वह दुबला पतला लड़का बचपन में हॉकी खेलता था. हॉकी का बहुत बेहतरीन प्लेयर था, सेंटर हाफ पोजीशन पर.
तब शायद उस लड़के को लगता था कि वो हॉकी खेलने के लिए ही बना है. मगर एक दिन उसके कोच ने उसे हॉकी के मैदान में सेंटर हाफ से हटाकर राइट हाफ पर खड़ा कर दिया.
तब उस लड़के को महसूस हुआ कि वो हॉकी के लिए नहीं बना है. फिर उसने हॉकी स्टिक छोड़ क्रिकेट बैट पकड़ लिया. सालों बाद जब उसने विश्व क्रिकेट से संन्यास लिया, तब वन-डे में उसके नाम 10,585 रन और टेस्ट में 10,823 रन थे.
आज दुनिया में लोग उसे 'द वॉल' बुलाते हैं. जी हां! हम बात कर रहे हैं राहुल द्रविड़ की. जो हैं भारतीय 'क्रिकेट की दीवार'.
आज हम राहुल द्रविड़ की उस पारी की बात करेंगे, जो विदेशी धरती पर खेली गई उनकी सबसे बेहतरीन पारियों में शुमार है.
इस पारी के दम पर न सिर्फ उन्होंने टीम इंडिया को मुश्किल से निकाला था, बल्कि इस ऐतिहासिक टेस्ट में जीत भी दर्ज की थी.
आइए जानते हैं, राहुल द्रविड़ की ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में खेली गई उस महान पारी के बारे में –
ऑस्ट्रेलिया ने की पहले बल्लेबाज़ी
12 दिसंबर साल 2003. ऑस्ट्रेलिया का एडिलेड ओवल मैदान. ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला लिया. सीरीज़ का यह दूसरा टेस्ट मैच था.
खास बात ये थी कि टीम इंडिया के पास घुंघराले बाल वाला एक गेंदबाज़ था, जो बाएं हाथ से स्विंग गेंदबाज़ी करता था. तब उसे लोग भारत का वसीम अकरम कह रहे थे. इस गेंदबाज़ का नाम था इरफान पठान.
इरफान पठान को ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर बॉलिंग करने का इतना अनुभव नहीं था. बावजूद इसके भारतीय कप्तान सौरव गांगुली को पठान से काफी उम्मीदें थीं.
ऑस्ट्रेलियाई टीम के सलामी बल्लेबाज़ जस्टिन लेंगर और मैथ्यू हेडन क्रीज़ पर आ चुके थे. हेडन टेस्ट मैचों में भी वनडे स्टाइल में बल्लेबाज़ी करते थे. भारतीय गेंदबाज़ों के लिए इस बल्लेबाज़ को आउट करना सबसे बड़ा चैलेंज था.
ये चैलेंस स्वीकार किया, घुंघरालू बाल वाले उस नए लड़के ने. पारी के 5वें ओवर की दूसरी गेंद पर पठान ने एक स्विंग गेंद पर हेडन को पार्थिव पटेल के हाथों कैच करा दिया.
ऑस्ट्रेलिया को 22 रन पर ही पठान ने पहला झटका दे दिया था. हेडन 12 रन बनाकर लौट गए.
इसके बाद भारतीय कप्तान को लगने लगा कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से आधा मैच जीत लिया है. अभी उनका वास्ता रिकी पोंटिंग से नहीं पड़ा था. यही वो मैच था, जिसने रिकी पोंटिंग को तीसरे नंबर का सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ बना दिया था.
पोंटिंग ने क्रीज़ पर डाला डेरा
ऑस्ट्रेलियाई टीम का पहला विकेट गिरने के बाद रिकी पोंटिंग क्रीज़ पर आए. उस दिन वो क्रीज़ पर खेलने नहीं डेरा डालने आए थे.
रिकी पोंटिंग ने इस टेस्ट में टीम इंडिया के खिलाफ 242 रनों की पारी खेल डाली थी. यही वो पारी थी जिसके बाद रिकी पोंटिंग को स्टीव वॉ के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम के अगले कप्तान के रूप में देखा जाने लगा था.
कप्तान सौरव गांगुली ने रिकी पोंटिंग को आउट करने के लिए हर पैंतरा आज़मा लिया था. उन्होंने अपने तरकश से पोंटिंग की तरफ हर तीर छोड़ा, लेकिन कोई तीर निशाने पर नहीं लगा. ये वो मैच था, जिसमें पोंटिंग को आउट करने के लिए वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर को भी गेंदबाज़ी करनी पड़ी थी.
ऑस्ट्रेलियाई टीम 7 विकेट के नुकसान पर 550 रन के पार जा चुकी थी. गांगुली चिंतित थे, अगर पोंटिंग आउट नहीं होते तो वो उस दिन तिहरा शतक मारते.
गांगुली ने एक बार फिर टीम के सबसे भरोसेमंद स्पिनर अनिल कुंबले को गेंदबाज़ी के लिए बुलाया. अब तीर सही जगह लगने वाला था. कुंबले ने पोंटिग को फिरकी में फांसा और राहुल द्रविड़ के हाथों कैच कराकर उन्हें आउट कर दिया.
अगले दो विकेट टीम इंडिया ने जल्दी गिराए और ऑस्ट्रेलियाई टीम 556 पर ऑल आउट हो गई.
इंडिया के 85 रन पर गिरे 4 विकेट
जिसका डर था वही हुआ. 556 रनों के जवाब में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलियाई पेस बैटरी के सामने ढेर होती नज़र आ रही थी.
टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज़ अच्छी शुरुआत के बाद वापस पवेलियन लौट चुके थे. आउट होने के बाद बल्लेबाज़ ड्रेसिंग रूम में बैठकर बालों में हाथ फेरते हुए स्क्रीन पर अपने आउट होने के रिप्ले देखने लगे. शायद, उस दिन टीम ने सोच लिया था कि मैच हाथ से गया.
टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी की रीढ़ सचिन तेंदुलकर एक रन, तो सौरव गांगुली 2 रन बनाकर आउट हो चुके थे.
फिर आए टीम इंडिया की दीवार राहुल द्रविड़ और क्रीज़ पर खटिया डालकर जम गए. साथ मिला वीवीएस लक्ष्मण का. दोनों ने ठान लिया था कि ऐसे मैच को ऑस्ट्रेलिया के पाले में जाने नहीं देंगे. दोनों ने मिलकर पारी को आगे बढ़ाते हुए गेंद को टुक-टुक करना शुरू कर दिया.
राहुल द्रविड़ और लक्ष्मण क्रीज़ पर बर्फ की तरह जम गए.
जब दोनों ने क्रीज पर समय बिताया तो रन भी आने लगे. राहुल द्रविड़ ने पहले अपने पचासे को शतक में तब्दील किया और उसके बाद डेढ़ सौ रन पर पहुंच गए. वहीं, वीवीएस लक्ष्मण भी 150 रन की ओर बढ़ रहे थे.
इसी बीच, तेज़ गेंदबाज़, बिचेल की गेंद पर वीवीएस लक्ष्मण 148 रन पर आउट होकर चले गए. उन्हें अपने डेढ़ सौ रन पूरे नहीं करने से ज़्यादा मलाल द्रविड़ का साथ छूटने से था.
दोनों के बीच रिकॉर्ड 303 रनों की साझेदारी हुई.
द्रविड़ नहीं हारे और अंत तक लड़ते रहे. द्रविड़ 200 रन बना चुके थे. अब लग रहा था कि ऑस्ट्रेलियाई टीम का मुकाबला टीम इंडिया से नहीं सिर्फ द्रविड़ से है. फिर द्रविड़ 242 रन बनाकर आखिरी विकेट के रूप में आउट हुए.
इस तरह 556 रनों के जवाब में टीम इंडिया 523 रन बना चुकी थी.
दीवार बने द्रविड़
टीम इंडिया 523 रन बनाकर आउट हो चुकी थी. जिसके बाद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान का बड़ी लीड लेने का सपना टूट गया.
ऑस्ट्रेलियाई टीम को सिर्फ 33 रन की लीड ही मिल पाई. दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलियाई ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम 196 रनों पर भारतीय गेंदबाज़ों के सामने ढेर हो गई.
इस आधार पर टीम इंडिया को जीत के लिए 229 रनों का लक्ष्य मिला. अब दोबारा भारतीय बल्लेबाज़ क्रीज़ पर उतरे.
टीम इंडिया के 149 रन पर 3 विकेट गिर चुके थे. एक बार को तो लगा कि टीम इंडिया मामूली लक्ष्य का पीछा नहीं कर पाएगी लेकिन ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों के सामने राहुल द्रविड़ दोबारा से दीवार बनकर खड़े हो गए.
राहुल द्रविड़ ने 170 गेंदों में 72 रन ठोक कर टीम को जीत दिला दी. राहुल द्रविड़ नाबाद लौटे. जब प्राइज़ सेरेमनी थी, तो राहुल द्रविड़ को मैन ऑफ दी मैच दिया गया.
उनके दम पर टीम इंडिया ने हारी हुई बाज़ी जीत ली थी.
राहुल द्रविड़ यानी भरोसा, द्रविड़ वो बल्लेबाज़ जो हर चुनौती पार कर लेने की हिम्मत रखता था.
द्रविड़ भारतीय क्रिकेट की वो दीवार थी, जिसे कोई हिला भी नहीं पाया. टीम को जब द्रविड़ की ज़रुरत पड़ी तब वो काम आए. राहुल का खाली स्थान टीम इंडिया में कभी नहीं भरा जा सकता.
राहुल द्रविड़ की कई बेजोड़ पारियां आज भी क्रिकेट प्रशंसकों के ज़हन में ताज़ा हैं.
Web Title: The Great Wall of India Rahul Dravid, Hindi Article
Feature Image Credit: ED Times