समय के साथ क्रिकेट जगत में भी कई बदलाव देखने को मिले. इनमें से कुछ बदलाव किक्रेट बोर्ड द्वारा किये गये, तो कुछ बदलाव खिलाड़ियों ने खुद ही अपने खेल से कर दिये. हर बॉल पर रन बनाने के जुनून में बल्लेबाज़ों द्वारा अजीबो-गरीब शॉट खेले जाने लगे, तो एक के बाद एक नई तकनीक का आविष्कार होता गया.
स्वीप शॉट ऐसे ही एक शॉट का नाम है. पहली बार इसका प्रयोग किसने व कब किया तथा इसका विस्तार कैसे हुआ, आईये जानने की कोशिश करते हैं–
1920 के दशक में पहली बार खेला गया
किक्रेट में हर रोज़ कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है. यह सिलसिला बदस्तूर जारी है, जब से क्रिकेट की शुरुआत हुई… तब से ही!
मैदान पर मौजूद खिलाड़ी अपने खेल में निखार लाने के लिये बल्ले और गेंद से कुछ नया करने की कोशिश में लगे रहते हैं. जब कोशिश कामयाब होती है, तो बदले में एक नई अनोखी चीज़ का जन्म होता है.
ठीक ऐसे ही रिवर्स स्वीप प्रचलन में आया. यह शॉट पहली मर्तबा 1920 में खेला गया. कहा जाता है कि एक लोकल मैच में भारतीय खिलाड़ी कुमार श्री दिलीप सिंह ने इसका सबसे पहले इस्तेमाल किया था.
हालांकि, तब यह शॉट कोई अधिकारिक मैच में नहीं खेला गया था. बॉम्बे की लोकल टीम के लिये खेलते हुये कुमार श्री दिलीप सिंह ने पार्सी टीम के खिलाफ यह शॉट खेला था.
दूसरा यह कि जिस समय यह शॉट खेला गया, उस समय क्रिकेट को लेकर लोगों में इतना ज़्यादा रोमांच नहीं था, इसलिये यह अधिक लोकप्रिय नहीं हो पाया. हालांकि, 1960 का दशक आते-आते क्रिकेट को लेकर लोगों की राय बदलने लगी. उनके ऊपर क्रिक्रेट की ख़ुमार आसानी से देखी जा सकती थी.
करीब चार साल बाद जब 1964 में पाकिस्तानी खिलाड़ी मुश्ताक अहमद द्वारा जब यह शॉट खेला गया, तो इसे खासी लोकप्रियता मिली. कहते हैं कि इस शॉट के कारण मुश्ताक अहमद को विशेष पहचान मिली. इंग्लैंड मिडलसेक्स क्लब के खिलाफ खेलते हुये मुश्ताक अहमद ने यह शॉट खेला.
एक इंटरव्यू में मुश्ताक ने बताया कि उनकी टीम काफी लंबे टारगेट का पीछा कर रही थी. दोनों छोर से स्पिनर ही गेंदबाज़ी कर रहे थे. ऐसे में रन बनाना मुश्किल हो रहा था. तब थर्ड मैन पर कोई फिल्डर तैनात नहीं था, तो उन्हें अचानक बल्ले को रिवर्स घूमाने का विचार आया और बस यहीं से विश्व क्रिकेट में रिवर्स स्पीप शॉट का जन्म हुआ.
Mushtaq Mohammad (Pic: ESPNcricinfo)
गेंदबाजों के खिलाफ बढ़िया हथियार, मगर…
मैदान पर बल्लेबाज़ को रिवर्स स्वीप शॉट खेलते हुये दर्शकों को जितना मज़ा आता है. उससे कहीं ज़्यादा मुश्किल इस शॉट को खेलना है. कहते हैं कि इस शॉट को खेलने के लिये बहुत सटीक टाइमिंग की जरूरत पड़ती है. बल्लेबाज़ द्वारा इस शॉट को खेलने का मकसद सिर्फ बाउंड्री लाइन ढूंढना नहीं होता, बल्कि गेंदबाज की लय बिगाड़ना भी होता है.
इस तकनीक में जब गेंदबाज़, बल्लेबाज़ को बॉल डालता है, तो बल्लेबाज़ साधारण रुप से बल्ला घूमाने के बजाये बल्ले को विपरीत दिशा में घूमाकर बॉल को हिट करता है. इससे बॉल थर्डमैन की तरफ जाती है और बल्लेबाज़ को इसमें बाउंड्री मिलने का चांस बढ़ जाता है.
माना जाता है कि बल्लेबाज़ द्वारा रिवर्स स्वीप शॉट खेलने के बाद गेंदबाज़ लाइन लेंथ से संतुलन खो बैठता है.
वैसे इस शॉट को खेलना उतना आसान नहीं होता!
कड़े प्रशिक्षण के बाद ही बल्लेबाज़ इस शॉट को खेलने की हिम्मत जुटा पाता है. इसमें कलाईयों की मज़बूती अहम योगदान निभाती है. असल में वज़नी बैट को विपरीत दिशा में घूमाने के लिये कलाईयों को तेज़ी से उल्टा घुमाना पड़ता है.
यही वजह है कि हर बल्लेबाज़ इस शॉट को खेलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. अक्सर इस रिवर्स स्वीप शॉट को खेलने की कोशिश में बल्लेबाज़ अपना विकेट भी गंवा बैठते हैं. यही नहीं कई बार तो इसको खेलने के प्रयास में बल्लेबाज़ चोटिल तक हो चुके हैं.
खैर, सारे जोखिम एक तरफ रखते हुए क्रिकेट खेल में बढ़ रही आक्रामकता और कड़ी प्रतिस्पर्द्धा ने बल्लेबाज़ों के मन से इस शॉट को खेलने के दौरान लगने वाली चोटों के डर को दिल से निकाल दिया है.
यही वजह है कि छोटे से लेकर बड़े-बड़े टूर्नामेंट में यह शॉट बल्लेबाज़ों के बल्ले से निकलते हुये देखा जाता है.
England’s Jonny Bairstow Trying Reverse Sweep (Pic: NewIndianExpress)
आईपीएल ने बनाया और ज्यादा धारदार
यूं तो रिवर्स स्वीप शॉट सत्तर के दशक में काफी मशहूर हो गया था. मुश्ताक अहमद के बाद जावेद मियांदाद ने इस शॉट को अपने खेल में शुमार किया. बावजूद इसके विश्वभर में इस शॉट को सबसे ज़्यादा पहचान इंडियन प्रीमीयर लीग से मिली. आईपीएल के छोटे फॉर्मेट में बल्लेबाज़ों के तेज़ी से रन बनाने की होड़ में यह शॉट सबसे अधिक खेला जाने लगा.
विभिन्न देशों के महान प्लेयरों ने आईपीएल में इस शॉट को अपना हथियार बनाते हुये विपक्षी टीम के गेंदबाज़ो की खूब बखिया उधेड़ी. अंतिम ओवरों में इस शॉट का प्रयोग करते हुये कई खिलाड़ियों ने हारे हुये मैच को अपनी टीम की झोली में डालकर कई बार दर्शकों को चौंकाया. कई बार तो इस शॉट ने अंपायरों को भी अचंभे में डाला.
साल 2012 में इंग्लैंड और श्रीलंका के बीच में चल रहे टेस्ट मैच में यह वाकया सामने आया था. जब इंग्लैंड के धाकड़ बल्लेबाज़ केविन पीटरसन ने लगातार रिवर्स स्वीप शॉट का प्रयोग करते हुये श्रीलंकाई गेंदबाज़ो की जमकर क्लास ली थी. इस मैच में उन्होंने शतक ठोका था, लेकिन उनकी इस पारी को लेकर खूब हो-हल्ला हुआ.
केविन पीटरसन रिवर्स स्वीप खेलने के लिये समय से पहले अपने बैट की डॉयरेक्शन को बदल ले रहे थे. इससे श्रीलंकाई बॉलर नाखुश थे. इसको लेकर उन्होंने अंपायर से इसकी शिकायत की और अंपायरों ने पीटरसन को चेतावनी देते हुये ऐसा करने से मना किया था. वहीं कई बार गेंदबाज़ो ने आईसीसी से इस शॉट को बैन करने के लिये अपनी आवाज़ उठा चुके हैं, किन्तु इसका चलन ज्यों का त्यों बना हुआ है.
बल्लेबाज़ जो रिवर्स स्वीप शॉट के हैं ‘माहिर’
रिवर्स स्वीप शॉट खेलने वाले बल्लेबाज़ो की फेहरिस्त बहुत लंबी है. वर्तमान समय में जिन बल्लेबाज़ों का नाम सबसे अच्छा रिवर्स स्वीप शॉट खेलने में शुमार किया जाता है, उनमें दक्षिण अफ्रिका के मध्यक्रम के दायें हाथ के बल्लेबाज़ एबी डिवीलियर्स और आस्ट्रेलिया के धाकड़ बल्लेबाज़ ग्लेन मैक्सवेल शामिल हैं.
एबी ने कई मौकों पर अपनी बेजोड़ पारियों में गज़ब की रिवर्स स्वीप हिटिंग करते हुये गेंदबाज़ो को परेशान किया है. जबकि, ग्लैन मैक्सवेल की स्पिनरों पर पावर रिवर्स स्वीप हिटिंग उनका ट्रेड मार्क ही बन चुकी है.
वहीं आस्ट्रेलियाई ओपनर डेविड वार्नर भी अपने रिवर्स स्वीप शॉट के लिये जाने जाते हैं. वेस्टइंडीज़ के धाकड़ बल्लेबाज़ क्रिस गेल के रिवर्स स्वीप हिट्स भी किसी से छुपे नहीं हैं. भारतीय बल्लेबाज़ों की बात करें तो इनमें रोहित शर्मा को रिवर्स स्वीप शॉट खेलने में अन्य बल्लेबाज़ों की तुलना में काफी महारत हासिल है.
AB de Villiers During Reverse Sweep (Pic: ESPNcricinfo)
कुल मिलाकर यह शॉट बल्लेबाजों की खास पसंद बन चुका है, जिसका प्रयोग वह मौके पर करते हुए नज़र आते हैं.
Web Title: Reverse Sweep Shot Batting Technique, Hindi Article
Feature Image Credit: espncricinfo.com