टीम इंडिया ने कई बार विदेशी पिचों पर इतिहास रचा है. अपनी जीत के साथ ही भारतीय टीम ने कई रिकॉर्ड भी बनाए हैं.
क्रिकेट इतिहास में टीम इंडिया के नाम ऐसे कई मैच दर्ज हैं. जिसमें टीम इंडिया के बल्लेबाजों, साथ ही बॉलरों ने भी नाज़ुक मौकों पर बेहतरीन खेल का प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज की है.
आज हम आपको ऐसे ही एक मैच के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भारत के हाथों से लगभग निकल चुका था. बावजूद इसके और विकेट गिरें, भारत के विकेटकीपर ने मैच को संभाला. इस प्रकार रोमांचक मुकाबले में वापसी करते हुए भारत ने न्यूज़ीलैंड को उसी के घर में 2 विकेट से हरा दिया.
ऐसे में आइए एक बार फिर से उस दौर में जाकर देख लेते हैं कि भारतीय टीम ने एक हारे हुए मैच को कैसे जीता –
1999 में भारतीय टीम का न्यूज़ीलैंड दौरा
कप्तान मोहम्मद अज़रुद्दीन के नेतृत्व में टीम इंडिया 1999 में न्यूजीलैंड के दौरे पर थी. तब टीम इंडिया की गेंदबाज़ी न्यूज़ीलैंड की पिचों के हिसाब से काफी कमज़ोर थी. वहीं, भारत के बल्लेबाज न्यूज़ीलैंड की टीम का धुंआ निकालने के लिए तैयार थे.
उस समय टीम इंडिया के पास बेहतरीन सलामी बल्लेबाज़ थे और मध्यक्रम की बल्लेबाज़ी में काफी गहराई थी.
12 जनवरी साल 1999 में यह मैच खेला गया, जब न्यूज़ीलैंड में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी.
नेपियर के मैदान पर न्यूज़ीलैंड के कप्तान पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला कर चुके थे. इस डे-नाइट मैच में न्यूज़ीलैंड के कप्तान डीजे नैश ने सोचा था कि पहले बल्लेबाज़ी करते हुए स्कोर बोर्ड पर विशाल रनों का स्कोर लगा देंगे. उसके बाद रात को बॉल अधिक स्विंग होगी, तो भारतीय बल्लेबाज़ों को काफी मुश्किल होगी.
बहरहाल, न्यूज़ीलैंड ने खेलना शुरू किया. अभी कीवी 2 ओवर भी पूरे नहीं खेल पाए थे कि टीम इंडिया ने न्यूज़ीलैंड को पहला झटका दे दिया. बल्लेबाज़ बीए यंग 7 गेंदों में 4 रन बनाकर रन आउट हो गए. सलामी बल्लेबाज़ों के बीच रनों को लेकर रन कॉल सही नहीं हुई. जिसका खामियाज़ा बीए यंग को अपना विकेट देकर चुकाना पड़ा.
बल्लेबाज एमजे हॉर्न के बेहतरीन 50
टीम के 6 रन पर ही अपने जोड़ीदार के दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रनआउट होने के बाद एमजे हॉर्न पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई थी.
जैसे- जैसे मैच आगे बढ़ता गया, हॉर्न अपना बल्लेबाज़ी गियर बदलते रहे. उन्होंने न्यूज़ीलैंड टीम को शुरुआती झटके से उबरने में मदद की और बीच में बिना कोई विकेट खोए स्कोर 80 रन तक पहुंचा दिया. उन्हें मैकमिलन का अच्छा साथ मिला.
फिर, जब लग रहा था कि दोनों के बीच अच्छी साझेदारी होगी, तभी मैकमिलन 28 रन बनाकर आउट हो गए. ये कप्तान मोहम्मद अज़रुद्दीन के दिमाग का नतीजा था. जब भारत के सभी गेंदबाज़ विकेट लेने में असफल हुए, तब कप्तान अज़रुद्दीन ने चालाकी दिखाते हुए गेंद रॉबिन सिंह को पकड़ा दी.
रॉबिन ने मैकमिलन को विकेट कीपर नयन मोंगिया के हाथों कैच आउट कराकर न्यूजीलैंड को एक और तगड़ा झटका दे दिया.
भारतीय फिल्डरों ने तोड़ दी न्यूज़ीलैंड की कमर
मैकमिलन को आउट करने के बाद एक बार फिर टीम इंडिया जोश से लबरेज़ थी. टीम इंडिया के खिलाड़ी न्यूज़ीलैंड के दो बल्लेबाज़ों को वापिस पवेलियन भेज चुके थे.
कप्तान मोहम्मद अज़रुद्दीन नए खिलाड़ी के मैदान में आने तक अपने खिलाड़ियों को ज़रूरी नसीहतें देते रहे. इधर, क्रीज़ पर आए बल्लेबाज़ आरजी ट्वॉस ने एमजे हॉर्न से कुछ बात की और बल्लेबाज़ी करना शुरू कर दी.
एमजे हॉर्न क्रीज़ पर काफी समय बिता चुके थे. ऐसे में वो नए बल्लेबाज़ को बड़ी इत्मीनान से समझा रहे थे कि कैसे खेलना है.
नए बल्लेबाज़ ट्वॉस 5 गेंदों में 3 रन बना चुके थे. तभी रॉबिन सिंह की एक गेंद पर रन लेने के चक्कर में मोंगिया ने ट्वॉस को रनआउट कर वापिस पवेलियन भेज दिया. न्यूज़ीलैंड अब 88 रन पर 3 विकेट खो चुकी थी.
...और बिखर गई न्यूज़ीलैंड टीम
एक समय न्यूज़ीलैंड का स्कोर 82 रन पर 2 विकेट था. रनआउट होने के बाद न्यूज़ीलैंड की टीम भंवर में फंसती चली गई.
अब बस एक छोर पर सलामी बल्लेबाज़ एमजे हॉर्न जमे रहे. लेकिन 33वें ओवर की पहली ही गेंद पर हॉर्न 61 रन बनाकर आउट हो गए. इस तरह से न्यूज़ीलैंड के 157 रनों पर अब 4 विकेट गिर चुके थे.
इसके बाद 35वें ओवर में एडम परोरे सचिन की बॉल पर विकेट कीपर मोंगिया के हाथों 12 बॉल में 7 रन बनाकर स्टंप हो गए. उनके आउट होने के बाद टीम का स्कोर 165 रन पर 5 विकेट हो गया. अब आधी न्यूज़ीलैंड टीम पवेलियन लौट चुकी थी.
इसके बाद बाकी बची टीम भी जल्द आउट होकर पवेलियन लौट गई. इस मैच में भारत के फिल्डरों ने बेहतरीन फिल्डिंग का प्रदर्शन करते हुए 5 बल्लेबाजों को रनआउट किया था.
न्यूज़ीलैंड टीम के 5 बल्लेबाज़ रन आउट होकर पवेलियन लौटे थे. टीम 49.3 ओवरों में 213 रन बनाकर ऑलआउट हो गई.
ठोस शुरुआत के बाद लड़खड़ाई टीम इंडिया
भारतीय टीम को 50 ओवरों में जीत के लिए अब 214 रन बनाने थे.
सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली की जोड़ी मैदान में उतर चुकी थी. दोनों ने कम स्कोर होने के बावजूद टीम को एक तेज़ शुरूआत दिलाई. इस तरह से 7 ओवरों में टीम इंडिया 50 रन पूरे कर चुकी थी.
जब न्यूज़ीलैंड कप्तान नैश को लगा कि मैच हाथ से निकल रहा है, उन्होंने खुद गेंदबाज़ी करने का फैसला किया.
उनके सामने थे सचिन. उन्होंने सबसे पहले सचिन को 23 रनों पर आउट कराकर सलामी जोड़ी को तोड़ा. इसके बाद स्कोर 81 रन पहुंचा ही था कि नैश दोबारा ओवर लेकर आए और सौरव गांगुली को कैच आउट कराकर पवेलियन भेज दिया.
फिर राहुल द्रविड़ भी कुछ देर टिकने के बाद आउट हो गए. वहीं, कप्तान मोहम्मद अज़रुद्दीन भी महज़ 7 रन बनाकर आउट हो गए.
कहां तो स्कोर बोर्ड पर टंगे 213 रन भारतीय बल्लेबाज़ी को देखते हुए काफी कम नज़र आ रहे थे. वहीं, अब तक टीम इंडिया के 122 रन ही जुड़ पाए थे और उसके 4 बेहतरीन बल्लेबाज़ पवेलियन लौट चुके थे.
न्यूज़ीलैंड की जीत में रोड़ा बने मोंगिया
न्यूज़ीलैंड की टीम 182 रन पर टीम इंडिया के 7 विकेट गिरा चुकी थी. इस मैच में टीम इंडिया के 3 बल्लेबाज़ रनआउट हुए थे.
तब टीम इंडिया को न्यूज़ीलैंड के गेंदबाज़ों से ज़्यादा पिच पर भागने से डर लग रहा था. टीम इंडिया के खिलाड़ी भी न्यूज़ीलैंड के खिलाड़ियों की तरह रनआउट होकर अपने विकेट उपहार में दे रहे थे.
जब लग रहा था कि टीम इंडिया ये मैच बुरी तरह हार जाएगी, तब विकेटकीपर बल्लेबाज़ नयन मोंगिया क्रीज पर जम गए. उन्होंने 32 गेंदों में 30 रनों की बेहतरीन पारी खेल डाली.
जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने अपनी इस पारी के दौरान केवल एक चौका ही लगाया. मतलब उस दिन मोंगिया हर हाल में टीम इंडिया को जीत दिलाने के लिए ही खेल रहे थे.
अब टीम 204 रन पर पहुंची ही थी कि गेंदबाज़ निखिल चोपड़ा भी रनआउट होकर वापस चले गए. अब टीम का स्कोर 8 विकेट पर 204 रन हो गया था. फिर क्रीज़ पर आए कुंबले ने नयन मोंगिया का काफी साथ दिया.
कुंबले ने 7 गेंदों में 6 रन बनाकर टीम इंडिया को जीत दिला दी. 49.5 ओवरों में टीम इंडिया ने 214 रनों का लक्ष्य हासिल करके न्यूज़ीलैंड की धरती पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी.
Web Title: Nayan Mongia: Hero of 1999 Napier Cricket Match, Hindi Article
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