वसीम अकरम और वकार युनुस पाकिस्तान क्रिकेट के दो ऐसे नाम, जो अपनी गेंदबाजी के कारण अपनी सदी के नामी क्रिकेट स्टार रहे.
कई मौकों पर इनकी जोड़ी ने अपनी टीम को जीत दिलाई, किन्तु इनके जीवन में एक मौका ऐसा भी आया, जब ये दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन बैठे थे.
ऐसे दुश्मन की एक-दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करते हैं!
वह मौका कौन सा था और ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई, आईए जानने की कोशिश करते हैं-
‘खराब प्रदर्शन’ से शुरू हुई तकरार
शोएब ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में वकार और वसीम के बीच हुई तकरार का खुलासा किया. उन्होंने लिखा कि 1999 में दिल्ली में खेले गए एक टेस्ट मैच के दौरान वकार युनुस उम्मीद जनक प्रदर्शन नहीं कर पाए थे. वकार दोनों पारियों में एक विकेट तक नहीं चटका पाए थे.
इस कारण वसीम उनसे बहुत ज्यादा नाराज थे. आगे इस वजह से दोनों के बीच खटाश पैदा होती चली गई. एक समय बाद तो बात इतनी बिगड़ गयी थी कि वकार को वसीम पाकिस्तान वापस भेजना चाहते थे, जबकि इस मैच के कुछ दिन बाद ही पाकिस्तान क्रिकेट टीम को इडेन गार्डेन में एशियन टेस्ट प्रतियोगिता के तहत अपना मैच खेलना था!
चूंकि, वकार पाकिस्तान टीम के अहम सदस्य थे, इसलिए माना जा रहा था कि वसीम सिर्फ गुस्से में उन्हें टीम से निकालने की सोच रहे हैं. किन्तु, जब उन्होंने सच में वकार को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया तो सभी हैरान रह गए.
कप्तान ने वकार की जगह शोएब अख्तर पर भरोसा जताते हुए उन्हें टीम में जगह दी थी.
यह खबर किसी भी लिहाज से पाकिस्तान टीम के लिए सही नहीं थी. दोनों की तकरार के कारण पहले से ही टीम के अंदर का माहौल ठीक नहीं थी. ऐसे में वसीम का वकार को टीम से बाहर का रास्ता दिखाना सूरत और ज्यादा खराब करने जैसा था.
आंकड़ों पर एक नजर डाले तो वकार के टीम में रहने से पाकिस्तान 45 प्रतिशत मैच जीतता था. वहीं वसीम के साथ टीम सिर्फ 38 प्रतिशत मैच जीतता था. इस कारण इन दोनों महान खिलाड़ियों का आपसी मतभेद किसी भी तरह से टीम के हित में नहीं था.
वसीम और वकार के साथ खेल चुके अफरीदी की माने तो भारत के खिलाफ खेले जा रहे एक मैच के दौरान वह फील्ड की जमावट में बदलाव चाहते थे, किन्तु वकार नहीं मानें.
गजब की बात तो यह थी कि वसीम के हस्तक्षेप के बाद भी बात नहीं बनी थी. अंत में अफरीदी को ऑफ साइट में क्षेत्ररक्षण रहते हुए उन्हें मजबूरन लेग साइड से गेंदबाजी करनी पड़ी थी, जिसका टीम का नकारात्मक परिणाम झेलना पड़ा!
Waqar With His Fast Bowling Partner, Wasim (Pic: Dawn)
1993 में रख गई थी झगड़े की बुनियाद!
माना जाता है कि इस झगड़े की बुनियाद 1993 में ही रख गई थी.
असल में ‘टोटल इंटरनेशनल सीरीज’ के 9वें मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलते हुए पाक टीम महज 43 रन पर ढेर हो गयी थी. इस कारण उसे फजीहत का सामना करना पड़ता था.
दूसरी तरफ टीम को उसी साल साउथ अफ्रीका के दौरे पर जाना था. ऐसे में वसीम ने सख्ती से पेश आते हुए खिलाड़ियों को मैदान पर पसीना बहाने की नसीहत दी. वसीम का यह कड़ा रवैया टीम के कुछ खिलाड़ियों को पंसद नहीं आया. खासकर वकार को!
परिणाम यह हुआ कि टीम में गुटबाजी हो गई और वह बिखर गई!
इसके चलते बतौर कप्तान वसीम की आगे की राह मुश्किल हो गई. इसी क्रम में 1994 के बांग्लादेश और न्यूजीलैंड दौरे के दौरान सलीम मलिक को पाक टीम की कमान सौंप दी गई.
खैर, इस सबके बावजूद वकार और वसीम के बीत अनबन खत्म नहीं हुई!
Saleem Malik (Pic: ESPNcricinfo)
…जब वकार को मिली टीम की कमान
2003 विश्व कप के आस-पास का वक्त रहा होगा, जब वकार को पीसीबी ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम की कमान सौपी, जोकि वसीम के गले से नहीं उतरी. पहले से ही दोनों के बीच में नहीं बनती थी. ऐसे में वकार का कप्तान बनना एक नया मोड़ लेकर आया .
बात यहां तक बिगड़ गई कि दोनों खिलाड़ी एक-दूसरे से बात करने के लिए इंजमाम का सहारा लेते थे. असल में इंजमाम ही टीम में ऐसे शख्स थे, जो दोनों के करीब थे.
बहरहाल, दोनों की इस तकरार को खामियाजा पाक टीम को इस प्रतियोगिता में भुगतना पड़ा. दिग्गजों वाली ये ‘टीम नामीबिया और हॉलैंड जैसी कमजोर टीम से ही जीत पायी थीं!
आगे जब इनका मुकाबला भारत जैसी बड़ी टीम से हुआ, तो इस दल ने अपने घुटने टेक दिए. कहते हैं कि इसके मुआवजे के तौर पर आगे वकार को टीम की कप्तानी से हाथ धोना पड़ा था!
Waqar Younis as Pakistan Team Captain (Pic: Cricbuzz.com)
कुछ इस तरह छलका दोनों का दर्द…
बाद में एक साक्षात्कार में वकार का दर्द छलका. वसीम के साथ झगड़े पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि चयनकर्ता मुझे टीम में जगह देते, लेकिन वसीम ने मुझे 18 माह तक खेलने नहीं दिया. चयनकर्ता बार-बार टीम में मुझे जगह देते थे, लेकिन कप्तान साहब मुझे बेंच पर बैठाकर रखते बताइए ये कहां का न्याय है ?
आगे इसके जवाब में वसीम का बयान आया कि मुझे उनसे कोई दिक्कत नहीं है. अगर मेरी वजह से उन्हें कोई दिक्कत हुई या मैने उनके साथ अन्याय किया है, तो आप एक बार उनके एकदिवसीय और टेस्ट के रिकॅार्ड को देख लीजिए!
दोनों के आरोप-प्रत्यारोप के साथ एक पहलू यह भी है कि वकार, वसीम को अपना भाई भी कहते हैं. उनकी माने तो वसीम न होते तो वह अपने करियर के 50 प्रतिशत विकेट नहीं ले पाते.
असल में वह वसीम को विकेट लेते देखते थे, तो उनसे आगे निकलने की होड़ में वह ज्यादा मेहनत करते थे और टीम के लिए विकेट निकालते थे. इससे टीम को फायदा होता. वह इस बात को भी स्वीकारते हैं कि उनके आपसी झगड़े से उन्हें और उनकी टीम को बहुत नुक्सान हुआ है.
Wasim Akram Waqar Younus (Pic: meanwhileinpakistan)
2003 विश्व कप तक दोनों एक साथ खेले, फिर हमेशा के लिए क्रिकेट को अलविदा कह गए.
इस दौरान दोनों के आकड़ों की बात करें तो, जहां वकार ने 87 टेस्ट मैचों में 373 व वन-डे के 262 मैचों में 416 विकेट चटकाएं.
वहीं वसीम ने 104 टेस्ट मैचों में 414 व वन-डे के 365 मैचों में 502 विकेट लिए.
वर्तमान में दोनों में से अक्सर टीवी पर एक साथ क्रिकेट के एक्सपर्ट के रूम में दिख जाते हैं!
Web Title: Why Wasim And Waqar Hated Each Other, Hindi Articles
Featured Image Credit: CricketCountry