यकीनन आपको क्रिकेट के कई ऐतिहासिक मैच याद होंगे! आपको क्रिकेट के मैदान में सफेद जर्सी में अपने-अपने देश के लिए चौके-छक्के लगाते हुए खिलाड़ी भी याद होंगे.
किन्तु, क्या आपको वह टीमें याद हैं, जिनका दशकों तक ‘विश्व टेस्ट क्रिकेट’ पर कब्जा रहा है.
अगर नहीं तो आईये आपको ले चलते हैं उस सफ़र पर जहां से यह तस्वीर एकदम साफ नज़र आती है–
ऑस्ट्रेलिया (1930-1980)
विश्व टेस्ट क्रिकेट पर ऑस्ट्रेलिया का दबदबा शुरु से ही रहा. 1930 से लेकर 1952 तक यह लगातार शीर्ष पर रही. इस दौरान खेले गये मैचो में से आस्ट्रेलिया ने अधिकतर में जीत हासिल की.
इस पूरे सफर में बिल ऑडफुल का नाम सुर्खियों में रहा. 1932-33 तक वह टीम के कप्तान रहे. उनके बाद ‘सर डोनाल्ड ब्रैडमैन’ और लिंडसे हैंसेट ने टीम को आगे बढ़ाया.
यह एक ऐसा समय था, जिसमें ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ ने खलल भी डाला. इसके कारण 1938 से लेकर 1946 तक करीब आठ साल तक क्रिकेट नहीं खेला गया.
निश्चित रुप से टीम को यहां तक लाने में उनके खिलाड़ियों का अहम योगदान रहा. इसमें बिल ब्राउन, विलियम पोंसफ्रिड, डॉन ब्रैडमैन, स्टेनली मैकके और बिल ओड्रिज का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. कहा जाता है कि इनके बल्ले की हनक से विरोधी गेंदबाज खौफ खाते थे.
करीब दो दशकों से अधिक समय तक टेस्ट क्रिकेट पर राज करने के बाद आखिरकार साल 1952 के बाद इंग्लैंड ने आस्ट्रेलिया की बादशाहत को खत्म किया. उन्होंने अपने शानदार प्रर्दशन से दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा, लेकिन ज्यादा दिनों तक वह आस्ट्रेलिया को रोक नहीं सकी.
1971 में आस्ट्रेलिया ने एक बार फिर से वापसी की और मैदान पर अपना दबदबा बनाया. हालांकि, इस दौरान इंग्लैंड समेत अन्य टीमें भी अच्छा प्रर्दशन कर रही थी, लेकिन आस्ट्रेलिया की बराबरी कोई नहीं कर सका.
1971 से 1975 तक आस्ट्रेलिया ने करीबन 35 मैच खेले, जिनमें से 20 में जीत हासिल की, जबकि बाकी मैचों के नतीजे ड्रा रहे.
Unbeatable Australia Team in 1948 (Pic: alloutcricket)
वेस्ट इंडीज (1981-1989)
1881 के आसपास आस्ट्रेलिया का खेल थोड़ा ढलान पर आया तो वेस्ट इंडीज ने अपनी टीम को टॉप गियर में डाल लिया. 1981 से लेकर 1989 के काल को वेस्ट इंडीज क्रिकेट टीम का स्वर्णिम युग कहा जाता है. 1990 के दशक के अंत तक वेस्टइंडीज ने कोई भी टेस्ट श्रृंखला नहीं गंवाई. इस समय वेस्टइंडीज ने 15 टेस्ट श्रंखलाएं खेली जिसमें से वह एक भी नहीं हारे. उन्होंने 11 सीरीज जीती जबकि चार ड्रॉ रही.
इस सफर में क्लाइव लॉयड और विवियन रिचर्ड्स ने टीम को आक्रामक बनाने का काम किया. क्लाइव लॉयड ने 34 मैचों में कप्तानी की, जिसमे से 12 में टीम को जीत मिली. वहीं विवियन रिचर्ड्स ने 26 टेस्ट मैचों में अगुवाई करते हुए 12 मैच अपने नाम किये.
टीम के खिलाड़ियों की बात की जाये तो फिल्ड में एक तरह से उनका आतंक था. जहां एक तरफ रिचर्ड्स और रिची रिचर्डसन ने बिना हेलमेट के ही प्रतिद्वंद्वी तेज गेंदबाजों के छक्के छुड़ाने का काम किया. वहीं माल्कॉम मार्शल, माइकल होल्डिंग, जोएल गार्नर और कर्टनी वाल्श ने अपनी गेंद की खतरनाक धार प्रस्तुत की.
इनके अलावा अगर वेस्टइंडीज को यहां तक लाने वाले खिलाड़ियों का जिक्र किया जाये तो उसमें गॉर्डन ग्रीनीज और डेसमंड हेन्स प्रमुख थे. इन दोनों को टेस्ट क्रिकेट के इतिहास की सबसे अच्छी सलामी जोड़ी भी माना जाता है.
West Indies in England 1980 (Pic: guyana-cricket)
आस्ट्रेलिया (1990-2000)
यह दशक विश्व टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का सबसे रोमांचकारी दशक रहा. इस दशक में यह नहीं कहा जा सकता कि किसी एक टीम ने पूरा दशक अपना दबदबा बनाया. दरअसल 1990 के बाद जब वेस्ट इंडीज टीम लड़खड़ाई तो अन्य टीमों ने उसका भरपूर फायदा उठाया.
इस दौर में भारत, श्रीलंका, साउथ अफ्रिका, पाकिस्तान समेत बाकी टीमों ने अपना-अपना दम दिखाया.
बावजूद इसके आकड़ों पर नज़र डाले तो दूर-दूर तक ऑस्ट्रेलिया के सामने कोई खड़ा नहीं दिखाई देता. शायद यही कारण रहा कि उसे, इस दशक की भी सर्वश्रेष्ठ टीम माना गया.
असल में ऑस्ट्रेलिया की इस सफलता का सबसे बड़ा कारण टीम का संतुलन था. जहां, इनिंग्स की शुरुआत के लिए मैथ्यू हेडेन और जस्टिन लैंगर जैसे घुरंधर थे, वहीं मध्य क्रम को बल देने के लिए रिकी पोंटिंग, स्टीव वा, डेमियन मार्टिन, मार्क वा, माइक हसी और माइकल क्लार्क जैसे मजबूत बल्लेबाज थे.
सिर्फ यहीं नहीं, ग्लेन मैकग्रा, शेन वार्न और ब्रेट ली की गेंदबाजी का कहर विरोधियों पर कहर बनकर बरसता रहा.
इस दशक में स्टीव वॉ, रिकी पोंटिंग और एडम गिलक्रिस्ट ने अपनी टीम की अगुवाई की.
इस दौरान आस्ट्रेलिया ने कुल 93 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 72 में जीत दर्ज की और 11 मैच ड्रॉ रहे. इसमें स्टीव वॉ ने 50, पोंटिंग ने 37 और गिलक्रिस्ट ने छह टेस्ट मैचों का नेतृत्व किया.
Unbeatable Australia Team in 2001 (Pic: alloutcricket)
2001 के बाद कौन?
यह दौर टेस्ट क्रिकेट में कई बदलाव लेकर आया. लगभग सभी टीमें नंबर एक की पोजिशन पाने के लिए संघर्ष करती दिखी. आंकड़ों की बात करें तो ज्यादा समय तक कोई भी टीम नंबर एक पर नहीं रह सकी. हर नई सीरीज के साथ टीमों के पायदान बदलते रहे.
इस दौर में एक समय ऐसा भी आया था जब ऐसा लग रहा था कि मानो टेस्ट क्रिकेट अन्त की कगार पर हैं. असल में पहले एकदिवसीय और बाद में टी-20 क्रिकेट ने इस खेल के मायने ही बदल कर रख दिये.
हालांकि, क्रिकेट टेस्ट का सफर बंद नहीं हुआ… वह चलता रहा!
जानकर खुशी होती है कि इस दौरान भारतीय क्रिकेट टीम को भी शिखर पर बैठने का मौका मिला.
Team India in Border Gavaskar Trophy, 2001 (Pic: updateox)
कुल मिलाकर क्रिकेट के इस जूनूनी खेल में लगभग हर टीम ने समय-समय पर अपने खेल का जौहर दिखाया और अपने खेल से पूरी दुनिया का मनोरंजन किया. रही बात नम्बर-एक, दो या तीन पर रहने की तो समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता.
वैसे भी क्रिकेट अनिश्चताओं का खेल है. यहां किसी भी पल खेल का रुख बदल जाता है. इस खेल में वहीं शीर्ष पर रहता है, जो लगातार शानदार खेल का प्रदर्शन करता है.
आप क्या कहेंगे टेस्ट क्रिकेट की बेहतरीन टीमों के बारे में?
Web Title: Team’s Ruled the World Test Cricket, Hindi Article
Featured Image Credit: sportingnews