भारतीय क्रिकेट में नई प्रतिभाएं आने से इंडियन क्रिकेट टीम को काफी मज़बूती मिल मिली है. इसका श्रेय किसी न किसी रूप से आईपीएल को जाता है. इसमें दो राय नहीं कि आईपीएल के मंच से भारत ने काफी बेहतरनी खिलाड़ियों की खोज की है.
किन्तु, भारतीय क्रिकेट टीम में नए खिलाड़ियों के आने के सिलसिले के बीच हम एक ऐसे खिलाड़ी को भूल गए, जिसने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से टेस्ट क्रिकेट में भूचाल ला दिया था. यहां बात किसी और की नहीं बल्कि, भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के लिए ओपनिंग कर चुके वसीम जाफर की हो रही है.
आईए जानने की कोशिश करें कि एक बेहतरीन आगाज़ करने के बावजूद यह खिलाड़ी कहां गुमनाम हो गया-
15 साल की उम्र में थामा बल्ला
16 फरवरी साल 1978 को मुंबई में पैदा हुए वसीम जाफर ने 15 साल की उम्र में ही बल्ला थाम लिया था. अपनी छोटी उम्र में मुंबई की गलियों में खेलने वाला यह बल्लेबाज़ एक दिन भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलेगा, किसी को नहीं पता था.
खैर, वसीम जाफर कम उम्र में ही क्रिकेट को बड़ी बारीकी से सीखने लगे थे. स्कूल के बाद उनका ज़्यादातर समय क्रिकेट खेलने में ही गुज़रता. चूंकि, उन्हें बल्लेबाज़ी का शौक था, इसलिए वह सिर्फ बल्ला हाथ में थाम कर नए- नए शॉट लगाते और घंटों गलियों में अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलते.
उनका यही जूनून था, जिसके चलते उनके परिवार ने उन्हें क्रिकेट की कोचिंग लेने के इजाज़त दे दी. बस फिर क्या था वसीम जाफर ने अपने शौक़ को बढ़ाते हुए क्रिकेट एकेडमी में बल्लेबाज़ी की बारीकियां सीखना शुरु कर दी.
क्रिकेट कोचिंग के दौरान उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी में काफी सुधार किया और एक बेहतरीन बल्लेबाज़ बनकर उभरने लगे.
Wasim Jaffer (Pic: swamiarmy)
16 की उम्र में मुंबई रणजी का टिकट
क्रिकेट कोचिंग में एक साल पसीना बहाने के दौरान वसीम जाफर ने अपनी बल्लेबाज़ी को काफी बेहतरीन बना लिया था. जिस उम्र में उनके साथी बल्लेबाज गेंद को छक्का मारकर पवेलियन के पार पहुंचाने के लिए खेला करते थे, उस उम्र में वसीम जाफर अपनी कलाईयों का बेहतरीन प्रयोग करते हुए स्क्वायर ड्राइव, कवर ड्राइव और स्ट्रेट ड्राइव जैसे मुश्किल शॉट लगाया करते थे.
यही कारण था कि जब मुंबई रणजी टीम के चयनकर्ताओं ने उन्हें क्लासिक बल्लेबाज़ी करते देखा, तो वह काफी हैरान हुए और उन्होंने 16 साल के इस पतले-दुबले लड़के को मुंबई की रणजी टीम में चुन लिया.
पहले रणजी मैच में तो जाफर कोई कमाल नहीं कर पाए, किन्तु अपने दूसरे ही रणजी मैच में जाफर ने तिहरा शतक जड़कर रणजी मैच के इतिहास में खलबली मचा दी.
शायद उनकी यह पारी भारतीय क्रिकेट टीम में उनके आगाज़ की एक आहट थी.
भारतीय टीम में दमदार नहीं रहा आगाज़!
घरेलू मैचों में लगातार अच्छी पारियां खेलने के बाद जाफर अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को हैरान कर रहे थे. मुंबई रणजी मैच में वह लंबी पारियां खेलने के लिए मशहूर हो गए थे. वसीम का बल्लेबाज़ी का अंदाज़ भारतीय पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन से काफी मेल खाता था.
भारतीय टीम वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ जैसे बड़े बल्लेबाजों के नाम से सजी हुई थी. ऐसे में किसी भी नए खिलाड़ी को टीम में जगह मिलनी बहुत मुश्किल थी. बावजूद इसके चयनकर्ताओं ने चांस लिया और साल 2000 में वसीम जाफर को भारतीय टीम में खेलने का न्यौता दे दिया.
दक्षिण अफ्रीकी टीम भारतीय दौरे पर आई हुई थी. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम, जो वसीम जाफर का घरेलू मैदान था. उन्हें इस मैदान पर भारतीय क्रिकेट टीम की ओर से ओपनिंग करने का मौका मिला.
शायद किस्मत जाफर के साथ नहीं थी. घरेलू मैच में शतक ठोकने वाला बल्लेबाज़ अपने पहले मैच में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सका और दोनों पारियों में कुल 10 रन जोड़ दोनों. नतीजा यह रहा कि भारतीय टीम यह मैच हार गई.
इस तरह इंटरनेशनल करियर के पहले ही मैच में वसीम को मुंह की खानी पड़ी.
Wasim Jaffer Great Indian Batsmen (Pic: dnaindia)
दो साल तक टीम से रहे बाहर!
दक्षिण अफ्रीका से घरेलू मैदान पर टेस्ट मैच हारने के बाद भारतीय टीम की आलोचना होने लगी. आलोचक टीम चयन पर सवाल उठाने लगे और इसका नतीजा यह रहा कि वसीम जाफर के शर्मनाक प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
साल 2000 से साल 2002 की शुरुआत तक वसीम जाफर भारतीय टीम से बाहर रहे. हालांकि, वह इस दौरान अपने बल्लेबाज़ी में निरंतर सुधार करते रहे और अपनी कमियों को तलाश कर उन्हें दूर करने की जुगत में घंटों ग्राउंड में पसीना बहाते रहे.
साल 2002 मई में वसीम जाफर को भारतीय क्रिकेट टीम से फिर एक बार न्योता आया. इस बार उन्हें वेस्टइंडीज़ जा रही भारतीय टेस्ट टीम में शामिल किया गया था. विदेशी धरती पर पहली बार खेलने गए वसीम जाफर इस बार पूरी तैयारी से गये थे.
वेस्टइंडीज़ टूर उनके लिए काफी सकारात्मक रहा और उन्होंने इस टूर में दो हाफ सेंचुरी ठोककर अपने आलोचकों को अपने बेहतरीन हुनर का एहसास करा दिया.
साल 2006 में उन्होंने दोबारा वेस्टइंडीज़ टूर पर जाने वाली टीम में बतौर ओपनिंग बल्लेबाज़ शामिल किया गया, जहां उन्होंने एंटीगा टेस्ट मैच में अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलते हुए कैरीबियाई धरती पर 212 रन ठोककर टेस्ट क्रिकेट में तहलका मचा दिया था.
Wasim Jaffer Great Indian Batsmen (Pic: wisdenindia)
घरेलू मैचों का बेमिसाल रिकॉर्ड
वेस्टइंडीज़ की धरती पर दोहरा शतक लगाने के बावजूद यह करिश्माई बल्लेबाज़ भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाया. कभी किस्मत तो कभी चोट वसीम जाफर की बल्लेबाज़ी के आगे बाधक बनती रही.
कई बार वसीम जाफर को जब चयनकर्ताओं ने टीम में चुना, तो वह चोटिल होने के कारण मैच नहीं खेल सके तो कई बार जब वह मैच में खेले तो रन नहीं बना सके. इन सबके बीच समय काफी तेज़ी से गुज़रता रहा और वह प्रथम श्रेणी मैचों में अपना ध्यान केंद्रीत करते रहे.
242 प्रथम श्रेणी मैचों में खेलते हुए इस मुंबई के बल्लेबाज़ ने पचास की औसत से 18,110 रन बना डाले, जिसमें 53 शतक और 86 अर्धशतक शामिल हैं. जानकर हैरानी होगी कि वसीम जाफर प्रथम श्रेणी मैचों में रनों का इतना अंबार लगाने वाले छठवें भारतीय खिलाड़ी हैं.
40 की उम्र में डबल सेंचुरी
भारतीय क्रिकेट टीम में अपने उतार- चढ़ाव भरे क्रिकेट करियर के बाद वसीम जाफर का पूरा ध्यान सिर्फ प्रथम श्रेणी क्रिकेट पर ही केंद्रित है. वसीम जाफर 40 वर्ष के हो चुके हैं. इस उम्र में क्रिकेटर सन्यास लेकर कमेंट्री बॉक्स में बैठ हाथ में माइक पकड़कर कमेंट्री करते नजर आते हैं.
वहीं वसीम जाफर युवा क्रिकेटर्स के लिए एक मिसाल कायम कर रहे हैं. चालीस की उम्र में बल्लेबाज़ी करते हुए न सिर्फ वसीम ने शतक ठोका, बल्कि बेहतरीन कप्तानी करते हुए विदर्भ की टीम को पहला ईरानी कप दिलाकर इतिहास रच दिया.
विदर्भ टीम की कप्तानी करते हुए वसीम जाफर ने 286 रनों की मैराथन पारी खेली. उनकी पारी के दम पर विदर्भ ने 800 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य स्कोरबोर्ड पर टांगा था.
जानकर हैरानी होगी कि जिस बल्लेबाज़ के पास बचपन के दिनों में क्रिकेट कोचिंग फीस के लिए पैसे नहीं होते थे. आज वही खिलाड़ी अपनी कप्तानी में मुंबई को आठ रणजी ट्राफी दिला चुका है. वहीं मुंबई टीम से अलग होने के बाद विदर्भ की कमान संभालने के बाद वसीम जाफर ने विदर्भ को अपनी कप्तानी में पहला ईरानी कप जीताकर नया इतिहास रच दिया है.
वसीम जाफर जिस तरह घरेलू मैचों में प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके बेहतरीन प्रदर्शन युवा क्रिकेटर्स के लिये काफी मागदर्शक हैं.
Wasim Jaffer Great Indian Batsmen (Pic: cricbuzz)
किस्मत के फेर के चलते यह बेहतरीन बल्लेबाज़ भारतीय टीम में स्थाई जगह नहीं बना सका, किन्तु इस बेजोड़ क्रिकेटर के मार्गदर्शन में भारतीय क्रिकेट टीम को काफी बेहतरीन खिलाड़ी मिलेंगे.
इसमें कोई शक नहीं!
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