क्रिकेट जगत में गेंदबाजी और बल्लेबाजी के लिए ढ़ेर सारे नाम लिये जाते हैं, किन्तु फील्डिंग के लिए दुनिया सिर्फ ‘जॉन्टी रोड्स’ को ही पहचानती है!
कहते हैं कि अपने समय में ‘जॉन्टी’ की दीवानगी लोगों के सिर चढ़कर बोलती थी. सब उनकी तरह हवा में छलांग लगाकर कैच पकड़ना चाहते थे. जब वह गेंद की तरफ लपकते थे, तो मानो लगता था कि उनका शरीर रबड़ का बना हुआ है.
1992 के विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने पहले दौड़कर और फिर उड़कर जिस तरह से इंजमाम-उल-हक को रन आउट किया, वह एक करिश्मे जैसा ही था. सही मायने में यही वो पल था, जिसने जॉन्टी को स्टार बना दिया.
आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन वह दुनिया के ऐसे खिलाड़ी हैं, जो एक मैच में टीम के प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं थे… बावजूद इसके वह ‘मैन ऑफ द मैच’ चुने गये!
यह कैसे और कब हुआ, आईये जानते हैं.
साथ ही ‘जॉन्टी’ के जीवन से जुड़े कुछ और पहलुओं को भी छूने की कोशिश करते हैं:
5 कैच लेकर रचा इतिहास
1993 में साउथ अफ्रीका, वेस्ट इंडीज के खिलाफ एक दिवसीय मैच में आमने-सामने थी. इस मैच में जॉन्टी टीम के प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं थे. वह पवेलियन में बैठकर अपने साथियों का हौंसला बढ़ा रहे थे. साउथ अफ्रीका ने पहले बैटिंग करते हुए वेस्ट इंडीज को 180 रन बनाने का लक्ष्य दिया. इसके जवाब में वेस्टइंडीज ने बढ़िया शुरुआत की. लग रहा था कि साउथ अफ्रीका को अब कोई नहीं बचा सकता है.
टीम मैदान में संघर्ष कर रही थी. इसी बीच टीम को एक और झटका लग गया. फील्डिंग करते हुए डेरेल कुलीनन चोटिल हो गए. इस कारण उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा. उनकी जगह जॉन्टी रोड्स को फील्डिंग के लिए बुलाया गया.
उसके बाद जो हुआ वह इतिहास बन गया!
जॉन्टी ने अपने हुनर से एक ऐसा इतिहास रच दिया, जो आज इतने सालों में बाद भी कायम है. यह विकेट कीपर के अलावा किसी फील्डर का सबसे ज्यादा बल्लेबाजों को आउट करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है.
Jonty Rhodes Flying for Cacth (Pic: bdcrictime)
रिची रिचर्डसन ने भी माना लोहा
इस मैच में जॉन्टी ने एक-एक करके अपनी करिश्माई फील्डिंग से वेस्ट इंडीज के पांच बल्लेबाजों को पवेलियन वापस भेज दिया. उन्होंने ब्रायन लारा, फील सिमंस, डेस्मंड हेन्स, एंडरसन कमिंस और जिमी एडम्स जैसे दिग्गजों के कैच पकड़े.
इसके बाद तो मानो वेस्ट इंडीज की कमर ही टूट गई. अंतत: वह इस मैच को नहीं बचा सके और उन्हें 41 रन से हार का मुंह देखना पड़ा.
मैच खत्म होने के बाद जब पुरस्कार वितरण किया गया तो ‘मैन ऑफ द मैच’ के रुप में जॉन्टी का नाम लिया गया. यह क्रिकेट के करियर में पहली बार हो रहा था कि किसी खिलाड़ी को फील्डिंग के लिए ‘मैन ऑफ द मैच’ का खिताब दिया गया हो.
इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात तो यह थी कि जॉन्टी अपनी टीम में ‘प्लेइंग इलेवन’ का हिस्सा तक नहीं थे. उनका प्रदर्शन ही था जिसके दम पर मैच हारने के बाद वेस्ट इंडीज के कप्तान रिची रिचर्डसन को कहना पड़ा कि उनकी टीम ‘जॉन्टी’ से पीड़ित थी!
Richie Richardson in a Press Conference (Pic: espncricinfo)
जॉन्टी के करियर का लेखा-जोखा
27 जुलाई , 1969 को जन्मे जॉन्टी एक शानदार खिलाड़ी थे. दिलचस्प बात तो यह है कि वह क्रिकेट के अलावा फुटबॉल और हॉकी जैसे खेलों में भी माहिर रहे. इतने माहिर कि 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक के लिए उनका चयन हॉकी टीम में किया गया था. परंतु, कुछ कारणों से उन्होंने हॉकी नहीं खेला और उसी वर्ष वह क्रिकेट विश्व कप का हिस्सा बन गए.
जॉन्टी ने 13 नवम्बर 1992 को भारत के खिलाफ अपने करियर का पहला टेस्ट मैच खेला. इस मैच में उन्होंने अपनी टीम के लिए 84 गेंदों पर 41 रनों का योगदान दिया. प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा तो इसलिए आगे टीम में उनकी जगह बन गई. 1993 में उन्होंने श्रीलंका दौरे के दौरान अपना पहला शतक बनाकर अपने बल्ले का दम दिखाया. 6वें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने कई बार अपनी टीम को जीत तक पहुंचाया.
2000 के आसपास जॉन्टी को लगा कि उन्हें अब एक दिवसीय मैच पर ज्यादा फोकस करना चाहिए, इसलिए उन्होंने 06 अगस्त, 2000 को श्रीलंका के साथ खेलते हुए टेस्ट क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. इस मैच में वह 53 गेंदों पर 21 रन के निजी स्कोर पर खेल रहे थे. तभी मुरलीधरन की एक गेंद उनको बीट करते हुए स्टंप पर आ लगी, जो उनके टेस्ट करियर की आखिरी गेंद थी.
टेस्ट क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद जॉन्टी ने खुद को पूरी तरह से एक दिवसीय खेल के लिए समर्पित कर दिया. वह पहले से ज्यादा पसीना बहाने लगे. परिणाम यह रहा कि वह जल्द ही एक बढ़िया मैच फिनिशर के रूप में उभरे. कहते हैं कि स्वीप शॉट्स को सबसे बेहतर तरीके से खेलने में जॉन्टी एक बड़ा नाम थे. रही बात फील्डिंग की तो उसके क्या कहने.
कहते हैं कि वह मैदान पर कम से कम 30-35 रन औसतन बचा लेते थे… अपनी फील्डिंग के दम पर!
Jonty Rhodes playing a sweep shot (Pic: indiatimes)
जॉन्टी के बारे में कहा जाता है कि वह शुरु से ही एक अच्छे बल्लेबाज रहे.
हालांकि, शुरुआत के कुछ वर्षों तक वह अपने क्षेत्ररक्षण के लिए ही ज्यादा जाने गये, लेकिन उन्होंने टीम की जरुरत के हिसाब से खुद को बल्लेबाजी के लिए तैयार किया और टीम का अहम हिस्सा बने.
जॉन्टी ने दक्षिण अफ्रीका के लिए 245 एक दिवसीय मैच खेले, जिसमें उन्होंने 35.12 की औसत से 5,935 रन बनाए. वहीं टेस्ट क्रिकेट की बात करें, तो उन्होंने 52 मैचों में 35.17 की औसत से 2532 रन जोड़े.
2003 के विश्व कप के दौरान उंगली पर एक दुर्भाग्यपूर्ण फ्रैक्चर के कारण जॉन्टी ने क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. वर्तमान में जॉन्टी दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय टीम के साथ-साथ आईपीएल में मुंबई इंडियंस के फील्डिंग कोच के रुप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
यह खिलाड़ी जब तक खेल के मैदान पर रहा, तब तक उसने पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों को रोमांचित किया. उन्होंने खेल के लिए जिस तरह से खुद को पूर्ण रुप से समर्पित करके लम्बी-लम्बी छलांगें लगाई, वह आज भी युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करती हैं.
Jonty Rhodes and wife Melanie Jeanne with their baby India (Pic: mid-day)
जॉन्टी को भारत से विशेष लगाव है. वह कहते हैं कि “मैंने भारत में बहुत समय बिताया है. मुझे भारत से बहुत प्यार है. यहां की संस्कृति, विरासत और परंपरा एक ऐसा मिश्रण है, जो जीवन को संतुलित करता है.”
शायद यही कारण है कि वह और उनकी पत्नी मेलेनी ने अपनी बच्ची का नाम ‘इंडिया’ रखा.
ऊपरवाला ऐसे खिलाड़ी को हर पीढ़ी में, हर देश में भेजें… इसी के साथ जॉन्टी को आने वाले दिनों की हार्दिक शुभकामनाएं.
Web Title: Jonty Rhodes, Best Fielder of The World, Hindi Article
Featured Image Credit: Cricbuzz/indiatimes/ theedgymind