कुछ और है. इस खिलाड़ी ने हर क्रिकेट प्रेमी को रोमांचित किया है. अपने छोटे-छोटे कदमों से जिस प्रकार उन्होंने अपने करियर को रफ्तार दी वह किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है.
अब चूंकि, उन्होंने टी-20 इंटरनेशनल क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है. ऐसे में उनके चाहने वालों की जुबान पर तो यही सवाल होगा कि झूलन इतनी जल्दी भी क्या थी. हम आपको अभी खेलते देखना चाहते थे.
कम से कम अगले विश्वकप तक तो आप खेल ही सकती थी!
तो आइए झूलन को जरा नजदीक से जानने की कोशिश करते हैं-
कठिनाइयों के 'उस पार' झूलन
झूलन पश्चिम बंगाल के नाडिया जिले से आती हैं. वहां के अंचल चकदा नामक गांव में उन्होंने 25 नवंबर 1983 को अपनी आंखें खोलीं. उनकी मां झरना गृहणी और पिता निशित इंडियन एयरलाइंस से जुड़े हुए थे.
ऐसे में आम लड़कियों की तहर उनका पालन-पोषण हुआ. आगे वक्त बढ़ा और उनकी उम्र भी.
इसी बीच 1997 के आसपास का वक्त रहा होगा. महिला वर्ल्ड कप का फाइनल खेला जाना था. इसके लिए ईडन गार्डन को चुना गया. ऐसे में कुछ वालेंटियर्स की जरूरत पड़ी, तो झूलन को इस मैच के दौरान बॉल गर्ल बनने का मौका मिला.
इस तरह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हुए उस ऐतिहासिक मुकाबले की झूलन गवाह बनीं. यहां उन्होंने उस समय की स्टार रहीं कैथरीन को खेलते हुए देखा. उन्हें देखकर उनको लगा कि वह भी उनकी तरह खेल सकती हैं!
अब जब बात जेहन में आ ही चुकी थी, तो झूलन निकल पड़ी अपने इस सपने को पूरा करने के लिए.
हालांकि, यह आसान नहीं था. उन्होंने परिवार को राजी तो कर लिया था. मगर अभ्यास के लिए उन्हें कई किलोमीटर की दूरी रोज तय करनी थी. ऐसे में उनकी इच्छाशक्ति ही थी कि जिसके दम पर उन्होंने इस चुनौती को दोनों हाथों से लिया और खुद को क्रिकेट के लिए सौंप दिया. वह हर रोज जल्दी उठती और लोकल ट्रेन के माध्यम से अपने मैदान पहुंचकर घंटों पसीना बहातीं.
5 साल की कड़ी मेहनत रंग लाई. उनकी गेंदबाजी की रफ्तार 120 कि.मी. प्रति घंटा तक पहुंच चुकी थी. इसी क्रम में उनकी खुशी उस वक्त दोगुनी हो गई, जब उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ लखनऊ में अपना पहला टेस्ट मैच खेलने का मौका दिया.
तेज 'रफ़्तार' की पूरी दुनिया दीवानी
देखा गया है कि भारतीय क्रिकेट टीम में हमेशा इस बात को लेकर चर्चा बनी रहती है कि हमारे पास शोएब अख्तर और ब्रेट ली क्यों नहीं है. जबकि भारतीय महिला क्रिकेट टीम के साथ ऐसा नहीं है. उनके पास झूलन गोस्वामी जो हैं!
शायद कम लोग ही जानते होंगे कि वर्तमान समय में झूलन भारत की सबसे तेज महिला गेंदबाज हैं. वह 120 किमीं प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेक चुकी हैं. वहीं विश्व महिला क्रिकेट की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया की कैथरीन फिट्ज़पैट्रिक को सबसे तेज गेंदबाज माना जाता है. वह 125 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंक चुकी हैं!
दिलचस्प बात तो यह है कि झूलन जब बचपन में अपने साथियों के साथ क्रिकेट खेलती थीं, तो साथी खिलाड़ी उनका उपहास उड़ाते थे. असल में वह बहुत धीमी गेंद फेंकती थीं, इसलिए उन्हें सुनना पड़ता था कि गेंदबाजी उनके बस की बात नहीं!
आम तौर पर इस तरह के उपहास के बाद लोग निराश हो जाते हैं. साथ ही मान लेते हैं कि यह सही है, लेकिन झूलन ने इससे बिल्कुल अगल रास्ता चुना. उन्होंने अपनी इस कमजोरी पर काम किया.
नतीजा सबके सामने है कि आज दुनिया उन्हें उनकी गेंदबाजी के लिए ही जानती है!
वनडे क्रिकेट में अब तक सर्वाधिक विकेट
आंकड़ों की बात की जाए तो झूलन ने 10 टेस्ट खेले, जिनमें उन्होंने 2.02 की इकॉनमी से 40 विकेट अपने नाम किए. वहीं बल्लेबाजी की बात करें तो उन्होंने टेस्ट में 25.27 की औसत से 283 रन बनाए. इसमें उन्होंने 02 अर्धशतक भी ठोके.
वहीं एक दिवसीय की बात की जाये तो उन्होंने 169 मैच खेले, जिसमें 3.25 की इकॉनमी से उनके नाम 203 विकेट दर्ज हैं. वहीं इस फार्मेट में उनके बल्ले से 1011 रन निकले.
टी-20 में भी झूलन ने अपना जलवा बिखेरा. यहां उन्होंने 68 मैच खेलते हुए 56 विकेट अपने नाम किए. वहीं बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 405 रन अपने नाम किए. इनमें 2012 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच विकेट भी शामिल हैं.
2018 जून में वह बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी बार टी-20 मैच खेलते हुए दिखी थी. अब चूंकि वह सन्यास की घोषणा कर चुकी है, इसलिए यह उनके टी-20 करियर का आखिरी मैच बन गया! यह मैच 14-17 जनवरी 2002 को खेला गया था.
झूलन का क्रिकेट का करियर कितना शानदार रहा इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि 2007 में वह आईसीसी क्रिकेटर 'ऑफ द ईयर' चुनी गई थीं और 2010 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार और 2012 में पद्मश्री से नवाजा गया था.
झूलन ने जब पहली बार गेंद पकड़ी होगी, तो शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि वह एक दिन दुनिया के लोगों के दिल पर राज करेंगे. आज भी जिस तरह से वह विश्व क्रिकेट में रोज नए आयाम गढ़ रही हैं, वह काबिले तारीफ है…
झूलन की कहानी बताती है कि आप शुरू कहां से करते हैं ये ज़रूरी नहीं. जरूरी ये है कि आप ख़त्म कैसे करते हैं.
कहते हैं खुशियों की कोई सीमा नहीं होती, तो झूलन की रफ्तार भी सन्यास के बाद जारी रहने वाली है, इस बात में दो राय नहीं.
क्या कहते हो आप?
Web Title: Jhulan Is Truely A Champion, Hindi Artcile
Feature Image Credit: Mumbai Live