फुटबॉल भावनाओं और संवेदनाओं से जुड़ा दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है. ये तो हम सभी जानते है. ये भी जगजाहिर है कि जोश, जूनून और जज्बे से भरा कोई भी खेल एक खिलाड़ी के अंदर राष्ट्रीयता का भाव भर देता है.
किन्तु, कई बार ऐसी स्थिती भी बनती है, जब खिलाड़ी उम्मीद के मुताबिक अपने देश के लिए न खेलकर अपनी राष्ट्रीयता बदलकर या फिर अपनी पहचान बनाने के लिए दूसरे देश की टीम से खेलते नज़र आते हैं.
इतिहास गवाह है क्रिकेट से लेकर फुटबॉल तक कई देश खिलाड़ियों ने अपने देश को छोड़ दूसरे देश का प्रतिनिधित्व किया. साथ ही अपनी प्रतिभा के दम पर पूरे विश्व में शौहरत और दौलत कमाई.
मौजूदा समय में भी कई ऐसे खिलाड़ी के उदाहरण मौजूद है. दूर न जाते ब्राजील फुटबाल टीम को ही ले लीजिए.
इस टीम में कुछ ऐसे हीरे भी हुए, जिनकी परख ब्राजील नहीं कर सका. उनका जन्म तो ब्राजील में हुआ, लेकिन उन्होंने दूसरे देश की राष्ट्रीय टीम से खेलकर फुटबॉल की बुलंदियों को छुआ.
वह खिलाड़ी कौन से हैं आईए जानते हैं-
डिएगो कोस्टा (ब्राजील से स्पेन)
बहुत कम लोगों को पता है कि स्पेन के दिग्गज खिलाड़ी डिएगो कोस्टा का जन्म ब्राजील में हुआ था. वह एक मौके पर ब्राजील की राष्ट्रीय टीम में शामिल भी किए गए, लेकिन उन्हें अपनी जन्मभूमि की टीम से कभी खेलने का मौका नहीं मिला.
इसके बाद उन्होंने स्पेन का रुख किया. स्पेन का पासपोर्ट मिलने के साथ ही उन्होंने वहां की राष्ट्रीय टीम की ओर से खेलने की पात्रता हासिल कर ली. छह साल स्पेन में रहने के बाद 2013 में कोस्टा ने स्पेनिश नागरिकता हासिल की थी.
इसके बादस्पैनिश फुटबॉल फेडरेशन ने फीफा से कोस्टा को स्पेन की तरफ से प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देने के लिए अनुरोध किया. फरवरी 2014 में, कोस्टा ने पहली बार स्पेन की राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व किया.
बाद में कोस्टा को खोना ब्राजील के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि कोस्ट किस स्तर के स्ट्राइकर है सभी जानते हैं.
रूस में खेले जा रहे मौजूदा वर्ल्ड कप में भी कोस्टा का जलवा देखने को मिला रहा है.
पेपे (ब्राजील से पुर्तगाल)
पेपे का जन्म भी ब्राजील में हुआ और युवा अवस्था में उन्होंने फुटबॉलर की बारिकियां वहीं सीखीं.
हालांकि, आपार प्रतिभा होने के बावजूद पेपे को कभी भी ब्राजील की न तो सीनियर और न ही जूनियर टीम की ओर से बुलावा आया. कहते हैं उन्हें कई स्तरों पर ब्राजील में भेद-भाव का सामना करना पड़ा.
इस कारण वह पुर्तगाल जा बसे और डेको की तरह पुर्तगाल की तरफ से खेले. 2006 में ब्राजील के तत्कालीन राष्ट्रीय कोच डुंगा ने पेपे से संपर्क किया. उन्हें ब्राजील की ओर से खेलने का न्योता भी दिया, लेकिन पेपे ने उस ऑफर को ठुकरा दिया.
उन्होंने पुर्तगाल की नागरिकता हासिल करने के बाद वहां की राष्ट्रीय टीम से जुड़ना पसंद किया.
आज उनकी गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ डिफेंडरों में होती है. वह पुर्तगाल के लिए 90 से भी ज्यादा मैच खेल चुके हैं.
2016 के यूरो कप के फाइनल में वह 'मैन ऑफ द मैच' भी चुने गए थे!
थिएगो मोता (ब्राजील से इटली)
थिएगो मोता भी एक ऐसे ब्राजीली फुटबॉलर रहे, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में अपनी पहचान बनाने के लिए अपनी राष्ट्रीयता बदली. मोता 2003 के गोल्ड कप में ब्राजील की टीम में शामिल थे.
अंडर -23 टीम में भी उन्होंने एक मैच खेला, जो पूर्ण रूप से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता और उस मैच को फीफा द्वारा भी मान्यता प्राप्त थी. इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि उन्हें कभी भी ब्राजील की सीनियर टीम में जगह नहीं मिली.
शायद इसीलिए उन्होंने इटली का रुख किया!
6 फरवरी 2011 को उन्हें इटली की राष्ट्रीय टीम से जुड़ने का आमंत्रण मिला. इसके दो दिन बाद वह जर्मनी के खिलाफ एक दोस्ताना मुकाबले में इटली के लिए डेब्यू करने उतरे.
मोता ने इस साल सीजन के अंत में 8 मई 2018 को संन्यास की घोषणा की.
मौजूदा समय में वो पेरिस सेंट-जर्मेन फुटबॉल क्लब के अंडर-19 टीम के कोच की भूमिका निभा रहे हैं.
काकाऊ (ब्राजील से जर्मनी)
क्लाउदमीर जेरोनीमो बारेतो यानी काकाऊ का जन्म ब्राजील के शहर साऊ पोलो में हुआ था. काकाऊ ने अपना बचपन ब्राजील में गुजारा, लेकिन उन्हें कभी ब्राजील की युवा टीम में शामिल नहीं किया गया.
नम्बर्ग के लिए खेलने वाले काकाऊ ने बुंदीशलीगा के दिग्गज जर्मन क्लब वीएफबी स्टटगर्ट को प्रभावित किया. इसके बाद उस क्लब ने उन्हें 2003 में अपने साथ जोड़ा.
आठ साल जर्मनी में गुजारने के बाद फरवरी 2011 में उन्हें जर्मन पासपोर्ट मिला. वह वहां की राष्ट्रीय टीम की ओर से खेलने के योग्य बने. इसी साल उन्होंने चीन के खिलाफ जर्मनी टीम की तरफ से डेब्यू किया.
फिर 2010 फीफा वर्ल्ड कप में भी जर्मनी की तरफ से शिकरत करते दिखे.
डेको (ब्राजील से पुर्तगाल)
बार्सिलोना के पूर्व फुटबॉलर डेको भी मूल रूप से ब्राजीली हैं. इनका जन्म ब्राजील में तो हुआ, लेकिन उन्हें अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में अपनी पहचान बनाने के लिए पुर्तगाल का रुख करना पड़ा.
डेको टीम में एक आक्रमक मिडफील्डर की भूमिका निभाते थे.
पुर्तगाल में करीब छह साल गुजारने के बाद डेको को वहां की नागरिकता मिली. आगे जल्द ही उन्हें पुर्तगाल की राष्ट्रीय टीम में शामिल किया गया. मजेदार बात यह थी कि डेको ने पुर्तगाल के लिए अपना पहला मुकाबला ब्राजील के खिलाफ खेला.
इस मौके पर उन्होंने एक सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी के रूप में आकर अपनी टीम के लिए विजयी गोल दागा था.
ब्राजील में पैदा हुए ये खिलाड़ी महज कुछ उदाहरण भर हैं.
दुनिया में कई ऐसे नाम हैं, जिन्होंने अपने देश की सीमाएं पार करने में संकोच नहीं किया. इन दिग्गज खिलाड़ियों ने अपने खेल से इस बात का प्रमाण दिया कि अपने जूनून को जीने के लिए उन्हें अपने देश की टीम में बने रहने की जरूरत नहीं थी.
वैसे भी खेल पसंदीदा लोग सीमाएं नहीं देखते, उन्हें तो खेल से मतलब होता है!
यही कारण रहा कि दूसरे देश से खेलने के बावजूद इन सभी खिलाड़ियों को प्रशंसकों का असीम स्नेह और समर्थन मिला.
Web Title: Players Born in Brazil But Played Football for Other Countries, Hindi Article
Feature Imager Credit: RMC