भारतीय क्रिकेट टीम में शुरूआत से ही हर तरह के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं. बल्लेबाज़ से लेकर गेंदबाज़ की बात हो या फिर फील्डर से लेकर ऑलराउंडर की बात, भारतीय टीम उम्दा क्रिकेटरों से सजी रही है.
कपिल देव जैसे महान ऑलराउंडर ने विदेशी पिचों पर टीम का नेतृत्व करते हुए भारत की झोली में पहला विश्वकप डाला. जिसके बाद भारतीय क्रिकेट टीम को उस दौर की बड़ी टीमों ने कभी कमज़ोर आंकने की भूल नहीं की.
आज हम एक ऐसे ही स्पिनर के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी खतरनाक बॉलिंग से दक्षिण अफ्रीकी टीम को स्पिन का ख़ौफ दे दिया था. जी हां! हम बात कर रहे हैं सुनील जोशी की.
साल 1999 में भारत दक्षिण अफ्रीका के बीच चल रहे एक मैच के दौरान जोशी ने खतरनाक गेंदबाजी करते हुए 6 रन देकर 5 विकेट चटका दिए थे. इससे पहले कभी दक्षिण अफ्रीकी टीम भारतीय स्पिनर्स को लेकर इतनी चिंतित नहीं रही, जितना इस मैच में बुरी तरह से हारने के बाद हुई.
तो आइए, एक बार फिर इतिहास की गर्त में जाकर उस ऐतिहासिक मैच के बारे में जानते हैं –
नहीं मिली थी 1999 के वर्ल्ड कप में जगह
सुनील जोशी 1995 से रणजी मैचों में बेहतरीन प्रदर्शन करते आ रहे थे. बावजूद इसके उन्हें साल 1999 के वर्ल्ड कप में जगह नहीं मिली थी.
हालांकि वर्ल्ड कप में जगह न मिलने के बाद उन्हें उनके बेहतरीन प्रदर्शन का ईनाम जरूर मिला और उन्हें इंग्लैंड सीरीज़ के लिए चुन लिया गया. दुर्भाग्य से वह पहले मैच में ही चोटिल हो गए और उन्हें वापस लौटना पड़ा.
इस दौरान वह बीच-बीच में टीम इंडिया में खेलते रहे. हां! तब अनिल कुंबले टीम में थे, तो उन्हें ज़्यादातर अनिल कुंबले का साथ देने के लिए ही खिलाया जाता था.
और शायद यही कारण था कि वह टीम में नियमित रूप से स्थान नहीं बना पाए.
बहरहाल, 1999 का दौर आया, जब सुनील जोशी पहले से अधिक आक्रामक गेंदबाज़ी करने लगे थे. एलजी कप के लिए उन्हें टीम में चुन लिया गया.
अजय जडेजा की कप्तानी में टीम इंडिया केन्या में एलजी कप खेलने के लिए जा रही थी. जहां भारतीय टीम के अलावा 3 टीमें और दक्षिण अफ्रीका, जिंबाब्वे, केन्या शामिल थीं.
टीम इंडिया के लिए कोई टीम अगर चुनौती पेश कर सकती थी तो वह थी दक्षिण अफ्रीका. इतना ही नहीं टीम इंडिया को अपना पहला मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ही खेलना था.
बल्लेबाज़ों के लिए अबूझ पहेली बने सुनील
26 सितंबर, 1999 का दिन था, जब जिमखाना क्लब ग्राउंड नैरोबी में दोनों टीमें आमने-सामने मैदान में उतरीं. फॉर्म को देखते हुए दक्षिण अफ्रीकी टीम मैच में फेवरेट मानी जा रही थी.
नैरोबी के चमचमाते ग्राउंड पर दोनों कप्तानों के बीच टॉस उछाला गया. दक्षिण अफ्रीकी कप्तान टॉस जीत गए और एक बड़ी चूक कर बैठे.
वह पिच के मिजाज़ को नहीं पढ़ पाए और कप्तान हैन्सी क्रोन्ये ने पहले बैटिंग करने का फैसला कर लिया. यह एक ऐसा विकेट था, जो स्पिनर्स को खेलने के लिए बेहतर माना जा रहा था. हैन्सी क्रोन्ये को लगा कि इस मैदान पर दक्षिण अफ्रीकी बॉलर्स के फुटमार्क्स दूसरी इनिंग्स में भारतीय बल्लेबाज़ों को काफी दिक्कत पेश करेंगे.
लेकिन उन्हें पता ही नहीं था कि वो वक्त आएगा ही नहीं, क्योंकि वो दिन सुनील जोशी के नाम था.
टीम इंडिया के सीम बॉलर्स वेंकटेश प्रसाद और देबाशीष मोहंती की शुरुआती पेस को साउथ अफ़्रीकी बल्लेबाज़ों ने संभलकर खेला. शुरुआत के 9 ओवर अफ्रीकी टीम के लिए बिना किसी नुकसान के निकले. हालांकि दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज़ रन काफी धीमे बना रहे थे. टीम का रन रेट काफी धीमा हो चला था, जिस कारण पहले 9 ओवर में सिर्फ 32 रन ही जुड़ पाए.
पहला विकेट लेकर दक्षिण अफ्रीका को दिया झटका..
9 ओवर होने के बाद टीम इंडिया के कप्तान ने गेंदबाज़ी में परिवर्तन किया. बॉल सुनील जोशी को थमा दी गई.
पहली इनिंग का दसवां ओवर लेकर लेफ्ट आर्म स्पिनर सुनील जोशी अंपायर के पीछे आ कर खड़े हो गए. दक्षिण अफ्रीकी टीम का स्कोर तब बिना किसी नुकसान के 32 रन था.
पहली गेंद सुनील जोशी ने डॉट निकाली, जिसके बाद उन्होंने थोड़ी राहत की सांस ली. वह काफी समय बाद अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे थे.
अब ओवर की दूसरी गेंद लेफ़्ट आर्म राउंड द विकेट गेंद फेंकी गई. हर्शेल गिब्स गेंद को टर्न होते हुए आसानी से देख रहे थे. गिब्स को लगा कि गेंद को थर्ड मैन की ओर खेलकर रन चुराया जा सकेगा. जिसको लेकर उन्होंने बैकफुट पर जगह बनाई, लेकिन गेंद की स्पीड और उछाल के चलते गेंद बल्ले का किनारा लेकर स्लिप में खड़े राहुल द्रविड़ के हाथों में समा गई.
और इसी के साथ दक्षिण अफ्रीका का पहला विकेट गिर चुका था. अब स्कोर था 32 रन पर 1 विकेट.
...और स्पिन के जाल में फंसते चले गए अफ्रीकी बल्लेबाज
गिब्स के आउट होने के बाद दक्षिण अफ्रीका टीम बेहद संभलकर खेल रही थी. स्कोर 39 पर 2 विकेट हो गया था. मार्क बाउचर रन आउट हो चुके थे. लेकिन सुनील जोशी तो आज मैदान में कुछ और ही सोचकर आए थे.
16वें ओवर में उन्होंने फिर से झटका दिया. अब स्कोर हो गया था, 39 पर 3 विकेट. बोएटा डिप्पेनार बैटिंग कर रहे थे. सुनील की गेंद को बल्ले से स्वीप करने की भूल कर बैठे और गेंद टर्न करते हुए स्टंप में जा घुसी.
अब बल्लेबाज़ी के लिए आए हैन्सी क्रोन्ये, जिन्हें दक्षिण अफ्रीकी बैटिंग की रीढ़ कहा जाता था. सुनील ने उन्हें गेंद लेग स्टंप की लाइन में डाली. क्रोन्ये सिंगल चुराना चाहते थे, लेकिन स्पीड से गच्चा खा गए. उनके बल्ले का उंदरूनी किनारा लगा और गेंद पैड पर लगते हुए सीधे फील्डर सदगोपन रमेश के हाथ में चली गई.
अब दक्षिण अफ्रीका का चौथा विकेट 45 रन पर गिर चुका था. इसी के साथ जोशी की झोली में 3 विकेट आ चुके थे.
जॉन्टी रोड्स के आउट होते ही धुल गईं अफ्रीकी उम्मीदें
अब एक बात तो तय थी कि दक्षिण अफ्रीकी टीम कुछ नहीं समझ पा रही थी. मैदान से लेकर ड्रेसिंग रूम तक सन्नाटा छा चुका था.
ऐसे में जॉन्टी रोड्स ने मोर्चा संभाला, टीम को उनसे काफी उम्मीदें थीं.
अब सुनील जोशी की एक गुड लेंथ गेंद फेंकी, यहां जॉन्टी रोड्स भी गच्चा खा गए. उन्होंने उस गेंद को रिवर्स स्वीप करने की कोशिश की और गलती कर बैठे. जिस गेंदबाज़ को अभी तक अफ्रीकी टीम के बल्लेबाज़ सीधे बल्ले से नहीं खेल पा रहे थे. रोड्स ने उस गेंदबाज़ को रिवर्स बल्ले से खेलने की भूल कर दी. बॉल आई तो बल्ले पर, लेकिन उस तरह नहीं जैस रोड्स चाह रहे थे.
और गेंद शॉर्ट फाइन लेग पर खड़े निखिल चोपड़ा के हाथ में चली गई. जॉन्टी रोड्स के बाद सुनील ने शॉन पॉलक का शिकार किया और उन्हें द्रविड़ के हाथों कैच कराकर अपने 5 विकेट पूरे कर लिए.
जोशी को पांच विकेट मिल चुके थे. दक्षिण अफ्रीकी टीम का स्कोर 85 रन पर 7 विकेट हो गया था. इससे पहले कि दक्षिण अफ्रीकी टीम सुनील की फिरकी से बाहर निकलती, उसके सभी खिलाड़ी मैदान पर अपना दम तोड़ गए.
टीम इंडिया की धमाकेदार जीत
इस तरह से दक्षिण अफ्रीका की पूरी टीम 48 ओवरों में 117 रनों पर ढेर हो गई.
टीम इंडिया को एलजी कप का पहला मैच जीतने के लिए 118 रनों की ज़रूरत थी. टीम इंडिया ने 22.4 ओवर में 2 विकेट के नुकसान पर 120 रन बनाकर यह मैच 8 विकेट से जीत लिया था.
सुनील जोशी को उनकी बेहतरीन बॉलिंग के लिए मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड से नवाजा़ गया. इस बेहतरीन स्पिनर के चलते दक्षिण अफ्रीका की टीम वन डे मैचों में अब तक के सबसे कम स्कोर पर ढेर हो गई. उस वन डे में 117 रन का स्कोर दक्षिण अफ्रीका का अब तक का सबसे कम स्कोर था.
तीन साल बाद विज़्डन 100 ने सुनील जोशी की उस गेंदबाज़ी को सातवां सबसे अच्छा वन-डे स्पेल माना था. सुनील जोशी ने उस दिन गेंदबाज़ी करते हुए 10 ओवर में, 6 मेडेन फेंके, 6 रन दिए और 5 विकेट झटके थे.
21 जून 2012 को सुनील जोशी ने इंटरनेशनल और सभी अन्य फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैचों से संन्यास ले लिया. सुनील जोशी को आज भी एलजी कप की शानदार बॉलिंग के लिए याद किया जाता है.
भारत का यह स्पिनर अपने नाम से तो इतना मशहूर नहीं हो पाया, लेकिन 1999 के एलजी कप में उनके उस ऐतिहासिक स्पेल ने सुनील जोशी का नाम क्रिकेट इतिहास में अमर कर दिया.
Web Title: Sunil Joshi Career Best Performance With 5 Wickets For 6 Runs VS South Africa, Hindi Article
Feature Image Credit: sportswallah