क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का कहना है कि ‘क्रिकेट में जीत जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है कि आप किस तरह खेल को जीतते हैं’. जाहिर तौर पर अगर सचिन जैसा महान खिलाड़ी खेल की ईमानदारी पर सवाल उठा रहा है, तो स्थिति काफी गंभीर है.
गौरतलब हो कि कुछ दिन पहले ही क्रिकेट इतिहास में शर्मनाक कर देने वाली एक घटना सामने आई, जिसमें पूरी की पूरी ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम पर ‘बॉल टैम्परिंग’ योजना में शामिल होने का आरोप लगा.
शुरु में तस्वीर थोड़ी धुंधली सी लगी, लेकिन जब ऑस्ट्रेलिया टीम के कप्तान स्टीव स्मिथ ने खुद स्वीकार कर लिया कि यह सही है. उनकी पूरी टीम ने हाथ से निकलते मैच को जीतने के लिए ड्रेसिंग रूम में बॉल टैम्परिंग की योजना बनाई थी, तो सारी तस्वीर साफ हो चुकी है.
बहरहाल, इस मामले के बाद जेंटलमैन कहा जाने वाला यह खेल एक बार फिर से कटघरे में है और लोगों की जुबान पर यही सवाल है कि आखिर क्यों कहां जाए इसे जेंटलमैन गेम!
आईए जानने की कोशिश करते हैं–
सड़न बनता अनैतिक व्यवहार
किसी भी खेल में ईमानदारी और नैतिकता को सबसे ऊपर रखा जाता है, क्योंकि यही आपको उत्साह से लबरेज रखती है और जब खेल किसी भी कारण से पक्षपाती हो जाएं तो उनमें वो मजा नहीं रहता जो होना चाहिए.
इस घटना के बाद सिडनी के अखबार ‘द ऑस्ट्रेलियन’ का कहना है कि “दो दशक में क्रिकेट कल्चर सड़ चुका है.” वहीं ‘डेली मिरर’ ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को ढोंगी और बेईमान तक करार दे दिया.
इसकी शुरूआत ट्रेवर चैपल से मानी जा सकती है, क्रिकेट इतिहास में ट्रेवर चैपल को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का काला दाग कहा जाता है, उन्होंने ऑस्ट्रलिया में ही मेलबॉर्न क्रिकेट ग्राउंड पर एक फरवरी 1981 को एक मैच के दौरान न्यूजीलैंड के खिलाफ आखिरी गेंद अंडर आर्म फेंकी थी. इससे देखा जा सकता है कि इनकी जायज खेल में कितनी रुचि रही होगी.
ट्रेवर चैपल ने ताजा बॉल टैम्परिंग वाले कुकृत्य के सामने आने के बाद कहा कि “अब मैं विलेन नहीं रहा, यह दाग अब स्मिथ के नाम हो गया है.” ट्रेवर, ग्रैग चैपल के भाई हैं और उस मैच के दौरान ग्रैग ऑस्ट्रेलिया टीम के कप्तान भी थे.
वहीं ऑस्ट्रलिया के रोड मार्श और इंग्लैंड के इयान बॉथम, कई बार ऑस्ट्रलिया के ही शेन वॉर्न, ग्लेन मैक्ग्रा, मर्व ह्यूजेस, डेनिस लिली, डैरेन बेरी, माइकल स्लेटर अन्य खिलाड़ियों के बीच स्लेजिंग करते पकड़े गए हैं.
सभी जानते हैं कि 2010 में पाकिस्तान के तेज गेंदबाज मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर ने स्पॉट फिक्सिंग में शामिल तत्कालीन कप्तान सलमान बट्ट के इशारे पर लॉर्ड्स के मैदान में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैचों के दौरान कैसे जानबूझकर नो बॉल फेंकी थी.
Australian Cricket Team sledging in Ashes series. (Pic: cricket)
ऐसे और भी हैं कई मामले…
क्रिकेट और उसके खिलाड़ियों की साख केवल बॉल टैम्परिंग जैसे मामलों से ही खराब नहीं होती, बल्कि और भी कई ऐसे मामले हैं, जिनसे क्रिकेट की पहचान को बड़ा धक्का लगता है.
छिंटाकशी करना, गाली-गलौच (स्लेजिंग), बॉल टैम्परिंग, सट्टेबाजी, मैच फिक्सिंग आदि ऐसे कृत्य हैं, जिनके कारण इस खेल की भद्द पिटी है. इससे खिलाड़ियों की साख को तो चोट पहुंचती ही है, साथ ही क्रिकेट को भी शक की नजरों से देखा जाता है.
इससे पहले भी कई मौकों पर अन्य क्रिकेट टीमों ने भी मैच में वापसी के लिए बॉल टैम्परिंग जैसे हथकंडों का सहारा लिया है.
सन 2016 में दक्षिण अफ्रीका के डुप्लेसिस होबार्ट टेस्ट में टॉफी खाकर लार को गेंद पर लगाते हुए पकड़े गए थे. इससे पहले 2014 में श्रीलंका के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के ही फिलेंडर ने बॉल टैम्परिंग की थी.
चौकाने वाली बात तो यह है कि सचिन तेंड़लकर पर भी बॉल टैम्परिंग का आरोप लग चुका है, हालांकि, आईसीसी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी, क्योंकि उन पर दोष साबित नहीं हुआ था.
वहीं 2010 में पाकिस्तान के शाहिद अफरीदी बॉल को दांत से काटते हुए पकड़े गए थे. इसी क्रम में 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ पूरी पाकिस्तानी क्रिकेट टीम पर बॉल टैम्परिंग करने का आरोप लगा था.
इसके अलावा सन 1994 में भी इंग्लैंड के माइक आर्थटन बॉल टैम्परिंग करते हुए पकड़े गए. वहीं इंग्लैंड के ही जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड पर भी कई बार ऐसे आरोप लग चुके हैं.
Cameron Bancroft throwing ball to Umpire Richard Illingworth. (Pic: thenational)
भारतीय क्रिकेट पर भी सवाल!
अगर भारतीय क्रिकेट की ही बात करें तो आप देखेंगे कि भारत के कप्तान विराट कोहली अपने रूड एटिट्यूड के लिए मशहूर रहे हैं. 2012 में सिडनी टेस्ट मैच के दौरान कोहली ने पवेलियन में बैठे ऑस्ट्रेलियन प्रशंसकों को मिडिल फिंगर दिखाई थी.
जोकि, क्रिकेट की खेल भावना के विपरीत था.
इसके अलावा आपको याद होगा कि 2008 में एक मैच के दौरान हरभजन सिंह पर एंड्रयू सायमंड्स को मंकी कहने का आरोप लगा, जिसके लिए हरभजन को तीन टेस्ट के लिए बैन तक कर दिया गया था. हालांकि, बाद में सचिन की गवाही पर जज हेनसन ने बैन हटा लिया था.
वहीं, क्रिकेट इतिहास में कई बार क्रिकेट बोर्ड पर भी भ्रष्टाचार व पक्षपात करने जैसे मामलों को लेकर सवाल उठे. यहां तक कि विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई भी इससे अछूता नहीं हैं.
इसके कामकाज और इस बोर्ड में राजनीतिज्ञों के हस्तक्षेप पर भारत का सुप्रीम कोर्ट पहले ही सवाल उठा चुका है. जग-जाहिर है कि किस तरह से बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपना पद छोड़ना पड़ा था.
Virat Kohli Sledges Australian Matt Renshaw. (Pic: ScoopWhoop)
क्रिकेट की भावना कहां..?
वैसे तो क्रिकेट की शुरूआत 13वीं शताब्दी में हो गई थी, लेकिन इसको पहचान 17वीं शताब्दी से ही मिली है. इंग्लैंड से शुरू हुए क्रिकेट को कभी रईस लोग खेला करते थे, तब इसे जेंटलमैन गेम कहा जाता था, क्योंकि इसमें धोखेबाजी, स्लेजिंग, गुस्सा, आक्रामकता नहीं थी.
किन्तु, बदलते समय ने इस खेल को इतना पॉपुलर बना दिया कि अब इस खेल का स्वरूप तेजी से बदलता जा रहा है. अब यहां ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान जैसी बेईमान टीमें हैं, तो स्टीव स्मिथ और कैमरन बैनक्रॉफ्ट जैसे बेईमान खिलाड़ी.
वहीं मैच फिक्सिंग करने वाले सलमान बट्ट और अजित चंडीला, टी सुधींद्र, मोहनीश मिश्रा, अभिनव बाली, अमित यादव जैसे पूर्व खिलाड़ी, और आईपीएल जैसे लालची और सटोरियों से भरे क्रिकेट टूर्नामेंट हैं.
विश्व के लगभग 20 देशों में क्रिकेट को खेलों में सबसे ऊंचा स्थान प्राप्त हैं. कई देशों में क्रिकेट एक परंपरा और त्यौहार की तरह से मनाया जाता है. ऐसे में उस देश और वहां के नागरिकों की भावनाएं क्रिकेट और उसके खिलाड़ियों से जुड़ी होती हैं.
अब अगर ये खिलाड़ी पूरी ईमानदारी से क्रिकेट न खेलें तो उनकी इज्जत तो डूबती ही है, साथ में लोगों का विश्वास भी क्रिकेट के ऊपर से उठता है.
Batsman Hitting a Ball. (Pic: Cricket Logistics)
क्रिकेट के नियमों की प्रस्तावना कहती है कि “क्रिकेट केवल इसके नियमों के हिसाब से ही नहीं बल्कि, क्रिकेट की भावना के अंदर भी खेला जाना चाहिए.”
हम देख चुके हैं कि कैसे क्रिकेट को खेल भावना के विपरीत बना दिया गया है. ऐसे में ये उम्मीद करना कहीं से भी जायज नहीं होगा कि क्रिकेट को आज के दौर में जेंटलमैन गेम कहा जाए!
वर्तमान में क्रिकेट को बेईमानी का खेल कहने के कई कारण हैं, लेकिन उसे जेंटलमैन गेम कहने का कोई कारण दूर-दूर तक नज़र नहीं आता!
क्या कहेंगे आप?
Web Title: Why Cricket is not a Gentlemen’s Game, Hindi Article
Featured Image Credit: muslimobserver/Stevenuniverse